बालकृष्ण डी ध्यानीMahi Singh Mehta
प्रिय
भतीजे विक्रांत मेहता
रहे सलमात तू
रहे जब तक मेरा पहाड़
हर वर्ष आये लेके
तुझ पर नई नई बहार
पथ पर तुझे बढ़ना है आगे
एक एक सीढ़ी तुझे चढ़ना है आगे
चल सदा आगे नित आगे
खड़ा हैं तेरे पीछे मेरा पहाड़ मेरा पहाड़
ले सब का प्रेम उपहार
बना ले तू अपने पहाड़ों को यार
मेरी तरफ से ले ले भतीजे जन्मदिन पर
दो शब्दों के कविता कर स्वीकार
रहे सलमात तू
रहे जब तक मेरा पहाड़
हर वर्ष आये लेके
तुझ पर नई नई बहार
चाचू
बालकृष्ण डी. ध्यानी