पर्वतीय कृषिवानिकी
पर्वतीय क्षेत्र से तात्पर्य एक ऐसे क्षेत्र से है जो कि प्राकृतिक संसाधनो से भरपूर एक निश्चित ऊंचाई तक स्थित है। भारतीय संदर्भ में - ऐसा क्षेत्र जिसमें मौसमी विविधता तथा भौगोलिक विविधता तथा उस क्षेत्र की स्थिति पर्वतीय क्षेत्र के कहलाता है। ऐसे क्षेत्र में स्थान-स्थान पर भूमि के ढाल तथा मृदा में विभिन्नता पायी जाती है।
देश के विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में कृषिवानिकी पद्धति के अन्तर्गत लगाये जाने वाली वृक्ष प्रजातियॉ निम्नलिखित हैं-
1.पश्चिमी हिमालय क्षेत्र ग्रीविया, केल्टस, अल्वीजिया, बांझ, कचनार, अलनस, रूबीनिया, देवदार, एलिएन्थिस।
2.पूर्वी हिमालय क्षेत्ग्रीविया, एलनस, कचना, अर्जुन, बहेड़ा आर्टोकार्पस, पीपल, बरगद, यूकेलिप्टस, सुबबूल, विलायती बबूल, कदम्ब, पलास, ढेंचा।
3.दक्षिणी हिमालय क्षेत्र
बबूल, इरिधिना, यूजीनिया, एलिएनसि, सेमल।
* सिंचित भूमि में मिश्रित कृषि के रूप में चारा, ईधन, लकड़ी तथा वनोंपज प्राप्त करने के साथ-साथ सब्जियों की
अन्तःकृषि तथा असिंचित भूमि में मडुवा एवं गेहूँ की खेती की जाती है।
* धान-गेहूँ के साथ मेड़ों पर पूला एवं शहतूत की खेती।
* भीमल तथा टरमिनेलिया के साथ धान-गेहूँ अथवा मक्का-गेहूँ की खेती की जाती है।