ये मेरु बेटा .......
वो....देख मेरा कुडू कूड़ा नि व्है जाई
रुमकु पौड़ी सुरुक झट झौल ना पौड़ी जाई
पितृ बस्यों इष्टों का ठौर ना टूटी जाई
मेरु पहाड़ मेरु रै तू बिराणो ना व्है जाई
वो..... जैल समै वैल कमै
गंगा की बोगती न्यार ने मिथे सुनै
बोगी जख जख जोगी आंयां वख वख
तपोवन की ई भूमि व्हैगे हरै भरै
वो....... सोची ले समझी ले
पह्ड़ा जनी अपरा खुठा जमीं ले
छे ताकत तैम ले इच्छा शक्ति तू मैमा
ईं देवभूमि थे अपरी कर्मभूमि बनै
वो......सब हर्चण पैलू सब खर्चण से पैलू
ज्योतिं जिंदगी का बाटों भटकन से पैलू
अपरा मन दगडी तू कुछ देर त बचै
क्या बोल्ळी तेर जिकोड़ी तू सब थे सुनै
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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