लाल कमला। र्वीण , रुइण वृक्ष बनीकरण से मेडिकल टूरिज्म विकास
Kamla /Monkey Face Tree Plantation for Medical Tourism in Uttarakhand
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक )
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सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -20
Community Medical Plant Forestation -20
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति ) 122
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Medical Tourism Development in Uttarakhand ( Strategies ) - 122
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series--225)
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग -225
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
लैटिन नाम -Mallotus Philippensis
संस्कृत नाम -काम्पिल्यक , कम्पिल्लक
अन्य नाम -रैनी , रोहणी , कबीला , र् वीण , रुइण
पादप वर्णन
वृक्ष उंचाई - 10 m -25 मीटर तक , सदाबहार हरा वृक्ष
तना गोलाई सेंटीमीटर - 50 cm तक , किन्तु कम ही
पत्तियां - हरी अंडाकार
फूल रंग , आकार - नर व मादा फूल अलग अलग वृक्षों पर
फल रंग आकार -गोल , लाल , भूरे व बाहर पाउडर
बीज रंग आकार - गोल , अंडाकार कैप्सूल नुमा , काले
समुद्र तल से भूमि उंचाई -- 1600 मीटर तक
मिट्टी प्रकार - 5 -6 . 7 pH , रगड़ , बलुई मिट्टी से लेकर रगड़ों में भी हो सकता है
नमता , धूप , इत्यादि, तापमान 25 -34 डिग्री c , किन्तु 7 -से 45 डिग्री c सहने की शक्ति , धुपेली जलवायु पसंद , किन्तु छाया सहनशील पेड़ ,
वर्षा औसत आवश्यकता - सामन्य 1000 -2500 mm सूखा सहनशील पेड़ ,
आर्थिक उपयोग
रंग -रोगन , तेल - ज्यल , इत्र , मत्स्य विष निर्माण , चूहे , सूअरों की उत्पादनशीलता पर प्रभाव डालने हेतु , घी व तेल जैसे भोज्य पदार्थओं व भजन को सुरक्षित रखने व भोज्य रंग
लकड़ी -कई उपयोग
चारा उपयोग
औषधि उपयोग
गुल्म रोग चिकित्सा
उदरकृमि कम करने या मारक
गुदा खुजली कम करने हेतु
गीले घाव हेतु घाव भरान
त्वचा रोग
रक्तशोधक
मूत्र रोग
भ्रूण स्थिरीकरण हेतु गर्भवती स्त्रियों हेतु
ज्वर चिकित्सा
शूल चिकित्सा
औषधि में पादप अंगों की उपयोगिता
लगभग सभी अंग
बजार में उपलब्ध औषधि नाम - मिश्रिक स्नेह , कृमिघ्टनी वटी , धन्वन्तरा घृत
जलवायु आवश्यकता - धुपेली
भूमि प्रकार - दुम्मट
फूल आने का समय - मार्च अप्रैल
फल आने का समय -जुलाई अगस्त
बीज बोने हेतु भंडारी करण समय- 6 महीने
बीज बोन का समय - वर्षा ऋतू से पहले
नर्सरी भूमि प्रकार - बलुई
बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई - एक से 2 इंच
भूमि तैयारी बीजों के मध्य अंतर cm -5 cm
गाँठ /कलम के मध्य अंतर् NN
अंकुर आने का अंतराल - 65 -8५ दिन
अंकुरण प्रतिशत कम होने से यह पादप खतरे में है
वृक्ष फंगस , कीट को आकर्षित करता है अतः रोकथाम आवश्यक
खाद आवश्यकता - प्रारम्भिक अवस्था
क्या बीज बोकर जंगलों में बोया जा सकता है -हाँ
माइक्रोप्रोपेगेशन विधि उपलब्ध है
कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं से बचाव आवश्यकहै इसलिए कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय आवश्यक है
आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर व अदूरदर्शिता भगाए जायं !
Copyright @ Bhishma Kukreti 24/6 //2018
संदर्भ
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150 अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस
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