Author Topic: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (  (Read 207185 times)

Bhishma Kukreti

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 पारिजात वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Night Flowering Jasmine of Parijat Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -36
Medicinal Plant Community Forestation -36

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -138
Medical Tourism Development Strategies - 138
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 242
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -242

आलेख : भीष्म कुकरेती   ( विपणन आचार्य )

लैटिन नाम - Nyctanthes arbor -tristis
संस्कृत /आयुर्वेद नाम - पारिजात , शुक्लाङ्गी
सामान्य   नाम - हर सिंगार
आर्थिक उपयोग
धार्मिक वृक्ष
इत्र , तेल
भोज्य पदार्थ को रंग देने में उपयुक्त
-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं



पत्तियां

छाल

फूल
रोग व उपचार
१- सिटिका उपचार
२- रीढ़ की नस
३ मलेरिया
४ -गंजापन
५- कृमि  नाश
६- गैस व एसिडिटी
७- मूत्र विकार
८- दन्त विकार
९- महावारी विकार
१० सर्प दंश उपचार
११- कब्ज उपचार
१२- स्मृति उपचार
१३ -कई विषों में उपयोग

बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई - 1500 मीटर
तापमान - उष्ण कटबंधीय तापमान
वांछित जलवायु वर्णन - ऑथरिली जमीन व सूखे धुपेली  पहाड़ियों पर
वांछित वर्षा mm- साधारण जलवायु में भी
वृक्ष ऊंचाई मीटर - 10
तना गोलाई मीटर - कभी कभी 50
छाल - मोटी , मटमैली खुरदरी
टहनी - चौकोर सी
पत्तियां = पत्तियों के नीचे रेशे
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - 6 से 12 cm  लम्बाई , 2  से 6  cm चौड़ाई
फूल आकार व विशेषता = आठ दलीय जिसके मध्य लाल केंद्र
फूल रंग - सफेद , रात को ही फूलता है और सुबह मुरझा जाता है इसलिए रत की रानी नाम भी है
फल रंग -चपटा जिसके अंदरदो बीज होते हैं
फल आकार व विशेषता
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग -
फूल आने का समय - तकरीबन हर दो महीने बाद
फल पकने का समय -
बीज निकालने का समय -
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - वर्ष भर


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - 5 . 6  से 7 . 5
वांछित तापमान विवरण - तकरीबन भारतीय जलवायु के माफिक
बीज बोन का समय - वसंत या वर्षा ऋतू जल प्राप्ति अनुसार
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  cm  6 -10  cm
मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - cm गहराई
नरसरी में अंकुर रोपण अंतर-  बाद हेतु घने अन्यथा दो से तीन मीटर
बीज बोन के बाद सिचाई क्रम - पहले पहले अधिक फिर सामान्य
नरसरी स्थान छायादार या धुपेली - धुपेली
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ? हाँ
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ
वयस्कता समय वर्ष - चार वर्ष
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

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Bhishma Kukreti

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 खड़िक वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

European Nettle Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 37
Medicinal Plant Community Forestation - 37

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति 139
Medical Tourism Development Strategies - 139
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 243
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management - 243

आलेख : विपणन आचार्य  भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Celis australis
संस्कृत /आयुर्वेद नाम-
सामान्य   नाम - खड़िक
आर्थिक उपयोग

लकड़ी
चारा
तेल
रंग
भूमि संरक्षण
छाल से रस्सिया , रेशे


-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं



पत्तियां



फल

बीज
१- कृमि नाशक बैक्ट्रिया नाशक , फंगस नाशक
२- माहवारी में उपयोग
३- तिमल के विकल्प में फाइबर व प्रोटीन भरपाई हेतु हितकारी ,
४- दस्त , रक्तस्राव रोकथाम हेतु
स्तम्भक , प्रशामक गुण

बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन -
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई meter -  ५००  - २५००
तापमान - १० से २५ सेल्सियस
वांछित जलवायु वर्णन - दक्षिण उत्तराखंड की पहाड़िया या उत्तरी उत्तराखंड में गदन
वांछित वर्षा mm- सामन्य
वृक्ष ऊंचाई मीटर - 10 - 25
तना गोलाई मीटर - 50cm -1 meter
छाल - मटमैली
टहनी - होती हैं
पत्तियां - कोंनदार
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - 5x15cm , पतझड़ में झड़ जाती हैं
फूल आकार व विशेषता
फूल रंग -
फल रंग - कच्चे में हरी  गुठली पकने पर हल्का पीला
फल आकार व विशेषता - 1 cm diameter
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - गोल
फूल आने का समय - शीट ऋतू
फल पकने का समय -  ग्रीष्म या वसंत
बीज निकालने का समय -पकते समय
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - बलुई मिटटी
वांछित तापमान विवरण - १० २५  सेल्सियस
बीज बोन का समय - पकने के तीन महीने बाद सही समय , ग्रीन हॉउसों में अन्यथा वसंत में या मानसून होते ही
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  ६ से १२  cm
मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - cm गहराई - २ cm
नरसरी में अंकुर रोपण अंतर-  6cm  से 12 cm
बीज बोन के बाद सिचाई क्रम -शुरुवात में पेड़ सूखा सहन कर सकता है क्योंकि जदेब भूमि अंदर गहरी जाती हैं
अंकुरण समय -  ३ सप्ताह।  ७० प्रतिशत अंकुरण
रोपण हेतु गड्ढे मीटर    . ५   x . ५ x . ५
 रोपण बाद सिचाई - आवश्यक
नरसरी स्थान छायादार या धुपेली - धुपेली  व ठंड जॉन सही
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ?
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? कुछ देर मंतत पानी में भिगोकर व ४८  घंटे सामन्य पानी में भिगोकर गोबर गोले के साथ मानसून आते ही छिड़कना  सही
वयस्कता समय वर्ष - ५ ६ साल , चरान  से बचाना आवश्यक
२०० से १००० वर्ष तक ज़िंदा रह सकता है
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

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खड़िक पर औषधि लाभ हेतु अन्वेषण आवश्यक हैं


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पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास


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पंया /पद्म वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Himalayan Cherry Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 38
Medicinal Plant Community Forestation -38

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -140
Medical Tourism Development Strategies - 140
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना -  244
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -244

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Prunus  cerasoides
संस्कृत /आयुर्वेद नाम - पद्मक
सामान्य   नाम - पंया , पदम्
आर्थिक उपयोग
गोंद ,
विभिन्न तैल
लाठी
निरंकार पूजा अनुष्ठान म धार्मिक उपयोग
लकड़ी उपयोगी किन्तु धार्मिक कारणों से उपयो नहीं किया जाता

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

तने का मध्य भाग

पत्तियां

छाल

फूल

फल

बीज

रोग निदान में उपयोग

बाल झड़ने से रोकथाम
त्वचा में चमक हेतु
उलटी , कृमि नाशक ,
जनला स्वास रोग निदान
दस्त रोकथाम
घाव भरान , अल्सर निवारण
गर्दन दर्द
जी मचलने में


बाजार में उपलब्ध औषधि
चंदनडी  तेल
भृंगराज तेल
सतनयाज्ञान रसायन

पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई  मीटर - १२०० -२४००
तापमान - शीत प्रेमी , बीजो अंकुरण हेतु  शीत आवश्यक
वांछित जलवायु वर्णन - सामन्य मध्य हिमालयी पहाड़ी जलवायु , धूप  व नमी  प्रेमी
वांछित वर्षा mm -
वृक्ष ऊंचाई मीटर - ३०
तना गोलाई मीटर - आधा मीटर , चमकदार , कगणों जैसी छल से से घिरा
छाल -चमकदार
टहनी - पत्तियों  से भरी
पत्तियां - हरी
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता -
फूल आकार व विशेषता - सफेद , गुलाबी , आड़ू परिवार जैसा आचरण
फूल रंग -सफेद , गुलाबी
फल रंग -हरा फिर पीला फिर लाल , १५ mm
फल आकार व विशेषता - सामन्य गोल
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग -
फूल आने का समय - शीत
फल पकने का समय - वसंत से पहले
बीज निकालने का समय - वसंत
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं -  अथवा एक वर्ष  किन्तु बीजों को दो तीन माह शीत तापमान आवश्यक है


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - बलुई , किन्तु कुछ हद तक चुना गुण  आवश्यक
 व
बीज बोन का समय - नए नए बीजों के निकालने के बाद
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  8 cm
मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - 6 - 8 cm गहराई
नरसरी में अंकुर रोपण अंतर- एक एक मीटर
बीज बोन के बाद सिचाई क्रम - शुरवात में अस्प्ताह धीरे कम आवश्यकता
अंकुरण समय -  बहुत अधिक समय लेता है, 18 महीने और चूहों का खतरा दिन
रोपण हेतु गड्ढे मीटर   १/२ x १/२ x १/२
 रोपण बाद सिचाई
नरसरी स्थान छायादार या धुपेली - धूप व छाया दोनों
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ?
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? छिड़के जा सकते हैं किन्तु मिट्टी व गोबर गोलों में भरना आवश्यक जिससे चूहों व अन्य जीवों से बच जायँ
वयस्कता समय वर्ष -६ से अधिक
 
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Bhishma Kukreti

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 ऑलिव या जैतून वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास व आयात क्षीणीकरण

Olive Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 39
Medicinal Plant Community Forestation - 39

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -141
Medical Tourism Development Strategies -141
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 245
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -245

आलेख : विपणन आचार्य   भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम -Olea europea

सामान्य   नाम -जैतून
आर्थिक उपयोग
लकड़ी महज फर्नीचर हेतु
खली
चारा
वनीकरण को पुनर्जीवित करने हेतु
भूमि  संरक्षण हेतु
जर जेवरात
आयात क्षीणीकरण  में बहुत मददगार
फल खाये जाते हैं
-----औषधि उपयोग ---
 तेल बाल झड़ने से रोकने हेतु
कोलेस्ट्रॉल मुक्त तेल

 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

पत्तियां - चाय का विकल्प

जड़ें - छाल क्वाथ मलेरिया रोधक

फल -तेल

दस्त रोकने हेतु
आँख ओइंनमेंट
ब्लड प्रेस्सर कम करने हेतु

बाजार में उपलब्ध औषधि
जैतून तेल

पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई  - 500 -2700  मीटर
तापमान - 20 - 27 अंश सेल्सियस  किन्तु 36 अंश सेल्सियस भी बर्दास्त कर सकता है
वांछित जलवायु वर्णन - सूखा पसंद, नमी  युक्त , कम उत्पादक भूमि भी उग जाता है
वांछित वर्षा mm- 500 - 1000 , सामन्य या कम वर्षा में जीवित रह सकता है
वृक्ष ऊंचाई मीटर - 15 किन्तु कटाई छंटाई कर  6  मीटर रखा जाता है
तना गोलाई मीटर - सामन्य
छाल -जंगली जैतून कांटेदार
टहनी - झाडी बनने में सक्षम
पत्तियां - 3 से 7 सेंटीमीटर
फूल आकार व विशेषता - सितारा आकार
फूल रंग -
फल रंग -
फल आकार व विशेषता - गोल 50 -60 mm
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - हरा फिर मटमैला गुलाबी
फूल आने का समय - वसंत या जलवायु अनुसार
फल पकने का समय दो महीने बाद या तक , कच्चे फल से तेल निकाला जाता है
बीज निकालने का समय -ग्रीष्म
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - एक वर्ष


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - चुना या रूखी मिटटी में जम जाते हैं
जैतून को कलम द्वारा जमाना ही श्रेयकर है।
प्रौढ़ डालियों के ६ इंच टुकड़े को अक्टूबर या फरवरी में कलम द्वारा पुराने पौधे पर लगाया जाता है और जब जड़े आ जायँ तो रोपण लगा देते हैं दो वर्ष बाद 12 -15  मीटर  की दूरी पर पेड़ लगा दिए जाते हैं।  पानी शुरवात में आवश्यक

वयस्कता समय वर्ष - ५
 
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Bhishma Kukreti

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 बेडू , अंजीर वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Himalayan Fig/Punjab Fig  Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 40
Medicinal Plant Community Forestation -40

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -142
Medical Tourism Development Strategies -142
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 246
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -246

आलेख : विपणन आचार्य  भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Ficus plamta
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -
सामान्य   नाम - बेडू , अंजीर
आर्थिक उपयोग ---
चारा
जलाने हेतु लकड़ी
बंजर धरती उपयोग
कृषि यंत्र निर्माण
कलियाँ व कच्चे फल भुज्जी /सब्जी
ड्राई फ्रूट्स /मिठाई उद्योग


-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं


दूध

फूल

मुख्यतया फल

बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
 कब्ज
मस्से हटाने
अल्सर
ब्लैडर बिमारी
फेफड़ों के रोग
काँटों को मांस से भार करने में मददगार
फोड़े पकाने में दूध / latex  उपयोग
डाईबिटिज
फंगल बीमारियों में उपयोग


बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन - ग्राम प्रेमी पेड़ जो जंगलों में नहीं गाँव या खेतों के पास उगता है , फ़ालतू बंजर धरती , अम्लीय , क्षारीय धरती प्रेमी
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - 500 -२००० तक
तापमान अंश सेल्सियस - पहाड़ी क्षेत्र
वांछित जलवायु वर्णन -मध्य हिमालय प्रेमी
वांछित वर्षा mm- सामन्य , सूखी जलवायु सहनशील
वृक्ष ऊंचाई मीटर - 6 -10
तना गोलाई मीटर - आधा मीटर , धरती अनुसार
छाल -सफेद से मटमैली
टहनी - बहुत जिन पर पत्तियां निकलती हैं
पत्तियां - गोल व कोनेदार

फूल आकार व विशेषता  जिसे सामन्य जन फल कहते हैं वः वास्तव में फूल भंडार है
फल रंग - शुरू में हरे पककर बैननि
फल आकार व विशेषता - गल २.  5 cm डाईमीटर
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - फल के अंदर बिलकुल छोटे गोल उन्हें बोना कठिन होता है
फूल आने का समय - मार्च
फल पकने का समय - जुलाई -अगस्त
बीज निकालने का समय - जुलाई अगस्त
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - वर्ष भर


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - बलुई , फ़ालतू जमीन , अम्लीय , क्षारीय , रगड़ प्रेमी , धूप प्रेमी वा छाया से दूर
वांछित तापमान विवरण - सामन्य उत्तराखंड की पहाड़ियां
बीज बोन का समय - नरसरी में वसंत
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  cm  बीज बहुत छोटे होते हैं अतः नदियों व जल धारा में बहाकर  वनीकरण किया जाता है।  आजकल ड्रोन  से भी बीज छिड़के जाते हैं
मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - 2 cm गहराई , बालू में बीज डालकर
नरसरी में अंकुर रोपण अंतर-  लम्बाई के बाद एक साल बाद रोपण लायक
बीज बोन के बाद सिचाई क्रम - बहुत कम तीब्रता का फुहार डालकर

रोपण हेतु गड्ढे मीटर    १/2 x १/२ x १/२
 रोपण बाद सिचाई - दो साल तक
नरसरी स्थान छायादार या धुपेली -
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ? वयस्क तने व जड़ों से कलम से ही नए पौधे उगाने चाहिए
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर
वयस्कता समय वर्ष - ५
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

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  प्रवासियों का उत्तराखंड मेडिकल  टूरिज्म में योगदान आवश्यक
 
उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म विकास रणनीति - 145
 उत्तराखंड टूरिज्म विपणन - 247

  आलेख -विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

  उत्तराखंड पर्यटन आज भी 3 000 वर्ष पूर्व महाभारत कालीनआधार पर ही फल फूल रहा है याने धार्मिक पर्यटन।  ब्रिटिश अधिकारियों ने अन्य पर्यटन  पहलुओं जैसे वेलनेस टूरिज्म की दिशा में कदम बढ़ाये व मसूरी , पौड़ी , नैनीताल, लैंसडाउन  जैसे पर्यटक स्थलों को जन्म दिया।  भूतपूर्व रक्षा मंत्री श्री शारद पंवार   का कथन सत्य है बल स्वतंत्रता उपरान्त भारत में कोई नया पर्यटक स्थल निर्मित नहीं हुआ।   भी स्वतंत्रता पश्चात  औली , राफ्टिंग छोड़ कोई क्रांतिकारी टूरिज्म प्रोडक्ट निर्मित नहीं हुआ।  मेडिकल टूरिज्म एक ऐसा विचार है जो उत्तराखंड में समृद्धि लाने में सक्षम है।  प्रत्येक टूरिज्म विकास में सरकार से अधिक भागीदारी समाज की होती है  शिवपुरी  ( राफ्टिंग प्रसिद्ध स्थल ) के निकट माळा - बिजनी  या नीलकंठ में पंप रहे नए टूरिज्म प्रोडक्टों से सिद्ध होता है बल सरकार नीति बनाती है निर्देश करती  है शेष  जागरूक समाज करता है।
         उत्तराखंड में मेडिकल और वैलनेस टूरिज्म विकास में प्रवासी भी अपनी भूमिका निभा सकते हैं।  वैसे मेरा विचार रहा है बल प्रवासियों को सर्वपर्थम प्रवासी भूमि के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए और कहा भी गया है बल यह लोक सुधारो परलोक स्वयं सुधर जाएगा।  किन्तु उत्तराखंडियों की प्रॉपर्टी उत्तराखंड में अभी भी है तो उनका उत्तरदायित्व उत्तराखंड के प्रति भावनात्मक स्तर पर ही  नहीं अपितु आर्थिक स्तर पर स्वयमेव बन जाता है बल वे उत्तराखंड  और वैलनेस टूरिज्म विकसित करें।
   उत्तराखंडी प्रवासी मेडिकल टूरिज्म में कई स्तरों व कई प्रकार से योगदान दे सकते हैं
जागरूकता - प्रवासियों को सभी स्तर पर उत्तराखंड मेडिकल और वैलनेस टूरिज्म विकास हेतु जागरूकता प्रचार प्रसार करना चाहिए।
मेडिकल कैम्पस - कई प्रवासी संस्थाएं व व्यक्ति ग्रामीण उत्तराखंड में शिक्षा आदि में योगदान देते ही रहते हैं।  उसी तरह इन संस्थाओं ये व्यक्तियोन को  गाँवों में मेडिकल कैम्प भी लगवाने  चाहिए।  मेडिकल कैम्प वास्तव में आंतरिक मेडिकल टूरिज्म विकसित करता है।  इसी साल मई में एक कोटद्वार की संस्था ने जसपुर में सामूहिक नागराजा पूजन समय नेत्र चेकिंग कैम्प लगवाया था।  डा विनोद बहुगुणा भी कई बार जनरल चेकिंग कैम्प जसपुर में लगाते हैं व  औषधि प्रदान करते हैं।
निवेश - भविष्य वास्तव में कमाई युग है।  जीवन यापन अब कठिन होता जा रहा है।  प्रत्येक व्यक्ति के कई आय साधन आवश्यक हो ये हैं।  प्रवासियों को अतिरिक्त आय हेतु उत्तराखंड मेडिकल और वैलनेस टूरिज्म में निवेश करना चाहिए जैसे -
नर्सिग होम हेतु भवन निर्माण
मेडकल स्टोर हेतु भवन निर्माण
मेडिकल स्टोर खोलकर निवेश
दवा वितरण व्यापार
मेडिकल इक्विपमेंट निर्माण अथवा व्यापार
अस्पतालों हेतु कई आवश्यकता पूर्ति हेतु संसाधनों में व्यापार
डाक्टरों से मिलकर भागीदारी में नर्सिंग होम खोलना
योग क्लासेज व्यापार
योग या प्राकृतिक चिकत्सा केंद्रों में व्यापार
 औषधि पादप व्यापार
स्पा निर्माण में निवेश
औषधि पादप उत्पादन में भागीदारी
मेडिकल टूरिज्म विकास में अन्य टूरिज्म प्रोडक्ट हेतु निवेश
प्रेरणा - प्रवासी अन्य समाज को भी निवेश हेतु प्रेरित कर सकते हैं
प्रवासी योग टूरिज्म , नेचरोपैथी हेतु अन्य संभावित  पर्यटकों को उत्तराखंड जाने हेतु प्रेरित कर सकते हैं
प्रचार प्रसार - पत्रकारों व लेखकों को उत्तराखंड से बाहर के माध्यमों में उत्तराखंड मेडिकल व वैलनेस टूरिज्म के बारे में आलेख , फोटो आदि से प्रचार प्रसार करना।
इसी तरह कई अन्य कार्य हैं जो प्रवासियों की आय वृद्धि भी कर सकते हैं और मेडिकल टूरिज्म विकास भी कर सकते हैं। 







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  रत्ती वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Indian Licorice tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -41
Medicinal Plant Community Forestation -41

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -144
Medical Tourism Development Strategies -144
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 248
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -248

आलेख : विपणन आचार्य    भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Abrus precatorius
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -गुंजा
सामान्य   नाम - गुंजी , रति
आर्थिक उपयोग ---
शाक
तौल इकाई
लकड़ी
जेवरात बनाने सहायक अवयव
नाइट्रोजन फिक्सेशन

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

पत्तियां

छाल

बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
कफ , बुखार
जांघ तनाव , जांघ कसाव मोच मोचक
खुजली
त्वचा रोग
अल्सर व अन्य घाव
उदरशूल
कृमि नाशक
स्वास
मति भरम या थकावट , सुस्ती
अधिक प्यास
 , वीर्य वर्धक
बल वर्धक 
जोड़ों का दर्द ,
नेत्र जलन
सूजन

रति को बिना शोधन के प्रयोग कतई नहीं करना चाहिए , बच्चों व गर्भवती स्त्रियों हेतु भी वर्जित है




बाजार में उपलब्ध औषधि
रति तेल आदि

पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  -- १००० उष्ण कटबंधीय हिमालय
तापमान अंश सेल्सियस - ३० तक
वांछित जलवायु वर्णन - धूप , कम छाया
वांछित वर्षा mm- सामन्य
वृक्ष ऊंचाई मीटर - ९ झाड़ीनुमा

पत्तियां - बबूल जैसी
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता -
फूल आकार व विशेषता
फूल रंग -
फल रंग - फली जैसे सेम आदि
फल आकार व विशेषता -लाल या सफेद , अंडाकार, अधिकतर सभी बीजों का भार त 1 . 75 gm  , आकर्षक
बीजों को मंतत पानी में २४ से ४८ घंटे तक भिगो क्र रखा जाता है और छांटे छंटे बो दिए जाते हैं ५ सेंटीमीटर का अंतर् होना आवश्यक फिर रोपण विधि द्वारा रोप जाते हैं।
भिगोये बीजों को गोबर गोले में बंद कर मानसून में जंगल में छिड़कर भी वनीकरण हो सकता है।  या बहुतायत मात्रा में मानसून में छिड़काव
कलम द्वारा भी कलम रोपण प्राप्त किया जाता है



 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


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पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास


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 थुनेर वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Thuner , Himalayan Yew Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 42
Medicinal Plant Community Forestation - 42

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -146
Medical Tourism Development Strategies - 146
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 249
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -249

आलेख : विपणन आचार्य  भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Taxus baccata
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -मंदुपर्णी , सुकपुष्प
सामान्य   नाम - थुनेर
आर्थिक उपयोग ---
जलाने की लकड़ी
काष्ठ  वस्तुएं हेतु लकड़ी
चारा
रंग
डाई

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

पत्तियां

टहनी


फल

बीज
थुनेर के फल जुड़े के अतिरिक्त अन्य भाग विषैले होते हैं अत : सवधानी आवश्यक है
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
कफ , जुकाम
स्वास
कैंसर
गुर्दों की समस्या
कब्ज
सरदर्द
हिचकी
हृदय समस्याएं
टूटी हड्डी जोड़ने में प्लास्टर



पादप वर्णन
400 -600  वर्ष तक ज़िंदा रह जाता है
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  -900 -3700
तापमान अंश सेल्सियस -
वांछित जलवायु वर्णन - हिमय ऊपरी भाग
वांछित वर्षा mm
वृक्ष ऊंचाई मीटर - 10 से 18 कभी कभी 28
तना गोलाई मीटर - २ तक पंहुच सकता है
छाल - पतली , भूरी और पापड़ी जैसे बाहर आती है
टहनी पर पत्तियां
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई m m और विशेषता - 1 . 5 -2 . 7 लम्बाई व  2 चौड़ाई , सर्पिल जैसे लगी होती हैं
फूल आकार व विशेषता
फूल रंग -
फल रंग -
फल आकार व विशेषता
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग -
फूल आने का समय - मार्च -मई
फल पकने का समय मई बाद
बीज निकालने का समय - मई बाद /शंकु
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
छाया प्रेमी
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - कोई भी मिटटी , अम्लीय व क्षारीय दोनों
वांछित तापमान विवरण - शीत वातावरण
बीज बोन का समय  जैसे ही बीज फल शंकु में पक जायँ
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  cm


अंकुरण समय -  बहुत अधिक समय कम से कम 18  महीने , भण्डारीकृत बीज उगने में २ साल लग सकते हैं
बीजों को कच्चे में निकालकर सीधे मिटटी के प्लॉई बैग में डाला जाता है और जब लम्बे हो जाय तो रोपे  जाते हैं

नरसरी स्थान छायादार या धुपेली - छायादार

क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ?- छाया में कलम  से प्लांटेशन संभव है
-
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

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  सांदण वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Sandan Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 43
Medicinal Plant Community Forestation - 43

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 147
Medical Tourism Development Strategies - 147
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 250
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management - 250

आलेख : विपणन आचार्य  भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Desmodium oojeinesis , Dalbergia oojeinesis
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -अक्षक
सामान्य   नाम - सांदण , संदन
आर्थिक उपयोग ---

लकड़ी
छाल से रेशे

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें


छाल
गोंद
 
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है

 ज्वर
नेत्र समस्या
घाव भरान
दस्त रोकथाम
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - 300 -1500
तापमान अंश सेल्सियस - 20 -47
वांछित जलवायु वर्णन - सूखा बर्दास्त , धुपेली जगह ,शुरवात में पाले में मर जाते हैं , वृद्ध पाले  प्रति सहनशील
वांछित वर्षा mm - 950 -1900
वृक्ष ऊंचाई मीटर -
तना गोलाई - 30 कम
छाल - खुरदरी
टहनी
पत्तियां लम्बी व चौड़ी

फूल आकार व विशेषता  गुच्छों में
फूल रंग - सफेद , गुलाबी, आकर्षक
फल रंग - फली /टांटी
फल आकार व विशेषता - टांटी /फली


बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - 12 महीने


सूखी टांटी से बीज निकाले जाते हैं , बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर 1 सेंटीमीटर  गहरे बोये जाते हैं , मिटटी बलुई , खादयुक्त होनी चाहिए। अंकुरण 7 -8  दिन में हो जाता है ,
जड़ों से कलम अधिक कामगार किन्तु टहनी की कलम कम कामगार
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ अधिक कामगार।  गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं
 
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गाब  वृक्ष वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Indian Persimmon Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -44
Medicinal Plant Community Forestation -44

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -148
Medical Tourism Development Strategies - 148
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 251
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -251

आलेख : विपणन आचार्य
          भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Garcinia malabarica , Syn - Diospyros malabarica
संस्कृत - तेंदुका
सामान्य   नाम - गाब , , काला तेन्दु
आर्थिक उपयोग ---
गोंद
नाव जैसी वस्तु निर्माण हेतु किन्तु बहुत कम प्रयोग
कीमती फर्नीचर हेतु उपयोगी
गाब  पर बहुत कम अनवेषण हुए हैं
फल खाये जा सकते हैं किन्तु पसंद नहीं किये जाते

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं
 

पत्तियां

छाल

फूल

फल

बीज से तेल
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
दस्त
बुखार
घाव भरान
ट्यूमर रोकथाम या नाशक
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - 500 तक , भिलंगना , पौखाल , बालगंगा टिहरी गढ़वाल में पाया गया है , नदी किनारे जहां धूप  व छाया भी हो और जल हो , छाया वा धूप दोनों को सहन कर लेता है
तापमान अंश सेल्सियस - २५ -३५ किन्तु ४० को शान कर सकता है
वांछित जलवायु वर्णन - गदन किनारे
वांछित वर्षा mm- १५०० -२५०० किन्तु १००० -३००० सहन  कर  लेता है
वृक्ष ऊंचाई मीटर - सामन्य २५ तक किन्तु ३७ तक भी बढ़ सकता है
तना गोलाई मीटर -  १ तक जा सकता है
छाल -सिलेटी या काली

पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - अंडाकार , ह्री मोम  लगे जैसे , ७ से १५ x ३ से ७  . ५
फूल आकार व विशेषता - लघु पुष्प वृन्तक पर गुच्छों में कुछ कुछ घंटी जैसे
फूल रंग - सफेद
फल आकार व विशेषता  - गुठली /बेरी  ५  cm , एक बेरी में ४ -५ बीज , पहले हरे पककर पीले

बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - तुरंत  - बीजों को गुठली से बाहर निकालना आवश्यक

मानसून में बोये जाने चाहिए
संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - ६ -७ किन्तु ५- ७ को भी सहन कर लेता है , तकरीबन उपजाऊ मिट्टी

बीज बोन का समय - मानसून

मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - cm गहराई - बीज का डेढ़ गुना गहराई
नरसरी में बालू के साथ मिट्टी , खाद में , ३ - ५ cm  के अंतर् पर बोये जाने चाहिए , एक हफ्ते में अंकुर आ जाते हैं , इस समय बरोबर सिचाई आवश्यक , नए बीजों का अंकुरण प्रतिशत ८५ जा सकता है , दो महीने में रोपण किया जा सकता है
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? फल को नहीं बोना चाहिए।   केवल बीजों को गोबर गोलों में भरकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं / बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर
वयस्कता समय वर्ष -
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

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Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
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