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History of Haridwar , Uttrakhnad ; हरिद्वार उत्तराखंड का इतिहास
Bhishma Kukreti:
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : बैद्यनाथ के कत्यूरी शासक
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में बैद्यनाथ के कत्यूरी शाशक भाग -१
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, Katyuris of Baijnath - 1
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 396
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३९६
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
बैद्यनाथ के कत्यूरी शासकों के बारे में कोई अभिलेख नहीं मिलते हैं व प्रमाण भी नहीं मिलते हैं।
सन १००० लगभग नरसिंहदेव ने राजधानी कार्तिकेयपुर से बैद्यनाथ स्थान्तरित कर दी। ११९१ के लगभग अशोकचल्ल ने कत्यूरी पर अधिकार कर लिया। १००० से १०९१ तक सामग्री का सर्वथा अभाव है। ब्रिटिश राज में कत्यूरी राजाओं के क्रम संग्रह किये गए थे।
बैद्यनाथ के कुछ कत्यूरियों के नाम जागरों में आते हैं।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४९५ -४९६
Copyright @ Bhishma Kukreti , 2022
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : वैद्यनाथ का नरसिंघ देव
कार्तिकेयपुर से बैद्यनाथ पलायन व राजधानी स्थापितिकरण
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में बैद्यनाथ के कत्यूरी शाशक भाग -२
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, Katyuris of Baijnath - 2
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 397
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३९७
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
नरसिंघ देव ने अपनी राजधानी को कार्तिकेयपुर से बैद्यनाथ स्थापित किया यद्यपि कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलते हैं।
कहा जाता है कि नरसिन्ध देव को नई राजधानी स्थापित करने हेतु प्राचीन नगर करवीपुर के खंडहरों से बहुत सहयता मिली (१ ) जो पूर्व नरेशों का नगर था ।
वैद्यनाथ भी कत्यूरी नरेशों को राश नहीं आया व वे आलसी हो गए।
डबराल व राहुल को पढ़ने से लगता है बिजनौर , सहारनपुर व हरिद्वार पर नहीं रह गया था। किसका अधिकार था यह चर्चा व खोजों का विषय भी है। आगे बताया जायेगा।
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संदर्भ :
१- - राहुल , १९५९ , कुमाऊं, इलाहाबाद लॉ जर्नल प्रेस , पृष्ठ २३५
२ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४९६
Copyright @ Bhishma Kukreti , 2022
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : बैद्यनाथ के कत्यूरी शासक , हरिद्वार, सहारनपुर , बिजनौर इतिहास में बैद्यनाथ के शासक
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : बैद्यनाथ कत्यूरी वंशावली
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में बैद्यनाथ के कत्यूरी शाशक भाग -३
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, Katyuris of Baijnath - 3
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part -398
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३९८
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
ब्रिटिश काल में कत्यूरी राजाओं ने कुछ वंशावली ब्रिटिश शाशकों को प्रेषित की थीं उनके अनुसार कत्यूरी वंशावली निम्न है जो लोक गाथाओं से भिन्न भी हैं -
डोटी कत्यूर वंशावली ---------- अस्कोट कत्यूर वंशावली ----------पाली कत्यूर वंशावली
३३ - पिथियाराजदेव ------------ ४५ - प्रीतम -----------------------५ धामदेव
३४ धाम देव -----------------------४६ धाम -------------------------- ६ ब्रह्मदेव
३५ - ब्रह्मदेव --------------------४७ ब्रह्मदेव -------------------------- ६ -ब्रह्मदेव
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४९७ ओकले आदि का संदर्भ देते हुए
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : बैजनाथ/वैद्यनाथ के कत्यूरी राजा प्रीतमदेव
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में बैद्यनाथ के कत्यूरी शाशक भाग -४
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, Katyuris of Baijnath -
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - ३९९
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -399
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
उत्तराखंड की एक लोक गाथा अनुसार बैजनाथ कीर्तिकेयपुर का कत्यूरी राजा हुआ था २ )। प्रीतम देव से पहले १० पूर्वजों के नाम हैं किन्तु इनमे नरसिंघ देव का नाम नहीं है। इससे लगता है कि प्रीतम देव कत्यूरी वंश में अन्य राजवंश से संबंध होगा। प्रीतम देव के पूर्व वंशजों को राजा कहा गया है जबकि कत्यूरी शासक अपनी उपाधि भट्टारक महाराजधिराज खुदवाते रहे हैं व सामंतों की उपादि राजा । इसके दो अर्थ हैं प्रीतम देव का राजवंश शाखा दूसरी है या ये कत्यूरी वंश ली शाखा से नहीं थे। या हो सकता है इनका राज्य विस्तार कम हो गया होगा। इन नरसिंघ देव व प्रीतम देव राजाओं ने कैसे सिंघासन प्राप्त किया पर इतिहास में प्रमाण की नितांत कमी दिखती है।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४९८
२- ओकले ई इस . व तारा दत्त गैरोला ,१९८८ , , हिमालयन फोकलोर , विपिन जैन गुड़गांवपृष्ठ १२१
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : बैद्यनाथ के कत्यूरी शासक , हरिद्वार, सहारनपुर , बिजनौर इतिहास में बैद्यनाथ के कत्युरी शासक
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : बैजनाथ बैद्यनाथ का कत्यूरी शासक धाम देव
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में बैद्यनाथ के कत्यूरी शाशक भाग ५
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, Katyuris of Baijnath - 5
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 400
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ४००
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
लोक गाथा अनुसार धामदेव बड़ा पराक्रमी व वीर राजकुमार था। लोक कथाओं अनुसार धाम देव के पिता प्रीतमदेव ने धामदेव की सौतेली माताओं के उकसाने से धामदेव को पातालदून के विद्रोही समवा यक्ष से लड़ने भेजा। किन्तु समवा के परामर्श अनुसार धामदेव ने अपने पिता प्रीतमदेव को मार क्र सिंघसन पर बैठ गया।
हांडा (२ ) अनुसार धामदेव का राज्य काल १०६० -१०६४ ईश्वी रहा है।
ओकले अनुसार इस समय से कत्यूरी विघटन शुरू हो गया था।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ -499
२०-ओ . सी। हांडा , हिस्ट्री ऑफ उत्तरांचल , इंडस पब्लिशिंग पृष्ठ २८- ३२
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