Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447344 times)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ रॅाअडी
 
 उंदरु रॅाअडी जांदा
 बॅा्डी की कीलै णी आँदा
 जीकोडी थैलू इत्गा तो घैरु
 उमली उमाला अन्दु ठैरु ठैरु
 रॅाअडी जांदा बॅा्डी णी केलै आँदा
 
 मनख्यूं पीड़ा की
 विपदा बल खैरी की 
 आंखी मा दणमण आंसु
 जीकोडी मेर तो किले जिज्ञासु
 रॅाअडी जांदा बॅा्डी णी केलै आँदा
 
 बाटा अब हैरी का
 सबेर शाम फैरी का
 हैरी फैरी जैल बंयाँ पाखड
 वा अग्नी वा वैदी का
 रॅाअडी जांदा बॅा्डी णी केलै आँदा
 
 
 उंदरु रॅाअडी जांदा
 बॅा्डी की कीलै णी आँदा
 जीकोडी थैलू इत्गा तो घैरु
 उमली उमाला अन्दु ठैरु ठैरु
 रॅाअडी जांदा बॅा्डी णी केलै आँदा
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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गमै तन्हाई
 
 तेरी याद ओर बस गमै तन्हाई
 लो नीगोडी बरसात मुझे रुलाने चली आयी है 
 तेरी याद ओर बस गमै तन्हाई.............................
 
 आंसूं आंखें दो सहेली हैं
 उलझी दोनों मै एक पहेली है
 सुलझने लगी वो अकेली है
 तेरी याद ओर बस गमै तन्हाई.............................
 
 ख्याले तरनुम ने ली अंगडाई
 बादलों से छनकर वो चली आयी है
 साथ मेरे तु ओर वो रुसवाई
 तेरी याद ओर बस गमै तन्हाई.............................
 
 छाया घनाघोर अन्धेरा है
 कलियारी रात का वो बसेरा है 
 दीपक जला बस वो मेरा है
 तेरी याद ओर बस गमै तन्हाई.............................
 
 तेरी याद ओर बस गमै तन्हाई
 लो नीगोडी बरसात मुझे रुलाने चली आयी है 
 तेरी याद ओर बस गमै तन्हाई.............................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथThursday
ये पढाई ये पढाई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 सीलोटी मा खाडू दगड़ भीरर र र र र  र
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 अ दगडी अनार आयी
 झट सोली मील
 पट ये पोट मा ग्याई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 आ दगडी जण आम आयी
 झट दगड उठै की पट डाली चूले
 पत दोई दानी आम की भ्यां ऐ
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 इ दगडी इमली आयी
 झट मेरी जीब लाल्स्याई
 पट मेरु लालु चुलह ग्याई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 ई दगडी इमारती आयी
 झट मील आपरा किसा लुक्यद्याई
 छुप छुप छुपैकी वीं चुसैई
 जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 उ दगडी उपरी आयी
 झट तुडी की चिर दयाई
 पट दातों पट्टी मा चबाई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 ऊ दगडी ऊन आयी
 म्यार डैभ्रारा हर्ची ग्याई
 मी चिले की गीत ग्याई 
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 ए दगडी एरावत आई
 बोई वैल सुंडा उभा क्याई
 मील तन हुँकार दयाई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 ऐ दगडी ऐनक आयी
 दादा जी का चस्मा लुक्या दयाई
 दादा को भार्मंडा चड़ी ग्याई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 ओं दगडी ओखली आयी
 मयारू मुड्मा भूसा ग्याई
 गुरूजी णी कुट दयाई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई.................... .
 
 औ दगडी औरत आयी
 मेर बोई मी थै याद आयी
 वींका लाठौ म्यार पीछणे आयी
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 अं दगडी अंक आयी
 मेर गिनती भूल ग्याई
 गणीत मा शून्या बस याद रहई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 आ  दगडी आराम आयी
 मील लम्ब धिशायण लगायाई
 सर सर बल मी से ग्याई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 इण मेरी पढाई वहाई
 ये आखर काला भैन्सुं देख्याई
 मी थै ठेंगाला  नचाई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................   
 
 ये पढाई ये पढाई
 मी थै जम्दो णी मी दगडी बच्चोँदी णी
 सीलोटी मा खाडू दगड़ भीरर र र र र  र
 ये आखर कपाली मा गुस्दु णी   
 ये पढाई ये पढाई....................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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लिखा जायेगा


 
 जब कलम हाथ आयेगा
 अफसाना लिखा जायेगा
 गुल पर कभी तु कभी
 काँटों पर फसना लिखा जायेगा
 
 मुहब्बत का तराना
 दीवाना गुन गुनयेगा
 इन वादीयुं पर आपना
 नाम वो लिख जायेगा
 
 जब कलम हाथ आयेगा
 अफसाना लिखा जायेगा
 गुल पर कभी तु कभी
 काँटों पर फसना लिखा जायेगा
 
 किस्मत के लकीर मै 
 ना  ओ उलझा जायेगा 
 अपने मुकदर को वो 
 अपने हाथो से सजायेगा   
 
 जब कलम हाथ आयेगा
 अफसाना लिखा जायेगा
 गुल पर कभी तु कभी
 काँटों पर फसना लिखा जायेगा
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ

भित्र- भैर
 
 भित्र- भैर करदा रहों
 मनखी दगड लड़ादा राहों
 कैण  …..कैण लगाई ये माया ……२ ये माया 
 
 काबै झट उठ्युं काबै झट बैठ्युं
 रुँल्युं गड्नीयुन मा काबै  ढुंगा फैन्ख्यु
 कैण  …..कैण ये जी लगाया  ……२ ये माया
 
 छुंयी छुंयी मा मी लगीरंयुं
 काबै यकुली काबै दकुली मी बच्चान्दी रंयुं
 कैण  …..कैण ये बोल्या  बनायी  …..२ ये माया
 
 यख  भी देख्याई वख भी देख्याई
 आंखी  मूंदयाई तब भी देख्याई
 कैण  …..कैण ये मीथै  भरमाया   ….२ ये माया
 
 बुरंश दगडी व खीले हिलंश दगडी वा हंसे 
 प्योंली दगडी वा  बाच्चै  घुघुती दागडी वा उडै 
 कैण  …..कैण ये सरमाया  ….२  ये माया
 
 कखक कखक फिरण लग्युं  कुअलण मा मी लुकाण लग्युं
 घर-भार छुडी की वींका नवा थै मी रटन लग्युं
 कैण  …..कैण ये बाण मीथै बीसराया ….२  ये माया
 
 झण भी तु छे ठीक छे
 माया दूर भटिक लगायई रोग तिल ये काया 
 जिकोडी ला फिर खेल खिलाया 
 ये  स्वाणी निर्दई माया …..२ ये माया   
 
 भित्र- भैर करदा रहों
 मनखी दगड लड़ादा राहों
 कैण  …..कैण बाटा लगाई ये माया ……२ ये माया 
 
 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ अपरू गढ़देश
 
 रुँतैल कुमो-गढ़वाल भुलाह रुँतैल कुमो-गढ़वाल
 देवभूमी उताराखंड की क्दगा स्वाणी भुलाह क्या आणी छे क्या याद ?
 दौडी दौडी की ऎजा दी भुलाह
 बाँडी बाँडी की ऎजा दी
 ऐ पहाडा अपरा गढ़वाल
 
 बंसा कु अन्जाडू  भुलाह बंसा कु अन्जाडू 
 ऐजा घर परदेश मा ना कोई आपरू 
 दौडी दौडी की ऎजा दी भुलाह
 बाँडी बाँडी की ऎजा दी
 ऐ पहाडा अपरा गढ़वाल
 
 ककडी का लागुला भुलाह ककडी का लागुला
 त्यार बीण बीज णी लगदा ऐजा घरु
 दौडी दौडी की ऎजा दी भुलाह
 बाँडी बाँडी की ऎजा दी
 ऐ पहाडा अपरा गढ़वाल
 
 माटा की कुडी भुलाह माटा की कुडी
 ध्यै लगणी तीथै बाँडी की ऎजा   
 दौडी दौडी की ऎजा दी भुलाह
 बाँडी बाँडी की ऎजा दी
 ऐ पहाडा अपरा गढ़वाल
 
 गढ़देश की बेटी- ब्वारी  भुलाह गढ़देश की बेटी- ब्वारी
 हेर लगी हेर लगी दीदा कखक वहाई तैथै देर भुलाह 
 दौडी दौडी की ऎजा दी भुलाह
 बाँडी बाँडी की ऎजा दी
 ऐ पहाडा अपरा गढ़वाल
 
 रुँतैल कुमो-गढ़वाल भुलाह रुँतैल कुमो-गढ़वाल
 देवभूमी उताराखंड की क्दगा स्वाणी भुलाह क्या आणी छे क्या याद ?
 दौडी दौडी की ऎजा दी भुलाह
 बाँडी बाँडी की ऎजा दी
 ऐ पहाडा अपरा गढ़वाल
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ जीकोडी मेरी
 
 किलै वाहलु ...२
 धक् धक् ध्क्ध्याट
 रग रग राग्याट  कणु वाहलु
 किलै वाहलु ...२............
 सुचणु
 गढ़ देश मेरु आज
 
 क्या ये मा दाडी च
 सुख दुखा की घड़ी च
 यकुली ही लगी च
 लगुली जीकोडी भीत्र जमी च
 किलै वाहलु ...२............
 सुचणु
 गढ़ देश मेरु आज
 
 खैरी ऐरै दगडया
 झट विपदा दीदी थै बुला
 उकालू भुल्हा छुयीं लगाणु
 उन्दारू दीदा की कथा सुणाणु
 किलै वाहलु ...२............
 सुचणु
 गढ़ देश मेरु आज
 
 आंखी बच्चाण मा लगी
 गढ़ देश की मेर गंगा
 अब यख सुख्याण लगी
 बाटा पछायाण मा लगी
 किलै वाहलु ...२............
 सुचणु
 गढ़ देश मेरु आज
 
 किलै वाहलु ...२
 धक् धक् ध्क्ध्याट
 रग रग राग्याट  कणु वाहलु
 किलै वाहलु ...२............
 सुचणु
 गढ़ देश मेरु आज
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ वो हाथ
 
 यमुना नदी के तट पर
 दाग नजर आता है
 संग मरमर के कब्र पर 
 टूटा ताज नजर आता है
 
 सफेद चादर पर देखो
 खुशी का मातम छाता है
 कटे कारीगरों के खुन से 
 सना हाथ नजर आता है
 यमुना नदी के तट पर ............
 
 मोहब्बत की याद मै
 मुग़ल शेर गुराता है
 मुमताज को खोने से
 मकबरा बनवाता है
 यमुना नदी के तट पर ............
 
 कैसी विडबना है प्रेम की
 सात आश्चर्युं मै गीना जाता है
 मकबरे पर कटे वो हाथ
 नजरों से ओझल हो जाता है 
 यमुना नदी के तट पर ............
 
 यमुना नदी के तट पर
 दाग नजर आता है
 संग मरमर के कब्र पर 
 टूटा ताज नजर आता है
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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गुनाह या मजबुरी ?
 
 बाल मजदुरी
 एक गुन्हा है पर ?
 सुली पर चढ़ा खुदा है पर
 कानुन कैसे जुदा है पर
 घर का चूल्हा बुझा है पर
 आंखें रोती रहती है
 दर्द क्यों जुदा है पर
 बाल मजदुरी
 एक गुन्हा है पर ?..........
 
 भुख है ऐ पेट पर
 अमीरों से कोशों दुर पर
 दो शब्द उसके पास पर
 गरीबी के नीचे दबा है पर
 आँखों से दर्द छलकता पर
 कीसी को नजर नहीं आता पर
 दिये की रोशनी जलता पर
 अँधेरा अब भी साथ  पर
 बाल मजदुरी
 एक गुन्हा है पर ?..........
 
 गुनाह है या मजबुरी पर
 काम करना जरुरी पर
 गर एक दिन छुटा पर
 दाना पानी से रिश्ता टूट पर
 किस को है ना इसकी परवाह पर
 समाज मेर सोया सोया सा पर
 क्यों करैं मेरी फ़िक्र पर
 लगा हो अपनी मजदुरी पर
 दुनीया बनाये दुरी पर
 ना जाने मेरी यूँ मजबुरी पर
 बाल मजदुरी
 एक गुन्हा है पर ?..........
 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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