रवांई घाटी में विदेशी फलों की महक
===========================
देशी फलों और सब्जियों के लिए मशहूर रवांई घाटी में अब विदेशी फल और सब्जियां भी पैदा हो रही हैं। मौजूदा समय करीब दस हेक्टेयर भूमि पर न्यूजीलैंड का कीवी, अमेरिकन ब्रोकली व रेड कैबीज का उत्पादन किया जा रहा है, जबकि यूरोपियन फल नैक्ट्रिन के पेड़ों ने भी यहां अपनी जड़ें जमानी शुरू कर दी हैं। जागरुक काश्तकार अपने बूते कीवी और ब्रोकली का उत्पादन करने लगे हैं। अगर सरकार की ओर से इन्हें प्रोत्साहन मिलता रहा, तो क्षेत्र में नकदी फसलों की फेहरिस्त और भी लंबी हो जाएगी।
अपनी खास आबो हवा और किसानों की मेहनत से नकदी फसलों के उत्पादन में रवांई घाटी ने मिसाल कायम की है। यहां पर करीब दस हेक्टेयर भूमि पर न्यूजीलैंड का कीवी फल और अमेरिकन ब्रोकली व रेड कैबीज सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है, जबकि यूरोपियन फल नैक्ट्रिन भी यहां के खेतों की शान बन रहा है। इन फलों की खेती को यहां करने की शुरुआत करीब छह साल पहले कीवी से ही हुई थी, जबकि नौगांव के महावीर सिंह, युद्धवीर सिंह, धारी के विजयपाल सिंह आदि जागरुक किसानों ने अपने बगीचों में इसका बीजारोपण किया। इन फलों के लिये बहुत कम या बहुत ज्यादा तापमान की जरूरत नहीं होती। पहले इन फलों के लिये बाजार दिल्ली व देहरादून ही थे। लिहाजा किसानों ने 13 रुपए किलो के भाव से इन्हें बेचना शुरू किया। आज इनका मंडी भाव सौ रुपए किलो तक पहुंच गया है। अगर किसानों को बाजार आसानी से उपलब्ध हो जाए तो क्षेत्र में विदेशी फल और सब्जियों की खेती व्यापक पैमाने पर हो सकती है। इस संबंध में जिला उद्यान अधिकारी श्रीराज पंचोला बताते हैं कि वर्ष 2005-06 में रवांई घाटी के किसानों को विभाग की ओर से विदेशी फल सब्जियों के लिये विशेष प्रोत्साहन दिया गया था। इसके चलते किसानों ने इनका सफलतापूर्वक उत्पादन किया। गंगा घाटी के किसानों को भी इस दिशा में जागरुक होना पड़ेगा।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7622258.html