कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 3 at 6:54am ·
अछोदो बैठी हुली बोई मेर
अछोदो बैठी हुली बोई मेर
ऐगि हुलु ओडल ऊ डाँडो पार
पुंगडु ओड़ा मा कु ऐन्ठू हुलु
इज्रान व्हैजा बांज पुंगड़ी मेरी
कटुला कटील भूमि म्यारी
कुल्यान्दा व्हैजा स्यारी स्यारी
गंग्लोडा कु गधेरा गोळ ढुंगा
गड्डी गोट ऊ गयुंवाडी कु सारा
मरसा तिल रीखु कि स्वगाडी
हल्दू आदु चणा और्री ऊ सुंठा
पिंडालू भांग्लू तैल्डू कु ऊ बाड़ा
खरक मरडा कु पसरया बग्वाल
गंज्याला घरया चोपडी छाछरो
गाड़ कु जवाडा छोप्न्य्या छर्रों
बिच्ल्या बुणया बीजवाड रौली
तप्पड भ्विमुंडा बिच्छा कु धार
अछोदो बैठी हुली बोई मेर ...............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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