Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 15868 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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धन छ्या तुम दीदी भूली
म्यार पहाड की नारी
त्यार मन की पीडा
कभी कैन नी जांणी
बरखा मा बत्वाणी मा
पुंगड्युं मा छै जांणी
त्यार मन की पीडा
कभी कैन नी जांणी
रुजद भिगद डाल भ्याल
घास कुन छै जांणी
अफु दिनभर भुख तीस
गोरु कुन हरी घास छै लांणी
रुड्युं क घाम मा
हींयुदु क जडु मा
कन खैरी खंदा तुम
जब जंदा जुगंल्या पांणी मा
कुटुमदरी यखुली घर
दुध्यारु नौन छुड्युं च
घास कुन बंणु बंणु मा
खैरी कन खांणी च
धन छ्या तुम दीदी भुली
म्यार पहाड की.......
सर्वाधिकार.सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)फोटो साभार शोभाराम रतुडी जी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कन निर्मोही ह्वे तु
हे बिधाता आज
राही जी तै लीगी तु
रुवाणा छन साज बाज
अब सौली जगजगा
कनमा घुराली
कौथिग क बाना बौ
सतपुली कनमा आली
अब देखेन लुणन दुण
कनमा भर्याल
भागा बे पंचमी भागा
गीत कु सुणालु
ठंडु मठु कैकी अब
चदरी कु हिरालु
पारभीड की बसंती तै
छोरी कु बतालु
भाना तै बांज कटण
दुर कु बुलाल
रुप की खज्यनी तै
भग्यनी कु बतालु
नथुली घंघाल कु
गीत कु लगालु
माया कु जंजाल तै
अब बुरु कु बतालु
देवी दयवतों तै हुडकी मा
अब कु नचालु
नौ खोली क सीयुं नाग
अब कनमा बिजले जालु
तिलै धारु बोला गीत
अब कु लगालु
समदंण्यु तै रीक अब
खुजणा ही रै जालु
त्यार बाना भाना
जोगी भेष कु धरालु
छुमा बौ बसंती छुमा
गीत कु लगालु
ईमारतु क जंगल मा
आदीम कु हर्चालु
प्रदुषण बढी ब्वाली तुमन
बसंत कनमा आलु
कन निर्मोही ह्वे तु
हे बिधाता.......
सर्वाधिकार सुरक्षित @ सुदेश भटट (दगडया) सुर सम्राट चंद्र सिंह राही जी तै समर्पित श्रद्धांजली

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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म्यार गौं मुलुक मा
कन डर हुंयी च
मार मार कैकी बाग लग्युं
गोर बछरु पर मिस्युं च
रोज अखबारों मा द्याखो
यमकेस्वर ही छयुं च
जु दिखंण छन ख्वाब 17 क
ऊंकी गीची पर ताली लगीं च
ना त कुई बडु नेता
ना छुट बुगल्या आई
पीडित परिवारु क प्रति कैन
जरा दुख बी नी जताई
चार गोरु क जगाम अगर
चार भोट मिलण की बात हुवांद
नेता जी हमर भग्यान
रतखुल्दी यै जांद
जु बी छ्या तुम हे बाघ देवता
चुनौ क बगत परकट ह्वैन
यन स्वार्थी नेतों तै
धरों धार गाडों गाड दौडेन
अरे किले छ्या लग्यां द्वास
गरीब अर गुरबों पर
रात करना छ्या तुम अटैक
छान्युं की पटल्युं पर
म्यार गौं मुलुक मा
कन डर हुंयीं......
सर्वाधिकार@सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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थडियां चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन गांव मा
डोली घोडी पलकी हरची
बरात जांणी कार मा
फड मन कु भात हरची
हलवे यैगेन गांव मा
खडाखडी मिस्यां लोग
प्लैट लेकी हाथ मां
थडिया चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन गांव मा
पैंय्या कुलें कु गेट नी च
कखी दिखेंणा गांव मा
न्युतेरु की हत्युं मा चौंठी
हरची ग्या अब गांव मा
बांमण की हथ मा दैंणी
स्या बी नी दिख्यांणी च
खिडकी मा दीदी भुल्युं की गाली
स्या बी नी सुंण्याणी च
सीरु मुकुट भी कम दिखेंणा
बरजी आंणा पगड्युं मा
बरती क यैथर पैथर झंडा
स्यु बी हरची ग्यायी हां
थडिया चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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थडियां चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन गांव मा
डोली घोडी पलकी हरची
बरात जांणी कार मा
फड मन कु भात हरची
हलवे यैगेन गांव मा
खडाखडी मिस्यां लोग
प्लैट लेकी हाथ मां
थडिया चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन गांव मा
पैंय्या कुलें कु गेट नी च
कखी दिखेंणा गांव मा
न्युतेरु की हत्युं मा चौंठी
हरची ग्या अब गांव मा
बांमण की हथ मा दैंणी
स्या बी नी दिख्यांणी च
खिडकी मा दीदी भुल्युं की गाली
स्या बी नी सुंण्याणी च
सीरु मुकुट भी कम दिखेंणा
बरजी आंणा पगड्युं मा
बरती क यैथर पैथर झंडा
स्यु बी हरची ग्यायी हां
थडिया चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन......
सर्वाधिकार सुरक्षित @ सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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थडियां चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन गांव मा
डोली घोडी पलकी हरची
बरात जांणी कार मा
फड मन कु भात हरची
हलवे यैगेन गांव मा
खडाखडी मिस्यां लोग
प्लैट लेकी हाथ मां
थडिया चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन गांव मा
पैंय्या कुलें कु गेट नी च
कखी दिखेंणा गांव मा
न्युतेरु की हत्युं मा चौंठी
हरची ग्या अब गांव मा
बांमण की हथ मा दैंणी
स्या बी नी दिख्यांणी च
खिडकी मा दीदी भुल्युं की गाली
स्या बी नी सुंण्याणी च
सीरु मुकुट भी कम दिखेंणा
बरजी आंणा पगड्युं मा
बरती क यैथर पैथर झंडा
स्यु बी हरची ग्यायी हां
थडिया चौंफला हरची गेन
डी.जे यैगेन......
सर्वाधिकार सुरक्षित @ सुदेश भटट(दगडया)

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युं दिनु की याद अब
याद ही रै गैन
फर्नीचर यैन बल
खटला हर्ची गेन
न्यार बुटंण भै बंद
सौब भुली गेन
रयां मिस्यां खटला भी बल
पाया समेत बिटै गेन
याद च आज बी
जब गोरुम श्योल लिंजांण
ग्वींण लगांद की मेस बल
गौर बी छ्या हर्चांण
दौंली बंणाण त गल्यों की
सब्युं तै याद होली
रयी पन की नेतंण दीदो
क्या क्वांण पडीं होली
कृषि कार्य स्कुल्यों मा
खुब जुड लिजांण
याद यैग्या दीदों देखी
बंठा कुन डील बंणाण
देश बिदेश की हरचदी कला
हमन संजोई देनी
अपणी हरचदी कला बिरासत
उबर्युं मा लुकै देनी
युं दिनु की याद अब
याद ही........
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

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दगडया छे तु दगड्या रै
सुख दुख कु दगड्या रे
जैकु नी सारु कुई
वै भग्यान क सारु छै
दगडया छे तु दगडया रै
गरीब असहाय भयुं कुन तु
छैलु वाल डालु छे
दुख बिपदा मा भै बंदु कुन
भौत बडु सारु छै
दगड्या छे तु दगडया रै
अपर काम छोडी तुम
जनसेवा मां लग्यां छ्या
सेवा सम्मान सदभाव सहयोग
भलु कैकी निभांणा छ्या
दगड्या छे तु दगड्या रै
बुये क दुधी क सौं लियां छन
सौं खयां छन माटी क
अपंण भै बंधु कुन रौला
जिकुडी यैथर तांणी क
दगड्या छे तु दगड्या रै
रक्तदान दगड्या तेरी
सबसे बडी पछ्यांण च
हरचदी रीती रीवाज
दगड्या तीन बचीयांण च
दगडया छे तु दगडया रे
अपंण गौं तक सीमित नी तु
सरा मुल्क क लाडु छै
दुख दर्द मा दगड्या तु
सबसे यैथर रांदु छै
दगड्या छे तु दगड्या रै
दगड्या छे तु दगड्या.......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भट्ट (दगडया)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चिंतन मंथन उत्तराखंड कु
हुंणा दिल्ली बंबई मा
गडवाल कु बल माटु बी बिकणा
राजनिति की टेबल मा
कुई भुना बंबई बिटी की
पहाड बचौला हम
दिल्ली वालु की रट लगयीं
डयारदूण गैरसैंण लीजोला हम
अंगरेजी क गांणा लग्यां छन
देशी बच्यांणा छन घर मा
अपण नौन छन कानवेंट स्कुल
भाषंण सुंणा भग्यानु क
प्राईमरी जयीं च धार मा..
बाडी पल्यो तै घींणै घींणै की
कीटी कीटी की खांणु छ्या
पहाड प्रेम 17 कु दादा
मी भी त्यार चितांणु छ्या
पलायन की चिंता दीदा
मार मार कैकी त्वै खांणी च
बंबई मा तेरी कोठी लगयीं
दिल्ली मा डी.डी.ए की मुलयीं च
अपणी कुडी खंद्वार हुंयी
किलै हैंक कुन रुणी छै
पलायन की तेरी नकली पीडा
2017 बिंगाणी छै
चिंतन मंथन उतराखंड कु
हुंणा बंबई दि.........
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भट्ट (दगडया)

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आज फिर खैरी दगडयों
दिल्ली की सुणाता हुं
म्यार गौं मे छिंच्वडु खत्या रहा
यहां द्वी रुप्या गिलास खुज्याता हुं
म्यार मुल्क मे पांणी खत्या रहा
जवानी दिल्ली बस गई
पानी जवानी म्यार पहाड की
दिल्ली जुगत हो गई
डब डब डबख रहा हुं
ईस नरबै दिल्ली में मै
चकोरु सी घांण की भीड में
कन पतड्या रहा हुं मै
गौं की खोली नही दिख्या रही
यैकी नरबै दिल्ली में
रीबड रहा हुं फजल बिटीकन
जमनापार की गलियों में
आज फिर खैरी दगड्यों
दिल्ली की सुणाता......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भट्ट (दगडया)

 

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