कही नही अनुभव जी, थोडा व्यस्त था / मुझे टाइपिन्ग का पूरा अभ्यास नही है इस लिए योगदान नही कर पाता / सन अस्सी के दशक मे पहाडी मे कुछ याद गार प्रस्तुतिया हुइ थी / देहरादून से जीत सिन्ह नेगी मलेथा की कूल लेकर आये थे / पर्वतीय कलाकेनद्र ने रामी बौराणी और रसीक रमोल जैसी प्रस्तुतिया दी / हिमाशु जोशी के उपन्यास कगारे आग का कुमाउनी मे मचन भी एक न भूलने वाला अनुभव है / उसमे हाइहिलर्स की सन्योगिता पन्त ने गोमू कि केन्द्रीय भुमिका निभायी थी / हाइहिलर्स के नाट्क अर्धग्रामेश्वर और बाजी गौडी भी अत्यन्त सफल रहे/ हिमालय कला सन्गम से चन्द्र किशोर नैथानी का लिखा दिल्ली मे किराये के मकानो की सम्स्या पर आधारित क्यु एम जी भी बहुत सफल था / उससे पहले जागर सन्स्था जन्क्जोड , कन्शानुक्रम , अर्धग्रामेश्वर , स्व्यमबर आदि नाट्को का मन्चन किया /