Author Topic: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (  (Read 207182 times)

Bhishma Kukreti

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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #300 on: September 07, 2018, 06:52:31 AM »

 शहतूत   कृषिकरण  से  स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Mulberry Tree Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -55
Medicinal Plant Community Forestation -55

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -159
Medical Tourism Development Strategies -159
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 262
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -262

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम -Morus alba
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -तूतः
सामान्य   नाम -शहतूत
आर्थिक उपयोग ---
रेशम उद्यम
रेशे

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

पत्तियां

छाल

फूल

फल

बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है

 दांत दर्द , गिंगिविटीज़
कब्ज
कफ , जुकाम
खरास निरोधक
शक़्कर रोग रोकथाम
त्वचा कृमि नाशक
जोड़ दर्द में
बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन

समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  -0 -3300 तक
तापमान अंश सेल्सियस - 23 -29
वांछित जलवायु वर्णन - शुष्क किन्तु छाया बर्दास्त क्र  लेता है
वांछित वर्षा mm- सामन्य पहाड़ी क्षेत्र उपलब्ध
वृक्ष ऊंचाई मीटर - 15 तक
तना गोलाई सेंटी मीटर -  60

पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - ३०  लम्बी गोल पर कटे हुए
फूल आकार व विशेषता -
फूल रंग -सफेद
फल रंग -भूरे लाल
फल आकार व विशेषता
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग -
फूल आने का समय - मार्च मई
फल पकने का समय जुलाई
बीज निकालने का समय -जुलाई
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - तुरंत सही 


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - 4 . 8 से 8

कैम्फर में बीज बिगिकर बिखेर दिए जाते हैं और बीजों के ऊपर सुखी मिट्टी   , राख की पतली तह डाली जाती है। 9 -14  दिनों में अंकुरण आ जाती है जब अंकुर 1. 5 मीटर तक बड़ी हो तो तो रोपण किया जाता है।
नरसरी स्थान छायादार या धुपेली - धुपेली
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ? हाँ , टहनी में कली सहित काटकर जमीन में गाढ़ देने से कलम उग जाती हैं।  जड़ों से भी कलम उगाई जाती हैं

वयस्कता समय वर्ष -
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;

Bhishma Kukreti

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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #301 on: September 08, 2018, 07:58:11 AM »

मुलेठी कृषिकरण  से  स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Liquorice Shrub Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -56
Medicinal Plant Community Forestation -56

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -160
Medical Tourism Development Strategies -160
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 263
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -263

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम - Glycyrhiza glabra
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -यष्टिमधु
सामान्य   नाम - मुलेठी
आर्थिक उपयोग ---
पान , तम्बाकू में उपयोग
मिष्ठान अवयव

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें /राइजोम तना
तना

पत्तियां

रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
पेट दर्द
 गले की खरास
कफ , जुकाम
दूर दृष्टि दोष मायोपिया
कब्ज
आंत घाव
मुख दुर्गंध आदि
गंजापन
त्वचा घाव
कॉर्न
डाइबिटीज


पादप वर्णन
मुलेठी एक मीटर ऊंचा झड़ी नुमा पादप है जिस पर नीले रंग के फूल आते हैं तना टहनी लाभकारी होते हैं
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - शुष्क , जहां दलदल न हो , घाटियों में
५०० से १००० mm वर्षा
तापमान शीत 5 अंश सेल्सियस व ग्रीष्म 50 अंश सेल्सियस तक
मुलेठी के बीजों से खेती नहीं होती जैसे अदरक , हल्दी
मुलेठी के राइजोम जिन पर २ ३ कलियाँ हों काट लिया जाता है और गेंहू जैसे जुते  खेतों में कलमें ६ सेंटीमीटर गहरे व 60 =75 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाई जाती हैं।  खाद , ३० ४५ दिन  सिंचाई का इंतजाम आवश्यक, इसके जड़े समांतर फैलते हैं अतः  जमीन की जुताई गहरी होनी चाहिए
वयस्कता समय वर्ष - ३ - ४ साल में जड़े /राइजोम तना प्रयोगशील
उत्तराखंड में नयार , हिंवल , गदन घाटियों में राइजोम कलम लगाए जा सकते हैं सामजिक वानिकी रूप में वनों में जहां सिचाई प्रबंधन हो में भी कलमे लगाई जा सकती हैं
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें


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Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #302 on: September 09, 2018, 08:50:20 AM »


बसिंगू , बस्यिंग , वासका   कृषिकरण  से  स्वास्थ्य पर्यटन विकास

 Malabar Nut / Vasa Plantation for Medical Tourism Development

औषधि पादप वनीकरण -57
Medicinal Plant Community Forestation -57

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -161
Medical Tourism development  Strategies -161
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 264
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -264

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

लैटिन नाम -Justica adhatoda
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -अटरूस
सामान्य   नाम - बस्यिंगू , बस्यिंग , वासका
आर्थिक उपयोग ---
सब्जी
बाड़
लकड़ी

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं

जड़ें

पत्तियां

छाल

फूल

फल

बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
स्वास
कफ
बुखार
फेफड़ों सफाई
यक्ष्मा /टीबी
जोड़ों का दर्द
पेट दर्द मरोड़ , आँतों , पेट की मांशपेशी खिंचाव दोष निवारक
रक्त शोधन
गाल ब्लैडर , यकृत का  बैलिंसिंग
मिर्गी (देखें  डा आरडी गौड़ के लेख )
डाइबिटीज

बाजार में उपलब्ध औषधि

पादप वर्णन

समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  -हिमालयी तलहटी स्थानों में अधिकतर घाटियों , गाड , गदनों में , १३०० मीटर  तक
तापमान अंश सेल्सियस - 20 से 27 तक दिन का तापमान
वांछित जलवायु वर्णन -धुपेली जलवायु पसंद , नमी  भी आवश्यक यद्यपि घाटियों में होता है
वांछित वर्षा mm- ७०० से १७००
वृक्ष ऊंचाई मीटर - एक से ढाई कभी कभी ६
तना गोलाई म - ढाई से तीन सेंटीमीटर
छाल -भूरी
टहनी - जड़ से पांच छह शाखाएं फूटती हैं और टहनियों से भरपूर
पत्तियां -
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - १० से १५ सेंटी मीटर लम्बी
फूल आकार व विशेषता -गुच्छों में
फूल रंग -सफेद गुच्छों में
फल आकार व विशेषता - कड़क कडुआ
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग -
फूल आने का समय - शीत अंत व वसंत व ग्रीष्म मार्च
फल पकने का समय - गर्मियों में फूलों के ऊपर काँटा व फल ट्यूबनुमा
बीज निकालने का समय - मानसून



संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि - ६. ५ से ७  . ५ तक किन्तु ५ .७ सहन  कर सकता है , बलुई , पथरीली पसंद

बीज बोन का समय - मानसून


क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ  गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर
वयस्कता समय वर्ष -
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें

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Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com

Medical Tourism Development in Uttarakhand , Medical Tourism Development in Garhwal, Uttarakhand , Medical Tourism Development in Kumaon Uttarakhand ,
Medical Tourism Development in Haridwar , Uttarakhand , Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Garhwal, Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Kumaon;  Medicinal Tree Plantation for Medical Tourism Development in Haridwar , Herbal Plant Plantation in Uttarakhand for Medical Tourism; Medicinal Plant cultivation in Uttarakhand for Medical Tourism, Developing Ayurveda Tourism Uttarakhand, गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;हरिद्वार गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ;  उधम सिंह नगर कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; नैनीताल कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; अल्मोड़ा कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; चम्पावत कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास ; पिथोरागढ़  कुमाऊं , उत्तराखंड में स्वास्थ्य पर्यटन विकास


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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #303 on: September 20, 2018, 07:10:54 AM »
मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु निवेशक सम्मेलन आयोजन रणनीतियां उदाहरण सहित - भाग -1

How to  Organize  Investment  Summit
मेडिकल टूरिज्म हेतु निवेश सम्मेलन आवश्यकता - 2
Investment for  Investment  Medical  Tourism  Development  -2
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 165
Medical Tourism development  Strategies -165
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 268
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -268

 आलेख - विपणन आचार्य  भीष्म कुकरेती
 
   आपके घर में छोटी सी भी पूजा हो आपको धन की आवश्यकता होती है। बिन  धन आप कोई छोटा सा आयोजन नहीं कर सकते हो।  उसी तरह मेडिकल टूरिज्म या अन्य टूरिज्म भी बगैर धन के विकसित नहीं हो सकते हैं।धन हेतु निवेश आवश्यक है।  आज बद्रीनाथ धाम , ऋषिकेश , हरिद्वार में जो भी टूरिज्म विकसित हुआ है उसमे विभिन्न प्रकार के निवेशकों के निवेश का महत्वपूर्ण स्थान है।  बद्रीनाथ धाम में देव प्रयागि पंडों द्वारा दूकान खोलना या प्राचीन काल में बाबा कमली वालों की धर्मशाला निवेश का उम्दा उदाहरण है।  ऋषिकेश में शिवा नंद महाराज , महर्षि योगी आदि द्वारा योग शिक्षण या योग विद्या प्रचार हेतु आश्रम खोले गए वे व्ही मेडिकल चिरज्म हेतु निवेश के ही उदाहरण हैं।  बाबा कमली वालों  या शिवानंद आश्रम में आयुर्वेइक औषधि निर्माण कार्यशाला निर्मित करना भी मेडिकल चिरज्म में निवेशकों का महत्व बतलाता है उसी प्रकार रामकृष्ण आश्रम संस्थान द्वारा  चिकित्सालय खोलना भी मेडिकल टूरिज्म का निवेश नमूना ही है। AIMS खुलने हेतु भी बिभिन्न राजकीय संस्थाओं द्वारा निवेश ही हुआ है। टूरिज्म विकास बिना निवेशकों के निवेश के विकसित ही नहीं हो सकता।
    आज सरकारों के पास उतना धन नहीं है बल वे हर क्षेत्र में निवेश कर सकें अतः  निजी निवेशकों की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है जिसके लिए सरकारें निवेशकों को लुभाने या आमंत्रण हेतु निवेशक सम्मेलन आयोजित करते हैं।
     विभिन्न प्रकार की सेवा हेतु विभिन्न प्रकार के संभावित निवेशकों को एक मंच पर लाकर निवेश हेतु प्रेरित करने को निवेशक सम्मेलन कहा जाता है।
  निवेशक सम्मिलन को आकार के अनुसार तीन प्रकारों में बांटा जा सकता है
लघु स्तरीय   निवेशक सम्मेलन
मध्यम स्तरीय निवेशक सम्मेलन
वृहद स्तर निवेशक सम्मेलन
                        लघु स्तरीय निवेशक सम्मेलन
 पर्यटन आधारित लघु निवेशक सम्मेलन ग्राम स्तर पर पर्यटक स्थल विकसित करने हेतु भी लघु स्तरीय निवेशक सम्मेलन किये जाते हैं। जैसे ग्राम मंदिर निर्माण या पुनर्निर्माण , ग्राम स्तर पर कोई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित करना , क्षेत्र स्तर कोई महोत्स्व आयोजित करना।
  जसपुर (ढांगू , पौड़ी गढ़वाल ) में नागराजा मंदिर पुनर्निर्माण कार्य हेतु भी नब्बे के दशक में निवेशक सम्मेलन किये गए थे।  मुंबई के कुछ प्रवासियों ने सोचा बल जसपुर के पुराने मंदिर भवन का पुनर्निर्माण आवश्यक है और नागराजा पूजा में प्रवासियों की भागीदारी आवश्यक है।  स्व श्री रमेश कन्हयालाल जखमोला , श्री रमेश चक्रधर कुकरेती , श्री जय प्रकाश कली राम कुकरेती तीनों ने  आपस में बैठकर नागराजा मंदिर पुनर्निर्माण की कल्पना की व श्री चंद्रमोहन गोबरधन प्रसाद जखमोला को भी सहभागी बनाया।  नागराजा मंदिर पुनर्निर्माण की एक मोटा मोटा खाका बनने के पश्चात इन्होने मुंबई में सभी जसपुर के प्रवासियों (भागीदारों , स्टेक होल्डर्स ) की एक सम्मलित बैठक बुलाई।  इस बैठक में प्रवासियों को नागराजा मंदिर पुनर्निर्माण हेतु प्रेरित किया गया व आम सहमति बनाई गयी बल मंदिर निर्माण आवश्यक है व किस तरह मंदिर निर्माण सम्पूर्ण होने के बाद हर तीन साल में पूजा होगी।  एक दो बैठकें फिर हुईं और सभी प्रवासियों को प्रति माह चंदे (निवेश ) हेउ एक छोटी राशि निर्धारित की गयी।  तकरीबन हर महीने प्रवासियों की बैठक होने लगीं , जब मुंबई प्रवासियों की सहमति व धन योगदान पर सहमति बन गयी तो दिल्ली , देहरादून आदि प्रवासियों को सूचना व प्रेरणा पत्र बेहजे गए , सभी ने अपने अपने स्तर पर प्रेरणा संवाद भी स्थापित किये।  इसी दौरान गाँव वासियों के नेतृत्व को भी सम्मलित किया गया।  तकरीबन सभी जगह बैठकें आयोजित हुईं।  कई बैठकें हुईं , कई प्रकार के पत्राचार , कम्युनिकेशन हुए व 91 -92 में मंदिर  पुनर्निर्मित होने के पश्चात प्रथम सामूहिक पूजा प्रारम्भ हुयी जो अब तक तीन साल बाद निरंतर चल रही हैं। जसपुर में सामूहिक नागराजा पूजन टूरिज्म विकास का एक सबसे अनूठा उदाहरण है।  एक आकलन अनुसार सन 2018 में सभी प्रकार सामूहिक व निजी व्यय लगभग दस लाख से अधिक हुआ है . 
             जसपुर का  सरकारी चिकित्सालय   व निवेश सम्मेलन

 मल्ला ढांगू में ग्वील गाँव  चावल उत्पादन व शिक्षित गाँव होने के कारण प्रसिद्ध गाँव रहा है।  सरकारी महकमे में भी ग्वील वासी प्रभाव शाली पद पर ब्रिटिश काल से ही रहे हैं।  लखनऊ में ग्वील प्रवासी के प्रभाव के कारण 1972 -1973 में उत्तर प्रदेश शासन ने ग्वील में सरकारी चिकित्सालय खोलने का निर्णय लिया व पत्र भी बना दिया।  सरकारी विभागीय आदेश भी तैयार हो गए थे।  किन्तु ग्वील में चिकित्सालय हेतु जमीन नहीं मिल सकी। तब जसपुर में चिकित्सालय खोलने का आदेश मिला क्योंकि तुरंत जसपुर वालों ने जमीन मुहैया कराने की सहमति दे दी। नेपथ्य में जमीन मुहैया कराने हेतु जसपुर में कई औपचारिक  अनुपाउचारिक बैठकें हुईं।  जमीन भी निवेश का ही हिस्सा है अतः ये सभी बैठकें मेडिकल टूरिज्म में निवेश सम्मेलन के उदाहरण हैं।  जखमोला मुंडीत , श्री घना नंद -गोबिंद राम कुकरेती मुंडीत ने लगभग 30 नाळी जमीन चिकत्सालय को मुफ्त में दे दी व लैंसडाउन में रजिस्ट्री कराई गयी।  इसी दैरान जसपुर ग्राम सभा के अंतर्गत अन्य गाँवों सौड़ , छतिंड , बाड्यों के लोगों के साथ कई बैठकें हुईं जिसमे श्रम दान व संसाधन दान , (निवेश ) पर बैठकें (सम्मेलन ) हुए और सभी ने श्रम दान की सहमति दी।  संसाधनों में जसपुर में कईयों ने अपने खेत से मिटटी , पत्थर निकालने की सहमति बैठकों में दी , कुछ ने अपने पेड़ दान देने पर सहमति जताई जैसे स्व चित्र मणि बहुगुणा के पुत्रों ने अपना २०० साल पुराने सेमल पेड़ दारु हेतु दिया।  चिकित्सालय को तीन कमरो का निर्माण हुआ  तब जाकर चिकित्सालय शुरू हुआ।
आज जसपुर चिकित्सालय ढांगू में आंतरिक चिकित्सा पर्यटन का एक है। 
   हर कार्य हेतु योजना बनीं व कई तरह के कई स्तर की बैठकें हुईं।  चिकित्सा पर्यटन में निवेशकों के सम्मेलन के ये बैठकें अनूठा नमूना व उदाहरण हैं कि  भागीदारों का  सम्मलितीकरण  कैसे किया जाता है  । 
           
                       ढांगू धार्मिक पर्यटन विकास में झैड़ का   योगदान

गंगातट पर स्थित झैड़  (तल्ला ढांगू,   )   गाँव का आधुनिक ढांगू में धार्मिक पर्यटन विकास में महत्वपूर्ण स्थान है।  70 -80 दशक में झैड़ के ऋषिकेश व दिल्ली के प्रवासियों ने कई बैठकों में निर्णय लिया बल प्राचीन झैड़  मंदिर का जीर्णोद्धार  जाय।  मंदिर  जीर्णोद्धार हेतु ऋषिकेश , दिल्ली व झैड़  में कई निवेश व योजना सम्मेलन हुए और देवी मंदिर का पुनर्निर्माण सम्पन हुआ।  मंदिर पुनर्निर्माण के पश्चात सामूहिक पूजन संपन हुयी जिसमे झैड़ प्रवासी , निवासी  नहीं अपितु झैड़  के बेटियों के परिवार भी सम्मलित हुए।  अब यह सामूहिक पूजा प्रत्येक चार वर्ष अंतराल में सम्पन होती हैं व जमाई भी परिवार सहित सम्मलित होते हैं।  मैं झैड़ कई वृद्ध जमायियों को जानता हूँ जीने परिवार अपने  गए किन्तु झैड़ देवी पूजन में अवश्य सम्मलित होते हैं . सामूहिक झैड़  देवी पूजन धार्मिक पर्यटन विकास का एक अनूठा उदाहरण ह।  और यह सामूहिक पूजन तब शुरू हुआ जब साधन -संसाधन जुटाने बहुत ही  कठिन थे।
  आज आधुनिक ढांगू   में जितने  सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान  रहे हैं  उनके प्रेरणा स्रोत्र झैड़ देवी मंदिर जीर्णोद्धार घटना है।   हेतु भी कई छोटे स्तर के निवेश सम्मेलन हुए थे। 

          हीरा मणि बड़थ्वाल व  का धार्मिक पर्यटन हेतु भागीदारी सम्मेलन

  बड़ेथ (मल्ला ढांगू , पौ ग ) के नौगढ़ में स्व श्री हीरा मणि नारायण दत्त बड़थ्वाल व उनके भ्राता श्री ओम  प्रकाश नारायण दत्त बड़थ्वाल ने अपने धन से देवी मंदिर निर्माण किया किन्तु उन्होंने मंदिर नींव रखने से पहले अपने गाँव में कई सम्मेलन किये जिससे भागीदार (स्टेक होल्डर्स ) मंदिर से जुड़ सकें।  अब यह मंदिर व्यक्तिगत मंदिर नहीं अपितु बड़ेथ का सार्वजनिक मंदिर हो गया है और आंतरिक धार्मिक पर्यटन का उदाहरण है।
   सत्य प्रसाद बहुगुणा का धार्मिक पर्यटन हेतु निवेश सम्मेलन
     जसपुर ग्वील (ढांगू , पौ ग ) में कुछ कारणों से देवी मंदिर नहीं था।  ढांगू के गुरु वंशीय  प्रसाद बहुगुणा के प्रयास से अब जसपुर -ग्वील सीमा में देवी मंदिर स्थापित हुआ है।  स्व सत्य प्रसाद खीमा नंद बहुगुणा ने जब देवी मंदिर की कल्पना की तो उन्होंने ग्वील व अन्य गाँवों या स्थानों के अपने यजमानों से सम्पर्क साधा व बैठकें कीं।  कई यजमानों ने मंदिर निर्माण में भागीदारी निभायी।  देवी मंदिर में एक बड़ा भव्य धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित हुआ जिसमे सत्य गुरु जी के कई यजमानों , मित्रों सहचरों ने भागीदारी निभायी।  श्री सत्य प्रसाद गुरु जी ने जिनसे भी सम्पर्क सहा होगा वे पर्यटन विपणन की दृष्टि में निवेश व भागीदारी सम्मेलन के ही उदाहरण हैं।
         मनोहर जुयाल का ढांगू धार्मिक पर्यटन में योगदान
  देहरादून के प्रसिद्ध उद्यमी श्री मनोहर जुयाल ने नैरुळ  में मंदिर जीर्णोद्धार व आवास निवास , सड़क निर्माण कर ढांगू धार्मिक पर्यटन में मह्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।  श्री मनोहर जुयाल ने भी कई स्तर पर भागीदार सम्मेलन आयोजित किये है। 
    गोदेश्वर मंदिर हेतु श्री अतुल कंडवाल का ढांगू धार्मिक पर्यटन विकास में योगदान

  ऋषिकेश में ठंठोली प्रवासी श्री अतुल कंडवाल भी गोदेश्वर मंदिर पर्यटन वृद्धि हेतु कई प्रकार के सम्मेलन करते हैं जो निवेश सम्मेलन के ही उदाहरण हैं व अतुल जी मंदिर प्रसिद्धि हेतु कार्यरत हैं। 

                     ढांगू में धार्मिक पर्यटन की वर्तमान दशा
  आज धार्मिक व अन्य पर्यटन में ढांगू विकास पथ पर है जैसे ग्वील में प्रवासी सम्मेलन व  रामलीला आयोजन , मित्रग्रम में श्रीमद भागवद अनुष्ठान , कठूड़ में देवी पूजा , खंड में देवी पूजन आदि सभी धार्मिक पर्यटन के उदाहरण हैं।  इन सभी आयोजन हेतु कई स्तर पर निवेश बैठकें होती हैं जिन्हे पर्यटन विपणन  भाषा में लघु स्तर के निवेश सम्मेलन कहा जाता है।

   अगले अध्याय में मेडिकल टूरिज्म में मध्यम स्तर के निवेश सम्मेलन के बारे में पढ़िए
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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #304 on: September 20, 2018, 09:54:09 AM »


मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु मध्यम स्तरीय  निवेशक सम्मेलन आयोजन
       ( शिवानंद , रामकृष्ण चिकित्सालय उदाहरण )

How to  Organize Medical Tourism Investment  Summit -A  Guide
मेडिकल टूरिज्म हेतु निवेश सम्मेलन आवश्यकता - 3
Investment for  Investment  Medical  Tourism  Development  -3
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 166
Medical Tourism development  Strategies -166
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 269
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -269

आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

    मेडकल टूरिज्म विकास हेतु लघु स्तरीय निवेशक सम्मेलन के अतिरिक्त अधिकतर मध्यम श्रेणी व वृहद श्रेणी के निवेशक सम्मेलन होते हैं।
  मध्यम श्रेणी मेडिकल टूरिज्म निवेशक सम्मेलन
अधिकतर सामाजिक या धार्मिक संस्थानों /संस्थाओं द्वारा किसी विशेष स्थल पर चिकित्सालय खोलने हेतु जो निवेशक सम्मेलन होते हैं वे प्रायः मध्यम श्रेणी के  मेडिकल टूरिज्म निवेशक सम्मेलन होते हैं।
             स्वामी शिवानंद चेरिटेबल चिकित्सालय , शिवानंद  आश्रम , टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड वास्तव में मेडिकल चिरज्म का जीता जागता नमूना है , डाक्टर कुप्पूस्वामी उर्फ़ शिवानंद महाराज द्वारा स्थापित यह चिकित्सालय ऋषिकेश आये महात्माओं , पर्यटकों , ऋषिकेश वासियों को ही चिकत्सा सुविधा प्रदान नहीं करता अपितु आस पास के टिहरी गढ़वाल क्षेत्र  , पौड़ी गढ़वाल के ढांगू , उदयपुर पत्तियों के मरीजों की भी चिकत्सा करता है।
 साधना प्राप्ति पश्चात चिकित्स्क डा कुप्पूस्वामी उर्फ़ स्वामी शिवानंद स्वर्गाश्रम में स्थापित होने के पश्चात  जब अप्रैल 1927 में इंस्युरेन्स के पैसे मिले तो उन्होंने  लक्ष्मण झूला में 'सत्य सेवाश्रम '  छोटी डिस्पेंसरी खोली।  इस डिस्पेंसरी का उद्देश्य महात्माओं व पर्यटकों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना था। सन  1934 में उन्हें 6 शिष्य मिले जिनकी मानसिकता स्वामी शिवानंद की मानसिकता के साथ मेल खाती थी।  उन्होने कई बैठकें कीं (निवेशक सम्मेलन ) और सातों मनीषियों ने 17 जनवरी 1934 को गंगा तट पर एक गौशाला बनवायी व 28 मार्च 1934 से यहां डिस्पेंसरी चलने लगी।  छः  शिष्यों के मध्य सम्मेलन आज लघु स्तर  का सम्मेलन लगता है किन्तु यदि उस काल को समझा जाय तो ये सम्मेलन वास्तव में मध्यम स्तरीय निवेशक सम्मेलन थे।  निवेशक का अर्थ धन से नहीं अपितु जो भी विभिन्न प्रकार के संसाधन जुटाए वः निवेशक कहलाता है
 इस दौरान शिवा नंद महाराज ने अपने आध्यात्मिक सम्मेलनों में चिकित्सालय की छ्वीं बात भी करते थे।  इन सम्मेलनों व व्यक्तिगय छ्वीं बातों से प्रेरित हो कई प्रसिद्ध चिकित्स्क सेवाश्रम में कार्य करने हेतु तैयार होते चले गए।
 1947 में स्वामी  डा अच्युतानंद , स्वामी ा वेंकटेशानंद  शिवा नंद होमियोपैथी चिकित्सालय की  ततपश्चात डा ब्रिज नंदन प्रसाद भी इस अभियान से जुड़ गए।  इस दौरान औपचारिक व अनऔपचारिक निवेशक सम्मेलन हुए।

              दृष्टि दान मेडिकल कैम्प

विभिन्न आध्यात्मिक सम्मेलनों में शिवानंद महाराज से प्रेरित हो कई चिकित्स्क आश्रम आने लगे और चिकित्सा सेवा वृद्धि हेउ औपचारिक व अनौपचारिक वार्ता -सम्मेलन करने लगे।  इन्ही वार्ताओं व सम्मेलनों का फल था कि एक प्रसिद्ध  चक्षु विशेषज्ञ के तहत 1950 में प्रथम चक्षु निरीक्षण कैम्प चलाया गया।  इस कैम्प में टिहरी व पौड़ी गढ़वाल के सैकड़ों चक्षु रोगी  आये। स्वामी  शिवानंद इन चक्षु रोगियों की दुःख से दुखी हुए और फिर प्रत्येक वर्ष दृष्टि दान कैम्प लगने लगे।  बाद में शिवानंद चिकित्सालय में विशेष चक्षु कोष्ठ खोला गया।  इस लेखक ने भी 1962 में इस चिकित्सालय में अपने चक्षुओं का निरिक्षण करवाया था।

      कई सम्मेलन व वार्ताएं
प्रत्येक वर्ष शिवानंद चिकित्सालय में कई व्याधि निवारण कोष्ठ खुलते गए जैसे मलेरिया गोली देना , सर्जरी व्यवस्था , X रे व्यवस्था आदि।  इन सभी चिकित्सा सुविधाओं हेतु लघु या मध्यम स्तरीय सम्मेलन हुए व दसियों डाक्टर शिवा नंद हॉस्पिटल से जुड़ते गए।
 इसी तरह शिवा नंद आश्रम में आयुर्वेद औषघि निर्माण हेतु भी कई निवेशक सम्मेलन आयोजित हुए जो लघु व मध्यम स्तरीय वार्ताएं व सम्मेलन थे।  योग सेंटर खोलने हेतु भी कई निवेशक सम्मेलन हुए

       स्वामी रामकृष्ण मिसन हॉस्पिटल कनखल , उत्तराखंड

स्वामी रामकृष्ण मिसन हॉस्पिटल कनखल , हरिद्वार का मेडिकल टूरिज्म इतिहास में स्वर्णिम स्थान है।  जब स्वामी विवेकानंद 1893 के शिकागो धर्म  सम्मेलन से हरिद्वार आये तो उन्होंने यहां चिकित्सा की बुरी स्थिति देखी और उन्होंने अपने एक शिष्य स्वामी कल्याणा नंद को कनख क्षेत्र में चिकित्सा हेतु भेजा  (1901 सन  ) बाद में उनसे एक अन्य विवेकानंद शिष्य स्वामी निश्चयानन्द भी मिले और उन्होंने सर्व प्रथम व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की चिकित्सा की बाद में अन्य भागीदारों की सहायता से औपचारिक रूप  से स्वामी रामकृष्ण मिशन हॉस्पिल स्थापित किया।  इस दौरान वे कई निवेशक /भागीदारों से मिले उनसे वार्ताएं व सम्मेलन हुए।  इस चिकित्सालय ने पर्यटकों को कई तरह की चिकित्सा सेवा दी।  निवेशकों  (दान दाताओं   ) के बदौलत ही आज इस चिकित्सालय में 150 बेड हैं।
   एक झोपड़ी से रामकृष्ण मिशन हॉस्पिटल की शुरवात हुयी थी और आज 150 बिस्तरों का चिकित्सालय है तो अवश्य ही स्थानीय व अन्य क्षेत्र के के निवेशकों की भागीदारी से ही यह सम्भव हुआ होगा।  निवेशक प्रेरणा हेतु कई बार मध्यम स्तरीय सम्मेलन हुए और निवेशकों को जोड़ा गया।  निवेशक केवल धन जोडू ही नहीं होते अपितु कई प्रकार के भागिदार होते हैं जिनमे राज्य प्रशासन भी एक इकाई होता है।

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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #305 on: September 21, 2018, 08:39:06 AM »


वृहद मेडकल टूरिज्म इन्वेस्टमेंट सम्मेलन

How to  Organize Medical Tourism Investment  Summit -A  Guide
मेडिकल टूरिज्म हेतु निवेश सम्मेलन आवश्यकता - 4
Investment for  Investment  Medical  Tourism  Development  -4
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 167
Medical Tourism development  Strategies -167
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 270
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -270

आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

  जब से मेडिकल टूरिज्म उद्यम ने कुटीर उद्योग का चोला छोड़ा और जागतिक उद्यम की सीढ़ी चढ़ी तब से मेडिकल टूरिज्म को प्रांतों  व राष्ट्रों ने अपना लिया है।  प्रांतीय मेडिकल टूरिज्म या राष्ट्रीय चिकत्सा पर्यटन विकास हेतु कई प्रकार के उत्पादन व सुविधाओं की आवश्यकता पड़ती है। चिकत्सा पर्यटन हेतु वृहद स्तर पर उत्पादन (प्रोडक्ट ), सरल व जटिल तकनीक या सुलभ या नासुलभ तकनीक ;डाक्टरों , तकनीशियनों , सैकड़ों प्रकारीय सुविधाओं , अप्रवीण या परीक्षित मानस श्रम की आवश्यकता पड़ती है।  इन सभी को जुटाने हेतु न केवल निवेशकों की आवश्यकता पड़ती है अपितु तकनीक मालिकों की सहमति की भी आवश्यकता पड़ती है जो प्रांत या राष्ट्री सरकारों के बूते के बाहर होती है।  प्रांतीय या राष्ट्रीय स्तर के  चिकित्सा पर्यटन निवेशक सम्मेलन बृहद स्तर के होते हैं और इन सम्मेलनों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निवेशकों की भागीदारी होती है।
    Adriatic Health and  Investment Forum (क्रोसिया ) का 2017 का प्रथम सम्मेलन और अब दुसरा सम्मेलन वास्तव में दुनिया का प्रथम प्रकार का चिकत्सा पर्यटन निवेशक केंद्रित सम्मेलन हैं।  अन्यथा  मेडिकल या टूरिज्म सम्मेलनों में ही निवेशकों को प्रेरित किया जाता था अब  विशेष रूप से मेडिकल टूरिज्म हेतु विशेष निवेशकों को भटाया जाता है और उनको निवेश हेतु प्रेरित किया जाता है।
     प्रथम एड्रिएट हेल्थ  ऐंड इन्वेस्टमेंट सम्मेलन जागरेब , क्रोसिया में 12 -13 अक्टूबर 2017  को सम्पन हुआ और मार्केटिंग में इस सम्मेलन की बहुत प्रशंसा हुयी।
    प्रथम एड्रिएट हेल्थ  ऐंड इन्वेस्टमेंट सम्मेलन जागरेब , क्रोसिया के संयोजक डा मिलजिन्को बुरा की भूरी भूरी प्रशंसा की जाती है जिन्होंने इस विशेष सम्मेलन को सफल बनाया।  डा मिलजिन्को ने सभी कामगार विशेषज्ञों को सम्मेलन में न्यूता  व देखा बल सभी कामके  विशेषज्ञ, तकनीक विशेषज्ञ व अन्य विहसज्ञ सम्मेलन में भाग लें।  क्रोसिया के राष्ट्रपति श्रीमती कोलिंदा ग्रेवर कितारोविक ने भी अपना मत रखा।  क्रोसिया टूरिज्म मिनिस्ट्री का  इस वृहद सम्मेलन को सफल बनाने में बड़ा योगदान रहा।
  डा मिलजिन्को के  पवाणी  (इनॉग्रल ) संयोजकीय भाषण अपने आप में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित हुआ यह भाषण सं २०१७ का मेडिकल टूरिज्म सम्मेलनों  में सर्वोत्तम भाषण माना गया व प्रथम एड्रिएट हेल्थ  ऐंड इन्वेस्टमेंट सम्मेलन जागरेब , क्रोसिया को मेडिकल टूरिज्म में इवेंट ऑफ द ईयर का दर्जा भी मिला।
 डा बुरा ने स्पष्ट किया बल निवेश सम्मेलन के निम्न उद्देश्य हैं -
      @ क्रोसिया ऐड्रिटिक क्षेत्र को फूल टाइम मेडिकल टूरिज्म हेतु विकसित करना
      @ क्रोसिया में  वृद्ध  ग्राहकों हेतु मेडिकल टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना
डा मिलजिन्का ने निवेशकों को क्रोसिया मेडिकल टूरिज्म की आत्मिक जानकारी देते हुए निवेशकों को आश्वनीत किया बल किस तरह निवेशकों को निवेश के बाद लाभ मिल सकता है।
   प्रथम एड्रिएट हेल्थ  ऐंड इन्वेस्टमेंट सम्मेलन जागरेब , क्रोसिया में निम्मन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया -
    * क्रोसिया में चिकत्सा पर्यटन के लाभकारी अवसर व चुनौतियों का समाधान
   * नए नए प्रोजक्टों , मेडिकल टूरिज्म संबंधी प्रोडक्टों की जानकारी व चर्चाएं
   * क्रोसिया सरकार के दायित्व व निवेशकों हेतु   निवेश हेतु सरकारी सुविधाएं
  * सीस सम्मेलन में कई डेवलपर  , होटल , सक निर्माता प्रेरित हुए और उन्होंने निवेश हेतु सहमति दी
   * मेडिकल वेलनेस वर्कशॉप से कई निवेशक प्रेरित हुए
    * इस वृहद सम्मेलन के कारण चीन , अमेरिका , कनाडा अदि के कई निवेशकों ने क्रोसिया मेडिकल टूरिज्म उद्यम में निवेश किया
     *  मेडिकल टूरिज्म में खोजों पर कई चर्चाएं  हुईं व निवेशकों के साथ अलग अलग बैठकें भी हुयी
रथम एड्रिएट हेल्थ  ऐंड इन्वेस्टमेंट सम्मेलन जागरेब , क्रोसिया  की सफलता से सिद्ध हुआ बल एक छोटा सा क्षेत्र भी मेडिकल टूरिज्म में अहम ख्याति प्राप्त कर सकता है और मेडिकल टूरिज्म विकसित कर सकता है।

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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #306 on: September 22, 2018, 09:57:14 AM »



मेडिकल टूरिज्म हेतु निवेशक सम्मेलन में योजना महत्व

   (ठंठोली (ढांगू ) में वैद्यराज कण्डवाल    की बसाहत में निवेश या तकनीक हेतु योजना महत्व का उदाहरण )

How to  Organize Medical Tourism Investment  Summit -A  Guide
मेडिकल टूरिज्म हेतु निवेश सम्मेलन आवश्यकता - 5
Investment for  Investment  Medical  Tourism  Development  -5
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 168
Medical Tourism development  Strategies -168
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 271
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -271

आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

  मेडिकल टूरिज्म , टूरिज्म या उद्यम विकास हेतु कोई भी निवेशक सम्मेलन हो सम्मेलन सफलता सही योजना , योजना को कार्यबनित करने की सही रणनीति व कार्य पर निर्भर करती है।
  मेडिकल टूरिज्म निवेशक सम्मेलन उर्याने हेतु भी योजना की परम आवश्यकता होती है।  मेडिकल टूरिज्म निवेशक सम्मेलन छोटा हो या बड़ा पारदर्शी योजना आवश्यक है।  सटीक योजना निवेशक सम्मेलन की आधारशिला है। योजना बनांने हेतु पांच क की आवश्यकता होती है - क्या , कहाँ , कब , कौन और कितना
   उद्देश्य निश्च्तिकरण
मेडिकल टूरिज्म हेतु प्रोडक्ट की आवश्यकता जैसे -
ऐलोपैथी चिकित्सालय , आयुर्वेदिक चिकित्सालय , योग सेंटर्स ,नेचरोपैथी सेंटर्स , वेलनेस सेंटर्स होटल्स , गेस्ट हाउसेज , व इन प्रोडक्टों की सहायता हेतु ट्रेंड , कम परीक्षित श्रमिक व अन्य सेवाओं हेतु श्रमिक श्रमिक , परिहवन व्यवस्था हेतु विभिन्न प्रोडक्ट्स व श्रमिक , रोगियों व सहोदरों हेतु टूर स्पॉट्स आदि आदि
स्थान चिन्हांकन (कहाँ )  - उपरोक्त प्रोडक्ट्स व सेवायें किन किन स्थानों भूभागों में स्थापित होंगी - जैसे ऐलोपैथी चिकित्सालय - देहरादून , उधम सिंह नगर ; आयुर्वेद केंद्र - धार्मिक यात्रा लाइन , नेचरोपैथी कुमाऊं क्षेत्र , योग केंद्र - धार्मिक यात्रा पंक्ति क्षेत्र , फ्लोरीकल्चर - यात्रा लाइन क्षेत्र ;
समय (कब ) - सभी हेतु समयबद्ध योजना व प्रशासनिक व्यवस्था
धन आवश्यकता - उपरोक्त प्रोडक्टों को स्थापित करने व संचालित करने हेतु कितने  धन की आवश्यकता होगी व वह  धन कहाँ कहाँ से आ सकता है।
आंतरिक मानव आवश्यकता , बाह्य मानव शक्ति (कौन कौन)  - इन योजनाओं को क्रियावनित हेतु संभावित कौन कौन निवेशक , उत्पादक , सेवा दायी व्यक्ति या संस्थान
               इंवेस्टमें सम्मेलन हेतु स्थान व संचालन योजना
  इन्वेस्टमेंट सम्मिट करने हेतु भी योजना आवश्यक हैं
१- इन्वेस्टमेंट सम्मिट हेतु एक थीम /उद्देश्य व इन्वेस्टरों को लाभ सुनिश्च्तिकरण
२- स्थान व दिन निश्चित करना
३- अपने संसथान में टीम बनाना -
प्लानिंग टीम
प्रशासनिक टीम - कैसे योजना को क्रियावनित किया जाएगा।
न्यूतेर भट्याने  हेतु मार्केटिंग व जन सम्पर्क टीम या बाह्य विपणन व जन सम्पर्क टीम
प्रायोजक टीम
स्वयं सेवक टीम
४ इन्वेस्टमेंट सम्मिट हेतु बजट - निम्न कार्य हेतु बजट निर्धारण व धन आवश्यक होता है
स्थान /होटल
मेहमानों के ठहरने , भोजन , मनोरंजन हेतु
मेहमानों हेतु परिहवन बजट
भाषण करता व सलाहकारों की फीस
मार्केटिंग का व्यय
कई गतिविधियों हेतु बजट
उपरोक्त टीम के व्यय
५ - सम्मिट दिन निश्चतिकरण   - कि संभावित मेहमान पंहुच सकें
६-  होटल , भोजन , मनोरंजन , परिहवन व्यवस्था कौन कौन संस्थान करेंगे और उनके लिए बजट प्रवाधान व धन उपलब्धि व प्रशासनिक अड़चन दूर करना व लोच रखना (फ्लेक्जिबलिटी )
 ७ - आंतरिक स्पीकरों का  निश्चतिकरण
७- विभिन विभागों के मध्य समन्वय व संवाद साधन की स्पस्ट नीति
 ८-  अकस्मात काल में निर्णय लेने की स्पष्ट नीति
उपरोक्त विषयों को फिर कई उपभागों में विभाजित किया जाता है व प्रत्येक उप विभाग अपनी कार्यकी योजना बनाता है जिसे माइन्यूट प्लांनिंग कहा जाता है और इन योजनाओं में भी क्या , कहाँ , कब , कौन व कितना व्यय का पूरा ध्यान रखा जाता है।  सबसे मुख्य कार्य एक विभाग का दुसरे विभाग में संवाद पंक्ति/कम्युनिकेशन लाइन का होना आवश्यक होता है।
   यदि योजना सही हों   व कार्य करता समर्पित हों, प्रेरित हों तो   निवेशक सम्मेलन सफल होते हैं।
             
     ठंठोली (ढांगू ) में वैद्यराज कण्डवाल की बसाहत व निवेशक योजना उदाहरण

  हमें यह मन में घर कर  लेना चाहिए बल जहां भी उपचारक होगा वह स्थान स्वयमेव मेडिक टूरिस्ट प्लेस बन जाता है। ठंठोली के कण्डवालों को ठंठोली बसना -  भूतकाल में निवेशक योजना व मेडिकल हब निर्मित करने का सबसे सुंदर उदाहरण है
   सन 1970 तक मल्ला ढांगू (गंगा सलाण , द्वारीखाल या ढांगू ब्लॉक पौड़ी गढ़वाल ) में ठंठोली गाँव आयुर्वेद चिकत्सा हेतु एक महत्वपूर्ण गाँव था या मेडिकल टूरिस्ट प्लेस था . किन्तु रिकॉर्ड अनुसार ठंठोली का गोर्खाली शासन में कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है जो कि लोक कथ्यों से भी प्रमाणित होता है बल ठंठोली गाँव की स्थापना गोर्खाली शासन के पश्चात ही हुयी।
     ढांगू में अंग्रेज शासन व ततपश्चात भी ढांगू निवासी  चिकत्सा हेतु ठंठोली के कंडवालों  , वरगडी -नौड के ब्लूनियों , गडमोला के बड़थ्वालों,  झैड़ के मैठाणियों , कठूड के कुछ कुकरेती परिवार , गैंड  के गौड़ों  पर निर्भर था।  बलूनी , मैठाणी , कंडवाल ढांगू के मूल निवासी नहीं थे व बड़थ्वाल ढांगू में चौदहवीं सदी से बस  रहे थे। किन्तु लगता है बड़थ्वाल लोग चिकत्सा में 1890 बाद ही आये।
             कण्डवाल जाति  की परम्परा
    मूल रूप से कंडवाल या तो कांड , कांडाखाल (डबराल स्यूं ) या किमसार (उदयपुर ) क्षेत्र के हैं . कण्डवालों की एक विश्ष्ट विशेषता है कि पारम्परिक रूप से कंडवाल पंडिताई भी करते थे और वैद्य भी होते थे ।

                  ढांगू में कण्डवालों की क्यों आवश्यकता पड़ी ?

  यह निर्विवादित है बल मल्ला ढांगू पर चौदहवीं सदी से लेकर ग्वील गाँव बसने तक जसपुर का कब्जा था और मल्ला ढांगू के हर कोने पर   कुकरेतियों का  कब्जा था (मालिकाना हक ) ।  (कठूड , मळ , गटकोट दृष्टान्त हैं ) . उन्नीसवीं सदी में १९३ ५ -५०   के लगभग जसपुर वालों ने एक ? या दो कंडवाल भाइयों को ठंठोली में बसाया क्योंकि जसपुर व अब ग्वील भी के कुकरेती पंडिताई , तान्त्र मंत्र के कर्मकांड नहीं करते जब कि बाकी सब स्थानों में कुकरेती पंडिताई , तंत्र मंत्र , कर्मकांड व वैदकी कार्य भी करते हैं।
 मेरे चचेरे चाचा जी स्व मोहन लाल कुकरेती व बडेरी दादी जी स्व क्वाँरा देवी ने मुझे कथा सुनाई थी कि किस तरह जसपुर वालों ने कण्डवालों को मिन्नत कर ठंठोली में बसाया था और उन्हें अपनी बहिन ब्याही थी ।  एक पंक्ति का यह लोक कथ्य है किन्तु मेडिकल सुविधा जुटाने का बहुत ही उम्दा उदाहरण है जो आज भी मेडिकल सुविधा प्रबंध में अति प्रासंगिक उदाहरण है।
    चूँकि उस समय जसपुर याने मल्ला ढांगू में चिकत्स्क नहीं थे तो यह आवश्यक हो गया बल जसपुर क्षेत्र में किसी पारम्परिक वैद्य परिवार को बसाया जाय।  जसपुर वालों की रिस्तेदारी डबराल स्यूं के डबरालों से चौदहवीं सदी से ही थी किन्तु पारम्परिक रूप से डबराल जाति पंडिताई हेतु प्रसिद्ध  थी किन्तु वैदकी में नगण्य ही थे।  किमसार (उदयपुर पट्टी ) जसपुर से 49 -50  किलोमीटर दूर है किन्तु जसपुर बड़ेथ वालों के किमसार से वैवाहिक संबंध सदियों से थे।  मेरी बूड दादी ग्रेट ग्रैंड मदर  किमसार की कंडवाल थी जिनकी शादी मेरे बूड दादा जी से संभवतः 1860 -70 में हुयी थी।  किमसार से जब वैवाहिक संबंध थे तो जसपुर के सयाणो ने योजना बनाई कि  कंडवाल वैद्य को ठंठोली में बसाया जाय।
       फिर जसपुर के सयाणो (नेतृत्व वर्ग ) ने वैद्य की आवश्यकता पहचानने के बाद ठंठोली गाँव चुना जहां कण्डवालों या अन्य वैद्य को बसाया जा सकता था।  ठंठोली जसपुर से मात्र चार पांच किलोमीटर पर धार याने बसने लायक स्थान था जहां उस समय के अनुसार पानी प्रचुर मात्रा में था व बड़ा गदन भी था। वैद्य या डाक्टर बसाने हेतु सही स्थान जहां पंहुचना सरल हो आवश्यक हो ठंठोली बिलकुल सही स्थान था।  ठंठोली में कौन जमीन मुहिया कराएगा किसका भाग जाएगा व उसे क्या कम्पेन्सेशन दिया जाएगा सभी पर विचार विमर्श हुआ ही होगा (आंतरिक निवेशक सम्मेलन ) फिर जसपुर के सयाणा किमसार गए वहां भी कई निवेशक सम्मेलन हुये होंगे जिसमे वैद्य हेतु जमीन व शादी के लाभ (इंवेस्टमेंट  इन्सेन्टिव्ज व रिटर्न ऑन  इन्वेस्टमेंट ) भी किमसार के कंडवाल नेतृत्व को बताया होगा व कई तरह से प्रेरित किया होगा।  हाथ पात भी जोड़े गए होंगे।
    तब जाकर कंडवाल वैद्य को ठंठोली बसाया गया।  दादी जी का कहना था बल वैद्यराज को शिल्पकार परिवार भी प्रदान किया  गया था। संभवतया यह परिवार लोहार वृति के थे क्योंकि ठंठोली में टम्टा आदि जाती नहीं थीं।  शिल्पकार मुहिया कराने का अर्थ है बल परीक्षित श्रमिक की उपलब्धि करवाना।  श्री चक्रधर कंडवाल अनुसार ठंठोली में प्रथम पुरुष श्री धर्मा नंद जी थे जिनकी शादी री से हई थी।  किन्तु लोक कथ्य अनुसार कण्डवालों को जसपुर कुकरेती ने बहिन ब्याही थी।  इसका अर्थ निकलता है बल कम से कम दो कंडवाल वैद्य ठंठोली में बसाये गए थे।
       यदि हम उपरोक्त कथ्य पर ध्यान देंगे तो पाएंगे बल कंडवाल वैद्य को ठंठोली में बसाने हेतु जसपुर वालों ने वही प्रक्रिया अपनायी जो किसी वाह्य संस्थान को मेडकल सेंटर खोलने हेतु प्रेरित किया जाता है।
    जसपुर वालों द्वारा कंडवाल वैद्य बसाने में निम्न प्रक्रियाएं अवश्य हुईं -
१- आवश्यकता पहचानना - जसपुर क्षेत्र में चिकित्सा सुविधा न होना
२- उद्देश्य निश्चित करना - जसपुर क्षेत्र में चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करना
३- संभावित निवेशक की पहचान - किमसार के कंडवाल
४- आंतरिक मीटिंगें
५- चिकत्सा सुविधा केंद्र हेतु स्थान चयन - ठंठोली
६- आंतरिक निवेश - ठंठोली में किसी भाई की जमीन मुहैया कराना
७- निवेशकों हेतु इंसेंटिव व लाभ दिखलाना - ठंठोली गाँव में बगैर सिरानी या बगैर खैकरी का कब्जा , मकान व्यवस्था , शादी , शिल्पकार व्यवस्था
८- जनसम्पर्क व मार्केटिंग - जसपुर वालों का किमसार में अपने सगे संबंधियों तक मंतव्य पंहुचाना , सगे संबंधियों से सहायता लेना
९- निवेशक सम्मेलन - जसपुर वालों का किमसार में कई बैठकें करना (यहाँ पर वेन्यू आपनी जगह नहीं दुसरे स्थल पर जैसे भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा विदेशों में CEO s  से मिलना ) व बाद में किमसार वालों का जसपुर आना व ठंठोली का आकलन
१० - रिकॉर्ड में  दाखिल खारिज प्रक्रिया पूरी करना आदि आदि


       *** लोक कथ्य - स्व श्री मोहन लाल कुकरेती व स्व श्रीमती क्वाँरा देवी उर्फ़ कूकरी देवी लखेड़ा कुकरेती के साथ वार्ता पर आधारित है अतः  यह उनका दृष्टिकोण था। 

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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #307 on: September 24, 2018, 06:27:28 AM »

 
स्वास्थ्य पर्यटन विकास  हेतु मधु आवश्यकता

मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु आपूर्ति रणनीति - 1
Supply Strategies for Wellness or Medical Tourism Development in Uttarakhand -1
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 167
Medical Tourism development  Strategies -167
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 270
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -270

आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती

शहद स्वास्थ्य पर्यटन विकास हेतु  एक आवश्यक उत्पादन है।
म्धुम्खियाँ फूलों के पराग एकत्रित करती हैं और अपने छत्ते के अंदर रख कर उसे सुखाते हैं जिससे पराग से पानी निकल जाय।  मधु में 20 प्रतिशत लगभग जल होता है बाकी मीठे तत्व फ्रुक्टोज होते हैं।  मधु का Ph  5-6 मध्य होता है जिससे मधु बैक्ट्रिया वाइरस प्रतिरोधक होता है।
शहद से लाभ
रक्त सफाई
लाल रक्त कण निर्माण में सहायक
रक्त में ऑक्सीजन वृद्धि
रक्तचाप में लाभकारी
स्फूर्तिदायक
कीमोथेरेपी में प्रभावकारी
योगाभ्यासियों हेतु लाभदायी
हृदय हेतु लाभकारी
सर्दी जुकाम में कामगार
एंटी बैक्ट्रियल व एंटी सेप्टिक गुण
उर्जादायक भोजन
चीनी का विकल्प
पाचन में सहायक
त्वचा की स्नक्र्मं निरोधक शक्ति वृद्धि कारक
बच्चों की नींद में लाभकारी

   मधुमक्खी पालन हेतु आवश्यक सामग्री

मौन पेटिका
मधु निष्कासन यंत्र
स्टैंड
छीलन छुर्री
खुरपी
रानी रोक पट
रानिरोक द्वार
नकाब
रानी कोष्ठ सुरक्षा प्रबंध
दस्ताने
धुवांकर
ब्रश
मधु मक्खी पालन हेतु देसी या इतालियन म्द्धू मखी को ही चुना जाता है और रिंगाळ- चिमुल्ठ/ततया को दूर रखा जाता है।
शीत ऋतू में शीत रक्षा का प्रबंध शरद ऋतू से ही आवश्यक है
वसंत ऋतू व ग्रीष्म ऋतू में मौन गृह प्रबंध आवश्यक हैं
वर्षा ऋतू में भी प्रबन्धन आवश्यक है
 यह लेख मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु लिखा गया है अतः  मधु मक्खी पालन हेतु विकास अधिकारी व विशेहगयों की राय अवश्य लें।



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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #308 on: September 25, 2018, 07:03:46 AM »


स्वास्थ्य पर्यटन विकास  हेतु कुक्कुट  पालन की  आवश्यकता

मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु आपूर्ति रणनीति - 2
Supply Strategies for Wellness or Medical Tourism Development in Uttarakhand -2
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 168
Medical Tourism development  Strategies -168
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 272
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -272

आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती
   आधुनिक काल में धार्मिक पर्यटन छोड़ , कोई भी पर्यटन उद्यम हो उसे विकसित करने हेतु  कुक्कुट व अंडे आपूर्ति आवश्यक है।
मेद्क्ल टूरिज्म विकसित करने हेतु तो कुक्कुट पालन अति आवश्यक है अन्यथा मुर्ग -मुर्गियों व अण्डों की आपूर्ति आयात से  की जाती है।
कुक्कुट व कुखु ड़ अण्डा भोजन से कई लाभ हैं

कुखुड़ /चिकन मांश भक्षण के लाभ

चिकन /कुखुड़  मांश से प्रोटीन मिलता है
चिकन /कुखुड़ मांश में कई विटमिंस, मिनरल  व इंजामस मिलते हैं
चिकिन /कुखुड़ मांश रक्त चाप कम करने में सहायता देता है
चिकिन /कुखुड़ मांस से फैट /वसा कम होता है
चिकिन /कुखुड़  रस्सा /सूप कमजोरी व शर्दी जुकाम में लाभकारी है

अंडों के लाभ

अंडे से प्रोटीन , कैल्सियम ओमेगा -3 फैटी ऐसिड मिलता है
 अण्डों से अमीनो ऐसिड मिलता है
अंडों में विटामिन ए नेत्र ज्योति हेतु लाभकारी है
हड्डी मजबूती हेतु अंडे लाभकारी हैं
गर्भवती महिलाओं हेतु लाभकारी

 पोल्ट्री फ़ार्म या कुक्कुट पालन

 कुक्कुट पालन - लघु स्तर, मध्यम स्तर व उच्च स्तर के होते हैं।  पोल्ट्री फ़ार्म हेतु नींम बातों का ध्यान आवश्यक है -
स्थान चुनाव - ऊँची जगह , शर से दूर , जल की पूरी आपूर्ति वाले स्थान में होना चाहिए  जंगली व घरेलू जानवरों से रक्षा का प्रबंध हो , परिहवन का प्रबंध हो
मुर्गी र्क्र्खाव के सभी प्रबंध होने चाहिए
मुर्गी स्वास्थ्य की सभी जानकारी हासिल कर ली जानी चाहिए
सरकारी अनुदान व लोन - कुक्कुट पालन हेतु सरकारी ऋण  व अनुदान हेतु सभी फोर्म्ल्टीज पूरी होनी चाहिए
कुक्कुट पालन किसी भी स्तर का हो लाभदायी व्यापार है और बजार व वितरण सुलभ है।

* यह आलेख मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु लिखा गया है  अतः  कुक्कुट पालन व्यवसाय खोलने से पहले विषेशज्ञों की राय अवश्य लें


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Re: Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (
« Reply #309 on: September 26, 2018, 05:56:47 AM »


मेडिकल टूरिज्म  विकास  हेतु बकरी  पालन की  आवश्यकता

Need for  Goat Farming for Medical Tourism Development

मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु आपूर्ति रणनीति - 3
Supply Strategies for Wellness or Medical Tourism Development in Uttarakhand -3
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 169
Medical Tourism development  Strategies -169
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 273
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -273

आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती


 टूरिज्म उद्यम में बकरी मांश आपूर्ति का बड़ा महत्व है।  मेडिकल टूरिज्म में भी बकरी मांश का बड़ा महत्व है और बकरी मांस आपूर्ति उतना ही महत्वपूर्ण है जितना फल व सब्जी। भारत में बकरी मांस की खपत 914   मैट्रिक टन  से अधिक है

बकरा मांश के लाभ

बकरा  मांश में लौह होने से बकरा मांस रक्त की कमी दूर करता है
बकरा मांस वजन घटाने उपयुक्त भोजन है
दिल हेतु लाभदायी
मस्तिष्ट हेतु लाभकारी भोजन
बकरा मांस मूड स्तर संतुलित करता है और तनाव दूर करने में सहायक
हड्डिया मजबूत होता है।
डाक्टर कुछ रोगों में बकरी दूध इस्तेमाल की सलाह देते हैं क्योंकि ंकरी दूध पाचन  शक्ति बढ़ाता है। बकरी दूध से बना पनीर महत्वपूर्ण निर्यात खाद्य है

बकी पालन के लाभ

कम लागत में बकरी पालन प्रारम्भ हो सकता है
बकरी पालन हेतु साधारण  रख रखाव की आवश्यकता पड़ती है
गाय व अन्य मवेशियों के बनिस्पत बकरी पालन सरल है
जंगलों में घास उपलब्ध होता ही है और बंजर स्थानों में भी पाली जा सकती हैं
बकरी की प्रजनन क्षमता अधिक होती है।  डेढ़ वर्ष में बच्चे देने लायक हो जाती है , वर्ष में दो बार बच्चे जन्ति है।  अतः उत्पादन शीलता अनुसार बकरी पालन लाभदायी है।
नकद मिलता है
खाद लाभदायी है
खाल का भी मूल्य मिलता है
बेचने की कोई बड़ी समस्या भारत में नहीं है
बकरियों में खुरपका , खुजली , गर्म तापमान  में आंत य अन्य बीमारी प्रमुख है सभी बीमारियां बरसात में होती हैं अतः सावधानी आवश्यक है


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