Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 68143 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
Yesterday
ऐजा भेंटि जा

कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे
नि भलु लगनू
तै बिगैर यख यक्लु .... २
ऐजा ऐजा भेंटि जा .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

क्द्गा दिन ऐनी इनि गैनी .... ऐ छोरी पुष्पा
क्द्गा दिन ऐनी इनि गैनी
धरियूं च सम्भली तेर माया
ये सफा मा गुंडालिक
ले जा लेजा तू मेर ये जियु माया .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

गोल मुखडी प्याज की टोकरी
बुरांसी डाली मा सेबा की जीकोडी
कौदू की बाड़ी दगडी ये चुना की रोटली
ऐजा खिले जा ऐजा .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

प्रीति का रंग छन
तै दगडी हे रंगी छन
ये छला पल छला तल माथा मथ माथा
तेर माया संगी सजी छन .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे
नि भलु लगनू
तै बिगैर यख यक्लु .... २
ऐजा ऐजा भेंटि जा .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
July 31
यु जियु दगडी मिथे

कया हुनु कया हुनु
यु जियु दगडी मिथे
ऊ मी दगडी बचान लगे
मी ये दगडी बचान लग्युं

बादल जनि पंख लगि
ऊ यूँ उकाल उड़णु लग्युं
गद्न्युन जनि वेग आण लगि
ऊ ये ऊंदार बोगणयूं लग्युं

कया हुनु कया हुनु
यु जियु दगडी मिथे
ऊ मी दगडी बचान लगे
मी ये दगडी बचान लग्युं

कबि जानू यख कबि वख
ये जियु बौल्या बथा कया तू खोजनु लगे
इनि बी कया तेर चीज खवाई
जै थे में दगडी ही छुपानु लगे

कया हुनु कया हुनु
यु जियु दगडी मिथे
ऊ मी दगडी बचान लगे
मी ये दगडी बचान लग्युं

रंग आणु लगे फूली खिल्ना लगे
यकुलु हास्नु लगे यकलु रुनु लगे
कंन ये जियु थे रोग लागि
माया माया थे अब बुलानी लगे

कया हुनु कया हुनु
यु जियु दगडी मिथे
ऊ मी दगडी बचान लगे
मी ये दगडी बचान लग्युं

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
August 2
अब्द द देर व्हैग्याई

बस्ग्याल ऐंदु
जीयु धक व्है जांदू बोई धक व्है जांदू
बस्ग्याल ऐंदु

कै डारा कै घारा काल ऐजांदू
बादल चिरडयाना किले किले की ये फटना बोई किले की
बस्ग्याल ऐंदु

कैकि नजर लागि
किले की विपदा की इन घड़ी ऐ ये पाडा बोई किले की
बस्ग्याल ऐंदु

उचण्डू उकेरु
भगवती की मंडाण जागेवों कै देब्तों थे मनऊं बोई कै देब्तों थे
बस्ग्याल ऐंदु

अब्द द देर व्हैग्याई
पाडा ते बमों धामोंन सुरुंगुन खैनु गैल कै द्याई बोई गैल कै द्याई
बस्ग्याल ऐंदु

बस्ग्याल ऐंदु
जीयु धक व्है जांदू बोई धक व्है जांदू
बस्ग्याल ऐंदु

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
August 3
ऐजा भेंटि जा

कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे
नि भलु लगनू
तै बिगैर यख यक्लु .... २
ऐजा ऐजा भेंटि जा .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

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क्द्गा दिन ऐनी इनि गैनी
धरियूं च सम्भली तेर माया
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कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

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तै दगडी हे रंगी छन
ये छला पल छला तल माथा मथ माथा
तेर माया संगी सजी छन .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे
नि भलु लगनू
तै बिगैर यख यक्लु .... २
ऐजा ऐजा भेंटि जा .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

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बालकृष्ण डी ध्यानी‎Mahi Singh Mehta
 

प्रिय
भतीजे विक्रांत मेहता

रहे सलमात तू
रहे जब तक मेरा पहाड़
हर वर्ष आये लेके
तुझ पर नई नई बहार
पथ पर तुझे बढ़ना है आगे
एक एक सीढ़ी तुझे चढ़ना है आगे
चल सदा आगे नित आगे
खड़ा हैं तेरे पीछे मेरा पहाड़ मेरा पहाड़
ले सब का प्रेम उपहार
बना ले तू अपने पहाड़ों को यार
मेरी तरफ से ले ले भतीजे जन्मदिन पर
दो शब्दों के कविता कर स्वीकार
रहे सलमात तू
रहे जब तक मेरा पहाड़
हर वर्ष आये लेके
तुझ पर नई नई बहार

चाचू

बालकृष्ण डी. ध्यानी

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बालकृष्ण डी ध्यानी
Yesterday
देख ना

देख ना
मोड़ मोड़ पीछे
कोई ना आयेगा देख ना देख ना
कोई ना आयेगा

आयेगा कोई दौड़ दौड़ मेरा
रूठा हूँ उन से मै वो ही
आके मुझे मनायेगा वापस ले जायेगा
देख ना मोड़ मोड़ पीछे
कोई ना आयेगा

कोशिश की थी
देख ना पाया गुस्से को काबू ना लाया
किस अकड़ तड़क से उठा था गुजरा वक्त अब पछताया
देख ना मोड़ मोड़ पीछे
कोई ना आयेगा

युग बिता बस अहम को खींचा
उस पेड़ तले गिराये मैंने अपने वो अश्रु
जिस ने कभी कोई ना फल फूल सींचा
देख ना मोड़ मोड़ पीछे
कोई ना आयेगा

देख ना
मोड़ मोड़ पीछे
कोई ना आयेगा देख ना देख ना
कोई ना आयेगा

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
Yesterday
देकि ले

देकि ले देकि ले
गेल्या आ देकि ले
ये मेरा हिमाल यख पसरयाँ
ये हैरा भैरा बुग्याल
देकि ले देकि ले
गेल्या आ देकि ले

झट अंदि झट जांदी ये ब्यार
झट अंदि जांदी ब्यार कया तुम थे बी ये खैयाल
कैल रचे हुलु कैल रंगे हुल
इनि रंगमत बहार ये पहाड़
देकि ले देकि ले
गेल्या आ देकि ले

जख देक वख हैरी हैरी
मळमळी मयाल्दी घास
टुकु नीलू सरग ह्युं चलूँ को घार
भेंटि जा ऐन स पैल यख मौल्यार
देकि ले देकि ले
गेल्या आ देकि ले

देकि ले देकि ले
गेल्या आ देकि ले
ये मेरा हिमाल यख पसरयाँ
ये हैरा भैरा बुग्याल
देकि ले देकि ले
गेल्या आ देकि ले

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August 8
गारा तू ढुंगा बण जा

रै जाली कण कै
यख सदनि कू तेरु निशाण
गारा तू ढुंगा बण जा
अपरी ही एक दिनी ऊ बण जालु पहाड़
रै जाली

खते जा यख ये माटा मा तू इनि
बीज ब्याणा बण पसर पसरी की
हैरा भैरा बोग्याळ बण जा
अपरी ही एक दिनी फूली पाकी वो जाला
खते जा

जयादा नि सोची
भौल कया यख तिल खोजी
हर्च्यनु मा ही यख मौज च भैजि
भौल ना बोल की मिल ना बोली
जयादा नि

रै जाली कण कै
यख सदनि कू तेरु निशाण
गारा तू ढुंगा बण जा
अपरी ही एक दिनी ऊ बण जालु पहाड़
रै जाली

एक उत्तराखंडी

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कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे
नि भलु लगनू
तै बिगैर यख यक्लु .... २
ऐजा ऐजा भेंटि जा .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

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क्द्गा दिन ऐनी इनि गैनी
धरियूं च सम्भली तेर माया
ये सफा मा गुंडालिक
ले जा लेजा तू मेर ये जियु माया .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

गोल मुखडी प्याज की टोकरी
बुरांसी डाली मा सेबा की जीकोडी
कौदू की बाड़ी दगडी ये चुना की रोटली
ऐजा खिले जा ऐजा .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

प्रीति का रंग छन
तै दगडी हे रंगी छन
ये छला पल छला तल माथा मथ माथा
तेर माया संगी सजी छन .... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे

कन छे तू कख छे.... ऐ छोरी पुष्पा
कन छे तू कख छे
नि भलु लगनू
तै बिगैर यख यक्लु .... २
ऐजा ऐजा भेंटि जा .... ऐ छोरी पुष्पा
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August 2
अब्द द देर व्हैग्याई

बस्ग्याल ऐंदु
जीयु धक व्है जांदू बोई धक व्है जांदू
बस्ग्याल ऐंदु

कै डारा कै घारा काल ऐजांदू
बादल चिरडयाना किले किले की ये फटना बोई किले की
बस्ग्याल ऐंदु

कैकि नजर लागि
किले की विपदा की इन घड़ी ऐ ये पाडा बोई किले की
बस्ग्याल ऐंदु

उचण्डू उकेरु
भगवती की मंडाण जागेवों कै देब्तों थे मनऊं बोई कै देब्तों थे
बस्ग्याल ऐंदु

अब्द द देर व्हैग्याई
पाडा ते बमों धामोंन सुरुंगुन खैनु गैल कै द्याई बोई गैल कै द्याई
बस्ग्याल ऐंदु

बस्ग्याल ऐंदु
जीयु धक व्है जांदू बोई धक व्है जांदू
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