Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447344 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मील यखी रैण
 
 ईणी रुल्युं मा छुं मी
 तै ढुंगुयुं मा फुकयुं छुं
 फिनक मेरा उडी यख
 कपाल मेरु फुटी यख
 मी यखी छों बल अब यखी रैण !!
 
 देख दूर गामा पुँर
 तै कूड़ा मा जन्म्युं छुं
 तै चौक मा पडयुं छुं
 ये दुर्पली थै ऊखरी छुं
 मी यखी छों बल अब यखी रैण !!
 
 तै पुंगडी मा जम्युं छुं   
 तै डाली मा बैठ्युं छुं   
 तै गोउडी बलद चराणु छुं
 ये माटी दगडी मी अब भी छुं   
 मी यखी छों बल अब यखी रैण !!
 
 सब यखी का यखी रहई
 मी भी अब यखी रैण
 ये उत्तरखंड तै बीगर मील
 कणकै तीथै छुडीक जैण
 मी यखी छों बल अब यखी रैण !!
 
 जुण मेरी जीकोडी का
 कण कै तिल यकुली रैण
 जीन्दगाणी गयी मेरी यख
 मोरगयुं मीत क्या वाहाई
 मी यखी छों बल अब यखी रैण !!
 
 ईणी रुल्युं मा छुं मी
 तै ढुंगुयुं मा फुकयुं छुं
 फिनक मेरा उडी यख
 कपाल मेरु फुटी यख
 मी यखी छों बल अब यखी रैण !!
       
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दुर परदेश छुं
 
 ये छकुला बेटा मेरा
 बाबा बाबा ना बोली
 लगी बडुली मी थै दगडया
 यकुली बैठी ना रोयी
 ये छकुला बेटा मेरा.......................
 
 दुर परदेश छुं गेल्या
 अपरू जीकोडी मारीकी
 आणी छे  खुद यख तेरी
 बाबा बोई गढ़देश की साथ
 ये छकुला बेटा मेरा.......................
 
 दै साथ बोई का लाटु मेरु 
 दादा दादी की बात मान
 ना कर जीकोडी उदास
 कीले झुराणु छे तु पराणु
 ये छकुला बेटा मेरा.......................
 
 कभी यकुली गेल्या
 अश्रुओं लागी बरसात
 एक एक छमणात  मा बेटा
 तुम लोगों की बसी याद
 ये छकुला बेटा मेरा.......................
 
 परदेश रैण दुभारू बेटा
 बस तुमरू ही यख ख्याल
 खाणी पीणी बाणा गेल्या
 आज छुं सात समुद्र पार
 ये छकुला ये बेटा मेरा.......................   
 
 ये छकुला बेटा मेरा
 बाबा बाबा ना बोली
 लगी बडुली मी थै दगडया
 यकुली बैठी ना रोयी
 ये छकुला बेटा मेरा.......................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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सुबह उठा जब
 खाली खाली सा लगा
 रात का स्वप्न टूटा वो
 बिखरा बिखरा सा लगा
 सुबह उठा जब ................
 
 चाँद तारें- सितारे थै
 गगन बदली बयार सारे थै
 आंखें बंद थी मेरी कुछ इस तरह
 सपने उनमे ढेर सारे थै
 सुबह उठा जब ................
 
 खोया था उस नगरी
 सब लग रहे बडे प्यारे थै
 आंख खुली बैगाने होये
 सपने जो रात मै हमारे थै 
 सुबह उठा जब ...............
 
 सुबह उठा जब मुझे
 खाली खाली सा लगा
 रात का स्वप्न टूटा वो
 बिखरा बिखरा सा लगा
 सुबह उठा जब ...............
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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बैरंग है दुनिया
 
 बैरंग है दुनिया
 कुछ रंग मै भरों
 कुछ रंग तुम भरो
 बैरंग है दुनिया ..........................
 फुलों से कभी तो
 कभी कलियों से रंग चुनो
 बैरंग है दुनिया ..........................
 मिर्ग जल है तृष्णा
 जल मै कंह से भरों
 बैरंग है दुनिया ..........................
 संकोचित है सोच
 विसत्रित कैसे करों
 बैरंग है दुनिया ..........................
 जीवन कटु सत्य
 कैसे उजागर करों
 बैरंग है दुनिया ..........................
 पल बीतें रुठे रुठे
 खुशीयाँ कांह गिनों
 बैरंग है दुनिया ..........................
 फल्संफा इश्क का
 तेरे साथ ही बुनो
 बैरंग है दुनिया ..........................
 कुछ रंग मै भरों
 कुछ रंग तुम भरो
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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आ मुझे रंग दे
 
 चलो आज हम सब होली खेलें
 दो श्रण खुशी के संग हम भी जीलै !!
 अपनी अपनी परेशानी को छोड़ यार
 रंगों की पिचकारी संग हम अब भरलें!!
 चलो आज हम सब होली खेलें
 
 होली तो है जीजा और साली की
 दूर खडी देख रही आज घरवाली जी!!
 खाना पाना कल से अब बंद होगा
 फिर कल कंहा ऐसा मोसम होगा!!
 चलो आज हम सब होली खेलें
 
 नुकड़ मै मचा आज तो है हुडदंग
 ढोलक तबला और बाजै मुर्दांग!!
 होल्यारों की टोली अब लगी घुमने
 बाल बाला और सखीयाँ लगी झुमने!!
 चलो आज हम सब होली खेलें
 
 एक बुजुर्ग सफेद मोंछों को तान
 बोला मै भी होली खेलोंगा आज!!
 एक हाथ मै लकड़ी को थाम वो बोला
 कोई मुझे भी गुलाल लगा दो आज!!
 चलो आज हम सब होली खेलें
 
 ख्सीया ती एक बुडीया वंहा आई
 बोली भाई बुडापे फुगुन ऋतू छाई!!
 बोला बहन जग की है ये रीत सुहानी
 याद आ गई हम को भी आज जवानी!!
 चलो आज हम सब होली खेलें
 
 ऐसा अवसर तुम भी ना छोडो भाई
 साल मै ही एक बार ही आती है होली !!
 लेलो गुलाल गुबारे हाथों मै तुम आज
 रंग दो ओर कहो बुरा ना मनो होली है !!
 चलो आज हम सब होली खेलें
 
 चलो आज हम सब होली खेलें
 दो श्रण खुशी के संग हम भी जीलै !!
 अपनी अपनी परेशानी को छोड़ यार
 रंगों की पिचकारी संग हम अब भरलें!!
 चलो आज हम सब होली खेलें
   
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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 सब लोगो को देव्भुमी बद्री-केदारनाथ ओर बालकृष्ण डी ध्यानी की तरफ से होली की सपरिवार सहीत ढेर सारी शुभकामनाएं जी
 बुरा ना मनो होली है
 रंगों की हमजोली है !!
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बाजार
 
 फिर ते रहे बाजार मै
 कोई ना मीला अपना
 अब तो लगने लगा है ध्यानी
 जग है बस एक सपना
 फिर ते रहे बाजार मै  ............................
 सोच कोई तो लै लेगा
 बेचा रहा हों जो सपना
 मीला ना कोई ऐसा भी
 लगे जो खरीदार वो आपना
 फिर ते रहे बाजार मै  ............................
 करवट बदली ऐसी जो
 वक़्त की कुछ ऐसी यार
 बिकेना एक ढेला आज
 हम तो लुट गये बीच बाजार
 फिर ते रहे बाजार मै  ............................
 कोई ना मीला अपना
 अब तो लगने लगा है ध्यानी
 जग है बस एक सपना
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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होली है
 
 रंग बरसे है आज
 मन मन के अंगीयारै मै
 छत ओर चौबारे मै
 खुशीयों के गुब्बारे मै
 रंग बरसे है आज.....................
 
 दिल की पिचकरी ने है
 देखो आज निशना है साधा
 राधा है आज सभी बाला
 ओर कन्हा बना हर ग्वाला
 रंग बरसे है आज.....................
 
 कोई किसी की चोली खीचे
 कोई है यंहा अंखीयों को भीचे
 कीसी ने यंहा मल दिया गुलाल
 चेहरा किसी का हो गया लाल
 रंग बरसे है आज.....................
 
 कोई यंह मुख पर गाली देता
 अपने गुस्से को आज तज देता
 पीछे से कोइ आता मतवाला
 बुरा ना मानो होली है कह देता
 रंग बरसे है आज.....................
 
 रंगों उमंगों का है तियौहार
 खुशीयों की बस छायी है बहार
 उदास क्यों बैठा है मन मेरे
 चल उठ होली है कह दे एक बार
 रंग बरसे है आज.....................
 
 रंग बरसे है आज
 मन मन के अंगीयारै मै
 छत ओर चौबारे मै
 खुशीयों के गुब्बारे मै
 रंग बरसे है आज.....................
 
 बालकृष्ण डी  ध्यानी ओर बद्री-केदार की और से  होली की शुभ कामनायें
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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गर अगर
 गर अगर मै लगी है
 पहले तो सहर मै लगी है
 अजब देखो ऐ सदी है
 अब घर घर मै ही लगी है
 गर अगर मै लगी है
 नामकीन था या था तीखा
 मीठा था या था कडवा
 जो सब के साथ साथ था
 आजा खड़ा क्यों है वो जुदा 
 गर अगर मै लगी है
 पहले तो सहर मै लगी है
 अजब देखो ऐ सदी है
 अब घर घर मै ही लगी है
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देख खड़ा है
 
 देख खड़ा है
 दुर मुस्कुरा रहा है
 एक पल के लिये
 दुजा पल आ रहा है
 देख खड़ा है
 
 अठखेली लेते होये
 वो बुला रहा है
 मासुम सी सूरत अब
 वो बना रहा है
 देख खड़ा है
 
 परेशान है कभी वो
 कभी देख गुद-गुदारहा है   
 अपनी व्यथ को वो
 खुद से छुपा रहा है
 देख खड़ा है
 
 संध्या का वक़त है
 वो चला जारहा है 
 रोक कोई उसे जाकर जरा
 क्यों मुझे युं लुभा रहा है
 देख खड़ा है
 
 देख खड़ा है
 दुर मुस्कुरा रहा है
 एक पल के लिये
 दुजा पल आ रहा है
 देख खड़ा है
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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उत्तराखंड होली
 
 होली खेला खेला होली उत्तराखंड मा ऐ कुमो गढ़वाल मा औ
 पैला पैला आँय ईस्ट देबता होली खेला खेला होली औ
 हमरा गढ़ को गोलु देबता अब ऐ जावा होली खेला हो औ
 डंडा को डंडा नगार देबता ऐ जावा होली खेला खेला होली औ
 होली खेला खेला होली उत्तराखंड मा ऐ कुमो गढ़वाल मा .............औ
 
 लगा रिंगा लगा रिंगा पैलु को आलो होली खेला आजा औ
 चैता वाली चैता वाली ऐगै होली फागुण  की होल्यार औ
 रंगमत सब बाणया छिन ढोल दामो बाहारा आजा औ
 कंण किरमची रंगा की दैल फ़ैल मची मेरा गढ़ मा आजा औ
 होली खेला खेला होली उत्तराखंड मा ऐ कुमो गढ़वाल मा .............औ
 
 कख्क लगी खडी होली कख्क  बैठी होली कख्क  भक्ती होली औ
 सबी लाग्यां एक दुसुर थै राग्स्याण बणके देखा यख हमजोली औ
 मक्खन होली मेरा मयार गढ़देश गीत संगीत की काणी बहार औ
 ऐजा ऐजा रंगमत होणाकुण मायारा रुतैला मुलुक बाँडी बाँडी की  औ
 होली खेला खेला होली उत्तराखंड मा ऐ कुमो गढ़वाल मा ............. औ
 
 
 होली खेला खेला होली औ उत्तराखंड मा ऐ कुमो गढ़वाल मा
 पैला पैला आँय ईस्ट देबता होली खेला खेला होली औ
 हमरा गढ़ को गोलु देबता अब ऐ जावा होली खेला हो औ
 डंडा को डंडा नगार देबता ऐ जावा होली खेला खेला होली औ
 होली खेला खेला होली उत्तराखंड मा ऐ कुमो गढ़वाल मा .............औ
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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