Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253744 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बालकृष्ण डी ध्यानी
July 6 at 10:46pm ·

बहने दो मुझे

बहने दो मुझे,बहने दो मुझे
अपने पहाड़ों पे
बहने दो मुझे,बहने दो मुझे
अपने पहाड़ों पे
मुक्त हो के स्वछंद उड़ जाने दो मुझे
अपने खुले आकाशों में
बहने दो मुझे,बहने दो मुझे
अपने पहाड़ों पे

दोनों हाथों को उठकर
खूब दौड़ लगाने दो
मुझे इसकी चढ़ाई पे जाके
बलखा कर नदी की तरह
निचे आ जाने दो
बहने दो मुझे,बहने दो मुझे
अपने पहाड़ों पे

इसकी फ़िजा में घुल जाने दो
मुझको अपनों से मिल जाने दो
फूलों की खुशबू अब बन जाने दो
पतझड़ में गीत बहार के गाने दो
मुझे बस इसका अब बन जाने दो
बहने दो मुझे,बहने दो मुझे
अपने पहाड़ों पे

बालकृष्ण डी ध्यानी
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अपने पहाड़ से

दो थप्पड़ मार ले
या फिर मुझ पर चिल्लाकर गुस्सा झाड़ ले
ऐसे ना रूठ के जा मेरे यारा
अपने पहाड़ से
अपने घरबार से

मिलकर कुछ करेंगे हम
सुख - दुख मिलकर सहेंगे हम
कैसे छोड़ के जायेंगे इसे हम
प्रगति के फूल खिलायेंगे यही हम
अपने पहाड़ पे
अपने घरबार पे

बैठ मेरे पास घड़ी दो घड़ी
सोचेंगे हम कैसे हम से जुड़ेगी कड़ी
पहले हम यंहा कुछ कर जायें तो
अपने भाई भी लौटकर आयेंगे
अपने पहाड़ में
अपने घरबार में

ना हार जा तो ऐसे इस जिंदगी से
देख ले पहाड़ को तू आज करीब से
वो देख रहा तुझे बड़े प्यार से
आ गले लगा जा अपने नसीब से
अपने पहाड़ से
अपने घरबार से

बालकृष्ण डी ध्यानी
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बालकृष्ण डी ध्यानी
July 4 at 7:34pm ·

देके तेरी नजरि मा
सारू गढ़ देश मि थे देके ग्याई
गंगोत्री से शुरू काई मिल
थेट हरिद्वार मा समै ग्याई
देके तेरी नजरि मा

बालकृष्ण डी ध्यानी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बालकृष्ण डी ध्यानी
20 hrs ·

हुड़की बौल बिना रुपाई के

सड़क है या खेत है
जा पूछों क्यों मैं इस सरकार से
दिल में लगी है कितनी है ठेस
क्यों पूछों मैं इस सरकार से

मै कुछ कह नहीं सकता
पर चुप भी तो मैं रह नहीं सकता
आँखों ने खेला है सारा खेल यंहा
क्यों ना दिखा इस अंधी सरकार को यंहा

आते जाते हुआ यूँ हाल मेरा
देख कितना है बेहाल उत्तरखंड मेरा
फोटो खिंच बस तू अपनों को बता
सोती सरकार को अब तू जाके जगा

हुड़की बौल तू अब बोल दे भुला
ऐसे ना तू अपनी गिची सिला
ऐकि तू बी यख रुपाई मा हाथ लगा
यंहा उगा चावल इस सरकार को खिला

बालकृष्ण डी ध्यानी
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फोटु आभार
प्रदीप सिंह रावत खुदेड़
विधानसभा क्षेत्र धारचूला में बलवाकोट,
ये है लोकतान्त्रिक तरिका
सरकार के मुँह पर एक करारा तमाचा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बालकृष्ण डी ध्यानी
18 hrs ·

अय रियली मिस यु मय उत्तराखंड

उत्तराखंड को लगे आज
सवेरे सवेरे भूकंप के झटके
पहाड़ मेरा बेचारा
यंह इस तरह ही रोज खाये लचके

देखो बादल फटे कभी
भूस्खलन के यंहा बड़े नखरे
सड़क फटे कभी बीच से यूँ ही
नदियों के वो उलझते रिश्ते

करोड़ों रूपये यंहा बस इस तरह जलते
एक पल भी ना जाने वो क्यों ना टिकते
कल ही बना पुल आज बह जाये हँसते
उत्तराखंडी देखता रह जाये बस तरसते

देख तकलीफों को वो भी यंहा से खिसके
ऐसे हैं मेर पास कितने बड़े बड़े भगोड़ों के किस्से
करते हैं तंज अपने पर ही यूँ वो इस तरह
पूछ ले कोई उन्हें शर्म आती खुद को पहाड़ी कहने से

पलायन के मगर बने खूब पक्के रस्ते
एक गया भी नहीं दुसरा चल दिया उसी रस्ते
फिर जाके वो भी मजबूरी में कह देते हैं दूर से
अय रियली मिस यु मय उत्तराखंड

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Geeta Chandola and 142 others
8 hrs ·

बांदों मा

बांदों मा …
बांदों मा बांद
मेर उत्तराखंड की बांदा
काँटों मा खिल्दा हैंसदरा फूलों की माला
मेर उत्तराखंड की बांद

क्द्गा काद्गा बोलो मि
ये जीकोडी ऊँ का बाण क्द्गा खोलो मि
हर बारी रै जांदी आखर अपुरा
मेर पास ऊँ का बाण
बेस्ट मा सर्वश्रेष्ठ
मेर उत्तराखंड बांदा

तू बी दाद दे दे दीदा भुला
यूँ थे ये छन अपरा उत्तरखंड की बांदा

हरी का हरिद्वार देखा
यूँ थे मिल कोटद्वार मि बी देखा
उकाली उंदार ऊँ बाट हिट्दा देखा
पौड़ी को बाजर मा बी डुल दा देखा
मेरु जीयु थे ऊ कै जांदी उधारा
ऊँ का पास भर्युं माया कु उल्यार
मेर उत्तराखंड की बांद

बोल दे अब तू बी टिहरी कुमो गढ़वाल
कैक थम्युं च ये पुरु पहाड़
कैदे अपरी मनसे जैकार
ये छन अपरा उत्तराखंड की बांदा
जौनसार व्हैगे पुरू निसार
मेरा उत्तराखंड की बांदा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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हे उत्तराखंड सदा तेर जयकार

जब बी सुणदो मि तेरु नौव्
जीकोडी मेरी नचण लगद जी
भैर भीतर चौदिस छोर और्री
तेरु नौव् थे रटन लगद जी

हे मनखी मा अभिमान ऐ जांदू
छाती मा मेरु कण तान ऐ जांदू
रचक रचक देक कण हिटदी मेरी चाल
सिंह जनि ये अब फोडणी डरकाल

पूरब देकि मिल पश्चिम देकि
उत्तर की च तेर अलग ही न्यारी
सबी देबतों को च ये तेरु घार
बोई गंगा भी बोगनि ये तेरा पहाड़

मयाल्दु च म्यारु ये देस सारु
भिन भिन च यख सबकु भेष सारु
एक छतर च बस तेरु एक झंकार
हे उत्तराखंड सदा तेर जयकार

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तेरी छँवि दगडी

तेरी छँवि दगडी
दिस बित जाला मेरा
ना रे सुधि इनि खुदेणी
दिस बित जाला मेरा
तेरी छँवि दगडी

क्वी नि कै कु
कै कु लगो रे यख सारू
भैर खत्यां छन सब टक्का
लूट पुट व्हैगे सब बाटू

यक्ला ये दिन अपरा
अब कन के यखुली कटण
खुद ऐ भी जाली मेरी
ना ये सुर्म्याली आँखा का आसूं तू बोगैई

धिर धैर मेरी पियारी
तिन कबी ना हिक्मत हारी
बारह बरसा की तेर तपस्या
रामी तू कण जाली इन हारी

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ऐ मेरु बौल्या जियु तू इनि ही ये कागद परी लिक दा जा

ऐ मेरु बौल्या जियु तू इनि ही ये कागद परी लिक दा जा
इक दिन क्वी तर पढ़िलु तेर जिकोड़ी की पीड़ थे समझी लू
ऐ मेरु बौल्या जियु तू इनि ही ये कागद परी लिक दा जा

ईछा भोरी ईं जिकोड़ी मा पीड़ा थे बी तू जगा दे दे
आग लगे इन फिनकों थे जरा तू बथों की ब्यार दे दे
होँदी छे त होण दे ये तेरु जिंदोगी को तमसा

ऐ मेरु बौल्या जियु तू इनि ही ये कागद परी लिक दा जा
इक दिन क्वी तर पढ़िलु तेर जिकोड़ी की पीड़ थे समझी लू
ऐ मेरु बौल्या जियु तू इनि ही ये कागद परी लिक दा जा

शिकेत से काय च हसील यख रुनु से नतीजो कया
बेकर च ये सबी छँवि इन छँवि से अब यख हुन कया
अपरा बी अब थोड़ा टैम बाद बण जांद छन बिराना

ऐ मेरु बौल्या जियु तू इनि ही ये कागद परी लिक दा जा
इक दिन क्वी तर पढ़िलु तेर जिकोड़ी की पीड़ थे समझी लू
ऐ मेरु बौल्या जियु तू इनि ही ये कागद परी लिक दा जा

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झांजि रे झांजि रे

झांजि रे झांजि रे
तिल बात ना कैकी मानी
सदनी तेर बाट हेरदी दी रे
मेरी बेटी ब्वारी मांजी
झांजि रे झांजि रे .....२

कख कख लक्यूँ धरयुं
तिन ये निर्भगी थैला
कख कख भत्ते अणा लिणा कुन
ऐथे तेर पास ये इतगा पैंसा
झांजि रे झांजि रे .....२

भूकी सैगे तेर कुटमदरी
ऊँकी तेथै किले की फिकर ना
फुकै गै अब तेरी सारी जिकुड़ी
किलै की तै थे जरा बी दैर ना
झांजि रे झांजि रे .....२

कया जीकोडी मा तिल धरयूं
कया नियती नि तेर बान सच्युं
अब बी नि गै रे ये बगत
भुल्हा सोचि ले रे समझी ले
झांजि रे झांजि रे .....२

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