Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448313 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
अब भी बहुत कुछ तुझ से कहना बाकी रह गया
अब भी बहुत कुछ तुझ से कहना बाकी रह गया
तुझ पर बार बार मेरा मरना अब बाकी रह गया
मेरी दुनिया मेरे जज़्बात की हकीक़त बस तुम थी
तुम संग मेरा इजहार करना अब बस बाकी रह गया
मौसम हवा नमी इन आँखों की बहती नदी हो वो तुम
उन सासों कि कमी का वो अहसास अब बाकी रह गया
प्यार का तोफा हर किसी को अब यंहा मिलता नही
तेरे बाग़ का वो फूल तोड़ना मेरा अब बाकी रह गया
नींद मेरी मोहब्बत बन गयी बेवफा रात भर आती नहीं
अब फ़ना हो कर भी कब्र में मेरा सोना अब बाकी रह गया
प्यार तो जिंदगी का एक खूबसूरत अफसाना है तराना है
उस अफ़साने का तराना मेरा गाना देखो अब बाकी रह गया
अब भी बहुत कुछ तुझ पर मेरा लिखना बाकी रह गया
कलम खफा हो गयी उसे मेरा मनाना अब बाकी रह गया
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

बालकृष्ण डी ध्यानी
May 15 ·
कुछ तो बात अलग है
कुछ तो बात अलग है मैं और मेरे पहाड़ों में
बस इतनी सी मेरी तलब है सब बसे मेरे पहाड़ों में
बस मेरा पहाड़ बसा है मेरे दिल में और मैं पहाड़ी हूँ
ना गढ़वाली ना मैं जौनसारी मैं बस उत्तराखण्डी हूँ
ना कोई कुछ मुझसे अलग है ना कोई है मुझसे है जुदा
मेरे घर आंगन और मुझ में बस बसता है मेरा खुदा
सुखी रोटी प्याज खा कर मैं आप से एक गुजारिश करूँ
ममता का सुख मिलेगा यंहा और क्या मैं तुझ से और कहूं
छोड़ के मुझे और अपने को तो तू अब चला है कहाँ
देख ना आगे तो इतना दूर ना जा जो छूट जाये तेरा प्यारा जंहा
अपना अस्तित्व खोजने को मैं तेरा अस्तित्व मिटाता चला
इतना प्यारा है तो मैं तुझे भूलता रहा और तो मुझे बुलाता रहा
कुछ तो बात अलग है मैं और मेरे पहाड़ों के गलियारों में
जान जाता है जो इसे फिर वो जाता नहीं इसके ठिकानों से
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
मेरा घर , मेरा पहाड़
टूट रहा है वो ,छूट रहा है वो
कुछ ईंटें उखड़ी हुई ,कुछ दीवारें चटकी हुई
बिखरा गये सब सामान ,सपने थे जो सब बईमान
सावन के बस भीगे दिन हैं ,खत में भीगी वो लिपटी रात
पतझड़ है बिखरा हुआ ,टपकते पानी की बूंदों की तरह
कांपती हाथों ने अनसुनी , सावन के कानों से लौटी वो आवाज
एक अकेला था मैं , एक अकेली वो राह
चल पड़े थे वो कदम , लूट रहा था बस वो मजबूर का जंहा
चौबीस घंटो से लगातार, आज क्यों हो रही है बरसाता
क्या है इसका जवाब , आज सवाल खड़ा खुद बेनकाब
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
औ माँ तुझे सलाम
काफी प्यार काफी दुलार
आज दिखा है माँ बस तेरे लिये
रहे सदा ऐसा प्यार माँ बरकरार
हरपल यूँ बरसता तेरे लिये
हर वाल पे माँ आज तू ही तू छायी
आज तेरे बच्चों को ज्याद माँ तेरी याद आयी
यूँ ही हर रोज सुबह शाम कैमरे में
माँ वो रोज यूँ ही सदा तेरी तस्वीर खींचे
फेस बुक में नहीं माँ तुझे
वो सदा प्यार से अपने मन भीतर सींचे
एक दिन ही नहीं होना चाहिए माँ बस तेरा
माँ मुझ पर सदाअधिकर होना चाहिये तेरा
औ माँ तुझे सलाम ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
ना जाने क्या ढूंढ रहा हूँ मैं
ना जाने क्या ढूंढ रहा हूँ मैं
ना जाने कब से
क्या खो गया है वो
क्यों खो गया है वो
क्या है वो मेरा
क्यों इतना परेशान हूँ मैं
क्यों इतना चिंतित
ना जाने क्या ढूंढ रहा हूँ मैं
ना जाने कब से
किसने कहा वो सूरज है
किसने कहा श्याद वो चंदा होगा
लेकिन वो मुझे क्यों पता नहीं है
वो क्या मेरा होगा
जो खो गया है वो मुझसे
वो इतना दूर चला गया है अब मुझसे
फिर क्यों वो मेरा होगा
या मैं उससे दूर हो गया हूँ खुद से
कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे
कुछ खबर भी कोई अब क्यों लाता नहीं
क्योंकि वो अब पुराना पता मेरा खो चुका है
जिस पर कभी चिट्ठियां आती थी मेरी
वो आंसूं पाती कुछ कह जाती थी
सुन नहीं सका उन अक्षरों को
तब मैं जब मैं अपने में था
अब तो मैं अपने से गुम हो चुका हूँ
कब से ना जाने क्यों
इस बात की क्यों खबर मुझे लगी नहीं
ना जाने क्या ढूंढ रहा हूँ मैं
ना जाने कब से
क्या खो गया है वो
क्यों खो गया है वो
क्या है वो मेरा
क्यों इतना परेशान हूँ मैं
क्यों इतना चिंतित
ना जाने क्या ढूंढ रहा हूँ मैं
ना जाने कब से
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

बालकृष्ण डी ध्यानी
May 5 ·
सफरनमा
बस ये एक सफर है और ये कुछ नहीं
एक कब्र की सैर है और ये कुछ नहीं
आना है तुमको और जाना है मुझको
बस एक बहाना है वो और ये कुछ नहीं
.... ध्यानी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

बालकृष्ण डी ध्यानी
May 3 ·
पहाड़ टूट रहे हैं
पहाड़ टूट रहे हैं
या पहाड़ को कोई तोड़ रहा है
अपना खड़ा दूर उस से बहुत दूर
बस दूर से देख कर मुस्कुरा अपना मुंह मोड़ रहा है
जलता है कभी वो खुद से
कभी कोई आ कर उसे जला रहा है
पानी तो बहुत है लबालब भरा हुआ
पर आज उसका ही वो पानी उसे तरसा रहा है
खिसक रहा है अचानक चूर हो रहा है
रो रहा है वो अब अकेले मजबूर हो रहा है
मूक है चुपचाप अलग थलग पड़ा
खोद खोद कर उसे अब कोई उसे लूट रहा है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कुछ कहानियाँ अधूरी ही ...
कुछ कहानियाँ अधूरी ही
अब अच्छी लगती है हमें
वो किनारे दूर के
अब क्यों इतना भाते हैं हमें
कुछ कहानियाँ अधूरी ही ...
वो दर्द का मेरा अहसास
क्यों सुखद लगता है अब मुझे
आँखों से बहते आँसूं अपने
बहते बहते क्यों चैन दे जाते हैं मुझे
कुछ कहानियाँ अधूरी ही ...
तड़पता हुआ वो मन मेरा
जब दुख झेलता है यूँ ये तन मेरा
क्यों उसे अब अच्छा लगता है
अकेला जब वो यूँ ही उसकी यादों में जब चलता है
कुछ कहानियाँ अधूरी ही ...
बिछड़ता है जब खुद ही वो खुद से
टूटता है जब वो प्यार इस दिल के भीतर से
वो कसक इतनी मदहोश कर जाती है क्यों
पीछे पीछे वो हर बार ऐसे क्यों मेरे अब आती है
कुछ कहानियाँ अधूरी ही ...
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
अब लगता है .........
अब लगता है
थोड़ा रुक जाऊं थोड़ा ठहर जाऊं
भाग लिया अपने से
बहुत भाग लिया अपने से
अब अपने को कुछ तो वक्त दूँ
अब लगता है
थोड़ा रुक जाऊं थोड़ा ठहर जाऊं
ना मिला आराम अब तक
सुख रहा हरदम यूँ खफा मुझसे
मीलों का सफर कब का यूँ गुजरा मेरा
ना मिला अब तक उस मंजिल का पता
खोया हूँ कब से अपने में
बस रह गया इतना गिला
अब लगता है
थोड़ा रुक जाऊं थोड़ा ठहर जाऊं
मुद्दत के बाद कुछ सोच है
मैंने आज बस अपने लिये
खो गयी थी जो जवानी मेरी
भीड़ की गुमशुदगी की तरह
ना लौट सकता उस में फिर से
बस रह गया दिल में ये मलाल
अब लगता है
थोड़ा रुक जाऊं थोड़ा ठहर जाऊं
थक सा गया हूँ भागते भागते
दो नैनों के सपनों को ले जागते जागते
अब नहीं होता वो इकरार अब खुद से
यूँ फरेब और झूठा का अब व्यापार मुझसे
अब तो संभल ने दो मुझको
अकेला हूँ अकेला अब रहने दो मुझको
अब लगता है
थोड़ा रुक जाऊं थोड़ा ठहर जाऊं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बरखा आ जाओ अब तुम
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर
तपने लगी है सखी तुम्हारी
आ के अब इस धरा की प्यास बुझा जाओ
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर
आँखों के अश्क
सूखने को अब बेकरार खड़े
पानी के साथ भूख ने
भी कर दिया अब बेजार हमे
अब ना हमे मारो तुम
ऐसे ना दम निकलो तुम
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर
माना गलती हमारी है
वो गलती हम पर ही पड़ गयी भारी है
काटे हैं कितने पेड़ हमने
व्यर्थ बहाया है पानी खुद हम ने हम से
फेका है खाना उसे फिजूल समझकर
उस दाने की कीमत ना समझे हम अब तक
भूख प्यास तपन से हम हारे
आ जाओ हमारे तारण हारे
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर
ना देर कर अब तो
फिर आके रहम कर दे हम पे अब तू
हमारी सजा क्यों औरों को देता है
इस सफर में इंसान तुझे बस धोखा देता है
पशु पक्षियों ने क्या तेरा बिगाड़ है
तू ही तो अब सब का सहारा है
देख आंखें मेरी पथराने से पहले
तेरे काले बादल आ के चुप चाप चले जाने से पहले
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22