Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253807 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बालपन मेरो मिथे तू बथा .....
बालपन मेरो मिथे तू बथा
बतै दे तू कख अब मिललू
दे दे मिथे तू अब अपरो पता
तेरो ठौर थिकणो कख च मिथे बथा
बालपन मेरो मिथे तू बथा.....
हैराण छों मि परेशांन छों
बगत तैर मार से मि घैल छों
निंदी नि आनि छ नि आंदु अब चैन
कख हर्ची गे हुलु मेर हैंस्दी मुखडी को गैंन
बालपन मेरो मिथे तू बथा .....
गुमसुम व्हैग्युं मि अपरा अपरी मां
यखुलो वैकि मि फिरदु अब सारो रैन
जल्दी ऐजा यक्लोप्न की दवैई तू दे जा
मेरो बालपन मिथे ऐकि तू जिंदगी सिखै जा
बालपन मेरो मिथे तू बथा ...
बालकृष्ण डी ध्यानी
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आंदी जांदी सांस ऐ बोंदी
आंदी जांदी सांस ऐ बोंदी
बस मि बची और मेरो पहाड़ जी
रैग्या ना क्वी बल अब यख बाकी
मि ही याखुली खड़्यूं एक बीर जी
सुबेर भ्तेक की ब्याखोनी व्हैगे
आच ,भौल को व्हैगे परबात जी
नि आई नि आई क्वी जै परती कि
देख दे मि थे ऊ एक सुर बीर जी
जैल अपरी बोई जल्मभूमि को
कभी ना भूली हुलु वैल उपकार जी
वो हीच च बावनगढ़ों को सचो सपूत
ये मेरो उत्तराखंड पहाड़ को जी
जो बी पड़लु मेरी रचना
वैथे देके जालु अपरो यखलु पहाड़ जी
ऊ झट दौड़ी दौड़ी की आलो और्री
सम्भल ले लो अपरा रीती रिवाज जी
आंदी जांदी सांस ऐ बोंदी .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
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रूप की तू ख्ज्यानी छे
रूप की तू ख्ज्यानी छे
तू भली देखेनि भाग्यानि रे
तू छे ऊ डाली का फूल .... २
जो बल बारा मैना फूलालि रे
रूप की तू ख्ज्यानी छे
दंत पंक्ति ये उजाळि छे
कन हुली आँखि तै खोज्याली रे
रातों का ऊ गैणों का माळा
देकि ते कया बचणा हुला
रूप की तू ख्ज्यानी छे
में ना पूछ सब तेथे खोजणा छ्या
तेरा रूपा का सब दीवाणा रे
बौल्या बने की मि पुछनि छे तू
तेरो ठौर तेरो कख छ ठिकाणों रे
रूप की तू ख्ज्यानी छे
बारा मैनो की बारा ऋतू छे तू
सोलहा दिसा मां अब तेरो ठिकाणों रे
अंदि जांदी मेर ये स्वास थे तू बोल्दे
कै बाटा कै घार तिल आच जणू रे
रूप की तू ख्ज्यानी छे
बालकृष्ण डी ध्यानी
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बुरांस फूली लाल मेरो पहाड़ों मा आच
बुरांस फूली लाल मेरो पहाड़ों मा आच... २
ऐग्याई दीदी भूली भूलों बोई की फिर याद मेरो पहाड़
बोई पैठा दे मिथे लेणा कुन झट रैबार
भेजी दे भुला थे जल्द तू म्यारो सौरास
बुरांस फूली लाल मेरो पहाड़ों मा आच... २
दे दे ऊं थे तू मेरो बाडोली मेरो पियार मेरो पहाड़
कन लगणू ये दूर भ्तेक लाल लाल मेरो पहाड़
देक णा कुन तू ऐजा ऐबारी तू मेरो घोर सौंसर
बुरांस फूली लाल मेरो पहाड़ों मा आच... २
रंगमत व्हैकि ऐग्याई बसंत मेरो पहाड़
ढोल दामो की अब छै जाली अब गोँ गोँ ब्यार
सुर्ख लाल ग्लोडी मा देकिले प्रेमा की उल्ल्यार
बुरांस फूली लाल मेरो पहाड़ों मा आच... २
इनि खिल्दा रयां ये बुरांस हर बरसी मेरो पहाड़
बालकृष्ण डी ध्यानी
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सबी कुच हुँदु च यख रे
सबी कुच हुँदु च यख रे
तू किलै की रुंदु च यख
तेरो कया गाई तेन कया लाई
सबी कुच हुँदु च यख ......
रैगे तू बस अपरा दुःख मा
रैगे तू बस अपरा सुख मा
आंसूं हैंसी को भेद फंसी बीच मां
सबी कुच हुँदु च यख ......
देखणाकुन आँखा दिया छन
सोचणाकुन खोज्नाकुन को बुधि रे
कया देखणा सोचणा कया खोज्ना छन तुम
सबी कुच हुँदु च यख ......
सुदी सुदी ग्याई सुदी बोल द्याई
बोल्ण पैल तिल तीळ मात्र बिचारा ना काई
तेरो मनु जन्म इनि ही सुदी ग्याई
सबी कुच हुँदु च यख ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
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कुच रैग्याई
कुच रैग्याई मेरो दगडी
कुच रैग्याई हुलू तेरो दगडी
तेरो मेरो करदा करदा
कुच बी नि राई दगडी मेरो तेरो
कुच रैग्याई ................
बथों दगडी बहणी रे वा
गद्नि दगडी सरणी रे वा
कैल समै पाई हुलू वैथे
सब कुच गमैकि तबै समझ आई मिथे
कुच रैग्याई ................
ना अपरा दगड मा राई वा
ना गैर दगड मा बी राई वा
सब कुच छै बल मेरो भितर ई
मेरो जिबान गै गैर को भितर देकिक़ी
कुच रैग्याई ................
मि बी ना बदली तू बी ना बदली
बदल गै सारो जग परी जग ना बदली
देखणा को बस फर्क च मेरो तेरो
माया ने माया दगडी बांधिले रे तेथे मिथे
कुच रैग्याई ................
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बद्रीनारायण राधेनारायण
बद्री धाम हरी का लेकी भाना
राध ऐगे अब हरी को बाना यख
बद्रीनारायण राधेनारायण
अलकनंदा बोई मां ऐजा स्नान कैरी की जा
भक्तों का बान यख बैठ्याँ छन हरी
बद्रीनारायण राधेनारायण
सिद्ध ऋषि, मुनि यख का प्रथम अर्चक छन
तब अपरा पूर्वजों न यख पूजा अर्चना कैरी
बद्रीनारायण राधेनारायण
चतुर्भुज ध्यानमुद्रा मां बैठ्याँ छन हरी
नारदकुण्ड भ्तेक शंकराचार्य निकालि कि स्थापित करी
बद्रीनारायण राधेनारायण
रामानुजाचार्य का छन म्यारा हरी
चल दोईया नरनारायण पहाड़े मा जैकी पूजा कारोंला
बद्रीनारायण राधेनारायण
गंगा माँ ऐ ये धरती मां १२ धारों मा बंटे
अलकनंदा बोई की एक धारा यख मां बोगी
बद्रीनारायण राधेनारायण
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यखुलो वैकि मि फिरदु अब सारो रैन
जल्दी ऐजा यक्लोप्न की दवैई तू दे जा
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रूप की तू ख्ज्यानी छे
रूप की तू ख्ज्यानी छे
तू भली देखेनि भाग्यानि रे
तू छे ऊ डाली का फूल .... २
जो बल बारा मैना फूलालि रे
रूप की तू ख्ज्यानी छे
दंत पंक्ति ये उजाळि छे
कन हुली आँखि तै खोज्याली रे
रातों का ऊ गैणों का माळा
देकि ते कया बचणा हुला
रूप की तू ख्ज्यानी छे
में ना पूछ सब तेथे खोजणा छ्या
तेरा रूपा का सब दीवाणा रे
बौल्या बने की मि पुछनि छे तू
तेरो ठौर तेरो कख छ ठिकाणों रे
रूप की तू ख्ज्यानी छे
बारा मैनो की बारा ऋतू छे तू
सोलहा दिसा मां अब तेरो ठिकाणों रे
अंदि जांदी मेर ये स्वास थे तू बोल्दे
कै बाटा कै घार तिल आच जणू रे
रूप की तू ख्ज्यानी छे
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अब मेरो पहाड़ बोलण लग्युं रे
मिथे मेरो पहाड़ बोलण लग्युं रे
देक दीदा ऊ मिथे रे धैय लगाणु लग्युं रे ... २
मिथे मेरो पहाड़ बोलण लग्युं रे ......
हैरी भैरी दांडी कंठी
ऊ बिगरेली ह्युं कि चलों-चांठी
ढुंगा गार ऊ देक हाक देंण लग्यां रे
मिथे ऊ मेरा अपरा पास बोलण लग्यां रे
मिथे मेरो पहाड़ बोलण लग्युं रे ......
कंडो धारों मा ऊ बिज्यां उकाळो
विपदा पीड़ा खैरी को सदनी मेरो पहाड़ो
हर्ची गे मेरो बालपन फिर मिथे देख्णु लग्युं रे
देक मेर सुकी तांसी मां ऊ बडुळि लगाणु लग्युं रे
मिथे मेरो पहाड़ बोलण लग्युं रे ......
मि त बल अब इतगा ही जण दू
वै दस डंडा परी छ मेरो गौं मुल्को
वै का ही बणा अटक्यूँ छ ये मेरो जियू परणु रे
अणु मि अणु दीदा जरा ठैर देक तैथे
मिथे मेरो पहाड़ बोलण लग्युं रे ......
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