Author Topic: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (  (Read 207182 times)

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


 कुरी /कुरु/ कड़वा इन्द्रजव   वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Indrajao shrub Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 45
Medicinal Plant Community Forestation -45

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 149
Medical Tourism Development Strategies -149
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 252
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -252

आलेख : विपणन आचार्य
         भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम -holarrhena pubescens
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -इन्द्रयव , कुटज
सामान्य   नाम -कुरु , कुरी , इन्द्रजव
आर्थिक उपयोग ---
रंग
वनीकरण हेतु सुविधाजनक

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ छाल

पत्तियां

छाल



बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
अमीबा जनित दस्त
मल में रक्तस्राव रोकथाम
बबासीर
त्वचा रोग - त्वचा फटने पर
मूत्र रोग , पथरीली जमीन किन्तु
गठिया आदि
ककफ , जुकाम

बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - ५०० से १५००
तापमान अंश सेल्सियस - २५ ३०।  युवा में ओस से बचाना आवश्यक किन्तु शहर रिकवरी
वांछित जलवायु वर्णन - शुष्क स्थान , पथरीली जमीन पानी या गदन किनारे
वांछित वर्षा mm - सामन्य भिलंगना घाटी आदि में
वृक्ष ऊंचाई मीटर - ३  तक किन्तु १० तक भी
तना गोलाई मीटर - २५ cm
छाल - मटमैली , हल्की पीली
टहनी - बहुतायत झाडी बनाने में कामगार
पत्तियां - मोमदार, हरी , लम्बी १० - २० cm लम्बी

फूल आकार व विशेषता -
फूल रंग - सफेद ५ दल वाले , आयु संग पीले होने लगते हैं
फल रंग -
फल आकार व विशेषता
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - बीज अंडाकार ९ -१६ mm लम्बे
फूल आने का समय  - पतझड़ के तुरंत बाद मानसून से पहले
बीज पकने का समय - दो तीन महीने में
बीज निकालने का समय - मानसून तक
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - तुरंत , एक साल के बाद से अंकुरण में कमी


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -

नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  cm
मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - cm गहराई
नरसरी में अंकुर रोपण अंतर-
बीज बोन के बाद सिचाई क्रम -
अंकुरण समय -    २ -३ सप्ताह
नए नए बीजों का अंकुरण प्रतिशत बहुत अधिक होता है , सीधे मिटटी में बोया जाना सही विधि है , बीजों में १ मीटर दूरी वांछित दूरी है
टिस्यू कल्चर व कलम से भी संभव है किन्तु वनों में मानसून आते बीज छिड़कना अधिक सही
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
Indrajao

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


तूण वृक्ष  वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Red Cedar , Toon Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -46
Medicinal Plant Community Forestation -46

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -150
Medical Tourism Development Strategies -150
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 253
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -253

आलेख : विपणन आचार्य
          भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Toona ciliata

सामान्य   नाम - तून , तूण
आर्थिक उपयोग ---
इमारती लकड़ी
रंग
गोंद

-----औषधि उपयोग ---
 दस्त
त्वचा रोग
फोड़े साफ़ करने में
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं



छाल

फूल
पत्तियां


पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - ४०० -२८००
तापमान अंश सेल्सियस -१८ - ३४ किन्तु -3 c व 48 डिग्री सेल्सियस भी सह सकता है
वांछित जलवायु वर्णन - धूप पसंद , आद्रता पसंद
वांछित वर्षा mm- ११०० -3000 किन्तु ७०० -४५०० सहनशीलता
वृक्ष ऊंचाई मीटर - १० ३८ या कुछ अधिक ऊँचा
तना गोलाई मीटर -  २ तक जा सकता है
छाल -खुरदरी , पपड़ी युक्त
टहनी - गहन , शाखा युक्त
पत्तियां -टहनियों में
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता -
फूल आकार व विशेषता - हरे , आयु के साथ भूरे फल रंग -
फल आकार व विशेषता - गोल , पीलायी लिए सफेद छाल युक्त अंडाकार

बीज निकालने का समय - मानसून समय
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - एक साल किन्तु नए बीजों का अंकुरण प्रतिशत 85 प्रतिशत तक


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
अंकुरण समय ७- ८ दिन
नरसरी स्थान छायादार या धुपेली - बीज छाया में बोये जायँ तो बेहतर फल
नए नए बीजों को मानसून में   नरसरी या वनों में लाभदायी फल।  तने की कटाई करते रहना सही जिससे शाखा न पनपे और पेड़ लम्बा हो जाय
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ?   हाँ सही।  गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों, पर्वत श्रेणी से पानी बहाव में बहा देना श्रेयकर
तून  बीजों को जंगल में फेंकने से भी तून जम जाएंगे
वयस्कता समय वर्ष - ७ - ८
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


बांज वृक्ष  वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Blackjack Oak Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -47
Medicinal Plant Community Forestation - 47

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -151
Medical Tourism Development Strategies -151
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 254
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -254

आलेख : विपणन आचार्य
            भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Quercus leucotrichophora , Quercus oblongata
संस्कृत /आयुर्वेद नाम - बांज
सामान्य   नाम - बांज , फनल
आर्थिक उपयोग ---
केवल पत्तियां चारा
कई काष्ठ वास्तु निर्माण ,
कृषि यंत्र के हत्थे आदि
जल रुकाव
चीड़ से हानि से रोकथाम , भूसंरक्षण
गोंद

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

गोंद

पत्तियां

छाल


फल

बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
मूत्र रोग निदान
दांत दर्द
बबासीर
दस्त
पेट शूल निदान
गोनोरिया
स्वास
अपाचन निदान
टॉन्सिल में गार्गल प्रयोग
सर्प दंस
शारीरिक कमजोरी

 
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन

समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - १००० से  २४००
तापमान अंश सेल्सियस - १५ से २४ कभी कभी ३०
वांछित जलवायु वर्णन - छायादार किन्तु  सामन्य शुष्क , ओस , बर्फ सहनशील
वांछित वर्षा mm- सामन्य
वृक्ष ऊंचाई मीटर -२५ -३०
तना गोलाई मीटर - . आधा तक जा सकता है
छाल -मटमैली खुरदरी
टहनी - पत्तियां व फूल टहनी पर लगती हैं , शाखाएं वाला वृक्ष
पत्तियां -सदाबहार , चमकीली , मोमदार जैसे , गहरी हरी , बाहर तीखे कोने
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - ५ से १० cm लम्बी
फूल  विशेषता -सफेद, पिलाई लिए  -
फल  - गुठली जो एक कप से ढके होते हैं

बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - मटमैले सफेद भूरे
फूल आने का समय - वसंत
फल पकने का समय - नवंबर मार्च किन्तु गुठली वृक्ष पर कई महीने तक रहती हैं
बीज निकालने का समय - तुरंत निकलकर बुवाई सही
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - एक साल


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि -अम्लीय , क्षार , बलुई
बीज बोन का समय - २४ घंटे पानी में भिगोकर मानसून , बीजों को सुखाना नहीं चाहिए व छाया में रखे जायँ ,    तोड़ने के तुरंत बाद बोये जाने चाहिए
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  cm  कम से कम ६ -१०
मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - cm गहराई = १० cm
नरसरी में अंकुर रोपण अंतर-  ४  मीटर
बीज बोन के बाद सिचाई क्रम - सामन्य

रोपण हेतु गड्ढे मीटर    x  x कठिन होता है और एक या दो साल बाद बहुत ही कठिन
 रोपण बाद सिचाई - सामन्य
नरसरी स्थान छायादार या धुपेली - शुरू में छाया
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ? हाँ
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर , बांज को चरान , बीमारियों से बचाना आवश्यक
गिलहरी से बीज बचाने आवश्यक
वयस्कता समय वर्ष -१५ के बाद
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


काफल    वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Box Berry , Kafal Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 48
Medicinal Plant Community Forestation - 48

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 152
Medical Tourism Development Strategies -152
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 255
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management - 255

आलेख : विपणन आचार्य
          भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Myric Nagi
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -कठफल
सामान्य   नाम - काफल
आर्थिक उपयोग ---
फल
लकड़ी
भूसंरक्षण

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

पत्तियां

छाल

फूल

फल

बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
दस्त
रक्त कमी
स्वास
कफ
बुखार
बबासीर
यकृत समस्याएं
नजले में नासिका बंद खोलना
गले की खरास
घाव भरान , ट्यूमर
कई औसधि में माध्यम आदि
जलन कम करने हेतु
योनि रोग जैसे ल्यूकोरिया
कमजोर दांत रक्षा
ऊर्जा दायक
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन

समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - ३०० से २५००
वांछित जलवायु वर्णन -नम भूमि , शीषक जलवायु , अर्ध छायादार स्थल , चुना रहित भूमि
वांछित वर्षा mm - उत्तराखंड की सामन्य वारिश , तेज हवा सहनशील
वृक्ष ऊंचाई मीटर - १२
तना गोलाई मीटर - आधा मीटर तक जा सकता है
छाल -चिकनी किन्तु करकरी
टहनी - फूल पत्तों हेतु
पत्तियां - मोमयुक्त , हरा रंग

फूल रंग - सफेद व लाल
फल रंग -हरा फिर पक ककर गुलाबी , भूरे लाल कभी पील
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - गुठली , गुदा बहुत ही कोमल
फूल आने का समय = फरवरी अप्रैल
फल पकने का समय - अप्रैल कभी कभी मई
बीज निकालने का समय - तुरंत
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि -अम्लीय व क्षारीय
वांछित तापमान विवरण -पहाड़ी क्षेत्र १००० मीटर  के ऊपर
बीज बोन का समय - मानसून
सभी प्रकार की मिटटी किन्तु चुना रहित।  कलम से भी रोपण की रिपोर्ट मिलती हैं

क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /
वयस्कता समय वर्ष - देरी से
व्यापारिक रूप से कृषिकरण की कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

  अन्यार वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Oval Leaved Lyonia/ड Drude Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -  49
Medicinal Plant Community Forestation -49

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -253
Medical Tourism Development Strategies -153
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 256
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -256

आलेख : विपणन आचार्य
          भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम -Lyonia ovalifolia
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -
सामान्य   नाम - अन्यार , अंगेरी ,
आर्थिक उपयोग ---
वस्तुतः अनुउपयोगी
लकड़ी का धुंवा आँखों हेतु घातक
लकड़ी बड़ी कमजोर

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं



पत्तियां




रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
 त्वचा रोग
वाह्य कृमि या परजीवियों को समाप्ति हेतु आदि
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन

समुद्र तल से ऊंचाई - 1200 -2500  मीटर तक हिमालयी जलवायु
वांछित जलवायु वर्णन - नम व अर्ध छायादार
वांछित वर्षा mm- बांज , चीड़ के साथ जंगलों में
वृक्ष ऊंचाई मीटर - २-३
छाल -भूरी , पतली स्ट्रिप में निकलती रहती है
टहनी -छोटी
पत्तियां -
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता -अंडाकार , अंत कोनेदार  5 -15 cm लम्बी
फूल आकार व विशेषता - सफेद बहुत अधिक , रोंयेदार

फूल आने का समय - ग्रीष्म

बीज निकालने का समय - अगस्त से दिसम्बर
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - अम्लीय चुना रहित
वांछित तापमान विवरण - पहाड़ी क्षेत्र की सामन्य जलवायु
बीज बोन का समय - ग्रीष्म या मानसून
नरसरी में चाडार या अर्ध छायादार स्थिति में , अंकुरों को  ओस /बर्फ से बचाना आवश्यक।  जब अंकुर बड़े हो जाय तो स्थायी स्थान पर रोपण लगाई जानी चाहिए , कलम मानसून में लगाई या पैदा की जाती है
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर

 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

मेळू   वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Himalayan Pear  , Indian Wild Pear Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -
Medicinal Plant Community Forestation -

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -
Medical Tourism Development Strategies -
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना -
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम -Prunus pushia
संस्कृत /आयुर्वेद नाम - अमृतफल
सामान्य   नाम -मेळू , मयल
आर्थिक उपयोग ---
लकड़ी
कृषि यंत्र हेतु लकड़ी
भूसंरक्षण
कहीं कहीं फल की सब्जी भी

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं
फल


रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
दस्त
जानवरों के आँख पुतली हेतु
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन

समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - 750 -2700
तापमान अंश सेल्सियस -
वांछित जलवायु वर्णन -  धूप पसंद किन्तु अर्ध छाया सहन  है
वांछित वर्षा mm
वृक्ष ऊंचाई मीटर -9
तना गोलाई मीटर -  आयु अनुसार
छाल -मटमैली
टहनी - पत्ती , फूल व फल हेतु
पत्तियां -
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - 5 -10  cm लम्बी अंडाकार चमकीली
फूल आकार व विशेषता -
फूल रंग -गुच्छों में
फल रंग - भूरा ,
फल आकार व विशेषता - गोल
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग -फल ही ,  गुठली में 5  भूरे बीज
फूल आने का समय - अप्रैल
फल पकने का समय - नवंबर दिसंबर
बीज निकालने का समय - तुरंत
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - एक साल तक किन्तु भण्डारकृत बीज अंकुरण में समय लेते हैं एक बार शीत तापमान आवश्यक


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि -अम्लीय से क्षारीय
वांछित तापमान विवरण - 15 से २० डिग्री सेल्सियस
बीज बोन का समय - बीज निकालने के तुरंत बाद

नरसरी स्थान छायादार या धुपेली - पहले पफल अर्ध छाया , गर्मियों में रोपण किया जाता ह
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ? हाँ जड़ों से भी
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर
वयस्कता समय वर्ष -
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #296 on: September 01, 2018, 08:20:31 AM »

मेडिकल टूरिज्म /टूरिज्म विकास हेतु निवेशक सम्मेलन का महत्व व लाभ

Importance of Investors Summit in Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -51
Medicinal Plant Community Forestation -51

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 155
Medical Tourism Development Strategies -155
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 258
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -258

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

  आगामी अक्टूबर में उत्तराखंड राज्य सरकार इन्वेस्टर्स सम्मिट आयोजित करने जा रही हैं।  उत्तराखंड सरकारों को जो आयोजन  सन 2001 में कर लेना चाहिए था वह अब होने जा रहा है।  निवेशक सम्मेलन उत्तराखंड सरीखे राज्य हेतु परमावश्यक है।
निवेशक सम्मेलन अर्थात संभावित निवेशकों को एक साथ औपचारिक रीति से बुलाकर स्थल /राज्य /देस की वस्तुस्थिति व देस /स्थल में सुविधाओं व निवेशकों को निवेश लाभ बताकर निवेशकों को स्थल /देस में निवेश हेतु प्रेरित करना।  निवेशक सम्मेलन निम्न प्रकार के होते हैं -
आम निवेशक सम्मेलन - जिसमे सभी प्रकार के निवेशकों को आमंत्रित जाता है और कई तरह के उद्योगों में निवेश हेतु संभावित निवेशकों को निवेशार्थ प्रेरित  किया जाता है। अधिकतर ऐसे सम्मेलन बड़े स्तर पर होते हैं

विशेष निवेशक सम्मेलन - ऐसे सम्मेलनों में विशेष उद्यम विकास हेतु विशेष निवेशकों को आमंत्रित किया जाता है जैसे मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु हॉस्पिटल निवेशक या होटल निवेशक या औसधि पादप उत्पादक निवेशक का विशेष सम्मेलन।  ऐसे सम्मेलन अधिक प्रभावशाली होते हैं विशेष निवेशकों के साथ अनुपूचारिक स्तर पर भी खुल कर बातचीत होती है

अति विशेष  निवेशक सम्मेलन - ऐसे सम्मेलन किसी विशेष स्थल/प्रोडक्ट  विकास हेतु  विशेष निवेशकों की मीटिंग तय की जाती है जैसे परिहवहन निवेशक मीट्स  , बैंकर्स मीटिंग , टिहरी झील हेतु विशेष जल मनोरंजन निवेशकों की मीटिंग आदि।
   प्रत्येक राज्य या टूरिज्म विभाग उपरोक्त तीनो प्रकार के सम्मेलन करता रहता है।
  निवेशक सम्मेलनों से मेडिकल टूरिज्म या टूरिज्म विकास को निम्न लाभ मिलते हैं -

         विज्ञापन करने का सकारात्मक अवसर

आम तौर पर विज्ञापनों पर लोग कम भरोसा करते हैं किन्तु जब निवेशक सम्मेलन हेतु विज्ञापन किये जाते हैं तो लोगों को विज्ञापन पर भरोसा होने लगता है।

        प्रचार से जनसंपर्कीय  लाभ

    निवेशक सम्मेलन हेतु चौतरफा प्रचार हेतु प्रेस कॉन्फरेंसेज करने पड़ते हैं और पत्र -पत्रिकाओं में समाचार जनसम्पर्कीय प्रचार प्रसार का माध्यम बनते हैं।  समाचार  विज्ञापन से अधिक कामगार साबित होते हैं। जैसे उत्तराखंड मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र रावत द्वारानिवेश सम्मेलन हेतु विदेशी राजदूतों से मिलने से कई देशों में निवेशकों को उत्तराखंड के बारे में नई सूचना मिली होगी

       सोये हुए निवेशकों का जागरण
  कई निवेशकों के पास निवेश हेतु धन होता है किन्तु ऐसे निवेशक किसी विशेष अवसर की तलाश में रहते हैं ऐसे निवेशक सूचना पाकर निवेश करते हैं।  वेंचर इन्वेस्टर्स ऐसे ही निवेश करते रहते हैं।

     सप्लायर्स प्रेरित हो जाते हैं
मेडिकल टूरिज्म या पर्यटन हेतु कई प्रकार के सप्लायर्स की आवश्यकता होती है निवेशक सम्मेलनों के प्रचार प्रसार से ऐसे कई सप्लायर्स सामने आते हैं जो किसी कारण वस छुपे रह जाते थे।

  आंतरिक भागीदारों में स्फूर्ति
 वाह्य निवेशकों के सम्मेलन से आंतरिक भागीदार (stakeholders ) भी स्फूर्तिवान हो जाते हैं।

   आंतरिक भागीदार  द्वारा  ज्वाइंट वेंचर की खोज
 यदि राज्य कोई विशेष कार्य न करे तो आंतरिक भागिदार भी सोये से रहते हैं किन्तु जब राज्य सरकार ऐसे निवेशक सम्मेलन करती है तो आंतरिक भागीदार भी वाह्य भागीदारों के साथ ज्वाइंट ववेंचर हेतु नए जोड़ीदार (वेंचर कैपिटलिस्ट्स ) की खोज में निकल पड़ते हैं जैसे कोई डाक्टर मैक्स हॉस्पिटल के साथ ज्वाइंट वेंचर करने को लालायित हो जाते हैं , मध्यम होटल पांच तारा होटल हेतु नए वेंचर कैपिटलिस्ट को ढूंढता है आदि


      आम जनता में उत्साह
 निवेशक सम्मेलन से आम जनता में उत्साह वृद्धि होने से जनता टूरिज्म की और जागृत हो पाती है और स्वयं भी निवेश करने लगती है।

 प्रशासनिक तंत्र में जागरण
निवेश सम्मेलन से प्रशासन तंत्र भी क क्रियाशील हो जाता है। राजनैतिक , सामजिक स्तर पर भी क्रियाशीलता आ जाती है.

  निवेशकों के मध्य जागृति
 निवेशक सम्मेलन से विज्ञापन व अन्य जनसम्पर्किय माध्यमों से संभावित निवेशकों को कई प्रकार की जानकारी मिलती है और निवेहक निवेश हेतु प्रेरित होते हैं

     निवेशकों को त्वरित जानकारी मिलना
सम्मेलन में संभावित निवेशकों की कई प्रकार की भ्रान्ति टूट जाती है और निवेश द्वार खुल जाते हैं

     राज्य को निवेशिकों की मानसिकता से रूबरू होना
  राज्य अधिकारी , राजनीतिज्ञ निवेशकों की मानसिकता से वन टु वन बातचीत से निवेशक की वास्तविक मानसिकता से रूबरू हो जाते हैं और भविष्य में निवेश में रोधक कारकों को हटाते हैं . निवेशक कई तरह की जानकारी अधिकारियों व राजनीतिज्ञों को देते हैं जो प्रशासन के लिए लाभदायी सिद्ध होता है याने मार्किट रिसर्च भी साथ साथ हो जाती है।  कई तरह के पेंच भी इस दरमियान हटाए जाते हैं

    निवेशकों का आपस में बातचीत
 यदि राज्य की नीति उद्यम जगत हेतु सही नीति हों तो निवेशक आपस में सकारात्मक छवि बना लेते हैं और नए निवेश के द्वार खुल जाते हैं

      त्वरित या दूरगामी परिणाम
 निवेश सम्मेलन में त्वरित व दूरगामी परिणाम सामने आते हैं।  राज्य द्वारा फॉलो अप  भी उतना ही आवश्यक है जितना सम्मेलन।

   अतः प्रत्येक राज्य को समयांतर के बाद निवेश सम्मेलन करते रहना चाहिए . शीघ्र परिणाम व दूरगामी परिणाम आने को विश्लेषित कर भविष्य हेतु उचित कदम उठाने चाहिए
 
 

Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #297 on: September 04, 2018, 08:20:42 AM »

गंदेला  /करी पत्ता   कृषीकरण /  वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Curry Leave Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -52
Medicinal Plant Community Forestation -52

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -156
Medical Tourism Development Strategies -156
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 259
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -259

आलेख :
          विपणन आचार्य
         भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Murraya koenigii
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -
सामान्य   नाम - करी पत्ता , गन्ध्यल , गंधेला
आर्थिक उपयोग ---
उत्तराखंड के पहाड़ों में यह पेड़ अनुपयुक्त पेड़ झड़ी माना जाता है।  बरसात में पत्तियां मच्छर /कीड़ों से बचाव हेतु जानवरों के नीचे बिछाया जाता है
लकड़ी

-----औषधि उपयोग ---




 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

पत्तियां

 

फल

बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
सिद्ध आयुर्वेद में  गंदेला मोटापा कम करने , मोतिया बिंद न होने व अश्रु ज्योति वृद्धि व बाल न झड़ने हेतु प्रयोग होता है।
सुगंधित भोजन हेतु
पाचन शक्ति वृद्धि
जले व घाव भरान  हेतु
कीड़ों के काटने पर
दस्त रोकथाम
शक़्कर बीमारी में
कैंसर रोकथाम
कोलेस्ट्रॉल कम  करता है
कैडियम आदि रेडिओ ऐक्टिव पदार्थ के प्रभाव को कम करता है
बैक्टीरियल व जंगल प्रभाव क्षीण करता है
यकृत की बीमारी
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन

समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - 500 -1450
तापमान अंश सेल्सियस - 25 -37
वांछित जलवायु वर्णन - उष्ण कटबंधीय
वांछित वर्षा mm उत्तराखंड के दक्षिणी पहाड़ी जलवायु उपयुक्त
वृक्ष ऊंचाई मीटर - 9 तक
तना गोलाई सेंटी मीटर -  40 लघभग
छाल -मटमैली
टहनी -जाधियाँ बनाने में सक्षम
पत्तियां -एक टहनी पर 21 तक पत्तियां

फूल आकार व विशेषता - छोटे सफेद गुच्छों में
फूल रंग - सफेद

बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - गुठली के गूदे में बीज , गुठली भूरे रंग की गोल मटोल
फूल आने का समय - अप्रैल मई
फल पकने का समय - जुलाई अगस्त
बीज निकालने का समय - पकते ही तुरंत
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - 12 महीने


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि -लाल बलुई , अच्छी जल निकासी  वाले स्थान , धुपेली पृष्ह्ठयति किन्तु छाया भी सहन ककर  सकता है

बीज बोन का समय - तुरंत पके बीजों के गूदे को निकाल कर बो देना चाहिए , कृषिकरण हेतु बीज बोन से पहले दो  तीन बार चलाना आवश्यक
रोपण हेतु एक मीटर दूरी होनी ही चाहिए
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ?हाँ
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ गोबर गोले बनाकर तूंग  बनों में अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर
वयस्कता समय वर्ष - पत्तिया दो साल में ही उपयोगी
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com
Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #298 on: September 05, 2018, 07:16:52 AM »


ब्लैक लोकुस्ट   वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Black Locust Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -53
Medicinal Plant Community Forestation -53

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -157
Medical Tourism Development Strategies -157
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 260
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -260

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Robima pseodoacacia

सामान्य   नाम -ब्लैक लोकुस्ट या व्हाइट लोकुस्ट , भरत का पेड़ नहीं यह अमेरिका से आया है
आर्थिक उपयोग ---
लकड़ी बहुत ही उपयुक्त
बगीचों में आकर्षक पेड़
बीजों का तेल
भोज्य पदार्थ , फल
कागज उद्यम में
नाइट्रोजन फिक्सेशन
-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

छाल

फूल



बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
अश्रु रोग
दांत रोग
उलटी
निर्बलता दूर करता है
वाइरस निरोधक
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन

समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - सामन्यतया तकरीबन सब जगह
तापमान अंश सेल्सियस -
वांछित जलवायु वर्णन -
वांछित वर्षा mm
वृक्ष ऊंचाई मीटर -12 से 30 यहां तक 52 मीटर के पेड़ भी मिलते हैं
तना गोलाई मीटर -  एक- तक जा सकता है
छाल - लाल काला
टहनी -कांटेदार
पत्तियां -जटिल /compound
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता -15 -36 , हरा किन्तु ऊपर भूरे
फूल आकार व विशेषता - गुच्छों में , आकर्षक ,
फूल रंग -सफेद, बैंगनी , गुलाबी

फल आकार व विशेषता
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - टांटी , बीज , नारंगी व गोल चपटे
फूल आने का समय - मई जून
फल पकने का समय - सात  दिन में किन्तु
बीज निकालने का समय -शीत  ऋतू तक पकते  हैं
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं -


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि -अभी प्रकार की मिट्टी
वांछित तापमान विवरण - धूप पसंद
बीज बोन का समय - शीत
बीजों को गुनगुने गर्म पानी में 48 घंटे रखना सही , यी बीजों को खुरच दिया जाय
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  cm   यदि सीधा बोना हो तो दो मीटर

आरम्भ में सिंचाई आवश्यक

क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ? जड़ों की कलम लाभदायी
ब्लॉक रोबिना खर पतवार जैसे अपने आप भी बढ़ जाता है , जड़ों से वयं कलम निकलकर फ़ैल जाता है
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ नम बीजों को गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर
वयस्कता समय वर्ष -
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #299 on: September 06, 2018, 06:45:26 AM »

सोनपाठा   कृषिकरण/ वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Broken Bone Tree, Midnight Horror tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण - 54
Medicinal Plant Community Forestation -54

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -158
Medical Tourism Development Strategies -158
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 261
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -261

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Oroxylum indicum
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -श्योनाक
सामान्य   नाम - सोनपाठा
आर्थिक उपयोग ---
सब्जी व कई भोज्य पदार्थ अवयव

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

पत्तियां

छाल

फूल

फल

बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
अतिसार
आमवात
मूत्राशय शोथ
अपाचन
स्वास , कफ सर्दी जुकाम , सरदर्द
हड्डी दर्द
दस्त।  पेचिस
मुख कैंसर आदि में संसार के कुछ भागों में प्रयोग
त्वचा
रक्तशोधक
बाम का अवयव

दशमूलारिष्ट व च्यवनप्राश में अवयव
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन
यह जाती खतरे में है
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - हिमायी श्रेणियों की घाटी में , 500 -900 , भारत में सर्व्रत्र , गदन किनारे , धुपेली पसंद
तापमान अंश सेल्सियस - 20 -35
वांछित जलवायु वर्णन -पर्वततल  घाटी
वांछित वर्षा mm- 850 -1300
वृक्ष ऊंचाई मीटर -9 -15 , कहीं  कहीं 50 भी
तना गोलाई सेंटी मीटर - 40 से 50
छाल -मटमैला भूरा
टहनी -लम्बी
पत्तियां -लम्बे
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - युगल एक मीटर
फूल आकार व विशेषता -
फूल रंग -सफेद -बैंगनी  रात को चमगादड़ों को आकर्षित करने हेतु खिलते हैं
फल रंग -मटमैले टांटी या फली
फल आकार व विशेषता
टांटी तलवारनुमा
फूल आने का समय - जुलाई -अगस्त
फल पकने का समय - दिसंबर मार्च
बीज निकालने का समय -टांटी फटने से पहले
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - एक साल


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि -तकरीबन सभी मिटटी
वांछित तापमान विवरण - धुपेला स्थान
बीज बोन का समय - मार्च और सिंचाई प्रबंधन सही
बीजों को मंतत पानी में 24 घंटे हेतु भिगोना आवश्यक
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  पॉलीथिन बैग में अन्यथा जुताई हेतु गेंहू जैसे खेत त्यार करना होता है ,, गड्ढे 60 x 60 x 60 cm
मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - 6 cm गहराई  व दूरी दो  मीटर , रोपण हेतु दूरी दो मीटर
अंकुरण प्रतिशत 80 -90 , 18 -20 दिनों में अंकुरण आ जाते हैं , सिचाई सालभर में छह से आठ किन्तु ग्रीष्म में अधिक
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ? हाँ किन्तु बीज भी  सही हैं
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर
वयस्कता समय वर्ष - तीन साल में फूल आने लगते हैं पांच साल में बीज
कृषिकरण लाभकारी
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22