कुमाऊँ मैं प्रचलित बोलियाँ
हिन्दीं मैं -एक समय मैं दो विख्यात योद्धा थे !
१-अस्कोटी-पिथौरागढ़ जनपद मैं सीरा छेत्र के उत्तर पूर्व मैं अस्कोट के आस-पास बोली जाने वाली बोली अस्कोटी कही जाती है इस बोली पर सीराली नेपाली और जोहारी,बोलियों का अधिक प्रभाव है !
(कै बखत मा द्वि नामि पैक छि )
२-सीराली -सीर छेत्र की बोली सीराली कहलाती है पिथौरागढ़ जनपद मैं अस्कोट के पश्चिम और गंगोली के पूर्व का छेत्र सीर कहलाता है !
(कै बखत मा द्वि नामि पैक छयो )
३-सोर्याली -पिथौरागढ़ जनपद के सोर परगने की बोली सोर्याली है !पूर्व मैं काली नदी दक्षिण मैं सरयू .पश्चिम मैं पूर्वी रामगंगा और उत्तर मैं सीरा से घिरे छेत्र की बोली सोर्याली है !
(कै बखत मा दवी बड़ा जोधा छ्या )
४-कुमय्याँ -काली कुमौउनु की बोली कुमय्याँ या कुमाई कहलाती है यह बोली उत्तर मैं पनार और सरयू ,पूर्व मैं काली पश्चिम मैं देवीधुरा तथा दक्षिण मैं टनकपुर तक बोली जाती है !
(कै वक़्त मैं द्वी बड़ा वीर छ्या)
५-गंगोली -गंगोलीहाट के आस-पास की बोली गंगोली कहलाती है !यह छेत्र पश्चिम मैं दानपुर ,दक्षिण मैं सरयू,उत्तर मैं रामगंगा,व पूर्व मैं सोर तक फैला है !
(कै बखत में द्वी बड़ा जोधा छ्यां)
६-दनपुरिया-अल्मोडा जनपद के दानपुर के परगने की बोली दनपुरिया कहलाती है दान्पुरिया में महाप्राण ध्वनियों के उचारण का अभाव है !
(पैल बखत माई दो देब्यां भड छिलो)
७-चौगार्खिया -यह छेत्र काली कुमाऊँ के उत्तर पश्चिम से लेकर ,पश्चिम में बारामंडल परगने तक फैला है!
(कै समय में द्वी नामि पैक छि )
८-खसपर्जिया-यह छेत्र अल्मोडा के बारामंडल परगने में बोली जाने वाली बोली खसपर्जिया कहलाती है !कुमाऊँ में अतीत में खस जाति का प्रभुत्व रहा है!उसकी बोली खसिया कही जाति है !
(कै समय में द्वी नामि पैक छि )
९-पछाई- अल्मोडा जनपद के पाली पछाऊं छेत्र की बोली पछाई कही जाति है !पल्द्कोट ,रानीखेत,द्वारहाट,मासी तथा चौखुटिया इस बोली के प्रमुख केंद्र हैं!
(कै दिन मा द्वी गाहिन पैक छिया )
१०-रौ-चौभैन्सी -उत्तर पूर्वी नैनीताल जनपद के रौ और चौभेंसी छेत्र में बोली जाने वाली बोली रौ-चौभेंसी है !
(कै ज़माना मा जी दुई नामवर पैक छिया)