मेर गैल्याणी
मिथे माया करनु हे आन्दु निछू रे ... २
तुमि ऐकि सिके देउ ना ...... गैल्याणी
(की मिथे छोड़ी जै ना .... मेसे भांड्या दूर ) ... २
मेरो तुम जनि .... क्वी साथी ना हुलु
तुमि बनि जैवा अब मेरा दगड्या जी
(की मिथे छोड़ी जै ना .... मेसे भांड्या दूर ) ... २
सबै छुईं बल तेरी और्री छुईं कैकि सुणदू ना ... २
जबै मिल देकि तिथे मिन समंण और्री कैथे अब खोजदू ना
मिथे खुसी दिना आन्दु निछू रे ...
तुमि ऐकि सिके देउ ना ...... गैल्याणी
(की मिथे छोड़ी जै ना .... मेसे भांड्या दूर ) ... २
चूक हुन च ये मायो का बाटा मा माफ़ बि करनु पड छ ... २
बगत जब ऐेई अपरू बिरनो मन को मित चुननू पड छ
मिथे चुननि को हे आन्दु निछू रे ...
तुमि ऐकि तुम थे चुन देउ ना ...... गैल्याणी
(की मिथे छोड़ी जै ना .... मेसे भांड्या दूर ) ... ४
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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