FEEDBACK OF "SRUJAN SE".......
"सॄजन से" पत्रिका साहित्य के चितेरे पाठको के लिए एक अमूल्य भेंट है. साहित्यिक पत्रिकाओ के अपने चुनिदा पाठक होते रहे हैं परंतु "सॄजन से" एक आम पाठक के भीतर भी साहित्यिक अभिरुचि ज़गाने में सक्षम है. पत्रिका में छपे सभी लेख और कविताये स्तरीय हैं.
नईमा उप्रेती के साक्षात्कार से स्वर्गीय मोहन उप्रेती के जीवन के अनछुए पहलुओ की जानकारी मिलती है. यही बात इलाचंद्र जोशी के जनकवि निराला पर लिखे लेख तथा किरण पांडे के लिखे महा कवि सुमितरनांदन पंत के जीवंन वृतात के बारे में भी कही जा सकती है.
डा. वी. के . जोशी द्वारा लिखित "चामडुंगरा की व्यथा " उत्तराखंड में विकास के दावो की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है. लोकसंगीत और ढोल (रमेश चंद्र जोशी),कुमाउंनी काषठ कला में अवतरिरत देवी देवता (यशो धऱ मठपाळ) और अन्य सभी लेख बहुत पसंद आए. डा. शेर सिह बिष्ट की लिखी कहानी "मां" बहुत मार्मिक लगी.
मै पत्रिका को उसके सर्वोत्तम रूप में प्रस्तुत करने क लिए संपादक महोदया और अन्य सभी साथियो को बधाई देता हू. यह पत्रिका साहित्य प्रेमियो की हॄदय सम्राट बनी रहे ,ऐसी मै कामना करता हू.
BY- Sh. GUNJAN NAITHANI
There are lots of more feebback from different-different locations which will get it soon in next publication.....
THANKS TO ALL FOR YOUR SUPPORT & VALUABLE FEEDBACK...