औषधीय महत्व भी है तिमला का Nov 28, 06:02 pm (Jagran News)Twitter Delicious Facebook डीके जोशी, अल्मोड़ा
धरती में नाना प्रकार के पेड़, पौधे, फल, फूल व वनस्पतियां हैं। सभी का अपना-अपना महत्व है। इसमें से ऐसा ही एक पेड़ है तिमला। इसका जहां औषधीय महत्व है, वहीं इसका चारा पशुओं के लिए उत्तम माना जाता है।
तिमला का पौध 1600 मीटर ऊंचाई वाली जगहों पर उगता है। इसके पत्तों को दुधारु पशुओं के लिए उत्तम चारा बताया गया है। इसके पत्ते 15 इंच तक लंबे तथा 4 से 12 इंच तक चौड़े होते हैं। एसएसजे परिसर अल्मोड़ा के वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो.पीसी पांडे ने बताया कि इसका वानस्पतिक नाम फाइकस राक्स बरघाइ (औरीकूलेटा) है। यह मौरेसी कुल का पौधा है। इसे भिन्न-भिन्न जगहों पर तिमली, तिमल, तिमिल आदि नामों से भी जाना जाता है।
भारत वर्ष में इसके पेड़ बिहार, उड़ीसा, मणिपुर व उत्तराखण्ड में पाए जाते हैं। तिमिल का औषधीय महत्व भी है। पेचिस में इसकी सब्जी काफी लाभकारी होती है। तिमिल के पौध को घर के नजदीक लगाना शुभ माना जाता है। इसकी पत्तियां शुद्ध मानी जाती हैं। यही कारण है कि इन्हें 16 संस्कारों में किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है। वनस्पति वैज्ञानिक डॉ.वीके साह के अनुसार तिमला के फल में 84 प्रतिशत गूदा व 16 प्रतिशत छिल्का होता है। इसके फलों का मुरब्बा जैम व जैली भी बनाई जा सकती है। अन्य फलों की अपेक्षा इसमें अधिक कैल्सियम, विटामिन ए व सी पाया जाता है।