Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253807 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी 
August 29 at 11:19am ·

नि ऐ स्कलू दीदी भूली मेरी पियारी

आच यख यखुली बिदेश मा
भंडी खुद आणि छे
मि थे मेरा पहाड़ की
मेरा गौं चौक घार की
दीदी भुलियुं कू हका की
रीता सुनी दयँ कलैई देखि
सुनि रखडी रैगे मेरा हाथ की

बैठी हुली सुबेर सुबेर
याद करनी हुली अपरा भुलू दादा की
भैर कागा कू कंव् कंव्
धीर बंधनि व्हैली वे धागा की
तिलक चवलों हल्दू मा
मीठी मिठाई सजी व्हैली थला की

कन भग्या मि लेकि अयुं
दूर छोड़ी गढ़ देश मिन ये माया की
माया मिलेकि मायाल मि रुवेई
अन्ख्युं भटिक वा आच बोगी की
नि ऐ स्कलू दीदी भूली मेरी पियारी
अगली बरसी ऐलु मि घौर अणा की

बालकृष्ण डी ध्यानी
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
August 28 at 8:11pm ·

नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू

नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू
मेर कपि क्वरी राई … २
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू

ऐई स्ब नेर-गेर मेर अग्ने-पिच्ने
वै थे गैरु संप्लु से मि खैण नि पाई
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू

कच्ची कुटी फूटी बिगड़ी रै सदनी
मेरो ज्ञान की गाड़ी तैल खोल ई उबी राई
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू

खोली पोली कैकि देखि एक एक सबुन
परी तरी कैथे भी मि समज ना ऐई
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू

बोगोदी रुं ये उमाल कलम कू
मेरी हौज का पाणी बिसी- बीसी राई
नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू

नि लगे स्की जिलेत जिंदगी कू............

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Geeta Chandola and 135 others
August 28 at 2:11pm ·

सोंगो मेरो

सोंगो मेरो दगडी मेर
कुई चाल चल्दु जाणू रे

छुईं कूच भी निच पर
ऊ छुईं किलै खिंचदू जाणू रे

बेळ गेढ़ गेढ़नी मेरो आस की
उमरी घट्दी जाणि रे

छे सुप्निया अब भी मेर जवान
बल जी उमरी सैली जाणि रे

सोंगो मेरो दगडी मेर
कुई चाल चल्दु जाणू रे

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Mahi Singh Mehta
August 27 at 3:12pm ·

देबता जंदु च

जो भी बुरो-भलो च देबता जंदु च
मनखी कु जीकोडी मा कया च देबता जंदु च

यु सर्ग-ऊ-नर्क च देबता जंदु च
मन कू भित्र-भैरी कया लुक्युं च देबता जंदु च

जैकी वख क्वी परति कि नि आंदु
ऊ ठौर कख च देबता देबता जंदु च

पाप पुण्य थे आपल क्द्गा ही लुकैई
देबता थे पता च देबता जंदु च

ये घाम- छैलू देखा ये सुबेरे-ब्योखों देखा
किले सब यख हुनु च देबता जंदु च

भाग्य कू नौ थे त सब जणदा छन तरी
भाग्य मा कया लिख्युं च देबता जंदु च

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Madan Mohan and 74 others
10 hrs ·

मेरो पछाण

मेरो कल्पना कू उड़ाना
मेरो पहाड़ मेरो पछाण

नि जाणा कभी छोड़ी ते
मिल ये सात समुदर पार

मिथे च ये मेरु भान
यख रैकी ही येल बण महान

ये मेरो सुंदर घरबार
मेरु उत्तराखंड मेरु प्राण

साफ सुथरु मेरु गढ़देश
रंगीलो कमो छबीलो गढ़वाल

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
September 10 at 5:29am ·

फिर कै गंगा कू घाट सुमि ?

चल गंगा कू घाट सुमि घुमी ओंला
पानी पूरी कचोरी खूब छके कि खैईं ओंला
चल गंगा कू घाट सुमि

नमामि गंगे हर हर गंगे बल हम चंगे
बेधड़क हमुन करन यख धंधे कन ये बन्दे
चल गंगा कू घाट सुमि

फूल दीप अगरबती सब बोगी ओंला
आस्था कू नौ परी गंगा मा घाण कैरी ओंला
चल गंगा कू घाट सुमि

सैर स्फाटा कू ब्यापार अब यख हुयुंचा
हरकीपौडी कया सबी जगा ये रोग पसरुंचा
चल गंगा कू घाट सुमि

पैठणा कु बेल व्हैगे ऐ सुमि
गंगा कु लुप्त हुना कु बेल करीब ऐगे
फिर कै गंगा कू घाट सुमि घुमी जोंला ?

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
September 9 at 8:13am ·

ऐमा ना वैमा

मि रेग्युं मै मा ही मि रेग्युं
ऐमा ना वैमा
यख ना वख
जख छों मि तख ही खोल्या रेग्युं
मि रेग्युं मै मा ही मि रेग्युं

सुबेर भी मेरु ऊनि गैई
दोफरी भी मेरु तनि
सैलु घाम जब परती जनि
रति की बेल ऊ मेर कटी कनि
जग्वाली जग्वाली ही रेग्युं
मि रेग्युं मै मा ही मि रेग्युं

बरखा बरखी रैगे
ह्युंद मि थे खूब गरठि कैगे
घाम थे नि मिलु छैलू
मौल्यारा थे तू कण्डु रुतेगे
पोरो साल बल हाल ही सोसदा रेग्युं
मि रेग्युं मै मा ही मि रेग्युं

कब दिन ऐेई
कब दिन ऐकि चली गै
मि नि जानी उ जांदा बगत
में सै कया कैगे
बिचारी बिचार मा ही रेग्युं
मि रेग्युं मै मा ही मि रेग्युं

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September 7 at 11:26am ·

हे रे मना अ

हे रे मना अ..... मेरो मना अ.....
कया लाई तिल कया पाई तिल
बल कुच ना व्है हासिल
हे रे मना अ..... मेरो मना अ.....

अटक्यूँ राई अलझ्युं राई
कैकु बान तु रे इनि गिज्युं राई
किलै और्री कैकु खातिर रे
हे रे मना अ..... मेरो मना अ.....

सरग मा तू कभी खूब उडी
यख वख तिल खूब मार उडी
कभी फूलों मा कभी कांडों मा रे
हे रे मना अ..... मेरो मना अ.....

एक जगह किले दडयूं ना राई
लकपक …२ छपाक तिन किले काई
बल तिन जिंदगी को बारा बजै द्याई रे
हे रे मना अ..... मेरो मना अ.....

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September 5 at 9:21pm ·

बड़ बड़ी मेरी बोई की

बड़ बड़ी मेरी बोई की
पियारी सी छुईं में मि डूब जांदू जी

पियारी सी छुईं में मि डूब जांदू जी
बड़ बड़ी मेरी बोई की

मेथे तेन जीबन दी
दी द्वि साँसों को सारो
तेरु द्वि दुधा को धारु बोई जी
बरसे इनि अमृत सारो
अंख्यों कू मि तारो तेरु
सुणा दे सारो कथा तेरी
बैथ्यूछों तेरु खुथु धरु

बड़ बड़ी मेरी बोई की
पियारी सी छुईं में मि डूब जांदू जी

पियारी सी छुईं में मि डूब जांदू जी
बड़ बड़ी मेरी बोई की

एक ही बेल मा वा
काम धानी अनेक कै जांदी वा
द्वि हाथो द्वि अन्खोंयों
में थे सुप्निया हजार दे जांदी वा
कर करी ऊ नोटों छुईं दगडी
मिथे जीना सिखांदी वा

बड़ बड़ी मेरी बोई की
पियारी सी छुईं में मि डूब जांदू जी

पियारी सी छुईं में मि डूब जांदू जी
बड़ बड़ी मेरी बोई की

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Balveer Jethuri and 43 others
September 4 at 10:49am ·

पढ़े लिखे कया पाई तिल

पढ़े लिखे कया पाई तिल
बल जब अनपढ़ ही राई दिल

मेर जिंदगी कू फाड़ी बिल
दोई घास कू गफा तू गैई गिल

झिलमिल -२ व्हाई झिल
लात खुटे खैई क़मरी हैगे भिर

तेर पढ़े नि मेर घर लड़ै लगे
स्कुल गुरूजी घोर बोई बाबो नि छलै

सच बोल दे ये पहाड़ ल कया पाई बल
तू बिदेश मा मि यख पड़यूँ ठर

पढ़े लिखे कया पाई तिल
बल जब अनपढ़ ही राई दिल

बालकृष्ण डी ध्यानी
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