Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253807 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरी भूमि भूम्याली

मेरी भूमि भूम्याली
बणों बणों मा पसरी हैरायलि
कख जानू ये छोड़ी की लाटा
ये ना छिन तेरा जणा का बाटा
मेरी भूमि भूम्याली

कया कया नि द्याई इन हम थे
कया कया नि पाई हमुल इं से
जब विं थे देना की बारी ऐ
भुला तू ये बकसा उठे कख हीटे
मेरी भूमि भूम्याली

बगत नि रैगे पैलि जनि अब
मिल बी मान नि राई पैली जनि लोक
पर तू किलै की बदल्नु छे रे
अपरा बाण ही तू किलै जिनु छे रे
मेरी भूमि भूम्याली

देख आस लगै कि वा बी बैंठी चा
तू बी यख रैकी साथ निभै ले
क्या पाई इन ते थे पढ़े लिखे की
तेरो बी सोर बल भैर ही सजे रे
मेरी भूमि भूम्याली

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
September 22 at 4:59am ·

मेरा पहाड़ की बात और कुच चा

मेरा पहाड़ की बात और कुच चा
नि बोल सकदु ना बिंग सकदु विंको स्वाद कुच और्री चा
मेरा पहाड़ की बात और कुच चा

शीर्ष पर हिमाला बस्युं चा
यूँ ह्युं चुलं यूँ डंडा कन्डोंमा घिरियूं चा
क्या बात कैरुं विंकी मि विंकी बात ही कुच और चा
कन बगनी गंगा की धारा
छ्ल छ्ल क नु मेरु पियार कुच और चा

मेरा पहाड़ की बात और कुच चा
नि बोल सकदु ना बिंग सकदु विंको स्वाद कुच और्री चा
मेरा पहाड़ की बात और कुच चा

ये नीलू सरग ये खुलु आक्स
ये रंगमत यख चौधिस् मौल्यार
हर एक फूलों मां वा हैंस्दी रैंदी विंकी बात ही कुच और चा
ढोल दामो झुमैलो छोलिया कि ये बयार चा
मेरु मुलका मेर लोक नृत्य गीतों कु रास्यांण चा

मेरा पहाड़ की बात और कुच चा
नि बोल सकदु ना बिंग सकदु विंको स्वाद कुच और्री चा
मेरा पहाड़ की बात और कुच चा

यख भगवती कू मंडाण
पितृ देबों कू ठों और्री जागर कू जगाण
ब्यो बारात मेल खोलों पिंगली जलेबी बाल मिठै विंकी बात ही कुच और चा
मीठा किन्गोड़ा काफल हिंसोलों कू ये पहाड़
मेरु मैता सौरास कु एक जनि लाड पियार

मेरा पहाड़ की बात और कुच चा
नि बोल सकदु ना बिंग सकदु विंको स्वाद कुच और्री चा
मेरा पहाड़ की बात और कुच चा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
September 20 at 12:02pm ·

जब में जनि तुम थे इन से परित व्है जालि

जब में जनि तुम थे इन से परित व्है जालि
मेर ढुंगों गारों कि और्री शोभा बढ़ी जालि

बौल्या बनि की तुम इनि यख फिरदी रौंला
रोलो खोलों तब तुम दगडी बी भेंट व्है जालि

बौरांसा खिल्दी यख फ्योंली मिळेल हस्दी
काफल किन्गोड़ा अखरोट सेब की ये बस्ती

इन अन्जाडू डंडा कांडों मा कण ऐ दिस आला
मेरा पहाड़ मा तुम आला त रंगमत ऐ जलि

जब में जनि तुम थे इन से परित व्है जालि
मेर ढुंगों गारों कि और्री शोभा बढ़ी जालि

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेरी बोली मेरो मुख

मेरी बोली मेरो मुख
किले हुली तू देखणी जख तख
कैर सुरुवात तो अपरी से ही
देख पल मा बदल जालो ये जग

भांड्या तू इन भाना ना लगा
सकेसरी छोड़ छुछा ऐथे तू फुंड चूला
आलस से देदे अपरी अब तू तिलंजाली
तेर गली छे छुछा बस ऐ पहाड़ वाली

अपरू नि ही इन सब करयूं धर्युं
कैल नि अणा यख ये कैर उकेरनु कुन
तू भी अब इना ना ऐकि कथा लगा
झठ ये कैर उकेर पट साफ़ कैदे जरा

मेरी बोली मेरो मुख
किले हुली तू देखणी जख तख
कैर सुरुवात तो अपरी से ही
देख पल मा बदल जालो ये जग

बालकृष्ण डी ध्यानी
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गोल गोल रुपया कि देख रे रिंगण

गोल गोल रुपया कि देख रे रिंगण
गिर गिर ग्याई वेमा मेरो उत्तराखंड

देख कनि लम्बी ये रांग लगिचा
किरमोलों जनि ये रुपया मा लपकी चा

दादा बोबा बेटा सब एक पिछने प्ल्यां छन
छन छन बजनि एंकि कन कनुडी घन-घन

अब दिन रात जपा ये दोई रूटा को ग़फ़ा
यूँ लपक छपक मा तू बी झपाक गै रे भुल्हा

पोट्गी कू आग देख इन यख कन ब्लीच
जंगलात कु नाश व्हाई पुंगड़ी बांज पडिचा

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जाने कया सोच्नु छे

जाने कया सोच्नु छे
यकुली यकुली कैथे खोज्नु छे
जिकोड़ो मेरो बोलदे तू
भेद अपरू सारो खोलदे तू

बल एक एक दिस ग्याई
परती कि यख क्वी ना ऐई
छों घंगतोल मा दीदा
सब कख लुकी ग्याई

नि रैगे क्वी संगती साथी
नि रैगे क्वी दियू बाती
आज छन सब यखरा यखरा
भौल क्या कं तिल रे बाछी

समा सुम छ्या यख पसरयूं
ईं देबों पितरों की घाटी
नि रैगे क्वी पूजणा वाल
कण कै बची रैली ये पाटी

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
September 15 at 7:36am ·

नथुली नथुली नाक की नथुली

नथुली नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये
सोना की नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये

चम चमकी नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये
गोल गोल नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये

कण बेगरेली नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये
मेर भूली नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये

सब कामधनि कैदी नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये
अल्मोड़ा बजार घूमदी नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये

मेरु पितृ की नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये
कैन बने भगयान नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये

मेरु गढ़ देशा की नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये
कण रिंगा लगानि नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये

सासु ब्वारी नाक की नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये
ढोल दामू नचदी नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये

कवि यकुलांस की नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये
मेरु मान अभिमान की नथुली नाक की नथुली, नाक की नथुली ये नाक की नथुली ये

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गिनती दारू की

पैली दारू म्यार नौउ कि
दूजी दारू सऱ्या गौंउ कि

तिजी दारू पल्य मौ कि
चौथी दारू डंडियों धौर कि

पाँचि दारु पचम शोर कि
छथी दारू हर्ची वे सोर कि

सति दारू सत्म जोर कि
आठि दारू अठम छोर कि

नवि दारू नशम भोर कि
दसम दारू अंतिम घौर कि

पैली गिनती शरू व्हाई
दशम गिनती म संपे ग्याई

ले पिळो जमैकि और्री दारू
मेरो बाप दादों की कया ग्याई

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ऐ बार तू बी ऐजा कौथिगा मा

ऐ बार तू बी ऐजा कौथिगा मा
बोई भगवती का मंदिर मा
भेंट चढ़ूँला हात जोडिकी
मोंड टेकोंलु खुठा बौड़ीकी

आशीष देलि बोई जी भोरीकि
अपरा द्वि हाथ खोलि कि
देर ना कैरा स्वामी झट दौड़ी आ
अपरा गौं देब्तों से भेटि जा

नागरा निशाण ढोल दामो बाजू जी
हल्दू चवलों कू टिका कप्ला मा लगुजी
डोली बोई की सरया पाड़ा मा घुमी ऐ
जयकार बोई का चौधिशा मा छैई गे

ऐ बार तू बी ऐजा कौथिगा मा
बोई भगवती का मंदिर मा
भेंट चढ़ूँला हात जोडिकी
मोंड टेकोंलु खुठा बौड़ीकी

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मेरी भूमि भूम्याली

मेरी भूमि भूम्याली
बणों बणों मा पसरी हैरायलि
कख जानू ये छोड़ी की लाटा
ये ना छिन तेरा जणा का बाटा
मेरी भूमि भूम्याली

कया कया नि द्याई इन हम थे
कया कया नि पाई हमुल इं से
जब विं थे देना की बारी ऐ
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मेरी भूमि भूम्याली

बगत नि रैगे पैलि जनि अब
मिल बी मान नि राई पैली जनि लोक
पर तू किलै की बदल्नु छे रे
अपरा बाण ही तू किलै जिनु छे रे
मेरी भूमि भूम्याली

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तू बी यख रैकी साथ निभै ले
क्या पाई इन ते थे पढ़े लिखे की
तेरो बी सोर बल भैर ही सजे रे
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