Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253549 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कै पडी

कै पडी
कै स्कूला मा
विद्या बौगी गे
वै रौला मा
घंगतोल म्च्युं छे
ये छोर मा
पहाड़ कु
खौला खौला मा
कै पडी
कै स्कूला मा

सिकेसरी की
सड़की तिरचि बनी छे
मयारू गौं से
देश बिदेस मा
कख कख छे
वा तनी
रैं ना पाई
ऊ सड़की
म्यारा पास मा
यक्लु पौडि रैगे
मि अपरू घौर मा
कै पडी
कै स्कूला मा

धिंगतालो की
बरखा पौडि
अब गौं गौं मा
मासु बाजा
ढोल दामो की
थोप मा
ब्यो बारती
व्है की
तुण्ड नचणा
सरया मदहोश मा
बस ये ही रैगे
म्यारु गढ़ देश मा
कै पडी
कै स्कूला मा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
ऐ बिमला मेरी

कुछ और्री बात छई
कुछ और्री ताल छाई तैव्म ऐ बिमला मेरी
जै ये मेरु जियू तेर पास ही राई
तेर नौ ऐ जीकोडी ल सुबेरा ब्योखन ल्याई
ऐ बिमला मेरी ऐ बिमला मेरी

झक देख तू देखेली
ये मेर नटेली ये लगुली
गथोड़ी सगा की मेर सगोडी
कटोर भोरी घीयु की थपोली
ऐ बिमला मेरी ऐ बिमला मेरी

कैन ये जादू क्याई
कैन ये तेर काया बनेई
तेरु रूपा को झौल मा
मीथै पुरता बौल्या बनेई
ऐ बिमला मेरी ऐ बिमला मेरी

ना ना तू कैर चिंता फुंड सैर
ना इन तू कैसे दैर
ये मेर फ्योंली
तू ही बनेली मेर ब्योलि
ऐ बिमला मेरी ऐ बिमला मेरी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
हात म्यार रीता रैग्याँ

हात म्यार रीता रैग्याँ
हता का रेघ
कुच लिख्याँ छन
सब मिटै मैटि की चलीग्याँ

सुप्निया मेरु
रंगै रति नि यकुली यकुली
सुबेरा ऐई वै नि
सबै तौड़ी की चली ग्याँ

मठु मठु
ब्यार भैनी च
माया कु ठण्डु
किले इतग बरद पसरियूं च

फ्योलोडी फूली
कोयेड़ी लोक्यांलि
सौंजड्य खुटयूँ
किले पराज लौंत्याली

हात म्यार रीता रैग्याँ

बालकृष्ण डी ध्यानी

देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
हात म्यार रीता रैग्याँ

हात म्यार रीता रैग्याँ
हता का रेघ
कुच लिख्याँ छन
सब मिटै मैटि की चलीग्याँ

सुप्निया मेरु
रंगै रति नि यकुली यकुली
सुबेरा ऐई वै नि
सबै तौड़ी की चली ग्याँ

मठु मठु
ब्यार भैनी च
माया कु ठण्डु
किले इतग बरद पसरियूं च

फ्योलोडी फूली
कोयेड़ी लोक्यांलि
सौंजड्य खुटयूँ
किले पराज लौंत्याली

हात म्यार रीता रैग्याँ

बालकृष्ण डी ध्यानी

देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
अपरी तिबरी डांड्याली

अपरी तिबरी डांड्याली
मा तू ऐजा
सुरुक ऐकी
सिन्कोली निरजक
तू सैजा

झक्क झौं
ई दुनिया मा
त्यागी दे तू
सब मोह माया
ये मा अटकी
बल कैल कया पाया

अपरी तिबरी डांड्याली
मा तू ऐजा
सुरुक ऐकी
सिन्कोली निरजक
तू सैजा

सब कुच
यखी च
वख कुच बी
नि च तेरु
अपरा मा मिसणा कु
सब छोड़ी ऐजा

अपरी तिबरी डांड्याली
मा तू ऐजा
सुरुक ऐकी
सिन्कोली निरजक
तू सैजा

खुद लगी व्हाली
वख ते थे यकुली
मिथे यख
तेर बडुळि लागि
कैल कया कण
सब किस्मत का फेर

अपरी तिबरी डांड्याली
मा तू ऐजा
सुरुक ऐकी
सिन्कोली निरजक
तू सैजा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 2 at 5:45am ·

अपरी तिबरी डांड्याली

अपरी तिबरी डांड्याली
मा तू ऐजा
सुरुक ऐकी
सिन्कोली निरजक
तू सैजा

झक्क झौं
ई दुनिया मा
त्यागी दे तू
सब मोह माया
ये मा अटकी
बल कैल कया पाया

अपरी तिबरी डांड्याली
मा तू ऐजा
सुरुक ऐकी
सिन्कोली निरजक
तू सैजा

सब कुच
यखी च
वख कुच बी
नि च तेरु
अपरा मा मिसणा कु
सब छोड़ी ऐजा

अपरी तिबरी डांड्याली
मा तू ऐजा
सुरुक ऐकी
सिन्कोली निरजक
तू सैजा

खुद लगी व्हाली
वख ते थे यकुली
मिथे यख
तेर बडुळि लागि
कैल कया कण
सब किस्मत का फेर

अपरी तिबरी डांड्याली
मा तू ऐजा
सुरुक ऐकी
सिन्कोली निरजक
तू सैजा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 3 at 6:54am ·

अछोदो बैठी हुली बोई मेर

अछोदो बैठी हुली बोई मेर
ऐगि हुलु ओडल ऊ डाँडो पार
पुंगडु ओड़ा मा कु ऐन्ठू हुलु
इज्रान व्हैजा बांज पुंगड़ी मेरी

कटुला कटील भूमि म्यारी
कुल्यान्दा व्हैजा स्यारी स्यारी
गंग्लोडा कु गधेरा गोळ ढुंगा
गड्डी गोट ऊ गयुंवाडी कु सारा

मरसा तिल रीखु कि स्वगाडी
हल्दू आदु चणा और्री ऊ सुंठा
पिंडालू भांग्लू तैल्डू कु ऊ बाड़ा
खरक मरडा कु पसरया बग्वाल

गंज्याला घरया चोपडी छाछरो
गाड़ कु जवाडा छोप्न्य्या छर्रों
बिच्ल्या बुणया बीजवाड रौली
तप्पड भ्विमुंडा बिच्छा कु धार

अछोदो बैठी हुली बोई मेर ...............

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 4 at 12:46am ·

अन्यारी राता मा

अन्यारी राता मा
तू कैले मेसै बाता

हेर त्यूं भूली
ऊ ह्यूँद व्हाली चूली
चमकन लागि हुली
जन रात गैना

अन्यारी राता मा
तू कैले मेसै बाता

चौख्टीय बाटू हेरि
फिर घिर ऐगे चौमास
यकुली परानु भूलि मेरु
झट छविं लगाण ऐजा

अन्यारी राता मा
तू कैले मेसै बाता

ऊ क्या देलो हैका शुख
वैकु नि रैगे अब अता पता
भैम व्हैगे थे मिथे भूली
झट तू दौड़ी की मै पास ऐजा

अन्यारी राता मा
तू कैले मेसै बाता

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 6 at 8:46am ·

क्वी नि मेरु पास अब

हो हो औ हो अ

क्वी नि मेरु पास अब
मेरु जीकोडी बोल्दी रैंदी
ये मन मेरा जब माया बसी
इले ई आँखि रुंदी रैंदी

दुक दुक सदनी इन
किले ऊ इनि कैंदी रैंदी
ध्यै किले कैकु बाण
इनि सदनी ऊ देंदी रैंदी

बच्न का कांडा अब
सदनी जिकोड़ो घोच्दो रैंदा
निर्भगी इन मन रे ऊ बान
किले सदनी उल्टो सोच्दो रैंदी

क्वी नि मेरु पास अब
मेरु जीकोडी बोल्दी रैंदी
ये मन मेरा जब माया बसी
इले ई आँखि रुंदी रैंदी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी 

ये लोक

हैंसो त हँसैंण नि दिंदा
ई दुनिया किले मिथे जीण नि दिंदा

जख देका तख भिर भिराण लग्यां
मिथे यखुली ऊ किले नि रैण दिंदा

माया कु मि चखुलु छों आकासा कु
ये आकासा मा मिथे ऊ किले उड्न नि दिंदा

अपरी छविं ईं ऊं सदनी लगान्दा रैंदा
मेरी छविं किले नि ऊ एक बारी सुणदा

हैंसो त हँसैंण नि दिंदा
ई दुनिया किले मिथे जीण नि दिंदा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22