Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448018 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ऐजादि मेरा मुल्क

ऐजादि ऐजादि ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी
ठंडू मिठू हुना कुन
एक बारी अपरि मुल्क मुल्की ऐजादि
तिम्ला को डालों थे भेट कैजादी
अपरा उकला मा ऐ भाना ही ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी

नि रयुंच मि अब पैल जनि
छोड़ी कि गयुं छे मि थे जबै तू ऊनि
खूब फेर बदल बी मेर दगडी अबै व्हैग्याई
चल मेर फेर बदल देखणा कुन त ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी

विपदा आपदा बि खूब मि परी ऐई ग्याई
मेरो अपरोंं न खूब कस्ट मि दगडी खाई
फिर बी मिल वैल देक हिकमत नि हारी
देक मेर इन हिकमत देखना कुन त ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी

नीला आकस छे अब सारो मेरो दगड्या
देक कन बगनी च मेर भूली गदनी
देब दब्तों को घार पहाड़ ये मेरो हिमाल
देक मेर यु सोँसार देखना कुन त ऐजादि
धरों मन्दरों को पानी पि जादी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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रे मन मेरो

कख कख जाणु रे
रे मन मेरो ..... २

कन तेरो चबलहट
कया तेरो इन ब्यापर
तेथे किलै ऊ अब सम्झनु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे

द्विवी घडी ऐ यख बैठी जा
ऐकि मेसे भेटि जा
ऐ हात नि अब आनु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे

कै घारा अब अटकीगै
कै बाण बल ऐ भटकीगे
कैथे अब ऐ मनानु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे

माया को ऐ खेल छन
मायाल सब खिंडी खेली
तिल ऐ खेल खेल नि जणी रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेर अख्युं थे.

मेर अख्युं थे तु किलै रुलांदी । .. २
किलै तु रोज मेरा इन सपनियु मा आंदी ।
सब धनी छोडी कि ऐजा आज मेर पास , (हे मेरी मायालु)…२।
अख्युं थे तु किलै रुलांदी ।

कन मि जिन्दु यख , जो तेर माया नि हुन्दि । ... २
मेर जिकोदी थे , तू इन माया ना छुअनदी
सब धनी छोडी कि ऐजा आज मेर पास , (हे मेरी मायालु)…२।
अख्युं थे तु किलै रुलांदी ।

मिथे भी पता च वख बी, तेरो मेर जनी हाल हुलो । ... २
सम्झे मिथे यक्लो मा तुम बि यक्लो मा हुली रुँदि हो।
सब धनी छोडी कि ऐजा आज मेर पास , (हे मेरी मायालु)…२।
अख्युं थे तु किलै रुलांदी ।

मेर अख्युं थे तु किलै रुलांदी । .. २
किलै तु रोज मेरा इन सपनियु मा आंदी ।
सब धनी छोडी कि ऐजा आज मेर पास , (हे मेरी मायालु)…२।
अख्युं थे तु किलै रुलांदी ।

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क्या च तेरो भित्र धर्युं

क्या च तेरो भित्र धर्युं
मेंसे किलै बच्चोंदी ना
तू किलै बच्चोंदी ना ....... २
क्या च तेरो भित्र धर्युं

इतगा किलै रुसै मेंसे
वै रुसै की तू कथा लगे दे
अपरि ई छुईंलि गिचि थे
तू और्री ना इन सजा दे
क्या च तेरो भित्र धर्युं

देक तेरो इन रुसैनु
तेरो इन मिसै नि बोलेणु
अचु नि लगदू मिथे अब
मिथे अब तेरो इन गप रैनू
क्या च तेरो भित्र धर्युं

गुबरा ना बने इन ग्लोडि थे
नारज ना हो इतगा अब भंड्या
भलो नि लगदू मिथे अब
झट छोड़ि गुसा झट मनजा
क्या च तेरो भित्र धर्युं

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ऐजा मेरो साथि

कदगा कदगा बोलो मि तैथे
ऐजा मेरो साथि
जेठ बैसाख बीती गैनी
बल अब आषाढ़ की बाती
कदगा कदगा ........

मन मेरो नि लगदो साथी
बल ऐकि दबाई तू कैजै
बुरांस फूली काफल पाकि यख
हिंसोल यूँ हाथों न खैजै
कदगा कदगा ........

तेर मेर प्रित ईनि च
जनि मि उकाली तू उंदारी
बारी बारी ऐगे सबी रितू यख
तैर ही बस अब ऐने की बारी
कदगा कदगा ........

ऐ फूलों की घाटी च तै बना
ये उजाड़ पहाड़े की ऐ दाती
बूढरि व्हैजण सै पैली साथी
ऐजा तू मिथे भेंटि
कदगा कदगा ........

ऐ जुनेली राता थे अब तू
बल इतगा ऐकि अब समजा दे
आँख्युमा थे आंसू भूले की
ईनकी ऊ निंदी तू पैठे दे
कदगा कदगा ........

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किलै किलै मिथे तू.

किलै किलै मिथे तू
अब अपरि लगणि छे
जदगा बारी मि हेरौं ति थे
वदग और्री मि ति थे हेरनू छों

अध्याँरोमा मा रात बगत
अब गैणा पिछने रिटनु छों
जून की जुन्याली मा
युँ उजळू की बुकि लेनु छों

किलै किलै मिथे तू
अब अपरि लगणि छे

यकलु छे ऊ ठाव मेरो
तू दगड्या बणी की मेरो ऐजै
अदा रात को यु सुपनिया मेरो
सिरना मा ऐकि तू मेरो बुनिजै

सुबेर को .... सुबेर को
जबै जबै ऐ उषा आणि छे
मेरो मनको झझल्कोमा
पैल झल्की बस तू छे

किलै किलै मिथे तू

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ईंनि जनि तनि वनि कनि व्हाली वा

ईंनि जनि तनि वनि कनि व्हाली वा
मुक भतिकि किलै मिथे दिनी व्हली गाली वा

अब त मिथे लगनि लगि किलै कि इतगा प्यारी वा
लस्का दस्का कैरी कि हीटनी च सारि स्यारी वा

सुन ऐजा जा सुपन्य बणी कि ऐजा मेर खैल मा
द्वीई द्वीई बैथिकि अब माया लगोंला मेर खैल मा

ना बिसरि जै मिथे मि त ना बिसरयुं द्यूंला तिथे
भेंट हुँई च तेरी मेर आच अचणचक पौड़ी बाजार मा

ईंनि जनि तनि वनि कनि व्हाली वा
ब्योली अब कबैर बनेली मेरी वा

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अब बौल्या मि बणीग्युं छों

अब बौल्या मि बणीग्युं छों ,अब तू बी बौल्या बनै जैली कया ?
मेरो जिकोडो की ई पीड़ा थे , तै थे को बथे देलो कया ?

मि देख्दु तैथे सुपनिया मा , वैथे देख्दु मि आँखा खोली की
जै मि बोललो लाटा बणीकी वा आख़र मा रंगीजला कया ?

ये खेल छया क्षण को तरही घैल मि तेरो व्हैग्युं
जै जग्यां छन मेरो मन मा तेरो चित मा बी जगला कया ?

मेरो जियु थे मिल आज भ्तिक मिन तेरो नौ कैदे
सबै मि मेरो तै थे देकी तैथे वैकि कबि थाहा लगल कया ?

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मिल अखबार ख्वलि बल

मिल अखबार ख्वलि बल
बस नेतों न ब्वालि
छप छपी खबरी देकि की
ना उड़ मेर तिबरी ना डंडाली

नौ बागीयों को बाग मा
देरादून को काज मा
एक बी डाली उपटि ना स्की
नौछमियों को राज मा

घ्वाड को बल खुटा टूटे
राजनीतियों न चूसा चूसे
खींच तानी सींच तानी
कैल रची हुलि ये करस्तानी

ऐगे फिर उमा उमाल जी
नि व्हाई कुच बी कमाल जी
हम जन् छय ऊनि रैग्युं
नेता वहैगैनि मालामाल जी

मिल अखबार ख्वलि बल .......

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सुणी ले तू मेरो माया गीत

सुणी ले तू मेरो माया गीत
तै थे हरा मिले या ऐमे जीत
निस्चल कोरी माया बणी की
तू गईले ....गईले तू बल ये माया गीत

कन माया तू बाँधी लेलो
कन विन्थे अपरामा लूछी ले लु
ईं थे माया ना बोलदन
बल बोलदन ईं थे ज्वानी को तिस
सुणी ले तू मेरो माया गीत

माया बल करें नि जांदी
सुदी सुदी कै दगडी जुड़ै नि जांदी
आंक्युं की भासा च या
ये भासा कख पढ़े नि जांदी
सुणी ले तू मेरो माया गीत

अपरा अपरि ही उमजै जांदो
सुबेर च की रात जबै समज नि आन्दु
समझी जा तै थे वहैगे प्रीत
मिल त थिक ना मिली तबै बी थिक
सुणी ले तू मेरो माया गीत

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