Author Topic: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (  (Read 207687 times)

Bhishma Kukreti

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नागकेसर  वृक्ष बनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Indian Rose Chestnut Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
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  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -16


Community Medical Plant Forestation -16

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )  -118

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  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -   118               

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--221)   
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 221

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम -Mesua ferrea
संस्कृत -नागकेशर , नागपुष्प
पादप वर्णन
वृक्ष उंचाई मीटर- 30 -31
तना गोलाई सेंटीमीटर -90 तक
समुद्र तल से भूमि उंचाई मीटर - 1100 -1700
पत्तिययाँ फूल व फल - शुरुवात में पत्तियां लाल , ऊपरी पत्तियां गहरी हरी व नीचे नीला -मटमैला रंग
फल तिकोने अंडाकार जैसे


औषधि उपयोग

नागकेसर के अंग उपयोगिता - पुंकेसर , फल , बीज , फूल , कलियाँ , पत्तियां , छाल उपयोगी
वमन रोकने हेतु व अन्य पेट पीड़ाओं में
ज्वर ,सरदर्द में

यकृत व तिल्ली की बीमारी में
स्वास व पाचन संबंधी बीमारियों में ,मुख का दुर्गंध हटाता है
कई औषधियों का घटक जैसे चवनप्रास
मूत्र रोग में
प्यास कम करता है
सुगंधित तेल

जलवायु आवश्यकता
 भूमि  - बलुई व स्पंजी , अम्लयुक्त भूमि नागकेसर हेतु हानिकारक , क्षारयुक्त /अल्कलाइन भूमि भी हानिकारक
धूप - सीधी , 7 घंटे
फूल आने का समय - मार्च जून
फल तोड़ने का समय  -अक्टूबर नवंबर
 
नए नए बीजों से सीधी बुआई भी की जाती हैं
यदि फल पके हों तो बीजों को 24 घंटे तक ठंडे पानी में भिगोये जाते हैं . नागकेशर के बीज जमने का प्रतिशत अधिकतर 100 % होता है। 
एक हेक्टेयर में 400 पेड़ लग सकते हैं
जड़ या तने की कलम से भी पेड़ लगाए जाते हैं जो 12 साल में फूल दने लगते हैं
रोपण का समय - एक साल पुरानी डमडमी कली 40 -45 सेंटीमीटर ऊँची कली  उपरान्त व शीत  ऋतू की वारिश सही समय
खाद आवश्यकता - प्रारम्भिक काल , गोबर सही खाद
सिंचाई आवश्यकता - प्रारम्भ में फिर सामन्य
ओस व सूखे सहने की सहनशीलता पेड़ में है

कीड़ों , जीवाणुओं से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय  आवश्यक है

आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर  व अदूरदर्शिता भगाए जायं !
Copyright @ Bhishma Kukreti  /6  //2018
संदर्भ

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस
-
   Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Haridwar Garhwal Uttarakhand ;
Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Champawat Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Kumaon Uttarakhand ;

Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Pauri Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in  Chmoli  Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in  Rudraprayag Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Tehri Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Uttarkashi Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Dehradun Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Udham Singh Nagar Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Nainital Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Almora Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Champawat Kumaon Uttarakhand ;
  Medicinal Plants plantation in Pithoragarh Uttarakhand
Indian

Bhishma Kukreti

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मौलसिरी , बकुल वृक्ष बनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Spanish Cheery , Bakula  Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
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  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -17


Community Medical Plant Forestation -17

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )  119

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  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -     119             

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--222 
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 222

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम - Mimusops elengi
सामन्य नाम -बकुल या मौलसिरी
पादप वर्णन

वृक्ष उंचाई मीटर- सामन्य तः  12 -15 मीटर ऊँचा वृसदाबहार वृक्ष किन्तु 30 मीटर तक जा सकता है
तना गोलाई सेंटीमीटर -50 cm या कम
समुद्र तल से भूमि उंचाई - उष्ण कटबंधीय वृक्ष , 600 मीटर मैदानी इलाका , भाभर, तराई क्षेत्र में उगाने लायक अलग अलग प्रकार की मिट्टी  में होसकता है , उत्तराखंड बायो डाइवर्सिटी बोर्ड मौलसरी वृक्ष रोपण का धार्मिक वृक्ष बागवानी लगाओ योजना अंतर्गत लोगों मध्य प्रचार भी करता है।
फूल व फल - साल भर आते रहते हैं , सफेद फूल सुबह शाम अच्छी सुगंधित हवा छोड़ते  छोड़ते हैं , पीले चिकने अंडकार बीज आकर्षक लगते हैं। चमकदार काले अंडाकार बीज भी करहक होते हैं
आर्थिक उपयोग
धार्मिक  उपयोगी  व बगीचे में सुगंध हेतु लगाए जाते हैं। सूखे  फूल  गद्दों व तकियों में रुई के साथ भरे जाते हैं
इमरती , पुल  निर्माण , कृषि उपकरण हेतु मजबूत लकड़ी
औषधि उपयोग
मैलसिरि वृक्ष के अंग उपयोगिता
छाल , फूल व फल -बीज
सरदर्द , नाकबंद , हेतु भाप थिरेपी
मुखवास , दांत , मसूढ़े तगड़े करने व गंध हटाने, गरारा करने हेतु छाल, पत्ती , बीजों  से औषधि निर्माण
सर्दी जुकाम, बुखार उपचार हेतु औषधि
कीड़ों के काटने या जानवरों के काटने पर छाल , बीज से पेस्ट औषधि
नेत्र औषधि
अधिक मात्रा के उपयोग से हानि हो सकती है अतः चिकित्स्क की सलाह आवश्यक

जलवायु आवश्यकता
 भूमि  - भाभर की भूमि या कुछ ऊपर की भूमि


फल तोड़ने का समय  - वर्ष भर
बीज बोन का समय - बीज निकालने के कुछ समय पश्चात बीज बोना श्रेयकर।  भण्डारीकृत अच्छी फसल नहीं देते हैं।  बीजों को 24 घंटे तक मंतत /वार्म पानी में भोगोया जाता है फिर तैयार छायादार क्यारियों में बो दिया जाते हैं। थायो यूरिया ट्रीटमेंट से बीज अंकुरण 77 % तक हो पाते हैं
अंकुरण 17  दिन या अधिक देर से आते हैं।
रोपण का समय - अंकुरण के एक माह पश्चात  पॉलीथिन बैग में लगाए जाते हैं और जब  पौधा  एक सवा साल में डमडमा हो जाय तो गड्ढों में लगाए जाते। हैं
सीधे भिगोये बीज भी बोये जा सकते हैं किन्तु अंकुरण प्रतिशत कम - दक्षिण उत्तराखंड में नयार  घाटी , या गदन किनारे जहां ऊंचाई 2000 फ़ीट से कम हो, गरम जलवायु हो वहां भी लग सकते हैं
खाद आवश्यकता -प्रारम्भिक काल
सिंचाई आवश्यकता -प्रारम्भिक काल
जड़ कलम या अन्य कलम से भी वृष लगाए जाते हैं।
कीड़ों , जीवाणुओं से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
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आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर  व अदूरदर्शिता भगाए जायं !
Copyright @ Bhishma Kukreti  /6  //2018
संदर्भ

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस
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   Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Haridwar Garhwal Uttarakhand ;
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  Medicinal Plants plantation in Pithoragarh Uttarakhand


Bhishma Kukreti

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तेजपत्ता वृक्ष बनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Indian bay leaf tree  Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
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  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -18


Community Medical Plant Forestation -18

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )  120

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  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -  120               

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--223 
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग -223

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम Cinamomum tamala ,
Indian Bay Leaf Tree
तेजपत्ता
उतकट , ताम्ल  पत्र

पादप वर्णन
सदाबहार , 100  वर्ष तक जीने वाला वृक्ष
क्षेत्र - हिमालयी उष्ण कट बन्धीय क्षेत्र
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई - 300 -2400 मीटर तक
वृक्ष उंचाई मीटर-8 मीटर
तना गोलाई सेंटीमीटर -150
अन्य  भाग
 
फूल व फल

आर्थिक उपयोग
भू संरक्षण -कामयाब वृक्ष , छाया
गरम मसाले , तेल कई मसालों, मिठाईयों , चॉकलेट व औषधि उद्यमों में

औषधि में  अंग उपयोगिता
छाल
पत्ती
तेल
औषधि उपयोग
टूथ पौडर . मुखवास , दांत दर्द
कफ स्वास रोधक
यूटेरस बीमारियों में
सूजन या हड्डी /मासंपेशियों के दर्द में छल गुदगी प्रयोग
ट्यूबरकुलसिस में
स्थूलता कम करने हेतु
अंजन या सुगंधित द्रव मिठाई व अन्य भोज्य पदार्थों में प्रयोग
कृमि नाशक
प्रसूति स्राव रोकथाम , एनीमिया में
यकृत व तिल्ली में मूत्रवर्धक  उपयोग
नेत्र जलन , स्राव रोकथाम में उपयोग
कई फुंदी जनित रोगों में



जलवायु आवश्यकता
 भूमि  - बांज बुरांस भूमि व जलवायु उपयुक्त अर्थात उत्तरमुखी जंगलों में उपयुक्त . 27 अंश सेल्सियस तापमान सही याने उष्ण व वास्प आवश्यक। जैविक खाद व भूमि के गुण तेजपत्ता के गुणों को प्रभावित करता है।  जमीन दलदली नहीं होनी चाहिए
पत्ते तोड़ने का समय -अक्टूबर -नवंबर
छाल निकालने का समय नवंबर -जनवरी
फूल आने का समय - मई
फल आने /पकने का समय - जून जुलाई
फल तोड़ने का समय  -जून -अगस्त
बीज बोन का समय - मानसून , बीजों को फल से तोड़ कर तुरंत बलुई मिट्टी की तैयार क्यारियों में बोया जाता है
मिट्टी - बांज बुरास वाली
रोपण का समय - बीज बोन के 10 - 15  दिन बाद या कुछ अधिक , वृक्ष रोपाई में कम से कम 2 मीटर अंतर् 
सीधी बुवाई या पेड़ों से बीज गिरने से अंकुरण का प्रतिशत 10 %
 जंगलों से कलियाँ एकत्रित कर भी रोपण किया जाता हैं
कलम व एयर लेयरिंग पद्धति से भी रोपण किया जा सकता है

खाद आवश्यकता -प्रारंभिक आवश्यक -सितंबर व मार्च
सिंचाई आवश्यकता - आवश्यक
वयस्कता समय- पत्ते 8 -9 साल में

कीड़ों , जीवाणुओं से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय  आवश्यक है

आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर  व अदूरदर्शिता भगाए जायं !
Copyright @ Bhishma Kukreti 15 /6  //2018
संदर्भ

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस
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  Medicinal Plants plantation in Pithoragarh Uttarakhand


Bhishma Kukreti

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गम्भारी वृक्ष बनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Gambhar Tree  Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
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  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -18


Community Medical Plant Forestation -18

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )  120

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  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -   120               

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--223   
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 223

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम Gmline arborea
संस्कृत नाम -गंभारी
पादप वर्णन
गंभारी उष्ण कटबंधीय व उप उष्ण कटबंधीय वृक्ष है जिस पर कम शाखाएं होती हैं।
वृक्ष उंचाई मीटर- 3 -30  व कभी और ऊंचा
तना गोलाई सेंटीमीटर - 50

तना -मटमैला , ताकतवर
भूमि उंचाई -समुद्र तल से 2100 मीटर तक उग जाता है
वर्षा   आवश्यकता mm  - 1500 -2500 किन्तु 750 -5000  तक सहनशीलता , ओस  व सूखा  सहने की ताकत व जलने के बाद नई कोपलें जल्दी आ जाती हैं , तापमान -20 -26 डिग्री सेल्सियस

आर्थिक उपयोगिता
चारा
इमरती व अन्य लकड़ी
मधुमक्खी का भोजन
फल खाये जाते हैं
वृक्ष भाग औषधि निर्माण में उपयोग

जड़ें
जड़ छाल
पत्तियां
फूल
फल
बीज
औषधि उपयोग

बदन दर्द व जलन हेतु
ताकत हतु
पाचन शक्ति वर्धक
हृदय हेतु हितकारी
मूत्रवर्धक
कामोद्दीपक , शुक्राणु वर्धक
माताओं हेतु दुग्धवर्धक
नासिका रक्त श्राव व माहवारी रक्तस्राव रोकथाम , बबासीर रक्तस्राव रोकथाम
सरदर्द निवारक
अति बुखार कम करने में
पेट में ट्यूमर निवारक
कुष्ठ रोग निवारक



जलवायु आवश्यकता  - धूपदार भूमि , अम्लीय व क्षारीय मिट्टी में भी।  दुम्मट मिट्टी - सही।  किन्तु दलदल व दलदलीय अम्लीय मिट्टी  में नहीं। pH -6 -8
 
फूल आने का समय -  भूमि , जलवायु अनुसार वर्ष में दो समय , फल फूल आने के एक सप्ताह में आ जाते हैं और बीज दो महीने के अंदर . फूलों में बहुत मधु होता है जो मधुमखी पालन में सहयक।
फल तोड़ने का समय  - फल कटे ही
बीज बोने हेतु भंडारी करण  समय- एक साल से पहल बीज बोना आवश्यक
बीज बोन का समय -  मानसून
नर्सरी भूमि प्रकार
बलुई , धूपदार , सूखी दुम्मट
भूमि तैयारी बीजों के मध्य अंतर   - 20 cm

बीज बोने की गहराई - 6   cm
बीजों को 40 घंटे तक मंतत पानी में भिगोना सही
अंकुर आने का अंतराल - 20 -25 -50 दिन , अंकुरण %- 60

रोपण का समय - वर्षा ऋतू
रोपण कली की लम्बाई - लम्बा डमडमा
गड्ढों में अंतर - 2 x 2 मीटर
किसी जंगल में सीधी बुवाई भी की जाती है
रोपण हेतु  गहराई आवश्यकता
 कलम से भी रोपण मानसून में किया जाता है
खाद आवश्यकता - प्रारंभिक कल में आवश्यक
सिंचाई आवश्यकता - आवश्यक
वयस्कता समय- 4 -5  साल

कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं  से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
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1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
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   Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Haridwar Garhwal Uttarakhand ;
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Gambhar

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बहु  औषधि दाता  (दिव्य: औषधि )लोध वृक्ष बनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Lodha  , lodhra Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
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  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -19


Community Medical Plant Forestation -19

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )  121

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  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -   121               

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--224)   
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 224

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम Symplocos racemosa
सामान्य नाम -लोध , लोध्र
संस्कृत नाम -लोध्र
पादप वर्णन
सदा हरा भरा रहने वाला वृक्ष उष्ण कटबंधीय वृक्ष
 गोल व 3 से 5 इंच लम्बे
वृक्ष उंचाई मीटर- 10
छाल गोलाई सेंटीमीटर - एक सेंटीमीटर गहरा  , हल्का लाल रंग , कत्थई
पत्तियां
 गोल व 3 से 5 इंच लम्बे
फूल रंग , आकार -सफेद से पीले रंग के डंठल पर फूल  आधा इंच लम्बा गोल
फल रंग आकार -अंडाकार
बीज रंग आकार - गुठली , हरे से मटमैले
समुद्र तल से भूमि उंचाई -उत्तराखंड के निचले भाग में 1400 मीटर की ऊंचाई तक
मिट्टी प्रकार -दुम्मट
नमता , धूप , इत्यादि - धूप पसंद या कम छाया में भी उगता है


औषधि उपयोग

  औषधि में पादप अंगों की उपयोगिता
छाल
तना /शाखा /डंठल
फूल
पत्तियां
बीज

बीमारी व औषधि प्रयोग
 कफ ,
स्वेत प्रदर
रक्त प्रदर
अत्त्यार्तव
अतिसार
नेत्र रोग
व्रण /फोड़े फुंसी
कर्ण स्राव
अल्सर
वाह्य घाव भरान
दांत औषधि
शक्तिवर्धक
शुक्राणु वर्धक शुकारण्यवर्धक
गर्भपात
जैविक रंग
बच्चा जन्म के पश्चात दर्द कम करने हेतु
दस्त
मधुमेह (बीज )





जलवायु आवश्यकता
 भूमि  प्रकार - दुम्मट , अर्ध छायादार जलवायु

फूल फल  आने का समय - दिसंबर फरवरी , या पूर्व  शीत  ऋतू
बीज बोने हेतु भंडारी करण  समय - तीन महीने
बीज बोन का समय  -  मानसून
नर्सरी भूमि प्रकार =दुम्मट , दलदल हीन , धुपेली  भूमि , वृक्ष में सूखे से लड़ने की क्षमता



बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई -  20  cm
भूमि तैयारी बीजों के मध्य अंतर cm
गाँठ /कलम के मध्य अंतर् - कम से कम 150 cm

रोपण का समय /गाँठ /जड़ कलम समय
रोपण कली की लम्बाई जब पौधा ००. 5 से 2 फ़ीट हो
रोपण हेतु  गहराई आवश्यकता - आधा फ़ीट कम से कम
गड्ढों में खाद आवश्यक है
गड्ढों में अंतर -  एक मीटर


खाद आवश्यकता - शुरुवात में , स्प्रे , एक महीने में एक बार
सिंचाई आवश्यकता - शुरुवात में हफ्ते में एक बार
वृक्ष रोपण गड्ढों के पास पानी हेतु गड्ढों की आवश्यकता पड़ती है -
बीजों से वृक्ष बनने का अनुपात कम होता है इसीलिए यह वृक्ष कम  होता जा रहा है


क्या  जंगलों मेंलोध  बीज बोये  जा सकता है - हाँ
लोध वृक्षीकरण पर साहित्य कम उपलब्ध है
कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं  से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय  आवश्यक है

आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर  व अदूरदर्शिता भगाए जायं !
Copyright @ Bhishma Kukreti  23 /6  //2018


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लाल कमला। र्वीण , रुइण वृक्ष बनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Kamla /Monkey Face Tree  Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
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  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -20


Community Medical Plant Forestation -20

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )  122

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  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  - 122                 

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--225)   
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग -225

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम -Mallotus Philippensis
संस्कृत नाम -काम्पिल्यक , कम्पिल्लक
अन्य नाम -रैनी , रोहणी , कबीला , र् वीण , रुइण
पादप वर्णन
वृक्ष उंचाई -  10 m -25 मीटर तक , सदाबहार हरा वृक्ष
तना गोलाई सेंटीमीटर - 50 cm  तक , किन्तु कम ही
पत्तियां - हरी अंडाकार
फूल रंग , आकार - नर व मादा फूल अलग अलग वृक्षों पर
फल रंग आकार -गोल , लाल , भूरे व बाहर पाउडर
बीज रंग आकार - गोल , अंडाकार कैप्सूल नुमा , काले

समुद्र तल से भूमि उंचाई -- 1600  मीटर  तक
मिट्टी प्रकार - 5 -6 . 7 pH , रगड़ , बलुई मिट्टी से लेकर रगड़ों  में भी हो सकता है
नमता , धूप , इत्यादि, तापमान  25 -34 डिग्री c , किन्तु 7 -से 45 डिग्री c सहने की शक्ति , धुपेली जलवायु  पसंद , किन्तु छाया सहनशील पेड़ ,
वर्षा औसत आवश्यकता - सामन्य 1000 -2500 mm सूखा सहनशील पेड़ ,

आर्थिक उपयोग
रंग -रोगन , तेल - ज्यल  , इत्र , मत्स्य विष निर्माण , चूहे , सूअरों की उत्पादनशीलता पर प्रभाव डालने हेतु , घी व तेल जैसे भोज्य पदार्थओं व भजन को सुरक्षित रखने व भोज्य रंग
लकड़ी -कई उपयोग
चारा उपयोग
औषधि उपयोग
गुल्म रोग चिकित्सा
उदरकृमि कम करने या मारक
गुदा खुजली कम करने हेतु
गीले घाव हेतु घाव भरान
 त्वचा रोग
रक्तशोधक
मूत्र रोग
भ्रूण स्थिरीकरण हेतु गर्भवती स्त्रियों हेतु
ज्वर चिकित्सा
शूल चिकित्सा


  औषधि में पादप अंगों की उपयोगिता
लगभग सभी अंग
बजार में उपलब्ध औषधि नाम - मिश्रिक स्नेह , कृमिघ्टनी वटी , धन्वन्तरा घृत


जलवायु आवश्यकता - धुपेली
 भूमि  प्रकार - दुम्मट

फूल आने का समय - मार्च अप्रैल
फल आने  का समय  -जुलाई अगस्त
बीज बोने हेतु भंडारी करण  समय- 6 महीने
बीज बोन का समय - वर्षा ऋतू से पहले
नर्सरी भूमि प्रकार - बलुई



बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई - एक से 2 इंच
भूमि तैयारी बीजों के मध्य अंतर cm -5 cm
गाँठ /कलम के मध्य अंतर् NN
अंकुर आने का अंतराल - 65  -8५  दिन
अंकुरण प्रतिशत कम होने से यह पादप खतरे में है

वृक्ष फंगस , कीट को आकर्षित करता है अतः  रोकथाम आवश्यक
खाद आवश्यकता - प्रारम्भिक अवस्था


क्या बीज बोकर जंगलों में बोया जा सकता है -हाँ
माइक्रोप्रोपेगेशन विधि उपलब्ध है

कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं  से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय  आवश्यक है

आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर  व अदूरदर्शिता भगाए जायं !
Copyright @ Bhishma Kukreti  24/6  //2018
संदर्भ

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस
-
   Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Haridwar Garhwal Uttarakhand ;
Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Champawat Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Kumaon Uttarakhand ;

Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Pauri Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in  Chmoli  Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in  Rudraprayag Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Tehri Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Uttarkashi Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Dehradun Garhwal Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Udham Singh Nagar Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Nainital Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Almora Kumaon Uttarakhand ; Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Champawat Kumaon Uttarakhand ;
  Medicinal Plants plantation in Pithoragarh Uttarakhand


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बादाम वृक्ष वनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Almond Tree  Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
-

  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण - 21


Community Medical Plant Forestation - 21

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )  123

-

  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -  123               

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--226)   
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 226

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम Prunus dulcis
संस्कृत आयुर्वेद  - बतादा
अन्य नाम - बादाम

पादप वर्णन -

वृक्ष उंचाई - 4 से   10 मीटर तक
तना गोलाई सेंटीमीटर - 30
पत्तियां आकार - चौड़े , दाँतदार
पत्तियाँ लम्बाई चौड़ाई cm - 8 -13
फूल रंग , आकार - सफेद से गुलाबी ,
फल रंग आकार - ड्रुप , 3 .5 -6 cm लम्बा बीच में गोल,  किनारे कोनेदार , गुठली से बाहर गूदेदार
गुठली बीज रंग - कई रंग विशेष मटमैला
बीज आकार - मटमैला कत्थई , कुछ कुछ अंडाकार किनारे कोनेदार

समुद्र तल से भूमि उंचाई - मीटर
मिट्टी प्रकार
नमता , धूप , इत्यादि - तापमान -  , धुप व 15  अंश c से 30 अंश सेल्सियस
वर्ष में एक बार शीत आवश्यकता

आर्थिक उपयोग
उपयोगी लकड़ी - हाँ
चारा - बकरी व मछली
अन्य उपयोग - पत्तल बनाने हेतु , तेल -लुब्रिकेंट हेतु , रंग
औषधि उपयोग

  औषधि में पादप अंगों की उपयोगिता
दाना
बीज
 रोग व औषधि उपयोग
स्मरण शक्ति वर्धक
सम्भोग शक्ति वर्धक
क्षीण कमर दर्द हेतु
महावारी उपचार
सरदर्द , अधकपाली उपचार
कई मिठाईयों में उपयोग
बाहत से लोग कैंसर में उपयोग क्लेम करते हैं किन्तु मेडिकल जॉर्नल में उद्घृत नहीं
बजार में उपलब्ध औषधि नाम
बादाम तेल
जीवनीयदि घृत
अमृतप्राश घृत



जलवायु आवश्यकता
 भूमि  प्रकार - अम्लीय व क्षारीय से मध्यम तक
दुम्मट , बलुई , रगड़
फूल आने का समय - मार्च अप्रैल
फल तोड़ने का समय  - फल बरसात में आ जाते हैं किन्तु अक्टूबर तक पकते हैं
बीज बोने हेतु भंडारी करण  समय - शीघ्र व स्वयं भी उग जाते हैं
बीज बोन का समय - मानसून
भूमि प्रकार -
बलुई , रगड़ , दुम्मट
दलदल में नहीं होता , अधिक चुना भी लाभकारी नहीं
धुपेली स्थान सर्वोत्तम



बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई - 6 cm , सीधे फल भी अपने आप उग आते हैं
भूमि तैयार,  बीजों के मध्य अंतर cm   6

अंकुर आने का अंतराल  - 10 =15  दिन

रोपण का समय /गाँठ /जड़ कलम समय
रोपण कली की लम्बाई - 12 -20 cm
रोपण हेतु  गहराई आवश्यकता -  15 -30 cm
गड्ढों में खाद आवश्यक है - प्रारम्भिक अवस्था
गड्ढों में अंतर - 2 x 2 मीटर , एक गड्ढे में दो बीज या रोपण भी सही है

वयस्कता समय - 3 वर्ष
कडुआ , मीठापन भूमि व जलवायु पर निर्भर करता है अतः  विषेशज्ञों की राय आवश्यक

क्या बीज बोकर जंगलों में बोया जा सकता है - इस लेखक की राय है कि उत्तराखंड के गर्म इलाकों में बंजर धरती, रगड़ों  में बोये जाने चाहिए जहां कम मिटटी हो , धूप हो . तापमान अधिक हो। बादाम की उगने की शक्ति अधिक है

कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं  से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय  आवश्यक है

आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर  व अदूरदर्शिता भगाए जायं !
Copyright @ Bhishma Kukreti 25 /6  //2018
संदर्भ

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस
-
   Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Haridwar Garhwal Uttarakhand ;
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सेमल वृक्ष वनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Red Silk Cotton Tree  Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
-

  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -22


Community Medical Plant Forestation -22

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )  124

-

  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -    124             

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--227)   
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग -227

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन ,  व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम -Bombax ceiba , Salmalia malbarica
संस्कृत -शाल्मली
अन्य नाम - सेमल , सिमुळ
पादप वर्णन
वृक्ष उंचाई - 20 से   50 मीटर तक
तना गोलाई सेंटीमीटर - 100 तक
पत्तियां आकार - गुच्छा  हथेली आकार -
पत्तियाँ लम्बाई चौड़ाई cm- 13 -15 ल x 7 -11 चौ
फूल रंग , आकार , -- कप ाकारी
फल रंग आकार - लाल चचकार
गुठली बीज रंग - गोल काले
बीज आकार - गोल

समुद्र तल से भूमि उंचाई - मीटर , तकरीबन 1400 मीटर  तक सभी जगह , गर्म जलवायु पसंदी वृक्ष
मिट्टी प्रकार - दुम्मट , बलुई  भी
नमता , धूप , इत्यादि - तापमान -  खुला , धुपेली , क्षीण छाया प्रेमी स्थान ,

आर्थिक उपयोग
उपयोगी लकड़ी
चारा ,
छाल रेशे
सेल्युलाइड
बक्से
माचिस तीली
प्लाईवुड
गोंद
बीजों से भोज्य व औद्योगिक तेल
सब्जी
बहुउपयोगी

औषधि उपयोग

  औषधि में सेमल पादप अंगों की उपयोगिता
फूल
छाल
कांटे
बीज
गोंद
डण्ठल
जड़

रोग -औषधि

फोड़े , फुंसी , पिम्पल
रक्तस्राव रोकथाम
कफ व गले की खरास
बजार में उपलब्ध औषधि नाम
दस्त व ल्यूकोरहोइया
कई अन्य औषधियों में अवयव

जलवायु आवश्यकता
 भूमि  प्रकार - दुम्मट , रगड़ों, गढ़नों , गदन किनारे अधिक में भी , धुपेली , दलदल नापसंद किन्तु कई जलवायु हेतु सहनशील , pH -5 . 5 -6 5
औसत तापमान 28 -42 अंश c ,
वर्षा - 750 -4000 mm  , सहनशीलता 500 -5000 mm
फूल - मार्च अप्रैल
फल तोड़ने का समय - मई जून
बीज बोने हेतु भंडारी करण  समय- नए बीज उपयुक्त
बीज बोन का समय - मानसून
नर्सरी भूमि प्रकार - दुम्मट



बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई - 6 cm
भूमि तैयारी बीजों के मध्य अंतर cm - 10
गाँठ /कलम के मध्य अंतर्
अंकुर आने का अंतराल - 10 -15  दिन

रोपण का समय /गाँठ /जड़ कलम समय  -  अंकुरण के एक वर्ष पश्चात
रोपण कली की लम्बाई - एक वर्ष बाद
रोपण हेतु  गहराई आवश्यकता - 5 x 5 x 5  फिट
गड्ढों में खाद आवश्यक है - हाँ
गड्ढों में अंतर - 5 मीटर


खाद आवश्यकता - शुरुवाती
सिंचाई आवश्यकता - प्रारम्भिक
वृक्ष रोपण गड्ढों के पास पानी हेतु गड्ढों की आवश्यकता पड़ती है -हाँ
वयस्कता समय - 3 -5 वर्ष
अंकुरण प्रतिशत - 80 से अधिक , बीजों को 12 घंटों तक भिगोये जायँ

क्या बीज बोकर जंगलों में बोया जा सकता है - चूँकि अंकुरण प्रतिशत व वृक्ष बबने का प्रतिशत अधिक है तो बीजों को 12 घंटों तक भिगोकर मानसून में सीधे वन में बिखेरना भी सही विधि है , उन स्थानों में बीज डाले जांय जहां पशु कम पंहुच सकें पाख पख्यड़   

कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं  से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
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आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर  व अदूरदर्शिता भगाए जायं !
Copyright @ Bhishma Kukreti  26/6  //2018
संदर्भ

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस
-
   Medicinal Plants Plantation for Medical Tourism in Haridwar Garhwal Uttarakhand ;
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विडंग  झाड़ी   वनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास

Vidang Shrub  Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
-

  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -23


Community Medical Plant Forestation -23

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  125)

-

  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -  125               

(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--228)   
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 228

 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम - Embelia ribes
संस्कृत - अमोध ,अमोध  ,  विडंग

पादप वर्णन
वृक्ष उंचाई - से   मीटर तक - लता नुमा झाड़ी , 15 मीटर
पत्तियां आकार -अंडाकार
पत्तियाँ लम्बाई चौड़ाई cm -7 x 3
फूल रंग , आकार - सफेद
फल रंग आकार -   काला  जैसे
गुठली बीज रंग - काली मिर्च जैसे इसीलिए इसे फाल्स पेपर भी कहा  जाता
बीज आकार , बेरी 2  5 mm

समुद्र तल से भूमि उंचाई - मीटर  - 800 -1500 तक
मिट्टी प्रकार -  लगभग सभी प्रकार , काली मिट्टी पसंद , पथरीली, रगड़ में भी
नमता , धूप , इत्यादि - तापमान -   धुपेली , पहाड़ी इलाके

औषधि उपयोग

  औषधि में पादप अंगों की उपयोगिता
जड़
बीज
पत्तियां

रोग व उपयोग
शक़्कर रोग
कृमि नाश
ताकत व ऊर्जा दायक , थकावट कम करने हेतु
रक्त शोधक
बबासीर
नाड़ी /नर्वस सिस्टम समस्याएं निदान
ट्यूमर नाशक
दंत रोग चिकित्सा
 आंत /पेट संबंधी कई रोग नाशकों में उपयोग
नासिका जलन
मोटापा, शरीर भार व चर्वी कम करने हेतु
सर्प विष प्रभाव निवारण में उपयोगी
कफ , मुंह के छाले , टीबी
कई औषधियों में अवयव



बजार में उपलब्ध औषधि नाम
चन्द्रप्रभा वाटी
विडंग पाउडर

जलवायु आवश्यकता
 भूमि  प्रकार - काली मिट्टी , पथरीली , रगड़


फूल - मार्च अप्रैल
फल  का समय  - ओक्टोबर , नवंबर
बीज प्राप्ति समय -नवंबर जनवरी

बीज बोन का समय - मई जून , मानसून प्रारभिक समय



बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई - एक इंच
भूमि तैयारी बीजों के मध्य अंतर cm  - सामन्य
रोपण गाँठ /कलम के मध्य अंतर् - दो फ़ीट
अंकुर आने का अंतराल

रोपण का समय /गाँठ /जड़ कलम समय - अंकुरण के 6  माह पश्चात
रोपण हेतु  गहराई आवश्यकता - हाँ
गड्ढों में खाद आवश्यक है -हाँ
गड्ढों में अंतर - 2 फ़ीट
रोपण हेतु  गहराई आवश्यकता - 1 x 1  फ़ीट

खाद आवश्यकता - कम्पोस्ट
सिंचाई आवश्यकता - 15  दिन अंतराल

वयस्कता समय - 2 -3  साल

क्या बीज बोकर जंगलों में बोया जा सकता है - एक एकड़ में 5 किलोग्राम बीज

कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं  से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
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Copyright @ Bhishma Kukreti 27  /6  //2018
संदर्भ

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस
-
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 सप्तपर्णी वृक्ष वनीकरण से मेडिकल पर्यटन विकास
 Black  Board Tree  Forestation for Medical  Tourism  Development 

  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण - 24
 Community Medical Plant Forestation - 24
  -
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  )   126
-
  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -126                   
Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series-  229
    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 229
 
    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

  लैटिन नाम – Astonia Scholaris
संस्कृत - सप्तपर्ण
औषधि उपयोग -
औषधि में पादप अंग उपयोगिता
 
रोग नाम व निदान
 
अन्य औषधियों में अवयव उपयोग ?

अन्य नाम -छतवान
औषधि उपयोग -
औषधि में पादप अंग उपयोगिता
 
रोग नाम व निदान
 
अन्य औषधियों में अवयव उपयोग ?
औषधि उपयोग

औषधि हेतु पादप अंग
टहनी
छाल
फूल
चोप /दूध

रोग निदान
दांतुन
त्वचा रोग , एलर्जी
पाचन शक्ति वर्धक व नव माताओं हेतु लाभकारी औषधि
गठिया दर्द कम करता है
कृमिनाशक
मलेरिया बुखार , कुनैन का विकल्प
रक्तशोधन
दमा नाशक , नासिका खोलने हेतु
नवजात माताओं में दुग्ध वर्धन
कोढ़
डाइबिटीज

पादप वर्णन

वृक्ष उंचाई - 12 से  28  मीटर तक
तना
पत्तियां आकार - सामान्य , ऊपरी भाग में मोम लगा जैसा चिकना
पत्तियाँ लम्बाई चौड़ाई cm - 3 x  1
फूल रंग , आकार - सफेद हरियाली लिए
फल रंग आकार -  सिलिण्डरीकल ,

बीज रंग -  कोमल कांटेदार /झीस
बीज आकार , -  भूरे झीस , अंडाकार

समुद्र तल से भूमि उंचाई - मीटर  - 1000 तक हिमालयी भाग में यमुना की पूर्वी भागों में
मिट्टी प्रकार -  धुपेली , लगभग सभी प्रकार के व नमी पसंद
नमता , धूप , इत्यादि - तापमान -   उष्ण कटबंधीय से उप उष्ण कटबंधीय जलवायु


जलवायु आवश्यकता
 भूमि  प्रकार -लगभग सभी प्रकार , रगड़ मी भू उग जाता


फूल आने का समय - मार्च से अगस्त
फल  का समय  - मार्च अगस्त
बीज प्राप्ति समय - जुलाई अगस्त या फल पकने के बाद
बीज भंडारण केवल एक वर्ष , बाद में अंकुरण शक्ति कम हो जाती है

बीज बोन का समय -  , मार्च अप्रैल सीधे बीज छिड़के जाते हैं और उग आते हैं , नरसरी में  10 x 1  मीटर में 25 ग्राम बीजों की आवश्यकता
बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई -  एक से दो इंचभूमि तैयारी बीजों के मध्य अंतर cm 

कली , नव पौधा /गाँठ /जड़ कलम समय - कली जब कली 30 -45 cm  की हो जाय रोपण करना चाहिए
गड्ढों में खाद आवश्यक है - हाँ
गड्ढों में दूरी -अंतर -  6 मीटर 
रोपण हेतु  गहराई आवश्यकता - 45 x 45 x 45 cm
प्रारम्भ में तेज हवा से बचाव आवश्यक

खाद आवश्यकता - कम्पोस्ट
सिंचाई आवश्यकता -  प्रारम्भ में 7  दिन अंतराल

वयस्कता समय -  6 -8 साल

क्या बीज बोकर जंगलों में बोया जा सकता है -  हाँ

कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं  से बचाव आवश्यकहै इसलिए   कृपया विशेज्ञों की राय लें
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