Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253549 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ऐई गैई याद मीथै

ऐई गैई याद मीथै
फिर मेरा पहाड़ की
ये उकाला की म्यारा गढ़वाल की
ऐई गैई याद मीथै
फिर मेरा पहाड़ की
ये उकाला की म्यारा गढ़वाल की

ढुगों और गारों दगडी
छ्वीं लगांदी खिद्क्ती धारा की ,पौड़ी बाजारा की
मेरा पहाड़ की
ऐई गैई याद मीथै
फिर मेरा पहाड़ की
ये उकाला की म्यारा गढ़वाल की

पञ्च प्रयागा की बद्री-केदारा की
देब्तों की ठोंऊँ की अपरा गोँऊँ और मऊँ की
ऐई गैई याद मीथै
फिर मेरा पहाड़ की
ये उकाला की म्यारा गढ़वाल की

मुळ मुळ हैंसणि व्हाली
खुदेड़ अब गीत गाणी व्हाली
खुद थे रूले रूले की खुद थे बथोंणी व्हाली
ऐई गैई याद मीथै
फिर मेरा पहाड़ की
ये उकाला की म्यारा गढ़वाल की

कवि यकुलांस तू यकुलि उडी जांदू कख
लगै दे परै हिलांसा
घुघती दगडी तू बौडी ऐजा घर
ऐई गैई याद मीथै
फिर मेरा पहाड़ की
ये उकाला की म्यारा गढ़वाल की
ऐई गैई याद मीथै
फिर मेरा पहाड़ की
ये उकाला की म्यारा गढ़वाल की

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ऐ जा ऐ

ऐ तेरु मुल्क तेरु परणु ऐ जा ऐ
ऐ देक ते थे रे ऊ खोजणो ऐ जा ऐ
ऐ तेर दीदी भूली धैय लगाणी ऐ जा ऐ
ऐ देक तेरी बोई बैठ तेरी हेर लगाणी ऐ जा ऐ
ऐ तेरी सौंजडया प्रीत की गेड लगाणी ऐ जा ऐ
ऐ तेरु नोना नोनी तेरु बान रुनी झट ऐ जा ऐ
ऐ बाटा ऐ उकाला ऐ दीदा ऐ जा ऐ
ऐ उजाडु को पहाड़ कु चुला ऐ बाबा ऐ जा ऐ
ऐ कंडो को कंजाड़ो ऐ भुला ऐ जा ऐ
ऐ अपरू कामो गढ़वाल ऐ चचा ऐ जा ऐ
ऐ बुरांसा की लाली की डाली ऐ जा ऐ
ऐ फ्योंली पिंगली फ्योंहली ऐ जा ऐ
ऐ घुघती मेर घौर की डाली ऐ जा ऐ
ऐ मेरु पन्देरु को ठण्डु मिठू पाणी ऐ जा ऐ
ऐ गीचुड़ी की तिसाली ऐ जा ऐ
ऐ मेरी रोलोँ की रसली हिंसाली ऐ जा ऐ
ऐ मेरु गौं की बाल कुँवारी ऐ जा ऐ
ऐ मेरु पितृ इष्टों जग्वाली ऐ जा ऐ
ऐ मेरु देब्तों को ठों नचानु ऐ जा ऐ
ऐ मेरु पांच नाम पांच प्रयाग ऐ जा ऐ
ऐ मेरु खोली को गणेशा ऐ जा ऐ
ऐ मेरु मौली कु नरेणा ऐ जा ऐ
ऐ मेर भगोती नंदा ऐ जा ऐ
ऐ ढोल दामो मासु बाजा संगी ऐ जा ऐ
ऐ मेरा पह्ड़ा की संस्कर्ति ऐ जा ऐ
ऐ मेरा पहाड़ का बार तियोहरा ऐ जा ऐ
ऐ मेरा अमुरुदा की डाली ऐ जा ऐ
ऐ नारंगी की दानी ऐ जा ऐ
ऐ मेर पीछा की ढंगी ऐ जा ऐ
ऐ मेर पुंगड़ी की ज्वानि ऐ जा ऐ
ऐ मेर उत्तराखंड की प्रगति ऐ जा ऐ
ऐ तेरु मुल्क तेरु परणु ऐ जा ऐ
ऐ देक ते थे रे ऊ खोजणो ऐ जा ऐ
ऐ तेर दीदी भूली धैय लगाणी ऐ जा ऐ
ऐ देक तेरी बोई बैठ तेरी हेर लगाणी ऐ जा ऐ
ऐ तेरी सौंजडया प्रीत की गेड लगाणी ऐ जा ऐ
ऐ तेरु नोना नोनी तेरु बान रुनी झट ऐ जा ऐ

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कन कन लोक ऐ जांदा

कन कन लोक ऐ जांदा हमरा जीयू थे जलाण बान
अपरि अपरि पीड़ा कथा लेकि हम्थे सुनाणा बान

मेरा बाना ऊ बिरणा छंन ऊँका बाण मी अजाण
फिर एक जग कु रीत च ऐ जांदी वैथे निभांणा बान

ऊं बिगेर मि रै नि सक्दु ईं पीड़ा खैरी भरयूँ सौंसार मा
मेरी ई मजबूरी च ऐ जांदी विंकि याद दिलाणा बान

सबुकु ऐकि की चुप रैंदु जिकोड़ी की छविं नि कर दा
आंदा जाँदा जीणा का बी लाखा भाना ऐ जांदा

अब पड़यूँ छों दोई लगुला का बीच मा तणयूँ छों
अपरी लाचारी कु वेग और्री भेद बीच फस्युं छों

ऐ जावा तुम बी अब मेर हैंसी उड़ाणा बान
मि पड़यूँ छो दस बरसा भती मिथे टांगणा बान

एक उत्तराखंडी

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आच तुमरि खुद

आच तुमरि खुद...खुद भंडी खुद ऐई
यूँ अन्ख्युं को पाणी आच खुभ ....खुभ बौगी ग्याई
आच तुमरि खुद

कैल नि जाणि ... नि जाणि ई यकुली पीडा कु दर्द
मेरि विपदा की खैर... खैर बल मिल ई जाणि
आच तुमरि खुद

बैठी रयुं तुमरु रैबार बाण ....रैबार बाण कब भ्तेकी
पर नि ऐई क्वी रैबार ना तेर चिठ्ठी ना पत्री ऐई
आच तुमरि खुद

करनु छों हिसाब तुम याद आच कद्ग बारी आंयां
नि मौजी स्की आच त तुम याद बेहिसाब आंयां
आच तुमरि खुद

इं जीकोडी थे बथो दे बथो दे ऐकी यख एक बारी
बल रति इनि बीति ना तुम ब्याल ना आच आंयां
आच तुमरि खुद

आच तुमरि खुद...खुद भंडी खुद ऐई
यूँ अन्ख्युं को पाणी आच खुभ ....खुभ बौगी ग्याई
आच तुमरि खुद

एक उत्तराखंडी

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सारि उमरी तेरु बाटू हेरी की गुजरी ग्याई

सारि उमरी तेरु बाटू हेरी की गुजरी ग्याई
हेर हेरमा गेल्या मिल कै कैसे नि माया लगैई

कबी मिल तेर छँवि बुरांस भुलि ते सुनैई
कबी मिल घघुति दीदी दगडी तै रबैर पठैई

कबी चौक छाज कभी झिंगला धुरपाली मा
कै बाटू कै रौळु तेरु नौऊ लेकि दौड़ी नि लगैई

बाणों की घ्सेरी डाली मा दाती धारा घेरी मा
खदेड़ा गीतों का बोल ढोल दामों का थापों मा

कबीत मि अंधरों का कोना कोना मा रे गेल्या
बैठी बैठी की तेर स्वाणी कि मुखडी सुबेर द्यखी

कख कख मिल ते थे खोजी तेरु मिल खैल क़्याई
ये जीकोडी अंगोला मा तू सदनी यख बैठी राई

सारि उमरी तेरु बाटू हेरी की गुजरी ग्याई
हेर हेरमा गेल्या मिल कै कैसे नि माया लगैई

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आवा अब ऐ बी जावा

तुम्न बी देकी छे देकी मस्ती मेर पहाड़े की
ईं सुप्न्यु का दिस बित जाणा पैल आवा अब ऐ बी जावा

मि त सदनी भटक दी रुंदू ईं डंडी कंठी मा
तुम बी अपरी तिस कु ऐणा दिखाण कुन आवा अब ऐ बी जावा

देक तुमरा जाणा बाद कै पीड़ा सैयां छन हमुन
देक आस कु ज्योत जगौण बाण आवा अब ऐ बी जावा

नि ऐना कुन तुमन यख कै भाना कियां तुमुन हम दगडी
अब कै दीण ना ऐना का भाना बोळी कि आवा अब ऐ बी जावा

तुम्न बी देकी छे देकी मस्ती मेर पहाड़े की
ईं सुप्न्यु का दिस बित जाणा पैल आवा अब ऐ बी जावा

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ये मेरु बेटा .......

वो....देख मेरा कुडू कूड़ा नि व्है जाई
रुमकु पौड़ी सुरुक झट झौल ना पौड़ी जाई
पितृ बस्यों इष्टों का ठौर ना टूटी जाई
मेरु पहाड़ मेरु रै तू बिराणो ना व्है जाई

वो..... जैल समै वैल कमै
गंगा की बोगती न्यार ने मिथे सुनै
बोगी जख जख जोगी आंयां वख वख
तपोवन की ई भूमि व्हैगे हरै भरै

वो....... सोची ले समझी ले
पह्ड़ा जनी अपरा खुठा जमीं ले
छे ताकत तैम ले इच्छा शक्ति तू मैमा
ईं देवभूमि थे अपरी कर्मभूमि बनै

वो......सब हर्चण पैलू सब खर्चण से पैलू
ज्योतिं जिंदगी का बाटों भटकन से पैलू
अपरा मन दगडी तू कुछ देर त बचै
क्या बोल्ळी तेर जिकोड़ी तू सब थे सुनै

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नये चखुला कु उड़णा कु

प्रीत कै पैली पत्री लिखणा कु बगत त लगदु च
नये चखुला कु उड़णा कु बगत त लगदु च

सरीर की छविं निच जी ऊँका जिकड़ी जाणा छे
भंडया दूर जाणू बान बगत त लगदु च

गेड अग्र पौडी जैये त फिर कुटुमदरी हु या लगळु
लाख ताक़त लग्यां सुटणा बान बगत त लगदु च

हमुन इलाज -ऐ - जक्म-ऐ -जिकोड त ढुंढी लियां जी
खोळ जक्म ते भरणा बान बगत त लगदु च

कन यखुली व्हैगै सैरौ गढ़देश तुमर जाणा बाद
अपरा गयां ऊँ थे परती आणु बाण बगत त लगदु च

प्रीत कै पैली पत्री लिखणा कु बगत त लगदु च
नये चखुला कु उड़णा कु बगत त लगदु च

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आँखों कु हेर दे कि

आँखों कु हेर दे कि ऊ हुनर चली ग्याई
माया लगे छे एक बौल्या दगड झण ऊ कख चली ग्याई

दिस की ऊ काम धाणी रति की ऊ नींदि ग्याई
क्वी बंडोल की म्यारु सारू शोर लेकि चली ग्याई

बयार च एक ऊ मौल्यार रंग कु खैल गैल्या बी
मेरी देली मा धौलेकि फूल विंकि सूंघ कख चली ग्याई

वैका ही हिक्मत दगडी जीयु मा आच घाम बी गेणा बी छन
देकि ऊ अपरी खुद कु ऊ सुबैर ऊ राति चली ग्याई

कख कख दैली दैली कब भ्तेक भ्ट्कनु छे ये जियु
हम थे भूली की ऊ बाटा अपरी ठिकाण चली ग्याई

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बिसरी किले नि जांद?

आणु नि पहाड़ मा त बिसरी किले नि जांद?
किले खुद धरिच संभली किले बिसरी नि जांद?

कै वास्त लिख्युं छे जिकोड़ी मा मेरु नौऊ
जबै आखर गलत व्हैगे त पुसै किले नि जांद?

खैरी विपदा पीड़ा रोजै की दुक से हम थे निकाला
जब तुम हमरा नि राई त किले बथा नि देन्द?

रै रै की ना इनि तत्रस दे ऐ मेरा बिगड़यां देबता
तुम अपरा हाता से मिथे बिस किले पिलाई देन्द?

जब मेर निष्ठ पर तुम थे बिस्वास निछई
त मिथे तुमरि नजरि भत्ते किले चुला नि देन्द?

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