Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253380 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हेरी मेरा आँखा हेरी

हेरी मेरा आँखा हेरी
जा ले तू जा देखि ऐ दुःख कख हुलु दाड़ी
खोजी यख सुखा का बाटा तू खोजी
यख देख अब कैकु ना आँखा रोई
हेरी मेरा आँखा हेरी ……………

चल दगड्या चल हिट तू मेरु दगडी
खुठी मेरी तू ना इन पटे जा सिन्कोली
काम ते थे खुभ करन छ रे दगड्या
हिकमत ना हैर मेरु खुठा तू चल अग्ने
हेरी मेरा आँखा हेरी ……………

बोलणु क्या बोलणु की च यख दैर
पैल काम करी फिर गिची तू अपरी गिची खोल
देख छुईं मेरी छुईं मा निज इतगा खोल
तेरु छूटा छूटा काम कियां बनला बड़ा बड़ा बोल
हेरी मेरा आँखा हेरी ……………

हेरी मेरा आँखा हेरी
जा ले तू जा देखि ऐ दुःख कख हुलु दाड़ी
खोजी यख सुखा का बाटा तू खोजी
यख देख अब कैकु ना आँखा रोई
हेरी मेरा आँखा हेरी ……………

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ना ना नि चैनी ईनि नीति

ना ना नि चैनी ईनि नीति
इन राज नीति मेरा पाड़ों मा
ना ना नि चैनी ईनि नीति
इन राज नीति..............

प्रगति का नाम परी यूँ की
झौलम-झौल
वादों और्री छुईं मा यूँ की सब
गौळम-गौळ
कब मिलालू बगत यूँ थे
कब करला काम जी
कब हुलु बिकसित राज्यों मा
मेरु उत्तराखंड कु नाम जी

ना ना नि चैनी ईनि नीति
इन राज नीति मेरा पाड़ों मा
ना ना नि चैनी ईनि नीति
इन राज नीति..............

टाक्कों बंडल यख संगी साथी
सबु लमाड़-लाम जी
कैन कारण यख काम काज
सबु सुरसुर-सार जी
सीयँ छन यख सबी का सबी
मिल नि लेण यख कैकु नाम जी
टक्कों दगडी इन अल्जी जीयु
ये घियु सबुल बकौरी खाण जी

ना ना नि चैनी ईनि नीति
इन राज नीति मेरा पाड़ों मा
ना ना नि चैनी ईनि नीति
इन राज नीति..............

कब आलू दिन ऐ मेरा देबता
ले ले सुबू कु राम-राम जी
मेरु पाड़ा मा पलयान दगडी
व्हैगे बुरु हाल- काज जी
अपरुँ थे मि कया कया बुलूँ
क्ख्क मि जाकी वैथे खोज्युं
हर्ची गै न सब अपरा परया
सम्लौणा व्हैगे बिरदया बाटा

ना ना नि चैनी ईनि नीति
इन राज नीति मेरा पाड़ों मा
ना ना नि चैनी ईनि नीति
इन राज नीति..............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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सुरुक आंसू ऐगे व्है गे अब बरसात

लाल पिंगळी खठी मीठी
स्कुल की अब व्है गे छूटी

धाम धाम दुमका धड़का
उकलू उन्दरु मार भड़का

सुबेर दोपर ब्योखन रात
चूसले लेमन लपाक छपाक

घाम सौली ब्योलि बरात
सपोड़ा सपोड़ी की खैले दाल भात

बालपना दिन गैल्या ऐगे याद
अकस्मात दोपहरा मा बैठी की आच

बिरद जा घूम जा अब मेरु दगड
मार ले फाल अब अपरू बालपन साथ

कन रास्याण छे ऊ बीती याद
सुरुक आंसू ऐगे व्है गे अब बरसात

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मी लगलू रे धै

मी लगलू रे धै
तू झट दौड़ी की ऐ
अपरू फर्ज अपरू करम
ऐ की निभै जै
मी लगलू रे धै

अब नी रे तू लाटू काटू
किले व्हैगे तू इन छाटू
तेरु हिसा ले जा तेरु बांटो
मेरु दुधि कु छे रे तू छंटो
मी लगलू रे धै

हिकमत ना कबै हैरी हमन
बूढी कमरी तुति पटगि पटन
लागि रे तेरी सारी सरु तेर रटन
हम त ऐ बार जान गदन
मी लगलू रे धै

सुकी गै रे बेटा लकड़ु हमर
जै मशान हुमन धूं जलन
घीयु ना तर मिटटी तेल चढ़े दे
वै भान आपरी मुखडी देके दे
मी लगलू रे धै

मी लगलू रे धै
तू झट दौड़ी की ऐ
अपरू फर्ज अपरू करम
ऐ की निभै जै
मी लगलू रे धै

एक उत्तराखंडी

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क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा

क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा
हैंसी ले झूमी ले गइले हो कि हो कि रंगमत ये मेरु पहाड़ा
हता भती उड़े दे ये तेरु मेरु रेशमी रुमला ये ब्यारा

पांच नाम देवा पांच परमेश्वर मेरु पांच प्रयाग
खोला गधेरा गद्नि बोगेरा यख बोई गंगा की धारा
ढुंगा गारा उन्दरु उकाळा मा हुणा मस्त ऐजा ये मेरु पहाड़ा

यख माया कु पसरयूं फैल्युं खेळ च्यु ये सारा
ऐ गैल्या ऐजा पसरी जा सब कुच यख च ऊ सबी त्यारा
डंडा कांडा ये ह्युं चलूँ छेई जा उल्यार ये मेरु पहाड़ा

ऐकी ले सुणी ले बिंगी ले यख तू ऐकि माया की भाषा
कण हैरभैरी भूमि खिला प्योंली फूल फूली बुरंस बुरंसा
ले ले सबी थे अंगवल छैईं यख फूलूं की बहारा ये मेरु पहाड़ा

देबी का मंदिर नागराजा कु ठों ये मेरा देबता बद्री-केदारा
इनि राखी राजी ख़ुशी ये पांच नाम तेरु छतर अपरू बाल गोपला
गूंजी बजी दे सदनी पंचनाम शंख घांडी घंडियाल ये मेरु पहाड़ा

क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा
हैंसी ले झूमी ले गइले हो कि हो कि रंगमत ये मेरु पहाड़ा
हता भती उड़े दे ये तेरु मेरु रेशमी रुमला ये ब्यारा

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ये माया

देक इन माया तू लाई ना
देक कै मा ई माया समाई ना
ये झौलो तेरु खाली रैग्याई
बल जमै कमै की तिल कया पाई

पैंसा औ पैंसा कमै कमै की
तू पड़ी किले की कम छ
कन तेरु निठारु परानु
कन तेर तिरछी नजर छ ये माया

जै थे भी मिली तू
वैथे भी ना मिली ना चैन ना आराम
जै की पास नि ऐ तू
वे कु जीबन करगे तू ठन ठन गोपाल छ ये माया

कन तेरु चक्र कन ये जंजाल छ
ये माया कन ठगेले तेरु ये पियार छ
जिंदगी तेर बिगर यख बस उधार छ
संगी ते जिंदगी बी बल बांटाधार छ ये माया

देक इन माया तू लाई ना
देक कै मा ई माया समाई ना
ये झौलो तेरु खाली रैग्याई
बल जमै कमै की तिल कया पाई

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क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा

क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा
हैंसी ले झूमी ले गइले हो कि हो कि रंगमत ये मेरु पहाड़ा
हता भती उड़े दे ये तेरु मेरु रेशमी रुमला ये ब्यारा

पांच नाम देवा पांच परमेश्वर मेरु पांच प्रयाग
खोला गधेरा गद्नि बोगेरा यख बोई गंगा की धारा
ढुंगा गारा उन्दरु उकाळा मा हुणा मस्त ऐजा ये मेरु पहाड़ा

यख माया कु पसरयूं फैल्युं खेळ च्यु ये सारा
ऐ गैल्या ऐजा पसरी जा सब कुच यख च ऊ सबी त्यारा
डंडा कांडा ये ह्युं चलूँ छेई जा उल्यार ये मेरु पहाड़ा

ऐकी ले सुणी ले बिंगी ले यख तू ऐकि माया की भाषा
कण हैरभैरी भूमि खिला प्योंली फूल फूली बुरंस बुरंसा
ले ले सबी थे अंगवल छैईं यख फूलूं की बहारा ये मेरु पहाड़ा

देबी का मंदिर नागराजा कु ठों ये मेरा देबता बद्री-केदारा
इनि राखी राजी ख़ुशी ये पांच नाम तेरु छतर अपरू बाल गोपला
गूंजी बजी दे सदनी पंचनाम शंख घांडी घंडियाल ये मेरु पहाड़ा

क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा
हैंसी ले झूमी ले गइले हो कि हो कि रंगमत ये मेरु पहाड़ा
हता भती उड़े दे ये तेरु मेरु रेशमी रुमला ये ब्यारा

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उकाली उन्दरी

उकाली उन्दरी सर गैई
ऊ गद्नि खोला सागर तर गैई
ये नीलू आकास मै दगडी ऐ तू
अपरी दिसा बीच मा नि छेड तू

उकाली उन्दरी सर गैई
ऊ गद्नि खोला सागर तर गैई

दुका पीड़ा विपदा ऐ हेर
ये देहा मा जब जब ऐ गैई
परदेश बाट तब तब
अपर पिछने पड़ गैई

उकाली उन्दरी सर गैई
ऊ गद्नि खोला सागर तर गैई

नया सुप्निया जब जब
ईं अँखियुं पडी गैई
जीकोडी वै माया की और्री
सर ररर भर पड गैई

उकाली उन्दरी सर गैई
ऊ गद्नि खोला सागर तर गैई

बुरंस प्योंली जब डाली भति झर गैई
ब्योलि जब बीच बाटा मील गैई
उजाड़ पुंगाड़ कुटुम दारी फंस गैई
बाल बच्चों की फौज तैर व्है गैई तब

उकाली उन्दरी सर गैई
ऊ गद्नि खोला सागर तर गैई

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प्राण पखेरू उडी जा

मेरु मेरु मेरु
प्राण पखेरू उडी जा
उडी जा रे उडी जा रे

कया च तेरु कया च मेरु
राज ऐ मा दडयूं कित्गा गैरु
गैल्या ऐ च तेरु सैरु
परदेशा मा देशा तेरी बाट हेरु
उडी जा रे उडी जा रे
मेरु मेरु मेरु
प्राण पखेरू उडी जा

वै गद्नि का मोड़
तै सड़की का छोर
ऐ वै अमरूद की डाली बैठन
चल जोंला तै कफला की गोड़ी चखन
उडी जा रे उडी जा रे
मेरु मेरु मेरु
प्राण पखेरू उडी जा

घुमी आ तू घुमी आ
जैकी वख भेंटि की आ
बैठी हुली बोई खोई हुली खुदी मेरी
त्यूं बोई की खुठी थे चुमी आ
उडी जा रे उडी जा रे
मेरु मेरु मेरु
प्राण पखेरू उडी जा

वख छे मेरु पाड़ा
मेरु नानू छुटू सौंसार
इतगा में कैदु वै से पियार
नि दिके सक्लु मी तेथे यार काद्गा पियार
उडी जा रे उडी जा रे
मेरु मेरु मेरु
प्राण पखेरू उडी जा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मी लगलू रे धै

मी लगलू रे धै
तू झट दौड़ी की ऐ
अपरू फर्ज अपरू करम
ऐ की निभै जै
मी लगलू रे धै

अब नी रे तू लाटू काटू
किले व्हैगे तू इन छाटू
तेरु हिसा ले जा तेरु बांटो
मेरु दुधि कु छे रे तू छंटो
मी लगलू रे धै

हिकमत ना कबै हैरी हमन
बूढी कमरी तुति पटगि पटन
लागि रे तेरी सारी सरु तेर रटन
हम त ऐ बार जान गदन
मी लगलू रे धै

सुकी गै रे बेटा लकड़ु हमर
जै मशान हुमन धूं जलन
घीयु ना तर मिटटी तेल चढ़े दे
वै भान आपरी मुखडी देके दे
मी लगलू रे धै

मी लगलू रे धै
तू झट दौड़ी की ऐ
अपरू फर्ज अपरू करम
ऐ की निभै जै
मी लगलू रे धै

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