भाजपा ने की उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी डूबती नैया को बचाने के लिए भाजपा आलाकमान एक बार फिर भुवन चंद्र खंडूड़ी को नेतृत्व सौंप सकता है।
राज्य में हाल में हुए पार्टी के अंदरूनी सर्वे में स्थिति और ज्यादा बिगड़ने के संकेत मिलने के बाद आलाकमान ने मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को हटाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। मामले की कमान पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने खुद संभाल ली है।
भाजपा के केंद्रीय संसदीय बोर्ड की गुरुवार शाम हुई आपात बैठक के दौरान उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अलग-अलग मत रहे। कुछ नेताओं का कहना था कि चुनाव को इतना कम समय रहने पर नेतृत्व परिवर्तन करने से ज्यादा लाभ नहीं होगा।
राज्य में निशंक सरकार के खिलाफ बढ़ रही शिकायतें व जनता में गिर रही साख पर भी चर्चा हुई। दरअसल विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी के अंदरूनी सर्वे ने आलाकमान की नींद उड़ा दी है।
सूत्रों के अनुसार इसमें पार्टी के खाते में मात्र सात सीटें दिखाई गई हैं। इसमें मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की सीट भी खतरे में थी। लगभग छह माह पहले भी पार्टी ने एक अंदरूनी सर्वे कराया था, जिसमें पार्टी के लिए नौ सीटों की संभावना जताई गई थी। इसके बाद ही प्रदेश के तीनों बड़े नेताओं में एकता की कोशिश की गई थी। उस समय भी पार्टी का एक वर्ग निशंक को हटाए जाने के पक्ष में था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने निशंक को ही बरकरार रखने का फैसला करते हुए तीनों नेताओं ने नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया था। तब से हालात काफी बदल गए हैं।
गडकरी की काफी कोशिशों के बाद भी निशंक सरकार के कामकाज में सुधार नहीं हो सका। उलटे जनता की भावनाओं को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी के विरोध ने भी परेशानियां बढ़ाई। पार्टी के अंदरूनी समीकरणों में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी व खंडूड़ी के एक साथ आने से भी हालात बदले।
सूत्रों के अनुसार राज्य में नेतृत्व परिवर्तन में निशंक को भी विश्वास में लिया जाएगा। गडकरी एक-दो दिन में निशंक से सारी बात करने के बाद ही फैसले को अंतिम रूप देंगे। पार्टी राज्य में सरकार के साथ संगठन में बदलाव का विचार कर रही है
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