भंवासी बागी (अजमेर ) गढ़वाल , उत्तराखंड की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार
अजमेर , उदयपुर , डबरालस्यूं , ढांगू , लंगूर शीला पट्टी , गढ़वाल संदर्भ में हिमालय , उत्तराखंड गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला 28
Folk Arts and Artisans of Dhangu, Ajmer, Dabralsyun , Langur,Shila, Udaypur (Gangasalan ) Garhwal ,Folk Artisans of Dhangu Garhwal , Himalaya -28
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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भंवासी बागी अजमेर पट्टी का एक नामी गाँव है। मूनी बागी (छोटा बागी ) , जैं गाँव , भट्ट गां , गौळा , भसूळी निकटवर्ती गाँव है और नदी हिंवल तटीय गांव हैं , सभी उर्बरक व समृद्ध गाँव थे। आज सभी गाँव पलायन की मार झेल रहे हैं। अजमेर पट्टी मालनी नदी की जन्मदात्री पट्टी है व शकुंतला दुष्यंत पुत्र भरत से संबंधित क्षेत्र है। पौखाल निकटस्थ बजार है व हिंवल नदी डबरालस्यूं व् अजमेर की सीमा रेखा भी है।
कृषक बहुल गाँव होने के कारण गृह व कृषि उपयोगी सभी कलाएं व शिल्प सभी परिवार पारंगत थे जैसे ब्वान निर्माण ; टाट -पल्ल , नकपलुणी , म्वाळ , स्योळबटाई , बटाई , , हौळ ज्यू , जोळ , नाड़ निसुड़ निर्माण आदि , पगार चिणायी। जंदर छेदन आदि , यहां तक कि छत हेतु सिलेटी पत्थर (बड़ेथ के निकट - गयड़ गदन से ) निकालने में भी कईयों को सिद्ध हस्त थी।
कुछ भूले बिसरे लोक कलाकारों के नाम इस प्रकार हैं।
ढोल वादक - बागी के ही भाग दास ; गुल्ली दास /प्रेमदास , मंगती बैसाखू आदि
बादी -बादण - द्यू ळा की बालकुंवारी बादण
ओड /कूड़/मकान चिणायी कलाकार - भाना मिस्त्री व परिवार -डक्खू , कृपाल , रैजा आदि
बढ़ई - उपरोक्त ही
लोहार - गाँव से ही हुस्यारू , पूर्णा
सुनार - मोहन बाग़ी पर निर्भर यहथा महेशुर , गंगा , महिपाल
टमटा - गड़सर कठूड़ के बादुर टमटा
पंडित - गौळा के बहुखंडी व द्यूळा के देवलियाल
जागरी। तंत्र मंत्र - भरोसा आर्य
गणत - भाना आर्य
तिबारियां - चार से अधिक तिबारीं थीं जिनमे थोकदार लाल सिंह , सौकार जीत सिंह , बहुखंडी पंडित , सर्वाल नेगी की तिबारी ख़ास थीं। अब एक भी नहीं बचीं हैं
घराट , घट्ट , पनचक्की - कभी हिंवल व वशिष्ठा नदी पर चार घराट थे। हेवल नदी पर स्थित चमस्यूळ के कुंदू गुसाईं का घट्ट सबसे अधिक चलता था। हिंवल नदी पर ही गअळी के रेवतराम का था व वशिष्ठा नदी के दो घराट में एक मास्टर चन्दर सिंह रव्वत व एक बागी के एक शिल्पकार का था।
सूचना आभार - धीरज नेगी (भंवासी -बागी )
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