ई कथा फिर सैई,ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी …२, ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी ,ई कथा फिर सैई ,
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी …२ ,ई कथा फिर सैई
जीकोडी कु तुटून कु रुणु पूछा ना सबका समण…२
बल ऐल पैल तुमरु ई नौंऊ .....ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
नफरती का तीर खैई हमन गैल्यों का सैर मा …२
हमन वख कै कै थे नि धेयै लगैई..ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कया बथोंण प्रित हमारी ऊँ उकालों का बाटों मा…२
वख क्वी जीत ना नि क्वी हारी ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
ई कथा फिर सैई,ई कथा फिर सैई
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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