Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253654 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
मन मेरु बोलणु जी

माया दाड़ी चा जी
ईन तेर मयाल्दी अँखियुं मा
सुण ले कथा मेरु जी कु जी
ऐजा कबीत ईं जिकोड़ी कु बाटू मा

माया दिकि छे ईं तेरी स्नेयुं की
ऊँ डंडि काण्ठियों की ईं उकाली ऊँदारीयूँ की

पिरती की गेढ़ मरीं चा
ई अल्य पल्य भितरी जी
ऐजा ऐकी खुलि ले
अपरा ईं दोईयां हाथों दगडी

माया दिकि छे ईं तेरी स्नेयुं की
ऊँ डंडि काण्ठियों की ईं उकाली ऊँदारीयूँ की

पहाड़ को मिथु पाणी
जानी तेरु माया जी
बरखा को बादल जनि
ठण्डु तेरु छैलू जी

माया दिकि छे ईं तेरी स्नेयुं की
ऊँ डंडि काण्ठियों की ईं उकाली ऊँदारीयूँ की

मन मेरु बोलणु जी
ऐजा अब मेरु अंग्वाळ मा
देख तेर मुखडी जब से
सुध-बुध मेरी हर्ची चा

माया दिकि छे ईं तेरी स्नेयुं की
ऊँ डंडि काण्ठियों की ईं उकाली ऊँदारीयूँ की

माया दाड़ी चा जी
ईन तेर मयाल्दी अँखियुं मा
सुण ले कथा मेरु जी कु जी
ऐजा कबीत ईं जिकोड़ी कु बाटू मा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
चल ईं थे भाषा बणा

दादी मेरी
बाब मेरु
मांजी सुणा
गढ़ देशा की गढ़ बोळी मेरी
चल ईं थे भाषा बणा

क्द्गा यखुली रैगे
क्द्गा यखुली कैगे
ईं गिची गिची थे अपरुँ अपरी
तू किलै बिराणी रैगे कैगे

आमा मेरी
बौज्यू मेरु
इजा सुणा
गढ़ देशा की गढ़ बोळी मेरी
चल ईं थे भाषा बणा

ढुंगा ढुंगा गारा गारा
चला म्यार दगडी हिटा
मीठी मीठी गढ़ बोली मेरी
कब आली ईकी बिन्सरी बेल मिथे बथा

बोडी मेरी
बोडा मेरु
नानू नौनी सुणा
गढ़ देशा की गढ़ बोळी मेरी
चल ईं थे भाषा बणा

बुराँस फ्योंली जाणि
ईंथे डाळी डाई खिला
काफल किन्गुडा हिंसाल
की जाणि रसीली दाणी बाणा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
अपरी मा मि अब

अपरी गरीबी की
कथा कैमा लगाण
दोई बल्द कु जौड़
कै फुंगडा मिल हकाण

बंजा पौड़ी धरती यख
नि रैगे विंका सैगुस्याण
रीता पौडी रै गै सदनी
बणीगे ऊ जंगलाता धौर

निर्भगी रे माया
कया तेर यख पछाण
सुख़ मा सब दगडी
दुःख मा सब व्हैगे बिराण

कथगा धैये लगाण
क्ख ऊं थे हुमन रैबार पठणा
बंद व्हैगे अब ऊ सब चिठ्ठी-पत्री
क्ख हुलु ओंका अब ठों ठिकाण

अपरी मा मि अब
लग्युं छों यखुली बचाण
रैगे जीयू द्वि सांस कु ठौर
चखुली बण हुमन उड़ जाणा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
ये गद्नि छम छम

कन बगनी हुली ये दीदी
ये गद्नि छम छम
कन बगनी हुली

ऊ ह्युंद चुल्युं मा
ये ऊंचा निसा डंडि-कांठि
अपरी अपरी लगादी वा
झट बिराणी व्है जांदी
कन बगनी हुली ये दीदी
ये गद्नि छम छम
कन बगनी हुली

चल जोंला
द्वि दीदी भूली
छकेकि विं की तस्बीर थे
यूँ आंखां मा टिपि ओंला
कन बगनी हुली ये दीदी
ये गद्नि छम छम
कन बगनी हुली

रोलां खोलों मा
हिंसालों दानी, डालों डालों मा
ढुंगा गारों मा लपक छपक कैकि
हैराली पस्यारी स्यारी स्यारी मा
कन बगनी हुली ये दीदी
ये गद्नि छम छम
कन बगनी हुली

देख ऐकि मेर माया कु चित्र
सरया पसरयूं च ये मेर पहाड़ मा
कैन ऐकि रंगी गै हुलु ये सारू
बस यख ऐकि एक रात मा
कन बगनी हुली ये दीदी
ये गद्नि छम छम
कन बगनी हुली

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
ये बी यखा कु रच्यु खेल चा

आच-कल म्यारा पहाड़े मा
ढोल दामू की धूम चा
ब्योला ब्योलि ब्यो लग्युं
बरातियों की मौज चा

देसी बिदेसी ब्रांड दारू की
आच-कल खुभ बिक्री चा
नचेडा नच नचेकी तुण्ड
अत पत खुठा लेतेड चा

घाम कु हुयूँ च लत पत
छर छर छयूँ च यख वख
धिंगतालु की थाप मा
कन मचयूँ देक झख छप चा

मद मस्त छईं छे पहाड़
कोक सोडा पानी निट कु यु मेल चा
जियुंदगी यख द्वि दिना की
ये बी यखा कु रच्यु खेल चा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बहुत याद आता है वो गांव मेरा

बहुत याद आता है वो गांव मेरा
बहुत याद आता है वो गांव मेरा
अकेले में आ कर मुझे बहुत रुलाता है गाँव मेरा
बहुत याद आता है वो गांव मेरा

वो अपनापन याद दिलाता है वो गांव मेरा
वो अपनों को साथ लेकर पास आता है वो गांव मेरा
इस पराये देश में मुझे अपना बनाता वो गांव मेरा
बहुत याद आता है वो गांव मेरा

वो एक एक कोना वो बिस्तर वो मेरा बिछोना वो गांव मेरा
वो एक साथ हम सबका मिलकर सोना वो गांव मेरा
कहाँ खो गया वो मेरा अँध्यारी रातों का गहना वो गांव मेरा
बहुत याद आता है वो गांव मेरा

बहुत याद आता है वो गांव मेरा
अकेले में आ कर मुझे बहुत रुलाता है गाँव मेरा
बहुत याद आता है वो गांव मेरा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
रे मलेथा देक तू बी .......

कया बदली गे
म्यारा पहाड़ों मा
ब्याल मिल फिर देक्यली
कुच नि बदली यख
कुच नि बदली
पैली जनि ही वा रैग्याई
वै हाता मा बी डंडा छ्या
ये हाता मा बी डंडा च
वैल बी मारी मिथे
यैल बी मिथे मऱ्याली
मि थे समझी की बिमारी
म्यारा हात
इनि सदनी रैगे रीता
सड़की की बस मेरी लागि फेरी
आंदोलन बस आंदोलन
म्यारा भग्या म रैगे सदनी
कया बदली गे
म्यारा पहाड़ों मा
रे मलेथा देक तू बी .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बुरांस खिल्युं चा

बुरांस खिल्युं चा
ये गेल्या देक बुरांस खिल्युं चा
लाल रंगा मा खिल ग्याई देक
देक कन हैंसणुं चा , बुरांस खिल्युं चा

डंडा डंडा मा कांडा कांडा मा
बुरांस खिल्युं चा औ बुरांस खिल्युं चा
अपरी मा देका जख तख देका
नजरी गैं वख तख देखा
पहाड़ सज्युं चा ,बुरांस खिल्युं चा

माया मेरी माया तेरी कैन लगिचा
ढुंगा देशा मा चल देकणु बुरांस खिल्युं चा
हरा हरा पाती जगमगण लगगै बाती
यूँ ह्युं चलूँ चांटी गद्नि का बाटी
भोरीगे साऱ्या घाटी ,बुरांस खिल्युं चा

जिकोड़ो मेरु मेसै कैनु लग्युंचा
तँसूँ तिस बुझाण ऐजा यख बुरांस खिल्युं चा
गलोड़ी का रंग बुरांस का संग
ऐबार छूछा तै थे रैबार पठ्यूं चा
आँखा फूटगे मेरु फिर देकणु ,बुरांस खिल्युं चा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
जोड़ घटाना की ई जिंदगी मा

जोड़ घटाना की ई जिंदगी मा
अखैर सब कुच घटी ग्याई
जोड़ी जोड़ी कया पाई मिल
जोड़ी जोड़ी कया पाई मिल
अखैर सब कुच घटी ग्याई
जोड़ घटाना की ई जिंदगी मा

कबी गुना व्हाई ये भग्या मा
कबी ये भग्या मा से वा भागी ग्याई
रैंदु कुच ना एक समान यख
बेल बेल मा सब यख बदली ग्याई
जोड़ घटाना की ई जिंदगी मा
अखैर सब कुच घटी ग्याई

राम बोल यख या श्याम बोल
दोई शब्दा को अर्थ यख एक ही व्हाई
कैल समझी ना कैल नि बिंगी
ऊ परित अबोली यख अपोरी रहाई
जोड़ घटाना की ई जिंदगी मा
अखैर सब कुच घटी ग्याई

जोड़ घटाना की ई जिंदगी मा ......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कुच त बोल्दे

मन मेरु तू बोव्ल जी
भेद जीयु कु अपरू खोव्ल जी
देक इन ना तू भाना बना
य्खुलि बैठ ना अपरी छँवि तू लगा
मन मेरु तू बोव्ल जी
भेद जीयु कु अपरू खोव्ल जी

सब कुच च त तैमा दडियुं
किलै की च मन तू बस भैर बस्युं
इन सीकेसैरी ना कैरा जी
किलै लगा दील तिल अपरा मा पैरा जी
मन मेरु तू बोव्ल जी
भेद जीयु कु अपरू खोव्ल जी

तू कख कख रे मेरु जीयु भागी रे
हे पहाड़ी तू रैगे सदनी अभागी रे
तिथे यख कख ना मिल ध्याड़ी जी
कन कै तू खालु आच क्वादु बाड़ी जी
मन मेरु तू बोव्ल जी
भेद जीयु कु अपरू खोव्ल जी

बंदरों सुंघरूं सब स्यारी उजाड़ी रे
बांजा पौड़ीगे आच बाची पुंगड़ी सारी रे
अब कया करलु जीकोडी तू मेरु जी
सबु तिकड़म व्हैगे कंडली जनि घैरु जी
मन मेरु तू बोव्ल जी
भेद जीयु कु अपरू खोव्ल जी

मन मन मा सदनी इनि छँवि दडी रैगे
भेद मन का कबी ना ऐ मन कु भैर ऐगे
जियुंदगी मेरी इनि पहाड़ मा गै जी
कैल नि जाणी कैल नि यख मी समझी जी
मन मेरु तू बोव्ल जी
भेद जीयु कु अपरू खोव्ल जी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22