Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253378 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा
तू स्वास बणी मठु मठु आणि जाणी लगे छे
यूँ आँखयूँ की छपी छपी मा
तेर तस्बीर देख लुकी छुपी जाणी लगे छे
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा ....
देखी जब तेरु ऊ हसणु मुखड़ी
ऐ जिकोड मेरो हुलु तब च धड़की
तेरा पिछणे पिछणे मिल ऐकी ऐ बांदा
कख कख नि मिल मार दी फेरी
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा ....
मिथे बता तेरु नोऊ च क्या
कै कॉलेज तू पड़दी तेरु गौं च क्या
देख तू अब इन औरी ना बाहण लगा
सब धणी तेरु तो मिथे दे बता
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा ....
तेरी मयलदी ऊ आँख दोई
मै बान माया देखांदी वै माया थे जता
अपरी परेली थे ना इन झपक
साफ साफ बाता कुछ ना लुका
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा ....
बालकृष्ण डी ध्यानी
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आज किलै की
आज किलै की औ आज किलै की
तू मेरो सुपनीयू मा आणु छे
तू किलै की आज मि रुलाणु छे
आज किलै की औ आज किलै की
आँखयूँ का ऊ सुपनीयू आँखयूँ मा रैगेनि
अपडों छोड़ सात समोदर ऊ पार चलीगैनी
चखलु जनि उड़णु मिथे कैल हुलू सिखैई
आज किलै की औ आज किलै की
जून जुन्याली छे यख वख बी इनि हुली कया
जन रुणु छो यखुली यखुली ऊनि बी हुली रुंदी वा
कैल बने हुलू टक्कों थे कैल ईं पर पैल माया लगे हुली
आज किलै की औ आज किलै की
ईं अंध्यारी रात मा तू मेरो उजालू बणी की ऐई
बाटू बिरड़ी छियूँ मि मिथे बाट बथे जैई
हाथ पकड़ी की मेरो तू अपड़ो दगडी ले जैई
आज किलै की औ आज किलै की
बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Anil Kumar Pant and 126 others.
July 26 at 11:51pm ·
उत्तराखण्ड बनेक बल हमुल क्या पाया
उत्तराखण्ड बनेक बल हमुल क्या पाया
उत्तरांचल को खण्ड खण्ड जब हमुल कैदयाई
अपरा अपरा क्वी नि यख सब अब ह्वैगे बिराणा
घार अपरा छोड़िक सबो का परदेस ठिकाणा
राम सब यख छन पर बल मन मा रावण बस्यूचा
अंखयूं अंखयूं न रोज अब किलै सीता हरण हुनिचा
एक खुटा दून एक दिल्ली मा अब बल धरयूंचा
कैल सोचण पहाड़े की जब अपरू नाणो ही खुटुचा
देखा डामा को गढ्देश मेरो उत्तराखंड बणीग्याई
तब भतेक अपरो देऊ देबता हम से रूसैग्याई
बूढारी अंखयूंन देखिछया सब भल भली के जो सुपनिया
अब की पीढ़ी न ऊ सुपनियों को छितर बितर कैदयाई
बालकृष्ण डी ध्यानी
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ढंगी रे ढंगी रे
ढंगी रे ढंगी रे
पिछने कि ढंगी रे
दौड़ी जादि अग्ने कभी
किलै रैजांदि तू पिछने रे ... ३
ढंगी रे ढंगी रे
कालो रंगों रंगस्याणि
माथो मा सफेद ज्योति रे
कभी त ऐजा दौड़ी रे
इन ना जा तू बॉडी रे ... ३
ढंगी रे ढंगी रे
खे जालु तै बाघ स्याल
झट ऐजा घोरी रे
आँखा का उड़्यार मा
गै मेरी आंखीं थकी रे ... ३
ढंगी रे ढंगी रे
कंपदो हुलु तेरो गात
फैलायूं छा मेरो हात रे
लाठि टेकि कि सरकनु
कब जालु ये स्वासु रे ... ३
ढंगी रे ढंगी रे
बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेर छप छपी
छप छपी मेर छप छपी
जिकोडी मा छपी तेर तस्वीरा
भैर -भीतर करदी राई
कन ऐ तेर तस्वीरा
मन मा छपी पीड़ा को
कन मिठू मिठू आभास
तेर मेर माया छे वा
या मि थे ह्वैगे छे भास्
घुंघर्याळी लटुली तेरी
गोंदक्याली खुटी वा
दौड़ी दौड़ी जांदी कख वा
मि थे किलै ह्वैगे छब्लाट
पाणि कि गागरि लेकि
तू जै बाटा आंदी जांदी
मि थे पिछने पिछने तू
वै बाटा ले जांदी
मि थे बोल्णु तै थे
मि परी कैदे उपकार
मेरु हाथ पकडी दे
अपड़ो जन्म जन्म को साथ
बालकृष्ण डी ध्यानी
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शब्द हरची गयां
शब्द हरची गयां
गीत अधूरा रैगैनी
ब्वगदा गदनौं को
माटो सब ब्वग गैनी
पोथला उडी गंया
घरटा रीता व्हैगिनी
बरखा ह्यूंद घाम
टक देख्दा रैगैनी
छुंई लगणी छे
विं ढुंगा की जोड़ी
यखुली रैगैनी
वि खुट्टियूं की जोड़ी
रूझि भिजी गे
बांजा रूखा पुंगड़ियूं
दाना सयैणा कथा
हम भुलि बिसरिगे
शब्द हरची गयां .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
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जबै बी आंदि तू पास मेरा
जबै बी आंदि तू पास मेरा
ले जांदी तू ऐ स्वास मेरा
मेरी जिकोडी की दुक दुकी
मेरा बाटों बी ऐजा तू कबी कबी
जबै बी आंदि तू पास मेरा ....
रैंदु मि अब बी वै बिसरीयुं बाटों
वै पँधेरा वै आमों का छालो
जख जख छपी छे भेंट अपड़ी
अब भी पड्युं छो मि देख वखि
जबै बी आंदि तू पास मेरा ....
खुद बनग्याई जीणु को सारू
खुद मा ही अब खुदेणु छो बाटों
भूली बिसरि ही एक बारी ऐजाई
वै बाटों दगडी तू मिथे बी भेंट जैई
जबै बी आंदि तू पास मेरा ....
मिथे पता छे तू मेरी नि छे
मानी लियूं मि पर ऐ जिकोडी रूसी छे
वै थे बल अब मि कन मनेऊ
ऐजा ऐजा तू अब वैथे बोथे जै
जबै बी आंदि तू पास मेरा ....
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मेरु जिकोड़ो में संग बोल्दी ना
मेरु जिकोड़ो में संग बोल्दी ना
मेरु जिकोड़ो में संग किलै बोल्दी ना
भेद मन का में संग किलै खोल्दी ना
मेरु जिकोड़ो में संग बोल्दी ना
कदगा दिन रात मि सिंयु नि
परेली मेरु कोनों मिल भिजे नि
आँखा बण जांदी छन बल किताब जी
वे किताब थे तुमल कबी पैढि ना
मेरु जिकोड़ो में संग बोल्दी ना
खुटा अब थक गैनी तुम से दूर हीटे की
अब त मिल बी देख हिटणु छोड़ द्याई
तुमरी खुद थे मि अब कन के बिसरुं
अब तकै मिल मरणु नि सिख द्याई
मेरु जिकोड़ो में संग बोल्दी ना
मेर नजर अब दूर तके दिखादी ना
पास का बी मेर नजर अब हेरदी ना
इतगा सिंकोलि मेरु ये बुढ़ापा ऐग्याई
अब बी मेरु जिकोड मेसे बोल्दी ना
मेरु जिकोड़ो में संग बोल्दी ना
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पैनी की पेंट को सुलारा
पैनी की पेंट को सुलारा
कन लगणु त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू पहाड़ा
झीलमील झीलमील ये पौड़ी बजारा
कन लगणु त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू नजारा
चल झट चुलै की तू गै ऐ अप्डू कुर्ता सुलारा
कन लगणु दूर रैकी त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू दुलारा
खुद औरि रैबार को च बल अब ऐ तेरु सहारा
कन लगणु त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू सारु पहाड़ा
टेहरी डैम को अब व्हैगे बल ऐ टेहरी गढ़वाल
कन लगणु दूर रैकी त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू डुबो पहाड़ा
आपदा विपदा को गढ़ व्हैगे ये गदनी का बगदा धारा
कन लगणु त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू धारू पहाड़ा
जिलों की लगी गै उत्तरखंड मा बल इन बहार
कन लगणु दूर रैकी त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू रूखा पहाड़
बरस पिछणे बस बरस ही बोगणा छन यख बल अब
कन लगणु त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू बोगणु पहाड़ा
पैनी की पेंट को सुलारा
कन लगणु त्वेथे दूर बाटिक ऐ अप्डू पहाड़ा
लैपटॉप स्मार्ट फोन को च ऐ तेरु बल जमाना
बता दे मिथे तेरु मन मा मेरु क्या च ठिखणा
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चांटी चांटी की खे गैनी
चांटी चांटी की खे गैनी
ऊं सुपनिया किलै कख मेरा उडी गैनी
कन औरी कब अब उडीला ऊ चखुला
जूं क पंख ऊं सुपनिया ने कतर दैनी
चांटी चांटी की खे गैनी
खुद आंदा औरी बल ऊ दूर चली जांदा
ऊ तस्बीर तुमल किलै बदली नि दैनी
क्या क्या वादा किया छन तुमल
ऊ किलै की अब तुम से पुरा नि हुनि
चांटी चांटी की खे गैनी
ठंगों की सब बल अब कौथिग लगींचा
पिंगळी जलेबी किलै की ऊँ से तौली नि जाणी
कन चरखा मा तुमल हम थे बिठेई
ऊ चरखा का अबै तक किलै की रिंगा नि जाणी
चांटी चांटी की खे गैनी
भूली गयां हुला तुमरी याद छ बल छोटी
पञ्च बरसा का जो यो तेरु मेळा लगयूं चा
अब वैंकी मियाद छ खत्म हुँण वाळी
तै थे देख फिर हमारी याद आण हुली
चांटी चांटी की खे गैनी
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