कैंसर की रामबाण औषधि है थुनेर
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल उत्तराखंड के मध्य हिमालयी क्षेत्र के सदाबहार वनों में पाया जाने वाला थुनेर वृक्ष कल्प वृक्ष के रूप में उभर रहा है। इस वृक्ष से प्राप्त टाक्सौल रसायन की कीमत अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में साढ़े सात करोड़ रुपया प्रति किलो है। टाक्सौल कैंसर रोग के लिए रामबाण दवा साबित हुई है। अमेरिका में इसकी सर्वाधिक मांग है। वन विभाग व दवा कम्पनियों ने कई स्थानों में नर्सरी तैयार की है। मध्य हिमालय के 1800 मीटर से 3000 मीटर तक सदाबहार वनों में सीमित संख्या में पाये जाने वाले थुनेर का वानस्पतिक नाम टैक्सस बकाटा है। कुमाऊं में यह नैनीताल के किलबरी, पहाड़पानी, अल्मोड़ा के जागेश्वर, कपकोट, पिथौरागढ़ व चम्पावत के सदाबहार वनों में यह वृक्ष पाया जाता है। थुनेर में एंटी कैंसर रसायन पाया जाता है। इसके पत्तों व छाल से निकाले गये टाक्सौन की कीमत वर्तमान में 7.50 करोड़ रुपया प्रति किलो है। भारत में इसका उपयोग कई कैंसर औषधि बनाने वाली दवा कम्पनियों कर रही है। डाबर कम्पनी ने जागेश्वर में इसके वन भी विकसित कर लिए हैं। प्रभागीय वनाधिकारी डा. पराग मधुकर धकाते के अनुसार वन विभाग इसकी कई स्थानों में नर्सरी तैयार कर रहा है। थुनेर उत्पादन उत्तराखंड का प्रमुख आर्थिक स्रोत बन सकता है।
श्रोत : दैनिक जागरण