मेडिकल टूरिज्म हेतु अनाज , दलहन आपूर्ति की आवश्यकता
Need for Cereals , Pulses for Uttarakhand Medical Tourism Development
मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु आपूर्ति रणनीति - 8
Supply Strategies for Wellness or Medical Tourism Development in Uttarakhand -8
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन रणनीति - 174
Medical Tourism development Strategies -174
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 278
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -278
आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती
प्रत्येक टूरिज्म विकास हेतु अनाज , दलहनों की अति आवश्यकता होती है।
अच्छा हो कि स्थानीय स्तर पर अनाज व् दलहन की आपूर्ति हो। ब्रिटिश काल से पहले उत्तराखंड उत्पादित अनाज व दलहन पर्यटन में प्रयोग होते थे किन्तु जनसंख्या वृद्धि के कारण ब्रिटिश काल में गेंहू , चावल , दालें आयात होने लगीं और स्वतंत्रता पश्चात आयत में कमी कतई नहीं आयी। उत्तराखंड निर्माण पश्चात तो स्थिति भयावह हो गयी। भाभर, मैदानी भूभाग जो अनाज , दलहन , भाजी उगाता था उस भूभाग में रिहायशी मकान निर्मित हो गए व कृषि हेतु भूमि अब मिलती ही नहीं है। पूरा उत्तराखंड पर्यटकों ही नहीं अपितु स्वयं के उपभोग हेतु भी अनाज व दलहन आपूर्ति हेतु आयात पर निर्भर हो गया।
यदि अनाज , दलहन स्थानीय स्तर पर आपूर्ति न हो तो उद्यम उतना लाभकारी नहीं होगा व इसके कई खामियाजा भुगतने पड़ते हैं। जब स्थानीय पदार्थों की आपूर्ति न हो तो पर्यटन में उतने लाभ न होने से स्थानीय जनता भागीदारी नहीं निभाती है।
मेडिकल टूरिज्म हेतु सामन्य अनाज व दलहन आवश्यकता
गेंहू
धान
मकई
चना
उड़द
अरहर
मसूर
मूंग
राजमा
मटर
सिंगाड़ा
मेडिकल टूरिज्म हेतु मोटे अनाज की आवश्यकता
डाक्टर अब स्वस्थ रहने हेतु मोटे अनाज उपभोग की सलाह दे रहे हैं। अतः भविष्य में निम्न अनाजों की मांग वृद्धि अवश्यम्भावी है
ओगळ
रामदाना , चुहा , मारसु
कोदा , मंडुआ
झंगोरा , सवैया कौणी
जौ
बाजरा
जुंडळ , ज्वार
मकई
सूंट
रयांस /रगड़वांस
विभिन्न राजमा
गहथ /कुल्थी
भट्ट /पहाड़ी पारंरिक जाति का सोया दाल - पहाड़ी पारम्परिक जाति की मांग अधिक संभावना है
पहाड़ी अरहर /तुवर
सिंगाड़े की भी मांग अधिक बढ़ेगी
आदर्शात्मक दृष्टि से तो उपरोक्त मांगें पहाड़ों से ही पूरी हो सकती हैं किन्तु व्यवहारिक रूप से ग्रामीण जनसंख्याके पलायन से संभव नहीं दिखता है।
समाज को कोई तो विकल्प ढूंढना ही होगा। कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एक विकल्प है जिसके होते मोटे अनाज व दालों की आपूर्ति पहाड़ों से संभव हो सकता है
सम्पूर्ण क्षेत्र पर्यटन से लाभ तभी उठा सकता है जब 80 प्रतिशत स्थानीय आपूर्ति हो व 80 प्रतिशत मानव श्रम स्थानीय हो। विचारकों व समाज को तुरंत विकल्प खोजकर योजनाओं को क्रियावनित करना होगा कि स्थानीय स्तर पर आपूर्ति संभव हो सके। गोआ में स्थानीय आपूर्ति पूरी स्थानीय नहीं है किन्तु मंहगा मानव श्रम पूरा गोआ का ही है तो पर्यटन लाभकारी है।
Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018
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