Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253462 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बौल्या मना

बौल्या मना रे बौल्या मना
नि जाणा पाई तिल
नि खाण पाई दोई घास सुखा का
बौल्या मना रे बौल्या मना

बिरड़ी रे तू अटगी तू
कै खोला रौला मा कै बांजा अंजाडू
क्द्गा अपरा अजाणा मा
बौल्या मना रे बौल्या मना

कण परित ब्यालिगे
ब्योलि जन शर्मिगे आँखा की छूईं तेरी
यकुली तू तेर कैन ना बिंगी रे
बौल्या मना रे बौल्या मना

माया तेरी ई बौली ही राई
ऐई दगड तेरु तेरु दगड ही गैई
जिकोड़ी मेरी यख माया लगै कया पाई
बौल्या मना रे बौल्या मना

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हे उत्तराखंड बुरांस

उत्तराखंड बुरांस
पहाड़ की तू छे आस
किले छे आच छूछा
किले छे तू उदास

हे मेरु राज्य वृक्ष
कया दडयूं कया लुक्युं तेर पास
किले छे आच छूछा
किले छे तू उदास

दांडी कंठी कु तू छे राजा
तेरु राज किले रैगे याकलू आजा
किले छे आच छूछा
किले छे तू उदास

ना भेद स्की ते क्वी
ना जाणा स्की ते क्वी
किले छे आच छूछा
किले छे तू उदास

रैग्युं यखुली याखुली मि
और्री रेगे याखुली तू
किले छे आच छूछा
किले छे तू उदास

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ई कथा फिर सैई,ई कथा फिर सैई

पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी …२, ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी ,ई कथा फिर सैई ,
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी …२ ,ई कथा फिर सैई

जीकोडी कु तुटून कु रुणु पूछा ना सबका समण…२
बल ऐल पैल तुमरु ई नौंऊ .....ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई

नफरती का तीर खैई हमन गैल्यों का सैर मा …२
हमन वख कै कै थे नि धेयै लगैई..ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई

कया बथोंण प्रित हमारी ऊँ उकालों का बाटों मा…२
वख क्वी जीत ना नि क्वी हारी ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
ई कथा फिर सैई,ई कथा फिर सैई

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बालकृष्ण डी ध्यानी
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आयां छन मी थे समझाणा लोक

अपरी ही भाग्या मा ऊ रुना छीन
क्ख्क उठे कि मी थै अब ले जाणा लोक
सिकेसरी मी थै किले सीकाणा लोक
आयां छन मी थे समझाणा लोक

क्ख्क भति लाना खैरी और्री सैरी की नोट
अपरी ही जीकोडी मा जबै लागि खोट
ये उकालु छोड़ी की किले फुंड जाणा लोक
आयां छन मी थे समझाणा लोक

थैली अंग्रेजी दगड जब तिस नि बोझनी
मरघट जैकी अब तिस बोझाणा लोक
कुटमदरी अपरुँ थे किले भुली जाणा लोक
आयां छन मी थे समझाणा लोक

बंजा अंजाडू बाटा जबै खुठा कंटु घुसैनि
बूत चप्पल खुठी किले पैरा दि लोक
अपरी संस्कर्ति हास किले कैरदी लोक
आयां छन मी थे समझाणा लोक

एक उत्तराखंडी

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बब्बर बनि गुलदार

बब्बर बनि गुलदार
ये पहड़े मा नि मिली
तुम थे क्वी सरदार दीदा
बब्बर बनि गुलदार

उत्तराखंड सरकार बथा दे
राज्यसभा कु कया च यु ब्यापार
दिल्ली कु खेल च या
तुमरी च सोची समझी चाल
बब्बर बनि गुलदार

निर्विरोध व्हैगे निकाल
उत्तरखंड कु विरुद्ध की आवाज
अब कन बनिगे उत्तरखंड की आवाज
केंद्र उत्तरखंड सरकार कैल कुठाराघात
बब्बर बनि गुलदार

बब्बर बनि गुलदार
ये पहड़े मा नि मिली
तुम थे क्वी सरदार दीदा
बब्बर बनि गुलदार

एक उत्तराखंडी

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ई कथा फिर सैई,ई कथा फिर सैई

पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी …२, ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी ,ई कथा फिर सैई ,
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी …२ ,ई कथा फिर सैई

जीकोडी कु तुटून कु रुणु पूछा ना सबका समण…२
बल ऐल पैल तुमरु ई नौंऊ .....ई कथा फिर सैई
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कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई

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हमन वख कै कै थे नि धेयै लगैई..ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई

कया बथोंण प्रित हमारी ऊँ उकालों का बाटों मा…२
वख क्वी जीत ना नि क्वी हारी ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
कैल तोड़ी जिकोडू हमरु …२ ई कथा फिर सैई
पहाड़ों थे कैकि पीड़ा नि मारी , ई कथा फिर सैई
ई कथा फिर सैई,ई कथा फिर सैई

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आयां छन मी थे समझाणा लोक

अपरी ही भाग्या मा ऊ रुना छीन
क्ख्क उठे कि मी थै अब ले जाणा लोक
सिकेसरी मी थै किले सीकाणा लोक
आयां छन मी थे समझाणा लोक

क्ख्क भति लाना खैरी और्री सैरी की नोट
अपरी ही जीकोडी मा जबै लागि खोट
ये उकालु छोड़ी की किले फुंड जाणा लोक
आयां छन मी थे समझाणा लोक

थैली अंग्रेजी दगड जब तिस नि बोझनी
मरघट जैकी अब तिस बोझाणा लोक
कुटमदरी अपरुँ थे किले भुली जाणा लोक
आयां छन मी थे समझाणा लोक

बंजा अंजाडू बाटा जबै खुठा कंटु घुसैनि
बूत चप्पल खुठी किले पैरा दि लोक
अपरी संस्कर्ति हास किले कैरदी लोक
आयां छन मी थे समझाणा लोक

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बब्बर बनि गुलदार
ये पहड़े मा नि मिली
तुम थे क्वी सरदार दीदा
बब्बर बनि गुलदार

उत्तराखंड सरकार बथा दे
राज्यसभा कु कया च यु ब्यापार
दिल्ली कु खेल च या
तुमरी च सोची समझी चाल
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निर्विरोध व्हैगे निकाल
उत्तरखंड कु विरुद्ध की आवाज
अब कन बनिगे उत्तरखंड की आवाज
केंद्र उत्तरखंड सरकार कैल कुठाराघात
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ये पहड़े मा नि मिली
तुम थे क्वी सरदार दीदा
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मीथै सिखै दे बोई

अपरी भाषा अपरी बोली
मीथै सिखै दे बोई............. २
बिरडयूँ लग्युं छों मि अपरुँ मा ही
मीथै मेरु बाटू दिकै दे बोई
अपरी भाषा अपरी बोली
मीथै सिखै दे बोई............. २

ना बणी अब तक अ।...........
ना फुली पाई ….. २ कया करूँ मि
अपरूँ थें जैन ध्यान नि दे पाई
ना कैर भूल जब खिललु छूट फूल
वे थे सिके दै बोई
अपरी भाषा अपरी बोली
मीथै सिखै दे बोई............. २

लुप्त हुना कु कगार मा बैठीं चा
यकुली यकुली कै धार मा वा बैठीं चा
सिकी तिल सब अपरी भाषा नि सिक पाई
बल तेरी इनि उपहास मा वा यकुली बैठीं चा
ना इनि उपहास कैर ना बना विं था गैर
मीथै मेरु बाटू दिकै दे बोई
अपरी भाषा अपरी बोली
मीथै सिखै दे बोई............. २

अबी बी भुला नि व्हाई दैर
कुच ना कुच सोच कुच त तू फिकर कैर
सन २००० मि राज्य बानी गे छ
किले ने बानी मेरी बोळी भाष फिर.... अ
कैमा और्री कण लागलु आस फिर
अपरी भाषा अपरी बोली
मीथै सिखै दे बोई............. २

अपरी भाषा अपरी बोली
मीथै सिखै दे बोई............. २
बिरडयूँ लग्युं छों मि अपरुँ मा ही
मीथै मेरु बाटू दिकै दे बोई
अपरी भाषा अपरी बोली
मीथै सिखै दे बोई............. २

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दुकी तेरु मन

दुकी तेरु मन
बल सुक कख भत्ते की लाण
दुक दुक बोळी की
तिल सुधि इनि चलि जाण
दुकी तेरु मन

सुक का खातिर किले छों रुना
ऐ गैना तुम केले छों खोना
कै दगडी क्वी सदनी नि रैंदु
सुक त बल बस आंदु जांदु छैलु
दुकी तेरु मन

टक्कों दगडी अल्झी जियू छा
माया मा भटकी यकुली जियू छा
कण कै की खोजी की लाण जीयू थे
वै मा ही अटक्यूँ सबकु जियू छा
दुकी तेरु मन

यख वख कख ना तै थे मिळ्लु
मील जालु त मीथै बी बतै देई
वि दवाई थे मीथै बी पिलै दैई
वै सुका बाटा मा मी थै बी हीटेई
दुकी तेरु मन

दुकी तेरु मन
बल सुक कख भत्ते की लाण
दुक दुक बोळी की
तिल सुधि इनि चलि जाण
दुकी तेरु मन

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