Author Topic: Tourism Related News - पर्यटन से संबंधित समाचार  (Read 61567 times)

पंकज सिंह महर

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पिथौरागढ़। साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाओं वाला पिथौरागढ़ अभी भले ही देशी पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा हो, लेकिन विदेशी पर्यटकों की निगाह में अब यह जिला चढ़ने लगा है। रिवर राफ्टिंग के लिए इस वर्ष जिले में रिकार्ड विदेशियों के पहुंचने के बाद अब पैराग्लाइडिंग के लिए भी विदेशी यहां पहुंच रहे है। कनाडा से आयी विदेशी पर्यटकों की एक सोलह सदस्यीय टीम ने गुरुवार को जिला मुख्यालय के आस-पास की पहाड़ियों में पैराग्लाइडिंग की। चार्टड विमान से यहां पहुंचे इस दल ने एक अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनल के लिए पैराग्लाइडिंग पर डाक्यूमेण्ट्री भी बनायी।

उल्लेखनीय है कि सीमांत जिले में साहसिक खेलों की अपार संभावनायें पर्यटन विशेषज्ञ जता चुके है, हालांकि सरकारी स्तर पर इन संभावनाओं के उपयोग के लिए बडे़ प्रयास नहीं हुए है,लेकिन निजी स्तर पर इसके लिए कुछ लोग लम्बे समय से प्रयासरत है। ऐसे ही प्रयासों के तहत इस वर्ष सीमांत जिले में बड़ी संख्या में ब्रिटेन, नार्वे, फ्रांस, बेल्जियम सहित कई यूरोपीय देशों से रिवर राफ्टिंग के लिए पर्यटक यहां पहुंचे। इन लोगों ने भारत-नेपाल के बीच सीमा बनाने वाली काली नदी में कई चरणों में रिवर राफ्टिंग की।

रिवर राफ्टिंग के बाद अब पैराग्लाइडिंग के लिए भी विदेशी पर्यटक यहां पहुंच रहे है। गुरुवार को कनाडा से एक सोलह सदस्यीय दल यहां पहुंचा। युवा उद्यमी पवन जोशी, शंकर सिंह आदि के प्रयासों से पिथौरागढ़ आये इस दल ने मुख्यालय के नजदीकी सौरलेख की पहाड़ियों में पैराग्लाइडिंग की। दल में कई महिलायें भी शामिल थीं। इस दल ने पैराग्लाइडिंग पर एक वृत्त चित्र भी तैयार किया। जिसका प्रसारण ट्रेवल एण्ड लिविंग अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनल पर होगा। यह दल अपराह्न दिल्ली के लिए रवाना हो गया।

हलिया

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27 साल में पिघल जाएगा गंगोत्री ग्लेशियर!  
 
 
देहरादून (एसएनबी)। आज ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व की समस्या है। विश्व के ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग में तेजी से पिघल रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि धरती का तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो तीसरा विश्व युद्ध पानी को लेकर छिड़ सकता है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान से गंगोत्री ग्लेशियर भी अछूता नहीं है और इस ग्लेशियर की सेहत में सुधार के लिए एक दर्जन से ज्यादा एजेंसियां व वैज्ञानिक तरह-तरह के उपायों में जुटे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से गोमुख ग्लेशियर ही नही बल्कि मध्य हिमालय के हिमखंडों पर भी खतरा मंडरा रहा है। जेएनयू के भूगर्भशास्त्री मिलाप चंद्र शर्मा के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग से गंगा नदी के उद्गम गोमुख ग्लेशियर प्रति वर्ष 19 मीटर पीछे खिसक रहा है। ताजा आंकड़े के अनुसार वर्ष 1990 से 2007 तक गोमुख ग्लेशियर 22.80 हेक्टेयर तक पीछे खिसका है। समुद्र तल से 12,770 फीट ऊंचाई पर स्थित गोमुख ग्लेशियर कुछ वर्षो पूर्व तक 32 किमी लंबा व 4 किमी चौड़ा था, लेकिन अब पिघलकर इसकी लंबाई 27 किमी व चौड़ाई 2.50 किमी तक घट चुकी है। यदि पृथ्वी का तापमान इसी तरह बढ़ता रहा और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नहीं रोका गया तो गंगा का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा और गंगा भी इतिहास के पन्नों में उसी तरह सिमट जाएगी जैसे सरस्वती नदी। धरती के तापमान में निरंतर होती वृद्धि से गंगा बेसिन क्षेत्र में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इस कारण गंगा बेसिन के क्षेत्र उत्तराखंड सहित उत्तर प्रदेश व बिहार का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। इंटरनेशनल कमीशन फार स्नो एण्ड आइस के अध्यक्ष समूह ने हिमालय स्थित ग्लेशियरों का बारीकी से निरीक्षण किया। निरीक्षण में जो बातें सामने आई वह ग्लेशियरों के भविष्य को लेकर कई सवाल खडे़ कर गई। अध्यनकर्ताओं के अनुसार जिस गति से प्रदूषण व ग्लोबल वार्मिंग बढ रही है, इस वजह से आने वाले 50 वर्षो में मध्य हिमालय क्षेत्र में पड़ने वाले लगभग 15 हिमखंड पूरी तरह पिघल जाएंगे। इस अध्यन से मिली जानकारियों के अनुसार वर्ष 1935 से 1956 तक गोमुख ग्लेशियर 5.25 हैक्टेयर, 1962 से 1971 तक 12 हैक्टेयर तथा 1977 से 1990 तक 19.60 हैक्टेयर तक पिघल चुका है। मोटे आंकड़े पर गौर करें तो 1962 से अब तक गंगोत्री ग्लेशियर 1.50 किमी तक पिघलकर समाप्त हुआ है। भूगर्भीय सर्वे आफ इंडिया, रिमोट सेंसिंग अप्लिकेशन सेंटर तथा जवाहर लाल नेहरू विश्वविघालय आदि संस्थान भी गंगोत्री ग्लेशियर की सेहत का जायजा लेते रहते हैं। संस्थानों के विशेषज्ञों की मानें तो ग्लोबल वार्मिंग से पिछले 40 वर्षो में ग्लेशियर 28-30 मीटर तक पीछे खिसका है। भारी आशंकाओं को व्यक्त करते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यही स्थिति रही तो वर्ष 2035 तक गंगोत्री ग्लेशियर पिघलकर समाप्त हो जाएगा। बढती ग्लोबल वार्मिंग व घटते ग्लेशियर भविष्य के लिए चेतावनी हैं।
 

पंकज सिंह महर

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दैवीय प्रतिरूप मानी जातीं बधाणीताल की मछलियां 

रुद्रप्रयाग। जखोली ब्लाक के अंतर्गत नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर बधाणीताल धार्मिक महत्ता को भी समेटे हुए है। यह ताल भगवान विष्णु नारायण के पवित्र सरोवर के नाम से भी प्रसिद्ध है।

प्रकृति ने जनपद रुद्रप्रयाग के पर्यटन स्थलों को खासा सौंदर्य प्रदान किया है। दर्पण के समान चमकते मनोहारी तालों का धार्मिक महत्व भी है। बधाणीताल की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है, साथ ही यह ताल धार्मिक परंपराओं को भी समेटे हुए है। एक ओर पंद्रह किमी तक पंवाली बुग्याल व दूसरी ओर बारह किमी तक माटिया बुग्याल के बीच स्थित प्रकृति का यह अनमोल खजाना आज पर्यटकों की नजरों से ओझल है। जखोली ब्लाक के धारकुड़ी तक मोटरमार्ग व चार किमी की पैदल यात्रा करके बधाणीताल पहुंचा जा सकता है। सदियों से चली आ रही मान्यता के अनुसार ग्रामीण इस ताल की मछलियों को दैवीय प्रतिरूप मानते है। कहा जाता है कि इन मछलियों का शिकार करने से दैवीय प्रकोप टूट पड़ता है। इसी भय के कारण मछलियां आज भी सुरक्षित है। इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द सुरम्य पहाड़ियों पर हरी-भरी मखमली बुग्याल, रंग बिरंगी वन्य प्रजातियों के पुष्प, पक्षियों का कलरव सैलानियों को खूब भाता है। प्रकृति के अनमोल खजानों को पर्यटन योजना से जोड़ने की कोई पहल होती नहीं दिखाई दे रही है। इन स्थलों पर जरूरी सुविधाओं की भी कमी है, जिससे यहां पर्यटक कम ही पहुंच पाते है। आगामी बैशाखी पर यहां मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी आजकल व्यापक तैयारियां चल रही है। भाजपा के जखोली मंडल अध्यक्ष महावीर सिंह पंवार का कहना है कि पर्यटन विभाग बधाणीताल को विकसित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। बताया कि ताल के सौंदर्यीकरण के लिए पूर्व में वह पर्यटन मंत्री से मुलाकात कर चुके हैं। शीघ्र ही इस दिशा में शासन स्तर से पहल होने की संभावना है।

पंकज सिंह महर

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पर्यटकों की समस्याओं के निराकरण को पर्यटक पुलिस की तैनाती होगी

नैनीताल। पर्यटन प्रदेश की परिकल्पना के अनुरुप अब गढ़वाल व कुमाऊं में पर्यटन पुलिस प्रमुख पर्यटक स्थलों में तैनात होगी। जिसमें सरोवर नगरी नैनीताल के लिए 25 पुरुष व 5 महिला पुलिस कर्मियों की 16 अप्रैल से एकेडेमिक स्टाफ कालेज कुविवि में प्रशिक्षण शुरु हो रहा है। साथ ही पर्यटकों को नगर के प्रमुख पर्यटक स्थलों व इतिहास से परिचित कराने को नि:शुल्क पुस्तिका भी वितरित की जाएगी।

विदित हो कि प्रदेश में राज्य गठन के बाद जहां निरंतर पर्यटकों की आमद में वृद्धि हुई है। वहीं, पर्यटकों की सुविधाओं के लिए अनेक योजनाएं संचालित की गयी है। इसमें विश्व प्रसिद्ध नैनीताल शहर में पर्यटकों की सुविधाओं व समस्याओं को लेकर कुछ समय पहले सर्वे किया गया था। जिसमें पर्यटकों की समस्याओं पर टैक्सी, गाइड आदि को लेकर समस्याएं सामने आयी थी। एसएसपी जीएस मर्तोलिया ने बताया कि प्रदेश में पर्यटन पुलिस की परिकल्पना के अनुरुप एकेडेकि स्टाफ कालेज में 16 से 24 अप्रैल तक 25 पुरुष व 5 महिला आरक्षियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसमें कर्मियों को नैनीताल व कुमाऊं के इतिहास व प्रमुख पर्यटक स्थलों की जानकारी समेत पर्यटकों के साथ अच्छे व्यवहार व पर्यटकों के गाइड व होटल आदि में समस्याओं से बचाव को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। कर्मियों को काठगोदाम से लेकर सरोवर नगरी में तल्लीताल, मल्लीताल, बारापत्थर में तैनात किया जाएगा।

श्री मर्तोलिया ने बताया कि इसके अलावा पर्यटकों को नगर के प्रमुख पर्यटक स्थलों से परिचित कराने व अन्य जानकारी के लिए एक नि:शुल्क पुस्तिका का वितरण किया जाएगा। जिसमें नैनीताल से अन्य प्रमुख स्थानों की दूरी, पुलिस, अस्पताल, होटल, रेलवे बुकिंग, पेट्रौल पंप समेत विभिन्न प्रमुख स्थानों के दूरभाष नंबर समेत अन्य जानकारी उपलब्ध होगी। बताया कि गाइडों के पर्यटकों के साथ व्यवहार सही न करने की शिकायतों को लेकर कहा कि गाइड का रजिस्ट्रेशन व कार्ड बने इसके लिए कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए केएमवीएन व एलडीए से भी सहयोग मांगा गया है।

बहरहाल, सरोवर नगरी में पर्यटन पुलिस की अतिशीघ्र तैनाती होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावना बढ़ गयी है।

पंकज सिंह महर

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लगातार तीन दिन अवकाश से सरोवर नगरी नैनीताल में पर्यटक उमड़े

नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल में तीन दिन का लगातार अवकाश पर्यटकों की भारी भीड़ खींच लाया है। जिससे सरोवर नगरी के पर्यटन स्थलों में बहार आ गई है। पर्यटन व्यवसायियों की बांछे खिल आई है।

माह के दूसरे शनिवार, रविवार व डा. अम्बेडकर जयंती तीन दिन के लगातार अवकाश के चलते विभिन्न शहरों के पर्यटक छुट्टी मनाने के लिए यहां पहुंचे हुए है। जिस कारण नगर के प्रमुख पर्यटन स्थल क्रमश: स्नोव्यू, केव गार्डन, लवर्स प्वाइंट, चिड़ियाघर, हनुमानगढ़ी मंदिर, हिम दर्शन, किलबरी व राजभवन क्षेत्र में पूरे दिन सैलानियों की आवाजाही बनी रहने से रौनक रही। माल रोड पर सैर सपाटा करने वालों की खासी तादात नजर आई, जबकि नैनी झील में नौका विहार का लुत्फ उठाने वाले सैलानियों की भीड़ पूरे दिन लगी रही। काफी संख्या में पर्यटकों के उमड़ पड़ने से गिफ्ट सेंटरों में खरीददारी करने वाले सैलानियों की भीड़ नजर आई। पर्यटकों के खासी तादात में पहुंच जाने से पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों में काफी खुशी है। उम्मीद है कि सोमवार को भी पर्यटकों का पहुंचना जारी रहेगा। साथ ही नए पर्यटन सीजन में और अधिक पर्यटकों के उमड़ने की संभावना बनी हुई है।

पंकज सिंह महर

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टिहरी बांध की झील में यदि वाटर स्पो‌र्ट्स और नौकायन शुरू हो गई, तो बांध राज्य सरकार के लिए कामधेनु साबित होगा। यह बिजली से तो आय देगा ही साथ ही करोड़ों रूपये पर्यटन से प्राप्त होंगे। पर्यटन का यह स्वर्ग स्थानीय लोगों के लिये वरदान साबित हो सकता है।

राज्य सरकार ने बयालीस वर्ग किलोमीटर विशालकाय टिहरी बांध परियोजना की बहुआयामी झील के चारों ओर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन महायोजना का प्रारूप तैयार किया है, महायोजना में विभिन्न प्रकार के वाटर स्पो‌र्ट्स, नौकायन के साथ-साथ झील के चारों ओर पर्यटक स्थल बनाने के लिए स्थलों का चयन किया है, ताकि अधिक पर्यटक आकर झील का लुत्फ उठा सके। वाटर स्पो‌र्ट्स के विशेषज्ञ अनिल कुमार शर्मा का कहना है कि पर्यटन महायोजना स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप बननी चाहिए, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। उन्होंने बताया कि झील में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों की सुविधाएं होनी चाहिये, इससे स्थानीय प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। जिला पर्यटन अधिकारी किशन रावत का कहना है कि वाटर स्पो‌र्ट्स इंस्टीट्यूट के लिए आठ करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है इसके लिए 6 हेक्टेयर जमीन झील के पास ढूंढ ली गई है, जबकि सिंराई में रिसोर्ट के लिए दो हेक्टेयर जमीन, उप्पू-गढ़ के ऐतिहासिक महल क्षेत्र को विकसित करने को 51 लाख, 8 हजार रूपये सिंचाई विभाग को मिल चुके है। श्री रावत ने बताया कि झील के आस-पास के क्षेत्र को विकसित करने के लिये पर्यटन महायोजना पर तेजी से कार्य हो रहा है। राज्य सरकार टिहरी बांध की झील व उसके आस-पास के क्षेत्र को विकसित करने के लिए पर्यटन महायोजना का जो प्रारूप तैयार किया जा रहा है, यदि वह धरातल पर साकार हुई तो इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों के साथ देश का सबसे बड़ा पर्यटक स्थल भी बनेगा। जिससे स्थानीय प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के भी अवसर मिलेंगे। गढ़वाल मंडल विकास निगम नई टिहरी अतिथिगृह के मैनेजर बीएम बहुगुणा का कहना है कि टिहरी बांध का जलाशय बनने के बाद पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है और पिछले तीन वर्षो में इसमें लगातार वृद्धि जारी है। इस बार यात्रा सीजन में चारधाम यात्रा आने वाले यात्रियों में झील को देखने वाले पर्यटकों की भी खासी संख्या बढ़ेगी

पंकज सिंह महर

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पिथौरागढ़। कैलाश मानसरोवर यात्रा में इस बार कई महत्वपूर्ण बदलाव किये गये है। जून में शुरू होने वाली यात्रा इस वर्ष मई में ही शुरू हो जायेगी साथ ही यात्रा रूट भी बदला गया है। इस वर्ष यात्रा पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से होकर गुजरेगी। चीन क्षेत्र में मिलने वाली घटिया स्वास्थ्य सेवाओं को देखते हुए इस वर्ष चीनी क्षेत्र भारतीय स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती पर विचार किया जा रहा है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारियों को लेकर मंगलवार को पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी डी.सैंथिल पांडियन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यात्रा आयोजक संस्था कुमाऊं मण्डल विकास निगम के प्रबंध निदेशक अमित नेगी ने बताया कि इस वर्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा 29 मई से शुरू होगी। यात्रा में 16 बैच जायेंगे, जिसमें 40 से लेकर 60 तक यात्री होंगे। इस वर्ष यात्रा पथ में बदलाव किया गया है। अभी तक यात्रा बेरीनाग होते हुए बेस कैम्प धारचूला जाती थी,लेकिन इस वर्ष यात्रियों को जागेश्वर में रात्रि विश्राम कराने के बाद पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से होकर बेस कैम्प धारचूला ले जाया जायेगा। उन्होंने बताया कि यात्रा पथ में पड़ने वाले पैदल पड़ावों की व्यवस्था बेहतर करने के लिए निगम की एक टीम पैदल पड़ावों के लिए भेज दी गयी है।

पैदल पड़ावों पर संचार व्यवस्था की जानकारी देते हुए आईटीबीपी के अधिकारियों ने बताया कि गुंजी से अंतिम सीमा लीपूपास तक संचार की व्यवस्था आईटीबीपी करेगी। गाला, बूंदी, गुंजी में भारत संचार निगम लिमिटेड सैटेलाइट फोन की व्यवस्था करेगा। इस क्षेत्र के सभी थानों, चौकियों और बेस कैम्प में भी संचार की व्यवस्था रहेगी। यात्रा दलों के साथ चलने वाले सुरक्षा कर्मियों के पास वायरलेस सेट रहेंगे।

यात्रा पथ पर खाद्यान्न की कोई समस्या न हो इसके लिए सभी खाद्यान्न गोदामों में पर्याप्त खाद्यान्न रखे जाने के निर्देश जिलाधिकारी ने जिला पूर्ति अधिकारी को दिये। हर यात्रा दल के साथ एक चिकित्सक और एक फार्मेसिस्ट की तैनाती सुनिश्चित करने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया गया। बैठक में चीन में घटिया चिकित्सा सुविधा मिलने की कैलाश यात्रियों की शिकायत को देखते हुए चीनी क्षेत्र तकलाकोट में भारतीय चिकित्सा कर्मियों की तैनाती पर भी विचार किया गया। बैठक में इसका प्रस्ताव भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया।

यात्रा कुलियों की मजदूरी तय करने को लेकर हुई चर्चा के बाद जिलाधिकारी ने शीघ्र ही मजदूरी निर्धारण कर लेने के निर्देश धारचूला के उपजिलाधिकारी को दिये। यात्रा के दौरान मार्ग बंद होने की समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में डोजर तैनात करने के निर्देश सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों को दिये। यात्रा तैयारियों को लेकर दस मई को धारचूला के उपजिलाधिकारी और बीस मई को जिलाधिकारी द्वारा पैदल पड़ावों का निरीक्षण करने का निर्णय भी बैठक में लिया गया। बैठक में भारत चीन व्यापार को लेकर भी चर्चा की गयी।

हेम पन्त

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Uttarakhand to promote tourism through familiarisation tours
« Reply #27 on: April 18, 2008, 03:21:50 PM »
DEHRA DUN: Uttarakhand government has roped in private tour operators to promote famous as well as lesser-known tourist destinations of the hill state through 'familiarisation tours' starting on Friday.

Uttarakhand Tourism Development Board (UTDB) has planned six 'familiarisation (FAM) tours' to various areas of Garhwal and Kumaon regions. Around 50 tour operators from across the country would be on a four-day visit to these regions from Apr 18 to 22, tourism secretary Rakesh Sharma said on Thursday.

Spots such as venue for SAF Winter Games 2009, tribal villages and Niti Valley which has recently been opened for foreign tourists has been selected as tourist destinations for these tours.

"We want to convey that Uttarakhand is an all-season multi-interest tourism state besides being a place for pilgrimage, trekking and rafting," Sharma said.

After the completion of FAM tours, the government expects the tour operators not only to bring more tourists to the state, but also give their feedback for an effective tourism promotion strategy.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कौसानी में पर्यटकों की चहल-पहल बढ़ीApr 20, 02:52 am

कौसानी (बागेश्वर)। गर्मी का सीजन आते ही कौसानी में पर्यटकों की चहल पहल बढ़ने लगी है। लोक निर्माण विभाग द्वारा कौसानी के प्रमुख पर्यटक स्थलों को जाने वाली सड़कों की हालत न सुधारने से पर्यटकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार तीन अवकाश होने के कारण राज्य के मैदानी क्षेत्र के दर्जनों पर्यटकों ने कौसानी की ओर रूख किया है देर सायं तक पर्यटक कौसानी में घूम रहे है कई पर्यटक दिन में बैजनाथ मंदिर तक जाकर पर्यटन सौंदर्य का आनंद ले रहे है। कौसानी में अनाशक्ति आश्रम को जाने वाले मार्ग की मरम्मत न होने के कारण इस मार्ग में पैदल चलना दूभर हो रहा है मार्ग में कंक्रीट बिछाने के कारण इस मार्ग में कई दोपहिया वाहन चालक अब तक चोटिल हो चुके है। स्थानीय नागरिकों ने लोनिवि से मोटर मार्ग की मरम्मत कराने की मांग की है।

पंकज सिंह महर

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फूलों की घाटी को मिला संवारने का गुरु मंत्रApr 22, 02:33 am

देहरादून। सात साल पहले दो वन अधिकारियों ने उच्च हिमालय पर स्थित राष्ट्रीय उद्यान 'फूलों की घाटी' को संवारने के लिए पहाड़ के बाशिंदों को बिना किसी सरकारी वित्तीय सहायता के प्रबंध का नया गुरु मंत्र दिया था। स्थानीय लोगों के साथ मिलकर किए गए प्रयास का यह प्रतिफल निकला कि फूलों की घाटी में इको पर्यटन के नए युग का सूत्रपात हुआ और घाटी के प्रति पर्यटकों का आकर्षण बढ़ा। उन्हीं दोनों प्रबंध गुरुओं को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) के पूर्व अवसर पर सम्मानित कर वन सेवा और उत्तराखंड का मान बढ़ाया।

देश के सीमांत चमोली जिले में 87.5 वर्ग किलोमीटर में स्थित फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1982 में हुई थी, जहां आज भी पृथ्वी पर करोड़ों साल पहले पैदा हुईं वनस्पति की सैकड़ों प्रजातियां सुरक्षित हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अद्भुत जैव विविधता वाली फूलों की घाटी को विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल करने के लिए कवायद शुरू हुई और पांच वर्ष बाद नवम्बर 2005 में ताजमहल की तरह ही फूलों की घाटी भी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल हुई। सात साल पहले कुदरत के सबसे खूबसूरत नजारे वाली फूलों की घाटी के रास्ते की हालत यह थी कि वहां सैकड़ों टन कूड़े का अंबार जमा था। उसी राह से होकर सिखों के धार्मिक स्थल 'हेमकुंड साहिब' जाने वाले पर्यटकों की संख्या 6 से 7 लाख होती थी, पर फूलों की घाटी जाने वालों की संख्या एक हजार से भी कम। तब ज्योत्सना सितलिंग नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व की निदेशक व एके बनर्जी उप निदेशक थे। दोनों की पहल से पहाड़ की जड़ता टूटी और फूलों की घाटी की सैर करने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने के आधुनिक प्रबंध गुर से लैस इको टूरिज्म का अभियान शुरु हुआ।

 

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