Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253744 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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झट बोलि देऊ
(जियूं की छुईं थे बंधी ना रखा) ... २
गेड़ी पौडी जाली झट बोलि देऊ
(जियूं की छुईं थे बंधी ना रखा) ... २
गेड़ी पौडी जाली (झट बोलि देऊ ) ... २
(झिरिमिरी ब्योखोंन यो सम्झे मनमा
घाम छैलु यख वख रैलू मनमा ) हो ... २
आँखा तुमरि माया दगडी अल्झेला
सुकी जाला आंसूं झट बोलि देऊ ... २
जियूं की छुईं थे बंधी ना रखा
गेड़ी पौडी जाली (झट बोलि देऊ ) ... २
जिंदगानी अपरू यो द्विवि दिनी की
पिरती को कथा अपरि रैंदी सदा यख ही ... २
एक्लो एक्लो रुनु पडलु अंधरु रातमा
ढली जालो जोबन झट बोलि देऊ
जियूं की छुईं थे बंधी ना रखा
गेड़ी पौडी जाली (झट बोलि देऊ) ... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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मेर गैल्याणी
मिथे माया करनु हे आन्दु निछू रे ... २
तुमि ऐकि सिके देउ ना ...... गैल्याणी
(की मिथे छोड़ी जै ना .... मेसे भांड्या दूर ) ... २
मेरो तुम जनि .... क्वी साथी ना हुलु
तुमि बनि जैवा अब मेरा दगड्या जी
(की मिथे छोड़ी जै ना .... मेसे भांड्या दूर ) ... २
सबै छुईं बल तेरी और्री छुईं कैकि सुणदू ना ... २
जबै मिल देकि तिथे मिन समंण और्री कैथे अब खोजदू ना
मिथे खुसी दिना आन्दु निछू रे ...
तुमि ऐकि सिके देउ ना ...... गैल्याणी
(की मिथे छोड़ी जै ना .... मेसे भांड्या दूर ) ... २
चूक हुन च ये मायो का बाटा मा माफ़ बि करनु पड छ ... २
बगत जब ऐेई अपरू बिरनो मन को मित चुननू पड छ
मिथे चुननि को हे आन्दु निछू रे ...
तुमि ऐकि तुम थे चुन देउ ना ...... गैल्याणी
(की मिथे छोड़ी जै ना .... मेसे भांड्या दूर ) ... ४
बालकृष्ण डी ध्यानी
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मिसेनु छों रे गीत अपरा
मिसेनु छों रे गीत अपरा
सुक दुक लेकि की ऊ अपरा ....
मिसेनु छों रे गीत अपरा
बांजा पौड़ी गैनी पुंगडा
भाग मा ऐेई सुकु रोवटु को टुकड़ा
जौड जौड की अबै बी जोड्नु छों रे
मिसेनु छों रे गीत अपरा
एक खुटु भैर मेरो एक खुटा भित्र पड्युं छा
द्विवि पाटों फंसे मि गेयुं दगडी जन घुन पिसन्यूँ छा
एक बाद एक पीड़ा आंणा जणा छन रे
मिसेनु छों रे गीत अपरा
मेरा मनै की कैल नि जाणी
कैका मनै की मिल बी नि जाणी
रैग्युं इन घंघतोळ मि सदनि अपरा मा रे
मिसेनु छों रे गीत अपरा
बालकृष्ण डी ध्यानी
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और्री कया च मिथे चैनू
तेर आंख्युं को ऊ जादू
तुमरि द्विवि नजर मां
खोज दे मिथे तू उ माँ ..... २
और्री कया च मिथे चैनू
(खुश नशीब छों मि तुमरो यो हात पकड़ी ) ..... २
छू दा ही मि थे तू अर्थ ऐगे मेर जिंदगी मा और्री कया च मिथे चैनू
सुंदर मुखडी तेर देखे की जुन्याली बि लजानि लगे छे
एक बेल बि तै बिगर रै नि सकु और्री कया च मिथे चैनू
(तै दगड़ वै बेल मा पानी कसेरा ईनि लमडी ग्याई)..... २
तांसी मेर तिसलु रैगे बडुली लगि तेरी और्री कया च मिथे चैनू
काला बादल भादों का ऊं तेरा घना लटुला
छैलु बनिगे अब दा मेरो और्री कया च मिथे चैनू
तेर आंख्युं को ऊ जादू ....................
बालकृष्ण डी ध्यानी
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कोन मंदिर मां जाण छों यात्री
कोन मंदिर मां जाण छों यात्री
किलै पड़ी तै थे अब ये काम
कोन मंदिर मां जाण छों यात्री
बचीगे ना ते कुन कुच बी अब यख
अब ऐगै तै थे वै की याद
कोन मंदिर मां जाण छों यात्री
व्हैगे तो अब वख जाण को तैयार
जब जानु छे तिल ये छोड़ी कि संसार
कौन मंदिर मां जाण छों यात्री
मन को मंदिर ना खोली सकि तिल
जब व्हैगे तू अप से ही लाचार
कौन मंदिर मां जाण छों यात्री
बालकृष्ण डी ध्यानी
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ऐजादि मेरा मुल्क
ऐजादि ऐजादि ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी
ठंडू मिठू हुना कुन
एक बारी अपरि मुल्क मुल्की ऐजादि
तिम्ला को डालों थे भेट कैजादी
अपरा उकला मा ऐ भाना ही ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी
नि रयुंच मि अब पैल जनि
छोड़ी कि गयुं छे मि थे जबै तू ऊनि
खूब फेर बदल बी मेर दगडी अबै व्हैग्याई
चल मेर फेर बदल देखणा कुन त ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी
विपदा आपदा बि खूब मि परी ऐई ग्याई
मेरो अपरोंं न खूब कस्ट मि दगडी खाई
फिर बी मिल वैल देक हिकमत नि हारी
देक मेर इन हिकमत देखना कुन त ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी
नीला आकस छे अब सारो मेरो दगड्या
देक कन बगनी च मेर भूली गदनी
देब दब्तों को घार पहाड़ ये मेरो हिमाल
देक मेर यु सोँसार देखना कुन त ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी
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रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
रे मन मेरो ..... २
कन तेरो चबलहट
कया तेरो इन ब्यापर
तेथे किलै ऊ अब सम्झनु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
द्विवी घडी ऐ यख बैठी जा
ऐकि मेसे भेटि जा
ऐ हात नि अब आनु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
कै घारा अब अटकीगै
कै बाण बल ऐ भटकीगे
कैथे अब ऐ मनानु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
माया को ऐ खेल छन
मायाल सब खिंडी खेली
तिल ऐ खेल खेल नि जणी रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
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मेर अख्युं थे.
मेर अख्युं थे तु किलै रुलांदी । .. २
किलै तु रोज मेरा इन सपनियु मा आंदी ।
सब धनी छोडी कि ऐजा आज मेर पास , (हे मेरी मायालु)…२।
अख्युं थे तु किलै रुलांदी ।
कन मि जिन्दु यख , जो तेर माया नि हुन्दि । ... २
मेर जिकोदी थे , तू इन माया ना छुअनदी
सब धनी छोडी कि ऐजा आज मेर पास , (हे मेरी मायालु)…२।
अख्युं थे तु किलै रुलांदी ।
मिथे भी पता च वख बी, तेरो मेर जनी हाल हुलो । ... २
सम्झे मिथे यक्लो मा तुम बि यक्लो मा हुली रुँदि हो।
सब धनी छोडी कि ऐजा आज मेर पास , (हे मेरी मायालु)…२।
अख्युं थे तु किलै रुलांदी ।
मेर अख्युं थे तु किलै रुलांदी । .. २
किलै तु रोज मेरा इन सपनियु मा आंदी ।
सब धनी छोडी कि ऐजा आज मेर पास , (हे मेरी मायालु)…२।
अख्युं थे तु किलै रुलांदी ।
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क्या च तेरो भित्र धर्युं
क्या च तेरो भित्र धर्युं
मेंसे किलै बच्चोंदी ना
तू किलै बच्चोंदी ना ....... २
क्या च तेरो भित्र धर्युं
इतगा किलै रुसै मेंसे
वै रुसै की तू कथा लगे दे
अपरि ई छुईंलि गिचि थे
तू और्री ना इन सजा दे
क्या च तेरो भित्र धर्युं
देक तेरो इन रुसैनु
तेरो इन मिसै नि बोलेणु
अचु नि लगदू मिथे अब
मिथे अब तेरो इन गप रैनू
क्या च तेरो भित्र धर्युं
गुबरा ना बने इन ग्लोडि थे
नारज ना हो इतगा अब भंड्या
भलो नि लगदू मिथे अब
झट छोड़ि गुसा झट मनजा
क्या च तेरो भित्र धर्युं
बालकृष्ण डी ध्यानी
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ऐजा मेरो साथि
कदगा कदगा बोलो मि तैथे
ऐजा मेरो साथि
जेठ बैसाख बीती गैनी
बल अब आषाढ़ की बाती
कदगा कदगा ........
मन मेरो नि लगदो साथी
बल ऐकि दबाई तू कैजै
बुरांस फूली काफल पाकि यख
हिंसोल यूँ हाथों न खैजै
कदगा कदगा ........
तेर मेर प्रित ईनि च
जनि मि उकाली तू उंदारी
बारी बारी ऐगे सबी रितू यख
तैर ही बस अब ऐने की बारी
कदगा कदगा ........
ऐ फूलों की घाटी च तै बना
ये उजाड़ पहाड़े की ऐ दाती
बूढरि व्हैजण सै पैली साथी
ऐजा तू मिथे भेंटि
कदगा कदगा ........
ऐ जुनेली राता थे अब तू
बल इतगा ऐकि अब समजा दे
आँख्युमा थे आंसू भूले की
ईनकी ऊ निंदी तू पैठे दे
कदगा कदगा ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
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