Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253744 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
वखि मेरु बस्युं च ये मन

वखि मेरु बस्युं च ये मन
वखि मेरु झिझयूं च ये तन

देकि देकि मुंबई देकि मिळ दिल्ली
घुमी की ऐगयुं मि देकि देश बिदेश
फिर बी मेरु मन नि ई मानी
चल जोंलों पीणा अपरी मुल्की कु पाणी

वखि मेरु बस्युं च ये मन
वखि मेरु झिझयूं च ये तन

चबलहाट ही रैगे मै मा बस बाकी
टक्कों से लुकी गै मैसे वो मेरी बाड़ी
जदगा बी कमायुं ऊ पौड़गे रे मिथे कम
अब नि रेगे उकलू उंदरु मा हिटणा कु दम

वखि मेरु बस्युं च ये मन
वखि मेरु झिझयूं च ये तन

बूढ़ेगे रे अब मेरी आँखा की नजरि
देखेंदु अब कम च पटेगे रे अब मेरी कमरी
आंसूं मेरा मेरा ऐनका अब बस टिप्दा
तिबारी मा बैठ्याँ हाल मेरा मेरा बाटा हेरदा

वखि मेरु बस्युं च ये मन
वखि मेरु झिझयूं च ये तन

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

हिमाल मा बसी
ऊ सुपनियों कु मेर छाऊँ मा
कन भलु लगणु मिथे मिथे मेरु गौंऊँ
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

ईजा बाबा खुटी मा पसरी
ऊ मेरु छोटू सौंसारु
कन भलु लगणु मिथे मिथे मेरु गौंऊँ
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

जीयु ने बोती च भूली
वख ये माया मेर बाड़ी मा
कन भलु लगणु मिथे मिथे मेरु गौंऊँ
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

कया बगेरेलू देकेनू
हिमाल छला गद्नियों को धारु
कन भलु लगणु मिथे मिथे मेरु गौंऊँ
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

सारि मा सारि दांडी घसेरी गीत
पन्देर कु पाणी ठंडो मीठो कलेजी कु भेंट
कन भलु लगणु मिथे मिथे मेरु गौंऊँ
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

बाल कुँवारी माता मंदिर मा हवा चली सरा रर रा
माता का खुठी चल दीदियों माथा पौडी औंला
कन भलु लगणु मिथे मिथे मेरु गौंऊँ
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

माया माया पसरीच
बोई बेटी ब्वारी मा दडिच
आंखि आंखि मा ऊँका देकि ले
माया दगडी माया भेंटि ले

ऊँ ह्युं चलूँ जमी ह्युंद थे देकि ले
कैन बसै ई धरती वे देबता से ऐकि यख मिलि ले
वे फूलों थे भेटि मा और्री कौथिग मेले मा
कन भलु लगणु मिथे मिथे मेरु गौंऊँ
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

हिमाल मा बसी
ऊ सुपनियों कु मेर छाऊँ मा
कन भलु लगणु मिथे मिथे मेरु गौंऊँ
भुली मिथे मेरु गौंऊँ

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा

क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा
हैंसी ले झूमी ले गइले हो कि हो कि रंगमत ये मेरु पहाड़ा
हता भती उड़े दे ये तेरु मेरु रेशमी रुमला ये ब्यारा

पांच नाम देवा पांच परमेश्वर मेरु पांच प्रयाग
खोला गधेरा गद्नि बोगेरा यख बोई गंगा की धारा
ढुंगा गारा उन्दरु उकाळा मा हुणा मस्त ऐजा ये मेरु पहाड़ा

यख माया कु पसरयूं फैल्युं खेळ च्यु ये सारा
ऐ गैल्या ऐजा पसरी जा सब कुच यख च ऊ सबी त्यारा
डंडा कांडा ये ह्युं चलूँ छेई जा उल्यार ये मेरु पहाड़ा

ऐकी ले सुणी ले बिंगी ले यख तू ऐकि माया की भाषा
कण हैरभैरी भूमि खिला प्योंली फूल फूली बुरंस बुरंसा
ले ले सबी थे अंगवल छैईं यख फूलूं की बहारा ये मेरु पहाड़ा

देबी का मंदिर नागराजा कु ठों ये मेरा देबता बद्री-केदारा
इनि राखी राजी ख़ुशी ये पांच नाम तेरु छतर अपरू बाल गोपला
गूंजी बजी दे सदनी पंचनाम शंख घांडी घंडियाल ये मेरु पहाड़ा

क्द्गा दिनी इनि तू अयो ग्यो ये मेरु पहाड़ा
हैंसी ले झूमी ले गइले हो कि हो कि रंगमत ये मेरु पहाड़ा
हता भती उड़े दे ये तेरु मेरु रेशमी रुमला ये ब्यारा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
इन हुन्दी जिकोड़ी मेरी

इन हुन्दी जिकोड़ी मेरी
जनि मेर पाड़ा ये मेरा हिमाला
जनि बगनि बोई यख गंगा की धारा
ये मेरु कुमौ -गढ़वाल

इन हुन्दी जिकोड़ी मेरी ...............जिकोड़ी मेरी

बुरांस जनि लाल रंग रंगी मेरु देब्तों कु माथा
जनि मेरु कुल देबता नरंकार
फ्योंली का पिंगला रंग जनि पसरी यख
हमरु रीती रिवाज हमरु गौं घारा

इन हुन्दी जिकोड़ी मेरी ...............जिकोड़ी मेरी

ना हुंदु बड़ो कबि ना अंदि ये अकल दाडा
ना छूट द गढ़देश मेरु ना मेरु पुंगड़ू ना ये डंडा कांठा
चकुलु जनि नि बैठ दूँ रान्यूं ये डाला वे छाला
बाल मन जनि जीयु हुँदु मेरु हे मेरा माया देशा

इन हुन्दी जिकोड़ी मेरी ...............जिकोड़ी मेरी

बिछो कु दुःख क्या हूंद सुण रे मेरु उकाला
दणमण नि रुन्दा ये आंसूं कू रेन्दु मेरु पासा
हेर दी ना वा फेर दी दाणी हाती मलस दी ये माथा
इनि नि भाग मेरु बल कया लिक ये मा बिधाता

इन हुन्दी जिकोड़ी मेरी
जनि मेर पाड़ा ये मेरा हिमाला
जनि बगनि बोई यख गंगा की धारा
ये मेरु कुमौ -गढ़वाल

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
पर्वत गौरव

मेरु ऊ माना
मेरु अभिमान
मेर घुघती मेरि बुरंसी
मेरु पहाड़ कि बेटी ब्वारी

हिमाला जनि ऊन्चु थान
गंगा जी कु पाणि सम्माण
सदनि बोगनि रैंदी वा
मेरु पहाड़ कि बेटी ब्वारी

ढुंगा ढुंगा गारा गारा
मा बिखरायां मिसायां
घसा डाला कूला लिपटया मिल्यां
मेरु पहाड़ कि बेटी ब्वारी

सूद नि लि बुद नि लि
नि लि कैन क्वी खोज खबर
अब तक आजाण
मेरु पहाड़ कि बेटी ब्वारी

मेरु माया
तेरी सदनी रै छैया
हमरी भगवती बाल कुँवारी
मेरु पहाड़ कि बेटी ब्वारी

मेरु ऊ माना
मेरु अभिमान
मेर घुघती मेरि बुरंसी
मेरु पहाड़ कि बेटी ब्वारी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
परदेशी उत्तराखंड

एक अजाण प्रीत च
छुटी गे जो अपरों से ऊ क्ख्क रित च
परदेश बाटों मा हिट दा हिट दा दिधू
बस बड़ी वा मुल्का कि तिस च

एक अजाण प्रीत च……….

तस्बीर मा अपरों कि भूकी पींदा पींदा
दंडों धारों बाण अपरा मनखी म्ल्स्दा
आना व्हाला खुद दौड़ी बिता दिनाकि
वीं खुदा दगडी लेकि य्क्ली जिणा व्हाला

एक अजाण प्रीत च……….

आंखी कू वो पाणी अब दा बरसी
बाबा बोई कि जबैर जबैर मुखडी झ्लकी
जी बान जीयूं व्हालो इन तरसालू
बाल बच्चों बाण क्ल्जी व्हाली झुरनी

एक अजाण प्रीत च……….

माया का दगडया का फेरा छिन
घर गौंऊँ भतिक दूर यूँ का डेरा छिन
उड्या सरगा मा वै समुद्र पार
वै बी त मेरा गढ़ देशा का छिन


एक अजाण प्रीत च
छुटी गे जो अपरों से ऊ क्ख्क रित च
परदेश बाटों मा हिट दा हिट दा दिधू
बस बड़ी वा मुल्का कि तिस च

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
जानू छों जी

जाज मा जानू छों जी
अपरा परै छोड़की जानू छों जी
जाज मा जानू छों जी…२

मेर प्यारी मेर जी
यखुली यखुली नी रोई
रखै खैल बाल बच्चों का
सास ससुरा की सेवा कैई
जाज मा जानू छों जी…२

आलू खैल मेरु त
जीयु उदास नी कैई
काम धाणी मा लगी रै
मेर खुद मा नी खोई
जाज मा जानू छों जी…२

बाबा मेरु मेरे बोई
दणमण आंसूं नी भीगोई
बीती जाल ये बी दिन
कंन कै मील यकुली रैन
जाज मा जानू छों जी…२

पाड़ मेरु सेवासौंली लिंयाँ
मी थॆ तुम भूली नी ज्न्याँ
जानू छों मी परती आणा कूं
अपरी खुद दगडी खुदेन्दु रंयाँ
जाज मा जानू छों जी…२

जाज मा जानू छों जी
अपरा परै छोड़की जानू छों जी
जाज मा जानू छों जी…२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
अपने पहाड़ से

दो थप्पड़ मार ले
या फिर मुझ पर चिल्लाकर गुस्सा झाड़ ले
ऐसे ना रूठ के जा मेरे यारा
अपने पहाड़ से
अपने घरबार से

मिलकर कुछ करेंगे हम
सुख - दुख मिलकर सहेंगे हम
कैसे छोड़ के जायेंगे इसे हम
प्रगति के फूल खिलायेंगे यही हम
अपने पहाड़ पे
अपने घरबार पे

बैठ मेरे पास घड़ी दो घड़ी
सोचेंगे हम कैसे हम से जुड़ेगी कड़ी
पहले हम यंहा कुछ कर जायें तो
अपने भाई भी लौटकर आयेंगे
अपने पहाड़ में
अपने घरबार में

ना हार जा तो ऐसे इस जिंदगी से
देख ले पहाड़ को तू आज करीब से
वो देख रहा तुझे बड़े प्यार से
आ गले लगा जा अपने नसीब से
अपने पहाड़ से
अपने घरबार से

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
मेरु जियु मै से बचा तू

मेरु जियु मै से बचा तू
मिथे तू ना इन फुंड चुला जी
सुणा रे दुखड़ी मेरी
ज्मकै अब छुईं लगा तू

देक रे तिमलु की दाणी
घुघूती अब गीत गाणी
घसा गयां दीदी भूली
मिथे दे तू अब त पछानी

अब हर्ची सी ग्युं मि
क्ख्क अब बिरदी ग्युं जी
कैमा कख लगणा जमणा
बंजा पौड़याँ धरा कु खत्याँ बियणा

मिल नी स्की मिथे ऊ जी
क्वी अपरू से लागि गे ऊ
हाक दे मिल अपरू समझी की
ऊ बौगी गे बिरनु कैरी की

मेरु जियु मै से बचा तू
मिथे तू ना इन फुंड चुला जी
सुणा रे दुखड़ी मेरी
ज्मकै अब छुईं लगा तू

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
तेर कबीता ना

तेर कबीता ना
कबी चोरी ना व्हैजा बोई …२
लेकि मिल जियु से च
सोची मिल जियु से च
एक एक आखर लिका म्यारा
ब्याल आच भौल मा बिरणा ना व्हैजा बोई
तेर कबीता ना
कबी चोरी ना व्हैजा बोई …२

सोच्दा सोच्दा
ये दुनिया मा देखदा फिरदा
ऐई वोंका खैयाल मिथे
जागी गे ऊ भास् मिथे
लेकि मिल जै तिल लिकेई
कबिता स्वरूप मा तिल दर्शन द्याई
दर्शन देकि लुक ना जै बोई
तेर कबीता ना
कबी चोरी ना व्हैजा बोई …२

मिथे पता च
तू सदनी इनि बगदि रे
हैंसी दे रे तू इनि भगदि रे
ले कलम का साथ
ये कागज मा इनि उतरती रे
सियँ थे जगोंदी रे
रड़ादारा थे हसोंदी रे
भटक्यां थे बाट दिखेंदी रे बोई
तेर कबीता ना
कबी चोरी ना व्हैजा बोई …२

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22