Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253744 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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प्रेम ही प्रेम अब पहाड़े मा

रूप मा अछेरी छे तू
कै का भागा की कसेरी छे तू
पिंगली पिंगली सारी मा
ऐजा हैराली धरती की आड़ी मा

अपरी मुखडी देखे जा तू
दूर भ्तेक इनि छूईं लगे जा तू
देर ना कैर तू यख अणा कुन
ऐकि सिन्कोली फुंड जणा कुन

द्वि एक दूजा थे देक दा रूंला
माया कु इनि भूक तिस मिटोंल
जल्दी ऐजा तू वै डाला मुंड
लाज सरम अब तू चुला दे फुंड

जख देका अब वक देके जांदू
रोलां खोलों बीच बजार मा नचे जांदू
स्कूला कलेजा कु अब बनी ये खेल
मौक मिलु तब अब ऊ रचे जांदू

बालकृष्ण डी ध्यानी
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अब बस सुप्न्यु मा

लखिमा तू ऐजा लखिमा
सौण भौदु जनि मेरी तू लखिमा
ऐजा तू छैजा ये जियू की जौली लखिमा
मेरु प्रेमा की तू उल्यारी लखिमा
लखिमा तू मेरी लखिमा

तू गीत मि तेरा आखर लखिमा
तू संगीत मि तेरु बाजा लखिमा
लेख्याली लेख्याली मिल लखिमा
दिखेनी तू मिथे मि देख्युं जख मा
लखिमा तू मेरी लखिमा

पाडे हरेला की हेराली मेरी लखिमा
बुरांसा फ्योंली की तू डाली लखिमा
देख्याली मिल देख्याली लखिमा
कन खिली मेरी फूलों की घाटी सरीमा
लखिमा तू मेरी लखिमा

ऊ दांत पंक्ति की हैसेली लखिमा
ऊ ह्युंद बिछी चुलु चांटी मेरी लखिमा
चमकीगे चमकीगे ये मेर चांदी लखिमा
कब भेंट हुली तेर देखेंदी अब बस सुप्न्यु मा
लखिमा तू मेरी लखिमा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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खोल गेनी सब पोल

खोल गेनी सब पोल
जो अब तक छ्या लुक्यां
करोड़ को ऊ ढेर
पैली ही बरखा मा बोग्यां

सरकार नि चेत
उत्तरखंड मा कन लागि ये सौत
बरखा ही बरखा पौड़ी
डंडों डंडो ये सरगा बाटा

कन सीमेंट छ्या यू
कन सड़की कु राज च यू
बोगी लेगी अब बणी पुल
बथा तिल कख खिले फूल

ई द्वि बरसा मा
कुच पाई नि बस बल ख्वाई मिल
अपरा और्री अपडों थे
बस बल अब रडदा मिल पाई यख

बालकृष्ण डी ध्यानी
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इनि अल्जी नजरि

इनि अल्जी नजरि उन दगडी हटणी नि च
दंतोड़ी दगड रेशम धागो कतरी नि च
उमरी कबैर बरखली सफेद व्है ग्याई
कालो बादल ज्वानि कि छट्णी नि च

देब्तों यु धक धक बड़न लंगी च
मुखडी कु उजालो उड़ण लंगी च
दैर लगाणु याकलू सिना कु जी
जीकोडी त बच्चा छे जी
जीकोडी त बच्चा छे जी
थोडु काचु छे जी
हाँ जीकोडी त बच्चा छे जी

इनि अल्जी नजरि उन दगडी हटणी नि च
दंतोड़ी दगड रेशम धागो कतरी नि च
उमरी कबैर बरखली सफेद व्है ग्याई
कालो बादल ज्वानि कि छट्णी नि च

कै थे पता छे चुनरी मा दड़ियों छे
जियू ईनो पाजी बि वालो
हम ता समझ त छा क्वी
हम जनि हाजी भी वहालु
ऐई जोर कैरीक कित्गाशोर कैरी क
फिजूल का बातों पर गौर कैरिक
जीयु जनि क्वी कमीना नि च
क्वी त रोका क्वी त टोकी
दैर लाग्नि प्रीत करणा कुन जी
जीकोडी त बच्चा छे जी
जीकोडी त बच्चा छे जी
थोडु काचु छे जी
हाँ जीकोडी त बच्चा छे जी

इनि पीड़ा दाड़ी जीकोडी मां
हैंसण दैर छिन जी
सारि ज्वैनी कतरा नि काटी
ठों दगडी टकरा गैनी
जीयु धड्कनु इनि लाग्नु वो
आणु छे क्वी देख्नु ना वो
माया की मारनि छोरा रे
बौबा रे बगत काट्नु नि च किले
आँखा दगडी मेरा हटना नि च किले
दैर लगनि मिथे बचाना कु जी

जीकोडी त बच्चा छे जी
जीकोडी त बच्चा छे जी
थोडु काचु छे जी
हाँ जीकोडी त बच्चा छे जी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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आच भोळ खुटा भुइयां

आच भोळ खुटा भुइयां नि पडदा म्यारा
बोळा देकि कबि, मिथे तुमण उड़दा हुनि

जब जी थामी तेरु हात, तो देका च
लोक बोळाण च कि , बल जी हाता कि रेघ च
हमुन देकि च दोई, भग्यों थे जुड़दा इनि

निंदी जनि रैंदी,हल्कू सु नसा रहनु चा
रात दिनी आँखि मा, एक मुखड़ि बसि रैंदु
बल ईं लगि आँखि कि देकि च कबि उड़दा हुनि

जनि कया हुनु च , हरि छुई मा कुच हुनू च
दिनि मा कुच हुनु च , औरी रति मा कुच हुनु च
थमि लियां जि कबि देकि हम ते उड़दा हुनि

आच भोळ खुटा भुइयां नि पडदा म्यारा
बोळा देकि कबि, मिथे तुमण उड़दा हुनि

एक उत्तराखंडी

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हिंदी गाणा बोल छंण ... आज कल पैर जमीन पर
चित्रपट : घर १९७३
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

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मि जख बि रयुं

मि जख बि रयुं , मी कख बि रयुं
तेर खुद मेर दगड च
कै से बोल दूँ , कै नि बोलूं
ये जी जिकुड़ी कि छुईं च
बोलण कु दगड अपरु एक दुनिया हिटदी च
परे छुपेकि ईं जिकुड़ी मा इक्लोप्न पलनौ च
बस जी खुद दगड च
तेरी खुद .......

क्ख्क त जिकुड़ी मा एक सुल चुभ जाणि च
क्ख्क प्रतेक एक तस्बीर भौत धुंदली पौड़ी जाणि च
क्वी नै दुनिया कु नै रंगों मा खुश रेहंदु
क्वी सब कुछ पै के बि यु मन ये मन बोलणु
बोलण कु दगड …

क्ख्क त बितयां ब्याल कि मूल जिकुड़ी मा उतर जाणि च
क्ख्क त धाग टूटे कि माळा पसरी जाणि च
क्वी जिकुड़ी मा कोनो नै , छुईं बाण रखणु च
क्वी अपरा पलकी परी खुद कि बाती रखणु च
बोलण कु दगड …

एक उत्तराखंडी

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हिंदी गाणा बोल छंण ... मैं जहाँ रहूँ -
चित्रपट : नमस्ते लन्दन
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

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डोबरा चांठी चांठी पुल चांठी गैंन सब

डोबरा चांठी चांठी पुल चांठी गैंन सब
अब त दोई खुथा यख और्री दोई खुथा छन वख

टिहरी डैम टिहरी कथा सब लग्ना छन अब
प्रताप नगर यखुली रैगे कब बनलु तेरु डगर

अयं बड़ा बड़ा इंजनियर सब योजना व्हैगे रद्द
दोई लगुला ना टंग पाई सरकार की इनि खत

टक्कों टक्कों टक्कों दगडी खेलण छन सब
देरहादून गैरसैंण कबी त तू हमरी बी सुण

दिल्ली उत्तराखंड पहाड़ों मा ध्ये लग्ना छन सब
ऐ जवा टंगी जवा तुमरो लगुला थे पौड़ीगे जंग

डोबरा चांठी चांठी पुल चांठी गैंन सब
अब त दोई खुथा यख और्री दोई खुथा छन वख

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वै बाटा मांजी ईईईई

वै बाटा मांजी ईईईई
क्ख्क ऊ जणा छन
मि थै बाथे दे मेर बोई जी
जैकी ऊ कया लणा छन
वै बाटा मांजी

दूर देश ऊ जांद लाटा
वै बाटु ने हम थे बांटा
हिट वैमा क्वी नि आंदु
अहम ये जियु भरी जांदू

वै बाटा मांजी ईईईई
मेरा बाबाजी बी ग्या छन
क्दग दिन रति बिती
मि अब तक ऊँ थे ना देकि छे

ये मेरा दूध को छरो
पोट्गी छे जब तब ऊ गैं छन
भैर देश मा ऊ जैकी
टक्कों का थैल भोरणा छन

ऐ मेर मांजी ईईईई
क्या कण हमुल ऊँ टक्कों कू
बचपन मेरु इन सुधि जाणा
बाबा कैरी मिल कैथे ध्ये लगाण न

वै बाटा मांजी ईईईई

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दे दे छोरी तेरु मीथै पियार

मेसै बोल्दै
ई जिकोड़ी को भेद खोल्दे
ना ना इनि ना
ना ना वख ना जा
मेर समण आ आ ऐजा
मेसै आँखा जोड़ दे
ये मेर हिंसोला की दाणी जनि तू नार
दे दे छोरी तेरु मीथै पियार

रंग मा त रंग तेरु गौर
हुयंद की ईं चलूं जनि उजाळ
सेब कु रंग च यू लाल
जन तेर द्वि ग्लौड़ी छे लाल
कख भत्ते आयु व्हालु
कैन तै थे इन बनायुं हलु
वै देबता थे मेरु जैकार
दे दे छोरी तेरु मीथै पियार

गद्नि सी बगदी छे तू
हरेल सारी मा जच्दी छे तू
आणि छे तै मा कैकि अनवार
तू ऐई ऐगे यख बनेकी मयल्दी ब्यार
म्यार गढ़ देश की तू छे उल्यार
खत्युं च यख माया साऱ्या गढ़वाल
देखी की तै मेरु जीयु व्हैगे घैल
दे दे छोरी तेरु मीथै पियार

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ये रे छोरा

जब बी हिटदु मि हिटदु किलै
ये रे छोरा मी इत्गा सोच्दु किले

छँवि सदनी तू किलै रै जांदी अपुरी
ये रे छोरा मिल जब बी बचे

माया तिल किलै बस आंसूं बोगै
ये रे छोरा मिल जब बी माया लगे

अपरा किलै की ऊ बिरणा व्है जांद
ये रे छोरा मिल जब बी धैये लगे

समासुम आच यख पसर्युं च किलै
ये रे छोरा तिल जब बी वै बाटा हीटे

जब बी हिटदु मि हिटदु किलै
ये रे छोरा मी इत्गा सोच्दु किले

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