Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253380 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
January 9 ·
·

दिन बीती जाला

दिन बीती जाला हो हो
दिन बीती जाला ....... २
ये पहाड़ मा
ये म्यार गढ़वाल मा

बस तेर बाटो हेरी रे
कन तेरी ये देरी हो
ये उमरी भरी की खैरी
कब तक मिल इन सैरी रे

दिन बीती जाला हो हो
दिन बीती जाला ....... २
ये पहाड़ मा
ये म्यार गढ़वाल मा

आषाढ़ की भीगी बरखा रे
पुष्प माघ मोरी जानू जदू हो
चैत की मैना कु उल्यार मा
फागुन फूलों फुल्यार रे

दिन बीती जाला हो हो
दिन बीती जाला ....... २
ये पहाड़ मा
ये म्यार गढ़वाल मा

यख समा सुम वार-पार रे
सास ब्वारी रोजी को टांटा बार हो
हुक्कों की गूंजी गुडगुडहाट मा
नान छोरों को राखलादार मा

दिन बीती जाला हो हो
दिन बीती जाला ....... २
ये पहाड़ मा
ये म्यार गढ़वाल मा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
January 7 ·
·

नारंगी की दाणी ये

नारंगी की दाणी ये
कन खाणा हुला भगयान
इंथे बैठी सोली सोली की ये

खटी-मीठी खुदी ये
द्वी दिन का समलौण दिन
समधोला ह्वे गेनी ये

सब एक नि रैंदा ये
अकास धरती कब एक वैंदा रे
मगृजाळ कु रच्यूं ये फेरु ये

क्ख्क हर्ची बिरडी गे ये
मेरु गौं मेरु पहाड़ कु बाटू रे
मेरु गढ़ ऐ उत्तराखंड ये

नारंगी की दाणी ये
कन खाणा हुला भगयान
इंथे बैठी सोली सोली की ये

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Bhishma Kukreti and 142 others
January 3 ·
·

क्ख्क लुकी गयं तुम

ऐ रे गेल्या ......
क्ख्क लुकी गयं तुम
मेरी जिकोड़ी चुरेकी
बुरडी व्हैग्युं मि यख
तुमरि बाटा हेर हेरी की
ऐ रे गेल्या ……

कन के हर्ची ऐ मेर जिकोड़ी
तुम दगडी नजरि मिलेकी
अब नि रे ये मेर दुक दुकी
अब त व्हैग्याई बस जी तेरी

ऐ रे गेल्या ......
क्ख्क लुकी गयं तुम
मेरी जिकोड़ी चुरेकी
बुरडी व्हैग्युं मि यख
तुमरि बाटा हेर हेरी की
ऐ रे गेल्या ……

कन जादू के तैन
ये मेर निर्भगी काया पर
में पास व्हैकि बी
नि रैगे औ अब मेरी

ऐ रे गेल्या ......
क्ख्क लुकी गयं तुम
मेरी जिकोड़ी चुरेकी
बुरडी व्हैग्युं मि यख
तुमरि बाटा हेर हेरी की
ऐ रे गेल्या ……

एक उत्तराखंडी

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Geeta Chandola and 126 others
December 30, 2014 at 4:47am ·

मेरु पहाड़ मेरु संगे

मेरु पहाड़ मेरु संगे
मेरु पहाड़ मेरु संगे
यकलु यो यकलू मी
ना क्वी हम थे मिलने
दुकी पण क्वी नि संगे
सुक ना देकि यक कबि हमने
मेरु पहाड़ मेरु संगे
यकलु यो यकलू मी
ना क्वी हम थे मिलने

कन कांडा पौड़ी यख
तू बी क्ख्क रौडी गे गंगे
यूँ ह्यूं चलूँ थे यकलू
तू बी क्ख्क छोड़ी गे गंगे
अपरू झोळू अपरू संगे
भगा अपरू ना मिलने
दुकी पण क्वी नि संगे
सुक ना देकि यक कबि हमने
मेरु पहाड़ मेरु संगे
यकलु यो यकलू मी
ना क्वी हम थे मिलने

इन जली हम यकुला ही
क्वी हम थे ठंडो करी ना पैई ना
घुम्या दोई यकुलाई ये
अपरा क्वी यख छेई ना
जनी ये घाम जनि छाया
एक साथ जनि कबी ना मिलने
दुकी पण क्वी नि संगे
सुक ना देकि यक कबि हमने
मेरु पहाड़ मेरु संगे
यकलु यो यकलू मी
ना क्वी हम थे मिलने

कन जुनि ये कन जुनि मी
कै बाटा मा हम हिटण ना लग्यां
ना मिली मी ना मिली ये हम थे
जो बाटा कबि हुम्लु थे बनया
क्ख्क बिरदी व्हाली वा माया
ये जिकोडी हम थी मिलली ना
दुकी पण क्वी नि संगे
सुक ना देकि यक कबि हमने
मेरु पहाड़ मेरु संगे
यकलु यो यकलू मी
ना क्वी हम थे मिलने

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
December 27, 2014 at 10:58am ·

दिल्ली सैर ऐ तू ना ऐ ना

ऐ जा ऐ भानुमती ऐ
दिल्ली सैर ऐ की घुमी जा ऐ
कनके की लगुलु ते दगड छुईं ऐ
ऐ की ऐ दिल्ली मा मिसी जा ऐ
टैम यख हर्ची रुपया वै खर्ची
तू बी ऐ खर्ची जा ऐ
ऐ जा ऐ भानुमती ऐ
दिल्ली सैर ऐ की घुमी जा ऐ

ना कैर ऐ बात ऐ ये पहाड़ की ऐ
पहाड़ मा क्या अब रैगे या ऐ
ये उन्दरु मन मेरु राम गे ऐ
ये उकलू सोची साँस फूली गे ऐ
तू बी ऐ फूली जा ऐ
ऐ जा ऐ भानुमती ऐ
दिल्ली सैर ऐ की घुमी जा ऐ

ना कैर ना कैर ऐ इनि भैर भितर ऐ
ये पहाड़ निच ऐ ऐ दिल्ली सैर च ऐ
यख निच आजादी दी ऐ अपरा बिचार की ऐ
ऐ खुट अपरा ना ऐ यख भैर धैर ऐ
ना रेगे अब ऐ बैठालूँ को ऐ सैर ऐ
ऐ जा ऐ भानुमती ऐ
दिल्ली सैर ऐ की घुमी जा ऐ

ना ऐ ना ऐ भानुमती ऐ
दिल्ली सैर ऐ तू ना ऐ ना
नि लगुलु ते दगड छुईं ऐ
ऐ दिल्ली मा ना ऐ ना
टैम यख हर्ची रुपया वै खर्ची
तू ना ऐ सब जाला खर्ची ऐ
ना ऐ ना ऐ भानुमती ऐ
दिल्ली सैर ऐ तू ना ऐ ना

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ऐ मेरा गेल्या

ऐ मेरा गेल्या की हुलु
ऐ मेर जीकोडी थे की व्हैग्याई
हम त ते थे ही देकता
ऐ जीकोडी मेर तेर व्हैग्याई

ये बौल्या मी बानि गे
तेर माया मी परी पौडी गे
बस तेरु खेल तेरु सवाल
तू मेरु सारू जवाब बनि गे

ऐ मेरा गेल्या की हुलु
ऐ मेर जीकोडी थे की व्हैग्याई

मेर पास च क्या देणा कुन
मी तुम थे जी क्या दूंली
जो बी च मेरु औ च तुमरु
तुम परी सब कुच वार दूंली

हम त ते थे ही देकता
ऐ जीकोडी मेर तेर व्हैग्याई

सरग अकास मा लिख्याली
ई बगदी न्यार मा लिख्याली
तुम छों मेरा मी छों तुमारी
अपरी ई आत्मा मा लिख्याली

हम त ते थे ही देकता
ऐ जीकोडी मेर तेर व्हैग्याई

हम दोइयाँ मिल की रूंला
गीत यख माया का लगुला
तू छे मेरी मी छों तेरु
ये आपरी दांडी कंडी सजोंला

ऐ मेरा गेल्या की हुलु
ऐ मेर जीकोडी थे की व्हैग्याई
हम त ते थे ही देकता
ऐ जीकोडी मेर तेर व्हैग्याई

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दिन बीती जाला हो हो
दिन बीती जाला ....... २
ये पहाड़ मा
ये म्यार गढ़वाल मा

बस तेर बाटो हेरी रे
कन तेरी ये देरी हो
ये उमरी भरी की खैरी
कब तक मिल इन सैरी रे

दिन बीती जाला हो हो
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ये पहाड़ मा
ये म्यार गढ़वाल मा

आषाढ़ की भीगी बरखा रे
पुष्प माघ मोरी जानू जदू हो
चैत की मैना कु उल्यार मा
फागुन फूलों फुल्यार रे

दिन बीती जाला हो हो
दिन बीती जाला ....... २
ये पहाड़ मा
ये म्यार गढ़वाल मा

यख समा सुम वार-पार रे
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हुक्कों की गूंजी गुडगुडहाट मा
नान छोरों को राखलादार मा

दिन बीती जाला हो हो
दिन बीती जाला ....... २
ये पहाड़ मा
ये म्यार गढ़वाल मा

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ऐ मेरा गेल्या

ऐ मेरा गेल्या की हुलु
ऐ मेर जीकोडी थे की व्हैग्याई
हम त ते थे ही देकता
ऐ जीकोडी मेर तेर व्हैग्याई

ये बौल्या मी बानि गे
तेर माया मी परी पौडी गे
बस तेरु खेल तेरु सवाल
तू मेरु सारू जवाब बनि गे

ऐ मेरा गेल्या की हुलु
ऐ मेर जीकोडी थे की व्हैग्याई

मेर पास च क्या देणा कुन
मी तुम थे जी क्या दूंली
जो बी च मेरु औ च तुमरु
तुम परी सब कुच वार दूंली

हम त ते थे ही देकता
ऐ जीकोडी मेर तेर व्हैग्याई

सरग अकास मा लिख्याली
ई बगदी न्यार मा लिख्याली
तुम छों मेरा मी छों तुमारी
अपरी ई आत्मा मा लिख्याली

हम त ते थे ही देकता
ऐ जीकोडी मेर तेर व्हैग्याई

हम दोइयाँ मिल की रूंला
गीत यख माया का लगुला
तू छे मेरी मी छों तेरु
ये आपरी दांडी कंडी सजोंला

ऐ मेरा गेल्या की हुलु
ऐ मेर जीकोडी थे की व्हैग्याई
हम त ते थे ही देकता
ऐ जीकोडी मेर तेर व्हैग्याई

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January 11 ·
·

किले मी हुलु बैठी रुनु

अब बी मै मा कया च बांकी
मी नि जण दूं मै कया इन दडयूं
किले लगी हुली बडुळि ईं तांसी
ये जीकोडी किले झुरनी व्हाली
अब बी मै मा कया च बांकी

डाला की छैयां मिली की बी
किले ई सरीर मेरु इन ऊफानु हुलु
कूच इन दडी व्हालु ये बगता ने बी
अब भैर ऐकि ऊ मि थे किले डराणु हुलु
अब बी मै मा कया च बांकी

इन धगुली टूटी इन दगड़यों मेरी
टूटी की वा क्ख्क बोगी ग्याई
अच कल लगणि जन काणी मेरी
इन काणी अब यख कैंकी ना हो
अब बी मै मा कया च बांकी

तपरणु मी यकुलि अपरी अपर मा
अपरी आगी मा मी छों अब जलणु
किले भागी अपरी मुल्क देश छोड़ी
अब पछतैकी किले मी हुलु बैठी रुनु
अब बी मै मा कया च बांकी
.
एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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बालकृष्ण डी ध्यानी
 

खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

खूबसूरत यंहा के नजारे हैं
ये पहाड़ ये नदी देखो दिखते कितने न्यारे हैं
फूलों से भरी ये घाटी हमारी है
देखो छोटी सी दुनिया हमारी कितनी प्यारी है
खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

ये श्वेत मुकुट शांत खड़ा ये मेरा हिमाला है
हरे भरे वनों को उसने देखो अपने पर कैसे ओढ़ा है
रोज आये उगता सूरज का यंहा सुनहरा वो दौड़ता घोडा है
पश्चिम में डूबते हुये भी उसने सुनहरे किरणों को यंहा छोड़ा है
खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

बलखाती नदी निकलती है बलखा के यंहा गौमुख से
भगीरथी तेरी गंगा के लिए जय निकलती है यंहा हर एक मुख से
पावन नगरी है ये मेरी ऋषियों और देवों की
हर ताल तट पर गूंजती यंहा पर आरतियाँ मेरे इष्टों की
खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

खूबसूरत यंहा के नजारे हैं
ये पहाड़ ये नदी देखो दिखते कितने न्यारे हैं
फूलों से भरी ये घाटी हमारी है
देखो छोटी सी दुनिया हमारी कितनी प्यारी है
खूबसूरत यंहा के नजारे हैं

एक उत्तराखंडी
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