Author Topic: आवों अपनी भाषा सीखे ! LET US LEARN OUR LANGUAGES !!  (Read 73913 times)

खीमसिंह रावत

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 801
  • Karma: +11/-0
खेङि= फेंकना या फेंका हुवा
जांतर=चक्की


इन शब्दों के मतलब बताइये?

फट्यालो-
खेङि-
मुसोल या मुसौव-
जांतर-
पुंगङि-






Rajen

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,345
  • Karma: +26/-0
                 इन शब्दों के मतलब बताइये?

फट्यालो- चादर को दो जाने पकड़ कर जोर-२ से हिलाते है जिसकी हवा से फसल में से कूड़ा उड़ जाता है.
खेङि - गाँव के सब लोग मिल कर किसी एक निवासी के लिए किसी चीज को लाते हैं या कोई कार्य करते हैं.
मुसोल या मुसौव - ओखल में धान वगेरह कूटने के लिए 'मुसली'
जांतर - घरेलु चक्की (पहाड़ में पहले लगभग सब के घर में होती थी अब शनैः -२ लुप्त हो रही है).
पुंगङि-   ?     

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
एक शब्द बच गया है, वो मैं बता देता हूं...
 
पुंगङि- खेत...


Rajen

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,345
  • Karma: +26/-0

मेरे को नहीं आया    :(    :(

एक शब्द बच गया है, वो मैं बता देता हूं...
 
पुंगङि- खेत...



Rajen

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,345
  • Karma: +26/-0
दिनेश बिजल्वान जी कृपया इसका अर्थ बता दें:


"ओटुवा बिलेणा"=  ?


खीमसिंह रावत

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 801
  • Karma: +11/-0
पराव=
नहू=
क्यड=
दूहार=
सांगो=
मटियार=
गव्द=

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
मुकेश भाई इस वाक्य का अर्थ आप ही बता दीजिये..

"ओटुवा बिलेणा"=  ?


अभी नेगी जी से बात हुई, उनका स्वास्थ्य भी कुछ खराब था, उन्होंने बताया कि यह शब्द समूह मूलतः रवांई क्षेत्र का है। ऊन को एक कांटेदार बेलन से ओटा (ऊन को अलग-अलग करना) जाता है, उससे ही यह बना "ओटुवा-बिलेणा"। उस गीत में भी यही बताया जा रहा है कि अभी मैं ऊन को ओट रहा हूं।

Mukesh Joshi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 789
  • Karma: +18/-1
मुकेश भाई इस वाक्य का अर्थ आप ही बता दीजिये..

"ओटुवा बिलेणा"=  ?


अभी नेगी जी से बात हुई, उनका स्वास्थ्य भी कुछ खराब था, उन्होंने बताया कि यह शब्द समूह मूलतः रवांई क्षेत्र का है। ऊन को एक कांटेदार बेलन से ओटा (ऊन को अलग-अलग करना) जाता है, उससे ही यह बना "ओटुवा-बिलेणा"। उस गीत में भी यही बताया जा रहा है कि अभी मैं ऊन को ओट रहा हूं।


धन्यवाद महर जी

Mukesh Joshi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 789
  • Karma: +18/-1
धाद,धात ,धवड़ी, धैइ  लगना = आवाज देना 

Mukesh Joshi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 789
  • Karma: +18/-1
सर घरजवे फ़िल्म के एक गीत के बोल है

नया जमाना का गैख  छन ये ,====== गैख ---?
बिना जुन्गो का बैख़  छन ये ,======= बैख़ -- पुरूष
य नि घुरको ढोल की ढोलकी घुरा....घुर

 
अगर किसी को पता हो तो किर्पया बताये

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22