Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448056 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
अकेलापन
बातें अब कम करने लगी है
जिंदगी भी रुक रुक के दम भरने लगी
ग़म अकेला रहने लगा
सब से अकेला वो रहने लगा है
बातें अब कम करने लगी है .....
कुछ उम्र थी कुछ रवानी थी
कुछ जोश और कुछ नादानी थी
ना वो उम्र है ना वो अब रवानी है
ना वो जोश है ना वो नादानी है
बातें अब कम करने लगी है .....
कभी वो रोने कभी रुलाने लगी है
आँखों में नमी अब ज्यादा आने लगी है
सूखे पत्ते अब ज्याद उड़ने लगे हैं
हरयाली अब कम नजर आने लगी है
बातें अब कम करने लगी है .....
शोर गुम है बस ख़ामोशी छाई
मीलों तक दूर साथ अब बस तन्हाई आयी
बिछड़ने का दुःख नहीं मिलने का दर्द है
ये अकेली सुनसान रात कितनी सर्द है
बातें अब कम करने लगी है .....
एक एक कर अब वो पीछे छूट ने लगी है
बस अब तो वो बीते पल में आ कर मिलने लगी है
अपने को ही अब वो फरेबी बताने लगी है
अकेले अकेल ही वो अब गुनगुनाने लगी है
बातें अब कम करने लगी है
जिंदगी भी रुक रुक के दम भरने लगी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
की तुम रूठ ना जाना
लौटकर आओगे ,मिलकर गीत गाओगे
एक तरना नया नया ,एक दिवाना नया नया
कली जो फूल बनी है ,नाजों से वो पली है
गुल्सिताँ ने उसे खिलाया,मुस्कुरा के वो चली है
खुले खुले हुये गेसू हैं ,घिर गयी हो बदलियां
झुकी मेरी वो निगाहें,गिराये जैसे बिजलियां
इन नाचते क़दमों में,मौसम का है खज़ाना
हर एक के लब पर,अब मेरा ही है फ़साना
झूमना मचलना मेरा ,अब यूँ बदल बदल के
धड़क रहा है दिल मेरा ,अब सम्भल सम्भल के
रुक ना जाये मोड़ पर,कहीं अब ये मेरा ज़माना
साँसों को कह दे इतना ,की तुम रूठ ना जाना
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
मन की बात होंठो पे लाओ
मन की बात होंठो पे लाओ .. २
कहना है जो वो कह जाओ
मन की बात होंठो पे लाओ .. २
रूठो ना ऐसे ना अकेले हो जाओ
क्यों छुपा रखा है दर्द वो दिखलाओ
बात करो अपने से अब तुम ही बतलाओ
नांदा ना बनो तुम अब बात मान भी जाओ
मन की बात होंठो पे लाओ .. २
लब पर आये ना वो शब्द दिखलाओ
चुप ऐसे ना अपने आप से तुम घिरते जाओ
थोड़ा सा ही क्यों ना हो वो उसे जतलाओ
गुस्सा छोड़ो अब तुम बात मान भी जाओ
मन की बात होंठो पे लाओ .. २
ऐसे में घिर जायेगी तेरे चहुँ ओर उदासी
फिर ना साथ आयेगा तेरे कोई संगी ना साथी
फिरता रहेगा तब फिर अपने में कहीं गुम सा
बन जायेगा सबके लिये तो एक बूत सा
मन की बात होंठो पे लाओ .. २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
अब की बरसात में
बस अपने थे वो
जो सपने थे वो
देख ना पाये हम उन्हें साथ में
अब की बरसात में
क्या बात हुयी
ये भी ना जान पाये हम
अपनों के हाथों की अग्नि को भी
ना पार पाये हम
अब की बरसात में
क्या रात थी वो
क्या दिन था वो
ना जाने क्या वो बात थी
वो भी बोल ना पाये हम
अब की बरसात में
रोना ना ना कुछ खोना
जीवन तो एक सपन सलोना
उस सपन सलोने में
इस बार ना झूल पाये हम
अब की बरसात में
जागे हैं या सोये हम
हलचल हुयी सब खोये हम
अब ना हम मिल पाएंगे तुम से
इस अगली बरसात में
अब की बरसात में
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बहुत कम लोग होते हैं
बहुत कम लोग होते हैं
जो दूसरों के दुःख में रोते नहीं
तब वो हमदर्द हो जाते हैं
उनकी तकलीफ
उनको अपनी लगती है
तब वो हम पथ हो जाते हैं
यातना में आँसूं गिरना
ये तो सब में आम बात है
तब वो उन्हें टिप जाते हैं
फर्क बस इतना
उन में और बस हम में है
हम भूल जाते है वो काम कर जाते है
बिना किसी लोभ के
वो सत्कर्मी अपने मार्ग में
जीवन के लिये धन्य हो जाते हैं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
आज कल
बस तेरी कमी खलती रही
आँखों की ये नमी कहती रही
आज कल आज कल
राज रहता नहीं वो साथ मेरे
कोई कहता नहीं आके वो पास मेरे
आज कल आज कल
मर्ज़ क्यों कम अब होता नहीं
दर्द क्यों आकर अब हँसता नहीं
आज कल आज कल
रास्ते मिल गये मंजिल मिलती नहीं
जो छोड़ गये उनके निशाँ दिखते नहीं
आज कल आज कल
चाँद बहुत बेताब है अकेला
सूरज भी अब धधकता है बहुत अकेला
आज कल आज कल
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
रूठा है वो
तुम जैसा छोड़ गयी थी
वैसा ही है अपना वो घर
ना जाने क्या बात हुयी है उसके साथ
बहुत चुप रहता है वो आज कल
ना कोई आवाज है आती
ना कोई इस ओर अब है आता
टूट चुका उसका वो सबसे रिश्ता
तेरे शिवाय उसे कोई ना अब भाता
गुमसुम है गुम वो अपने में ही
खाता है क्या ग़म उसे क्यों अब तक पता नहीं
अब भी इन्तजार है उसको तेरा बस तेरा
कितने दिन रातों से वो सोया नहीं
रूठा है वो किस बात पर मेरे
मुझको आज तक उस बात का क्यों पता नहीं
मिनतें की गिड़गिड़ाया अकेले में बहुत
उसके सम्मुख मैं क्यों बोल पाया नहीं
बिलकुल वैसा ही बिलकुल वैसा अब भी वो
पर थोड़ा सा मैं बदल गया हूँ पूरा बदल गया हूँ
अब तो मुझे उसकी सूद रहती ही नहीं
ना जाने तुम्हारे यादों में मैं किस कदर खो गया हूँ
तुम जैसा छोड़ गयी थी
वैसा ही है अपना वो घर
ना जाने क्या बात हुयी है उसके साथ
बहुत चुप रहता है वो आज कल
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
ग़ज़ल क्या हैं
ग़ज़ल क्या हैं
जज़्बात और अलफाजों का
एक गुंचा ये मज़्मुआ है वो
शायरी की इज़्ज़त वो आबरू है वो
ग़ज़ल क्या हैं
मधुर दिलकश रसीली है वो
दिल के नाज़ुक तारों का हिस्सा है वो
भावनाएं पैदा करती हैं वो
मेरे बयां के लिये
ग़ज़ल क्या हैं
माशूक से बातचीत है वो
कंठ की दर्द भरी आवाज़ है वो
करूण स्वर बोल रही है वो
ज़िंदगी की कोई पहलू है वो
ग़ज़ल क्या हैं
शेर की दो पंक्तियों का सार है वो
मत्ला क़ाफिया रदीफ मक़्ता का जोड़ है वो
एक बुनियाद है वो
हृदय मन कोमल भावनाओं का निचोड़ है वो
ग़ज़ल क्या हैं
माशूक हृदय में झांकती हुयी
जिस्म ख़ूबसूरती का अंदाज है वो
बनाव-सिंगर और नाज़ों-अदा है वो
इश्क़ का एक जामे सागर है वो
ग़ज़ल क्या हैं
इक़बाल’ की नज़्म है वो
ज्वलंत कोई व्यंग है वो
काल्पनिक दुनिया में रहती वो
यथार्त की देन है वो
ग़ज़ल क्या हैं
इतिहास रोज़ लिखाता है उसे
क्षितिज पर रोज़ स्वर उभरे हैं उसके
संगीत की त्रिवेणी संगम है वो
बातें, शब्द, तर्ज़ की आवाज़ है वो
ग़ज़ल क्या हैं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
मेरा पाप
मैं अपना पाप
साथ लेके चला .... २
थोड़े से सुख के लिये
मैं कितना दुःख लेके चला
साथ लेके चला .... २
उसे पास करने के लिये
किस से दूर होके चला
जिंदगी भर मुझे
ना इसका पता चला
साथ लेके चला .... २
समझा था सब मैं
ना समझ बनके चला
किसको दिया था धोखा
अब तक ना मिला उसका पता
साथ लेके चला .... २
आँसूं हँस दिये थे
या मैं बस रो कर चला
पूछ जब मैंने अपने से
तब वो चुप ही रहा
साथ लेके चला .... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बीते दिनों की याद में अक़्सर
बीते दिनों की याद में अक़्सर
दिल उसका रो पड़ता
पत्थर से प्रेम करता था कब वो
अब कंक्रीटों में दिल रहता है
अब भी अटका रहता है वो
जंगल के उन काँटों में
थकता नहीं था वो कभी देख चढ़न को
अब हांफ जाता है सीधे रास्तों में
अब इतिहास बन कर रह गया वो
पगडंडी और गलियारों में
घास फुस में आ जाती थी कभी गहरी
अब आती नहीं उसे मखमल के बिछोने में
अब भी फर्क नहीं कर पाता है वो
सूखे गीले उन दरख्तों में
अब तो लाजमी उसका धोखा खाना
जब आग लग गयी हो अपने से
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22