Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447235 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
मन माया
 
 मन माया मेरी मन माया
 तिल  क्या पाया ये मन माया
 कैका मन की  कोइ णी जाणी
 भूखी मेर पोटी  तिल ही पछणी
 मन माया मेरी मन माया
 
 छातु को माया लक्डू माया
 थ्यग्ल्या कपडा टोपलो को माया 
 चदरी चदरी जोड़ी मेर माया
 ये मेरा तन तिल क्या पाया
 मन माया मेरी मन माया
 
 जीकोडी मा छिपी जगमाया 
 ये मायाल मीथै खुब भरमाया
 गगरी गगरी ये माया माटा की
 जब छुटी हाथोंल तिल क्या पाया   
 मन माया मेरी मन माया
 
 मन माया मेरी मन माया
 तिल  क्या पाया ये मन माया
 कैका मन की  कोइ णी जाणी
 भूखी मेर पोटी  तिल ही पछणी
 मन माया मेरी मन माया
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत —

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
सर्द
 
 सर्द ठीठोरती रोती है
 अकेले आंखें भीगोती है
 
 दूर
 बिछी बर्फ की चादर
 अब कुछ कहती है
 अंगडाई भी ना लेती है 
 हरियाली दबी रहती है
 
 सर्द ठीठोरती रोती है
 अकेले आंखें भीगोती है ...........
 
 देखो
 साथी ना सहेली है
 बिलकुल वो अकेली है
 श्वेत रंग को ओढी है
 भग्या भरोसे छुडी है
 
 सर्द ठीठोरती रोती है
 अकेले आंखें भीगोती है ...........
 
 प्रकृती
 छुप जाते सब रंग
 पतझड का वो मोसम
 फुल ना ही खिलते हैं
 भोंरें अफशोस करते हैं   
 
 सर्द ठीठोरती रोती है
 अकेले आंखें भीगोती है ...........
 
 पहाड़
 अपनों को ही खोता हूँ
 जुदा हर पल  होता है
 मै खाली ऐसे ही होता हूँ
 सर्द के साथ भी रोता हों
 
 सर्द ठीठोरती रोती है
 अकेले आंखें भीगोती है ...........
 
 शहर
 मौज मस्ती मन है
 यंहा अलग ही ढंग है
 कोई मुझ से ठीठोरत रातों मै
 कोई कंबल औढे सांसों मै
 
 सर्द ठीठोरती रोती है
 अकेले आंखें भीगोती है ...........
 
 मन
 मेरे मन की ये अग्न
 ढ़ोंहडैगी अब तेर घर
 तेरे तन की औ तड़पन
 जलती होगी अब चिलमन
 
 सर्द ठीठोरती रोती है
 अकेले आंखें भीगोती है ...........
 
 
  बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
मुफ्त मा बिकाणी च
 
 ठंडो ही ख्याली ठंडो ही पियाली 
 आज पहाडा मा भर पेट सीयाली
 कामधणी नीच पैल जो भी च्या वा हर्चाली
 ह्युंद ,मी,अहम्,स्वार्थ जम्युं च ये बगत पहाड़  मा
 मुफ्त मा  आयसक्रीम ख्याली
 
 खैरी विपदा की कैंडी बन्याली
 उकाला उंदारों बाटा मा धर्याली
 बोरंश प्युओंली का  गुओला ख्याली
 कीन्गोड़ा काफल फ्लैवर ड़ल्याली
 मी जम्युं च ये बगत पहाड़  मा
 मुफ्त मा  आयसक्रीम ख्याली
 
 येजा जावा लिम्बा को शर्बत पीणकुण
 कालो लूँण चीनी पहाड़ मा मेस्याली 
 अपर दुःख अपरी व्यथा को घोला बाणकी
 गाटा गट हे भोलह मील पियाली 
 अहम् जम्युं च ये बगत पहाड़  मा
 मुफ्त मा  आयसक्रीम ख्याली
 
 रीटा रीटा मनख्यूं की तरह
 ये रीटा रीटा ये गढ़ भी अब देख्याली
 ह्युंद ह्युंद जम्युं ये गढ़ देश मा
 अपरा परया मा भी  भेद देख्याली
 स्वार्थ जम्युं च ये बगत पहाड़  मा
 मुफ्त मा आयसक्रीम ख्याली
 
 ठंडो ही ख्याली ठंडो ही पियाली 
 आज पहाडा मा भर पेट सीयाली
 कामधणी नीच पैल जो भी च्या वा हर्चाली
 ह्युंद ,मी,अहम्,स्वार्थ जम्युं च ये बगत पहाड़  मा
 मुफ्त मा  आयसक्रीम ख्याली
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
जीकोड़ी
 
 मै दगडी छे तु
 फिर भी हरच्युयों  छे
 मेर जीकोड़ी बाता दे  तु
 कखक तु भटकी छे
 मै दगडी छे तु
 फिर भी हरच्युयों  छे
 
 आल्य डंडा मेरा
 पाल्या डंडा तु कंण उजड़ी गै
 पुन्गाडु मेरु मी थै बाता दे
 कंण बंजा पड़यूँ छे
 तु अपड़ी छुंयीं लगा मी थै बता दे
 
 मै दगडी छे तु
 फिर भी हरच्युयों  छे.................
 
 ये कुड़ी ये दारा विपदा बाते दे
 याद ओंदी क्या घारा मी थै बता दे
 सन्घुल लाग्यां लाग्यां ताला मी थै देखे दे
 बसंत पंचमी कंण झुमैल बहारा 
 ये गढ़ देश ये मेरा गाढवाला मी थै बता दे
 
 मै दगडी छे तु
 फिर भी हरच्युयों  छे.................
 
 जख भी जणु मी
 तु वख वख आणु छे
 बिता दिणु की कीलें
 तु याद दिलाणु छे
 रूअडी गैणी जै सड़की ध्यै लगाणी छे
   
 मै दगडी छे तु
 फिर भी हरच्युयों  छे.................
 
 मै दगडी छे तु
 फिर भी हरच्युयों  छे
 मेर जीकोड़ी बाता दे  तु
 कखक तु भटकी छे
 मै दगडी छे तु
 फिर भी हरच्युयों  छे
 
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ ऐजा  नींदी
 
 ऐजा  ऐजा  नींदी ऐजा
 ऐजा ये सुर्म्याली अन्खोंयमा आज
 ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ..............ऐरी
 मेरी लाटी आज मेर पास
 गढ़ देश आज जल्दी सै गयाई
 तु भी सै जा साथ
 प्रभात व्हालू बीजी जालो
 तु भी बीजी साथ
 ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ..............ऐरी
 
 दादा दादी की ऐ  काया
 काफल जसी लगी माया
 बुरंस खिली मुखडी जसी
 प्योंली जन खिली हंसी तेरी ऐ सै जा
 देर रात होगया छुची   
 ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ..............ऐरी
 
 किन्गोड़ा सी दाणी मेरी किन्गोड़ा दाणी
 ऐ मेरी बेटी मेरी लाटी सैजा ये राता
 कै कों बाटा हेरणीच छे तु
 कुओ  आणु व्हालो आजा
 दूध भात खैकी बेटा
 सै जा सपनीयु साथ     
 ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ..............ऐरी
 
 बाबा तेरा दूर परदेशा
 करण वहालो तिथै यादा
 बडुली लगी गै बकुली तिथै
 बाबा को हाथों भरले ये घसा
 बाबजी ऐण सुपीनीयुं मा करले ओंसे बाता
 ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ..............ऐरी
 
 ऐ छकुली मेर जिकोडी की ध्गुली
 मी थै  ना इण सतयु आजा
 बोई परबत जल्दी उठाण
 बोल्युं माण बोई की आजा
 सैज सैज मेरा साथ  मेरा साथ 
 ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ..............ऐरी
 
 ऐजा  ऐजा  नींदी ऐजा
 ऐजा ये सुर्म्याली अन्खोंयमा आज
 ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ..............ऐरी
 मेरी लाटी आज मेर पास
 गढ़ देश आज जल्दी सै गयाई
 तु भी सै जा साथ
 प्रभात व्हालू बीजी जालो
 तु भी बीजी साथ
 ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ऐरी ..............ऐरी
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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 मी बोल्या बाणीगे
 
 जीकोडी तिल कण
 जुनसी माया लगाई
 दीण रात वीं मुखडी
 मेरा सपीनीयुं आई
 जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
 
 देखी तेर मुखडी जब बल
 बस तेरी मुखडी दिख्याई
 खाणु पीणु हर्ची मेरु अब
 हाथ की काम धणी भी ग्याई
 जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
 
 गों गोंल्युन मा भी घारा दार मा भी
 डाला मा कभी छेलो मा भी
 बाटों मा कभी बाजारों मा भी
 बस मील तै दगडी ही बच्चाई
 जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
 
 क्या होलो बल अब मेरु
 जख बैठ्युंच मी वख बैठ्युं ही रहाई
 बगत भी हर्ची टैम भी अब हर्ची ग्याई
 मेर जीकोडी मै दगड़ क्या खेल खेल्याई   
 जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
 
 जीकोडी तिल कण
 जुनसी माया लगाई
 दीण रात वीं मुखडी
 मेरा सपीनीयुं आई
 जुनसी मुखडी तिल कण माया लगाई
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
घै घै ना कर

घै घै ना कर दीदा
जर सोच जरा तु
आपरी तु छुडा जरा
उत्तरखंड की सोच जरा तु
घै घै ना कर दीदा

कंण बदली गईण
मेर कुमो गढ़वाल
उजड़ा होंयाँ डाणड़
रीटा होंयाँ ये गढ़

घै घै ना कर दीदा
जर सोच जरा तु
आयी चुनवा गढ़ मा
उत्तरखंड की सोच जरा तु

गैर भी अब गैर हूँयूँ
दूँण मा अब थ्ग्ल्या लागा तु
गढ़ की ना अब बात कर
आपरी छुंयीं लगा तु

घै घै ना कर दीदा
जर सोच जरा तु
बेटी ब्वारी बुअडी बुआड़
थै वोट बारे मा अब समझा तु

खैरी विपदा को गढ़ दीदा
मेर दगडी दगडी हीट तु
वे थै ही वोट देकी जीता तु
गढ़वाल आगे बडाला जो

घै घै ना कर दीदा
जर सोच जरा तु
अब भी ना टैम गयाई दीदा
जरा आपरी बुधी चला तु

३० जनवरी उत्तरखंड
गढ़ मा चुनवा छे दीदा
सब थै जगा अब जगा तु
अपरा गढ़ थै दीदा आगे बड़ा तु

घै घै ना कर दीदा
जर सोच जरा तु
आपरी तु छुडा जरा
उत्तरखंड की सोच जरा तु
घै घै ना कर दीदा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ चवानी का पैंसा 
 
 हम दगडया चार
 छे हमर पास पाँच रुपया
 ये छुटू च संसार
 हमारा बड़ा पाँच रुपया
 
 कखक मीलण ये माया
 कखक मीलण ये दुलार
 हमारा ये पाँच रूपया
 कंण दीण छीन आशीर्वाद
 कंण दीण छीन साक्षत्कार
 हमारा ये पाँच रूपया
 
 खिद खिद लगी खीदाण
 ये बोई हमरा पाँच रुपया
 कई भग्याण लगी लाज्याण   
 ये बाबा हमरा पाँच रुपया
 
 भैजी क्या तुम थै याद वो
 वो हमरा चवानी का पैंसा
 अणी वहाली अपरा बालपना खुद
 वो हमरा चवानी का पैंसा
 
 कंणकै बिसराण दीदा
 वो बालापन का खेला
 अब बोडया पन मा भी
 नाता नतणीयूँ झ्ल्कंद
 वो हमरा चवानी का पैंसा 
 
 हम दगडया चार
 छे हमर पास पाँच रुपया
 ये छुटू च संसार
 हमारा बड़ा पाँच रुपया
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
अपरा आपरी मा
 
 मी अपरा आप मा ही बच्याणु लग्युं
 दुनीया क्या च खुद थै समजाणु लग्युं
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं
 
 बंजा पुंगडा रडत डंणडीयूँ थै बथाणु लग्युं
 कै खूटी चुबो काँटों ओंथै निकलाण  लग्युं
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं 
 
 स्वामी विदेश छुडी ये आपरा गढ़ देश 
 रैबार कखक पुह्च्न्द घुघती बुलाण लग्युं
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं 
 
 खैरी विपदा पल्याना बाणीगै समस्या
 माया पीछे बाणीगै जोगीयुं थै ध्यै लगाण लग्युं 
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं 
 
 मुजफ्फरनगर कांड शहीदों थै भुलाण लग्युं
 ओं शहीदों का ह्त्यारों थै मी खुद बचाण लग्युं
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं 
 
 राजधानी कै मसले को विवाद उल्झाणु लग्युं
 गैर गैर करैकी गैरसैण को गैर बाणाण लग्युं     
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं 
 
 उथल पुथल मांची च म्यार गढ़देश मा  भूलों इणी
 मी हाथ मा हाथ धरी की माशा मारण मा लग्युं
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं 
 
 आपरी आपरी दगडी बच्या की इत्गा साला चली गैण
 ओ गयां सालों थै मी केले बिसरण मा लग्युं   
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं 
 
 मी अपरा आप मा ही बच्याणु लग्युं
 दुनीया क्या च खुद थै समजाणु लग्युं
 मी अपरा अपरा मा ही बच्याणु लग्युं
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
बुरंस
 
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं
 बुरंस बुरंस होयां डंडी मा
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 कंण बहार आयी डालीयुं
 बसंत ऐगै ईण मोल्यारोंमा
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 लाल फुला हरा पत्ती मा
 हरयाली बाटैगै देलीह मा
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 आयो मैना यो चैत को
 खुद लगी गै मीथै मैत की
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 कंणडु भोरीक जाणा व्हाला
 भग्याण गीता गाण  वाहला
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 पुन्गाडी ध्यै लगाणी ऐजा
 रुपाणी बीजा की अब बुतैजा
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 फुल्यारु हुल्यारू बरसो पहडामा
 गीतंग ढोलकी बजै जा चोक मा
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 कंण महीनु आयु मेरु गढ़देश मा
 घघुती हीलंसा उडी आकाश मा 
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 म्यार गढ़ देश की ये रीत बताणु
 मेरी ये संस्क्रती थै बचाणु मेर देश मा
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं
 बुरंस बुरंस होयां डंडी मा
 बुरंस बुरंस खिला डालीयुं .........
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत —

 

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