Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448612 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कर गया था मुझसे जो तू
मेरे उत्तराखंड पहाड़ को
अब भी विशवास ये आशा है
कर गया था मुझसे जो तू
पूरा करने तू आयेगा वो तेरा वादा है
खिलती है वो सुबह अब भी
बस तेरे दिये उस एक इंतजार में
बैठी वो लेके प्यार तेरा
बस तेरे ही वो ख्याल में
भरोसा है उस को तुझ पे
तू आयेगा एक दिन जरूर यहां
सजती-सँवरती हर रोज ऐसे क्यों
कभी तू इस आईने से आ के तू पूछ
बड़ा कठिन है ये बिछोह कहना
गीली लकड़ी की तरह जल के देख
समझ में आ जायेगा फिर तुझे की
आग ज्यादा रोता है या फिर धुँआ
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कर गया था मुझसे जो तू
मेरे उत्तराखंड पहाड़ को
अब भी विशवास ये आशा है
कर गया था मुझसे जो तू
पूरा करने तू आयेगा वो तेरा वादा है
खिलती है वो सुबह अब भी
बस तेरे दिये उस एक इंतजार में
बैठी वो लेके प्यार तेरा
बस तेरे ही वो ख्याल में
भरोसा है उस को तुझ पे
तू आयेगा एक दिन जरूर यहां
सजती-सँवरती हर रोज ऐसे क्यों
कभी तू इस आईने से आ के तू पूछ
बड़ा कठिन है ये बिछोह कहना
गीली लकड़ी की तरह जल के देख
समझ में आ जायेगा फिर तुझे की
आग ज्यादा रोता है या फिर धुँआ
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
चकबंदी चकबंदी चकबंदी
एक मार्च १ मार्च २०१६ को
मेरे पहाड़ों के लिए मेरे खेत खलिहानों के लिए
चलो गैरसैण हिटो भाई.......... है चकबंदी
मेरे उत्तराखंड के लिए मेरे सपने अपनों के लिए ....चकबंदी
चकबंदी चकबंदी चकबंदी
गाँव गाँव जुड़ेगा एक दूजे से जुड़ेगा
भूमि में सुधार होगा सजेगी मेरी ये सुंदर धरती
अपने को पहले स्वीकारना समझना होगा
खुद को पहले जानना पहचानना होगा
मेरे उत्तराखंड के लिए मेरे सपने अपनों के लिए ....चकबंदी
चकबंदी चकबंदी चकबंदी
खाली खाली हो रहे मेरे गाँव क्यों खाली हो रहे हैं
बिन हल के चलने से मेरे खेत ये बंजर हो रहे हैं
कौन इनकी सूद लेगा कोई ना बाहर का यहां आयेगा
अपने अपनों को अब सोचना और मनाना होगा घर से बाहर आना होगा
मेरे उत्तराखंड के लिए मेरे सपने अपनों के लिए ....चकबंदी
चकबंदी चकबंदी चकबंदी
एक मार्च १ मार्च २०१६ को
मेरे पहाड़ों के लिए मेरे खेत खलिहानों के लिए
चलो गैरसैण हिटो भाई.......... है चकबंदी
मेरे उत्तराखंड के लिए मेरे सपने अपनों के लिए ....चकबंदी
चकबंदी चकबंदी चकबंदी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
टूटी हुई लकड़ी का वो छोर है प्यार
टूटी हुई लकड़ी का वो छोर है प्यार
उम्र के हर पड़ाव का बस मोड़ है प्यार
महसूस करो उसे बस मन से वो है प्यार
सुख दुःख के सागर का निचोड़ है प्यार
हर आँसूं का गीत है प्यार
हर बिछोह का मीत है प्यार
उस मिलन का संगीत है प्यार
अधूरी कहानी का दर्द है प्यार
अपनापन जगाता है प्यार
हर एक से मिलता है प्यार
गैरों को भी अपना बनाता है प्यार
दुश्मन को भी दोस्त बनाता है प्यार
जिसमे छुपा जीवन का सार वो है प्यार
जिसकी परतें हैं कई हजार वो है प्यार
अपने भावों का इजहार वो है प्यार
सच्चाई निष्ठ झलकें बार बार वो है प्यार
प्रभु गुरु से हमे मिलता है प्यार
माता पिता के पैरों में फैला है प्यार
संगनी के संग खिलता है प्यार
बच्चों को सही दिशा दिखता है प्यार
टूटी हुई लकड़ी का वो छोर है प्यार ..........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कहना है बस उनसे इतना
कहना है बस उनसे इतना
जो भूल गये हैं वो अपना रास्ता
अपना रस्ता याद रखना तुम
वरना खो दोगे जो भी बचा है वो अपना
कहना है बस उनसे इतना ...............
धर्म और कर्म का भाव यही
मूल है जो तेरा बस तेरा वो वही है
उस मूल को तो अपने में पकडे रखना
उस मार्ग से तो सदा अपने को जकड़े रहना
कहना है बस उनसे इतना ...............
कुछ भी नहीं तब रह जायेगा तेरा
अंत समय जब करीब आयेगा वो तेरा
भटकता फिरेगा तू उस मूल को ढूढ़ने
जो रास्ता अपना तूने भुला दिया था
कहना है बस उनसे इतना ...............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

बालकृष्ण डी ध्यानी
February 21 at 5:58pm ·
मैंने कुछ लिखा भी नहीं फिर भी तुमने पढ़ लिया
मैंने मुंह खोला भी नहीं फिर भी तुमने बोल दिया
अचरज ये राज क्या है ये कैसा कह देती हो तुम
बताओ ना छुपाओ कैसे कर देती हो अपने से तुम
ध्यानी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
इच्छायें मरती नहीं
इच्छायें मरती नहीं ...... २
पलती रहती,बढ़ती रहती है, वो दबती नहीं
इच्छायें मरती नहीं
ले के पंख वो आसमानी उड़ती रही
इस आत्मा से जुड़ती रही वो घटती नहीं
इच्छायें मरती नहीं
वजहों का है वो सारा तना-बना
इस मुसाफिर खाने में फिर तेरे आने का बहाना
इच्छायें मरती नहीं
झुकाव है सबों का उस और ही
लालसा, वासना बंध है ये कुछ और ही
ये मरती नहीं ये मरती नहीं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

बालकृष्ण डी ध्यानी
February 20 at 1:58pm ·
बहुत गौर से जब मैंने अपने में अपने को झांका
बहुत कमियां है मुझ में ये मुझे तब नजर आयी
ये कमियां कभी ना आये तुझ तक अब मेरे लाल
चलो आज से ही उनका मैं कर दूँ काम तमाम
ध्यानी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

बालकृष्ण डी ध्यानी
February 19 at 3:05pm ·
मेरा घर तो स्वर्ग ही है
जहाँ मेरे माता पिता के चरण हैं
इनकी पूजा हर रोज करूँ मैं
ये ही तो मेरे परमधाम हैं
ध्यानी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

बालकृष्ण डी ध्यानी
10 hrs ·
देखो कमजोर अब वो धागे होने लगे
टूटते टूटते अब वो आधे से होने लगे
अपना ना लगे ना वो कभी पराया भी
फिर भी वो किस्से अब पुराने होने लगे
ध्यानी

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22