संभाली नि सैकी मन
संभाली नि सैकी मन
किले तिल नि संभाली सकी बथा
जिकडो कु तू इन सरा सर मा
आंसूं किले बगाली बथा
संभाली नि सैकी मन......
खोजी खोजी तिले कख मन
कख कख खोजी तिल यख बथा
बथों दगडी कै अकास उडी
कै संगी तिल यख बगत बिता
संभाली नि सैकी मन......
एक दिनी सबल यख यकलु रै जाणा
तिल संभाली , खोजी की कया पान
सपनियु कु ये जग जंजाल मा
रे मन तिल खौलयूं खौलयूं रै जाण
संभाली नि सैकी मन......
हात पकड़ी कु ये मेरु मन
बथा कै बाटा कै उकाल उन्दार हिटान
मोरी जालु कया पालु मेरु मन
अब त अपरा थे तू खुद समजा दे
संभाली नि सैकी मन......
संभाली नि सैकी मन
किले तिल नि संभाली सकी बथा
जिकडो कु तू इन सरा सर मा
आंसूं किले बगाली बथा
संभाली नि सैकी मन......
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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