Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253912 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन.. २
तेरी खुट्यु की पेजबी मेरी सुआ
भली सजन... २
रानीखेत रामढोला ...रानीखेत
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन.. २
तेरी खुट्यु छम छम
तेरी खुट्यु की पेजबी मेरी सुआ भली सजन...
तेरी खुट्यु की पेजबी मेरी सुआ
भली सजन...
कोरस
{रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
तेरी खुट्यु की पेजबी मेरी सुआ
भली सजन...
तेरी पाऊ की पुलिया ..तेरी पाऊ..
तेरी पाऊ की पुलिया मेरी सुआ .भली सजन..
तेरी हथो की पोछिया...मेरी सुआ भली सजन..
तेरी गोले.....तेरी गोले की हसुली मेरी सुआ. भली सजन..
तेरी गोले की हसुली मेरी सुआ. भली सजन
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन.. २
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
कोरस
{रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
तेरी खुट्यु की पेजबी मेरी सुआ
भली सजन...}
तेरी माथे की बिंदुली ...तेरी माथे
तेरी माथे की बिंदुली मेरी सुआ
भली सजन ..
कन्दुरुयो मा तेरु कुंडल ..मेरी सुआ भलु .
सजन ..
तेरी नाके ....तेरी नाके की बिसार मेरी सुआ भली सजन .
तेरी नाके की बुलाक मेरी सुआ भलु सजन ..
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
कोरस
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
तेरी खुट्यु की पेजबी मेरी सुआ
भली सजन...
तेरी गोटे की अंगड़ी तेरी गोटे
तेरी गोटे की अंगड़ी मेरी सुआ ..भली सजन...
त्यारा सिरा को सीस फुला मेरी सुआ .भलु सजन...
तेरी सूंघी ई तेरी सूंघी को संघल मेरी सुआ
भलु सजन...
तेरी सूंघी को संघल मेरी सुआ भलु सजन
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन.. २
कोरस
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
तेरी खुट्यु की पेजबी मेरी सुआ
भली सजन.... २
रानीखेत रामढोला घम घामा कन बजन..
उत्तराखंडी गीत है
उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
चलचित्र के नीचे गीत लिखा है बस
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भै बिमार पड्नु बी अब अपराध चा
हालात भंडया खराब च
जार चङयूं यु सौ को पार च
नकुडी बैहणी मेरी आज च
ये गलोड़ी खैंसनी दिन रात च
बरमंड को बारा बज्यूं चा
सरीर कंपकांपि को थारु लग्युं चा
कन हुंयुँ भुलूँ मेरो ये बुरु हाल च
रजै भीतर लिप्टयूं मि आज च
खैनीपानी छूटगे मेरो आज च
बिस्तर मां सिमटीगे मेरो राज च
दवैपानी को लग्युं दरबार चा
जद्ग गीच उत्गा ऊँका बिचार चा
जार थे जनि मिल ही न्यूत दे बोलैई
अपरा सरीर मां मिन वैथे प्रेवश कराई
लोकों कथा सुनी की मेरो अनुमान चा
भै बिमार पड्नु बी अब अपराध चा
बालकृष्ण डी ध्यानी
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देखदा ही ते थे मिथे पियार व्हैग्याई
देखदा ही ते थे मिथे पियार व्हैग्याई
ये जिकोड़ी मेरी मिल तेरो नौ कैर द्याई
हर्ची हर्ची ग्याई मि मेसे हर्ची ग्याई ...... २
तेर आंख्युं न जबै मि थे प्रेम घुटी पिलै द्याई
देखदा ही ते थे मिथे पियार व्हैग्याई ...........
रौतेंली मुखडी तेरी बिगरैली आँखी
कन तेरो ये रूपन मिथे बौल्या बनेई
सुध बुध मेर हर्ची हर्ची ग्याई ...... २
अंदा जांदा मिथे जब तू अद बाटा मां दिखेग्याई
देखदा ही ते थे मिथे पियार व्हैग्याई ...........
मेरो मेरो अब मेरो पास मेरो कुच नि बी राई
कुच बी छ्या मेरो पास ऊ अब तेरो व्हैग्याई
ये मेर गैल्याणी तेर छुईं मां मि हर्ची हर्ची ग्याई ...... २
अब त ऐजा मेर ये जीबन मां देक देर ना व्है जाई
बालकृष्ण डी ध्यानी
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कब बसंत अलो बोई
कब बसंत अलो बोई
म्यार पहाड़ा मा बोई ये उजड़ा मा
हिरी हिरी पाखी उड़दा आला
रंग बिरंगी बल तब यख फूल खिलाला
बिरला रंगों तब भूमि सजगे ले हुली
म्यार पहाड़ा मा बोई ये उजाड़ा मा
ब्योलि रूप मा वा रूपमती रुपेनि ऊ हुली
शृंगार रसों दगडी दगड़्यूं दगड सजैनी ऊ हुली
कब कुद्गेली लगेली यूँ नंगी खुठ्यूँ मा
म्यार पहाड़ा मा बोई ये उजाड़ा मा
जख द्याख तख तब मेरी तिस नि बुझेली
मेरी धरती तब मिथे चौदिशा बाटा मा भरमेलि
कन कख ऊ कब मेर यूँ वा नजरि मा समेली
म्यार पहाड़ा मा बोई ये उजाड़ा मा
बालकृष्ण डी ध्यानी
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ये किले की हुँदु
ये किले की हुँदु
क्वी वैथे जणदू ना क्वी वैथे गणदू ना
अपरा अपरी मां लग्यां छन सबी
आँखा छन पर क्वी देख्दू ना
ये किले की हुँदु .....
दुःख पीड़ा जबै अप्डी हुंदी
झट कैकी वा किले कि देखे जांदी जी
दूजै की दुःख पीड़ा देखे की बी हम थे
किले कि वा हम थे देखेंदी ना
ये किले की हुँदु .....
अपरी माता का हम सब लाल छन
विंका आँखूं मा हम आंसूं देख सकदा नि
एक औरि बी माँ छन माता जल्म भूमि
विंका का आँखों का हम आंसूं किले पुस्दा नि
ये किले की हुँदु .....
देख बुरो ना मान्या मेरा दीदों
धैरी की अपरा जीकोडी मां अपरो हाथ सोचा
क्या कैनी च तेर जीकोडी तैसे मैसे
विंकी सुणा वे करम थे ही अपरा पूरा करा
ये किले की हुँदु .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
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रति आक्स मां
रति आक्स मां
ईं जुन्यालि रात मां
गैनो दगडी तेर बात मि कैन लग्यूं
तेर खुद मा मि अब रैणा लग्यूं
रति आक्स मा .......
यक्लु कख छों मि अब
तू छे अब मेरा आस पास मां
स्वास लेन्दु छों मि वा बी तेरा नौ का
इनि ही बैठी रै तू ज्यूंदगी भरी मेर साथ मां
रति आक्स मां .......
ये रति बीत जाली इनि बस तेरा साथ मां
देदे तू माया कि सौली मेर जिकोड मां
तेर फोट मिन कढ़ी च मेर आंख्युं मां
तेर बिगर अब को नि देखेंदु मि ये चाँद रात मां
रति आक्स मां .......
धक धक्याट ये जियू अब किले कैन लग्यूं
तेर बिगेर ये दिस राति बस ऐन जैन लगि
कब कटेली ये रात कब व्हाली तैसे मुलकात
बस ये आस थे मि आपरी दगडी बधेणु लग्यूं
रति आक्स मां .......
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जन बग्नि ये गद्नि जी
जन बग्नि ये गद्नि जी
तेर मेरी पिरित जनि वा किलै लगनि जी
हैरा भैरा बाणों का पसरया ये गैणा जी
दिन राति अपरि आन्ख्यों सदनी इनि रैणा जी
जन बग्नि ये गद्नि जी
हात मा हात धरि इनि बैठ्याँ रौंला गैल्या
सुख दुःख अपरि जिंदगी दगडी कट दा रौंला
कटै जाली ये जिंदगी अब त्यारा दगडी जी
माया की गगरी इनि अपरी छौलता रौंला जी
जन बग्नि ये गद्नि जी
तेर मेर छुऊं की ये रंगमत इनि बनि रयां जी
जुगराज मेरो गढ़ मेरो ये देश सदनि रयां जी
प्रेम का ये पंकाल सदनि यख इनि खिल्दा रयां जी
अपरा अपरा से लोक यख सदनि मिल्दा रयां जी
जन बग्नि ये गद्नि जी
तेर मेर गेढ़ सात जन्म सदनि इनि जोड़ी रयां जी
हर जन्म मां मिथे बस मेरो गढ़ देश ही मिल्यां जी
चखुला बनि ये सरगा हम सदनि उडदी रौंला जी
अपरि मातृ भूमि का हम मीठा मीठा गीत गौंला जी
जन बग्नि ये गद्नि जी
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छुईं मेरो गौं की
छुईं मेरो गौं की
मेरो नातो मेरो नौं की
छुईं मेरो गौं की ..........
बिन्सरी बेला की घटका
गौड़ बछड़ों की गौळ की घंटा
दूध दही और चै की सुराका
नौंनु उठ जै रे ऐगे देक प्रभाता
छुईं मेरो गौं की ..........
अब त रैगे बस मेरो गौं बस नौं को
कबी कबार फेर फटका और जी सैर को
अब दानों बालों को यूँ गौं मा
बस जी बेटी ब्वारी देखनी सारीयों मा
छुईं मेरो गौं की ..........
अब त जी मिल इतगा ही बोलाण
आपरी सोच थे मिल इतगा ही सिलण
थग्ल्या लग्यां मेर कबिता थे अबैर
जै पैड़ी और्री अपरा थे वैमा नि खोजैण
छुईं मेरो गौं की ..........
बालकृष्ण डी ध्यानी
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क्या बोलूं में अब तेथे
क्या बोलूं में अब तेथे
ये जीकोडी का भेद कन के तैसे उघडू मि
एक तरी जरा .. ...कख भागी जानि छे
रोक जा सुण जा तो ये मेर जियू की बात
ये मेरी शर्म्याली ये मेरी लजयाळी
सेब की जनि ये तेर च मुखडी लाल
वै पर सुनहर सुना का छै ये तै मा बाळ
बिरला की आँखी तेर क्या बोलानि च
देनी रैंदी छे वा रोज मि थे किलै कि हाक
ये मेरी शर्म्याली ये मेरी लजयाळी
प्रेम की मेर तू पैली पैली ऋतू छे
अलगद ऐगे तू सुरुक ये जिकोडीमा
इनि बरसी तेर मै पर प्रेम की बरखा
ये जिकोड़ो मेरो जनि पैल बारी धड़की
ये मेरी शर्म्याली ये मेरी लजयाळी
एक तरी जरा .. ...कख भागी जानि छे
रोक जा सुण जा तो ये मेर जियू की बात
ये मेरी शर्म्याली ये मेरी लजयाळी
क्या बोलूं में अब तेथे
ये जीकोडी का भेद कन के तैसे उघडू मि
बालकृष्ण डी ध्यानी
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क्वी नि रुंदो रे
क्वी नि रुंदो रे अब कैका बाना
रीत हैगे ये पहाड़ ईं लदोड़ी का बाना
क्वी नि रुंदो रे ...............
बल इतगा च ये उकाली को रैबार
उन्दरु का बाटा मा बल रौड़ीगे मेर ब्यार
क्वी नि रुंदो रे ...............
कैल देखण तेथे अब पैथर बौड़ी की
छोड़ीगे तेथे तेर ढुंगा गारो मा खेली की
क्वी नि रुंदो रे ...............
धैरी ले आंसूं अब अपरा आंख्युं पाख्युं मा
क्वी नि आलू अब वैथे मैट ना कुन
क्वी नि रुंदो रे ...............
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