यहां श्रीराम के लौटने के एक माह बाद मनाते हैं दिवाली
अलग संस्कृति के लिए पहचाना जाने वाले उत्तराखंड का जौनसार-बावर क्षेत्र शनिवार को छोटी दिवाली (नांदरीदिआवी) के रंग में रंगा नजर आया।
देर रात तक लोग होलाडे़ (सूखी लकड़ी की मशाल) लेकर पंचायती आंगन में नाचते-गाते रहे। इससे पहले सुबह मंदिरों में देवता के दर्शन के लिए लोगों की लाइन लगी रही।
जौनसार के समाल्टा, कनबुआ, पानुवा, अलसी, सकनी, बिजऊ, कोटी, भुगतार, समाया, बडनू, उत्पाल्टा, उपरोली, कोरुवा, भंजरा, सुरेऊ, चंदेऊ, थंणता, क्यावा समेत दर्जनों गांवों में शनिवार को छोटी दिवाली का पर्व मनाया गया।
सुबह के समय ग्रामीण पंचायती आंगन में एकत्र हुए। यहां से महिलाएं, पुरुष, बच्चे ढोल दमाऊ के साथ नाचते-गाते एक निश्चित स्थान पर एकत्र हुए।
ग्रामीणों ने भीमल की सूखी लकड़ी के होलाडे़ जलाए। इसके बाद ग्रामीण फिर से पंचायती आंगन में लौटे और यहां देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगी। इसके बाद नाच गाने का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा।
मान्यता के अनुसार, जौनसार बावर में कार्तिक मास की अमावस्या के एक माह बाद पता चला था कि राम वनवास समाप्त कर अयोध्या पहुंच चुके हैं। इस कारण यहां एक माह बाद दिवाली मनाई जाती है।
चकराता में सैलानी जोड़े की हत्या के बाद पर्यटन की बिगड़ी सूरत संवारने के लिए अब स्थानीय लोगों ने कमान संभाल ली है।
पर्यटकों का जौनसार बावर से नाता न टूटे और वे पहले की तरह बिना किसी भय के जौनसार बावर आते रहे इसके लिए स्थानीय लोगों ने पर्यटकों के साथ बूढ़ी दिवाली का जश्न मनाने का निर्णय लिया है।
इसके लिए दिल्ली और हरियाणा के कई पर्यटकों को यहां बुलाया गया है। कार्यक्रम के जरिये यह संदेश दिया जाएगा कि चकराता पर्यटकों के लिए बिल्कुल सेफ है।
जौनसार बावर पर्यटन विकास समिति ने कार्यक्रम के लिए पूरी तैयारी कर ली है। समिति ने दिल्ली और हरियाणा के 40-50 पर्यटकों का चयन किया है जो 24 नवंबर को चकराता घूमने आ रहे हैं।
पर्यटकों को सेफ फील कराने के लिए समिति उनका ढोल-दमाऊ की थाप पर हरिपुर कालसी में स्वागत करेगी। इस मौके पर पर्यटन मंत्री दिनेश धनै भी मौजूद रहेंगे।
इसके बाद पर्यटक कोरूवा, लोखंडी, हाजा होते हुए चकराता जाएंगे। पर्यटकों को गांव के रीति रिवाजों से रूबरू करवाया जाएगा। उन्हें बूढ़ी दिवाली मनाने की परंपरा बताई जाएगी।
समिति के संयोजक भारत चौहान ने बताया कि सैलानी जोड़े की हत्या के बाद से पर्यटकों का क्षेत्र से मोह भंग होने लगा था। इसको देखते हुए समिति ने यह निर्णय लिया है। इससे जहां संस्कृति का प्रचार-प्रसार होगा, वहीं व्यापार को भी रफ्तार मिलेगी। (amar ujala)