Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447990 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ये वतन

जो भी उठे हाथ मेरा
तेरा ही हो सहारा
मै हों मचलता एक सागर
तु है मेरा कीनार

डगमग डोले है कश्ती
मौजों की है तु धारा
भटक ग़र जाओं लक्ष्य से
तु खड़ा बनकर धुर्व तारा

नतमस्तक मेर शीश रहे
शीश पर रहे अंचल तुम्हारा
गर्वन्तीत मै रहों हमेशा
भारत देश है तु मेरा

कुर्बानीयों की है गाथा
सरहद पर तु ने जब भी पुकार
शीश हमरे कट भी गये गम नहीं
भारत हमारा भग्या विधात

जो भी उठे हाथ मेरा
तेरा ही हो सहारा
मै हों मचलता एक सागर
तु है मेरा कीनार

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ना बणी

ड़णड़ टुक सडकी गैनी
ना बणी कुछा भी काम
काम धाम ध्याड़ी नीच
नीच अब कुछा भी काम

उजाड़ धड पुंगड़ होयां
सारीयुं मा नीच धान
तीसा रुल्याँ गद्न्यान
तीसा अब ये गड धाम

ऊँचा ऊँचा शिखर हमरा
वख हमरु देबतों को धाम
देवभूमी हे उत्तरखंड
ना मिली यख हम थै काम

रीटा गों गोठ्यार वहयेगै
डाणड़ तार तार वहयेगै
बची छे जै खेती जै सायरी
सुन्घरों बंदरों अधिकार वहयेगै

बची कसर दगडी सरकार मोरीगै
गों का विकास योजना देखा
कपड दगडी लगुली मा सुखी गै
अब बथों मा भी देख कर लगी गै

यला छाला पल छाल
सब सब टुंडा पड्यांण छन
घार घार मा मेरो दिदो
छुटा भूलह भूली भुक्या सीयां छन

पल्याँन समस्या ग्रस्त होयां छन
उन्दारों बाटा मा रुडया छन
उकाला विपदा का खैरी मा
अब फिनका पड्या छन

ड़णड़ टुक सडकी गैनी
ना बणी कुछा भी काम
काम धाम ध्याड़ी नीच
नीच अब कुछा भी काम

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ये डाली

मेरा गढ़ देशा की ये डाली
कंण मटमोटी बिगरली ये बाली
ब्थों मा कंण लह लहल्ह्यंद या
बात मेर उत्तरखंड की बथंद वा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२

ये डंणडी मा ये सरीयुं मा
घुघूती हीलंसा भी ये डालियुं मा
ये जीकोड़ी मा ये दगडी मा
माया प्रीत लगे ये डालियुं मा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२

प्योंली बुरंसा खिला डालियुं मा
विपदा खैरी कंणड़ लगा डालियुं मा
कीन्गोड़ काफल पक्की डालियुं मा
खूब चखी चखी खाई ये डालियुं मा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२

जख भी मी जंदु वख वो दिखंद वा
मेर दगडी चुप कैकी बचाण वा
डाणडों मा हरैली पस्रयंद वा
यकुली यकुली दूर खडी लाज्यंद वा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२

मेरा गढ़ देशा की ये डाली
कंण मटमोटी बिगरली ये बाली
ब्थों मा कंण लह लहल्ह्यंद या
बात मेर उत्तरखंड की बथंद वा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२

मी थै याद बहुँत अंद वा
मेरा गढ़ देशा की ये डाली

बालकृष्ण डी ध्यानी
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माया

हाथ मा हाथ धरी जोंला
गीत माया का लगोंला
सात जन्मों साथी
हम दियु बत्ती
हाथ मा हाथ धरी जोंला

फुल पत्ती दीखोंला
गढ़ माटी मा मीसी जोंला
उकाला उन्दारू ये बाटा मा सुवा
अपरी विपदा थै भूलीं जोंला
हाथ मा हाथ धरी जोंला

दोईयों की छुयीं सुवा
डाली डाली भी अब लगी लाग्यांण
गदानीयुं रुल्युं साणी सुवा
गीत थै हमरी लगी बखाण
हाथ मा हाथ धरी जोंला

हाथ मा हाथ धरी जोंला
गीत माया का लगोंला
सात जन्मों साथी
हम दियु बत्ती
हाथ मा हाथ धरी जोंला

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मोको हाथ आयूँ च

रण को शंख गरजी गै
नेतओं की नींद हर्ची गै
विधान सभा चुनवा को
बार गढ़ मा तैया हौयगे
रण को शंख गरजी गै
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब

३० जनवरी को बेलच
गढ़ा मा चुनवो को खेल च
खाणी पीणी सब हर्ची गैणी
विपदा उनकी उपरी ऐणी
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब

जाग ये जन अब जगी जावा
अब तुम्हरी बेल च उठाव अपर मुदा
खिली दयावा तुम भी अब खिंड
जीतणु हमण गैरसैण,पालयन और भ्रस्टाचार
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब

उठा दिदो भुल्हा भुल्ही
कसा दे अपरी अपरी कमर
ये मुओका अब मीलाणु च हम थै
ना छुड़ा ना छुड़ा ये आंयी बात
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब

रण को शंख गरजी गै
नेतओं की नींद हर्ची गै
विधान सभा चुनवा को
बार गढ़ मा तैया हौयगे
रण को शंख गरजी गै
हरच्यां हरच्यां फिरण छंण सब

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जीकोडी लगी

रोलियां रोलियां
जी हालको व्है जलो
उकाला बाटा
अब सैलु व्है जलो
रोलियां रोलियां .......

गीत पाराण लगाण
जीकोडी लगी बाथण
कब आलों कब आलों
ये जी का प्राण
रोलियां रोलियां .......

घुघुती लगी घुरण
मैता की खुद खुदण
आम की डालियुं मा
बैठी लगी वहाली बचाण
रोलियां रोलियां .......

ससरासा को आगाण
अब ता मी थै पहछाण
बाटा हेरी हेरी की
ये आंखी लगी थकयाण
रोलियां रोलियां .......

रोलियां रोलियां
जी हालको व्है जलो
उकाला बाटा
अब सैलु व्है जलो
रोलियां रोलियां .......

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आ जाओ मेरे गाँवों में .. आ जाओ ना

आ जाओ मेरे गाँवों में ..
मेरे पहाड़ों में ये मेरा घर बार
मेरे मन के साथ और मेरे मन के पास
आ जाओ ना
आ जाओ मेरे गाँवों में

आओ सुनो ना ....मेरी बातें सुनो ना
मेर मन की बात आपके प्रेम के साथ
इन बहारों के साथ इन नजारों के पास
आ जाओ ना
आ जाओ मेरे गाँवों में

चाहे तुम्हे मैं अब इतना पसंद आऊं ना
तुमको अब मैं बस इतना कहने आया हूँ
देख ना कुछ है मेरे साथ सब है इसके पास
आ जाओ ना
आ जाओ मेरे गाँवों में

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जितना भूलना चाह हूँ मैं

जितना भूलना चाह हूँ मैं
वो उतना याद आये
मुझ को अब ना क्यों
ये सब ना अब भाये
जितना भूलना चाह हूँ मैं

हो अ...हो अ...हो हो हो अ ...

मेरे दिल से पूछो
क्या उस में कमी थी
कमी उस में ना थी
वो कमी मुझ में ही कंही थी
जितना भूलना चाह हूँ

हो अ...हो अ...हो हो हो अ ...

अब भी है वो मुझ में
छुपा है वो यंही कंही में
अहसास करने की है देर
फिर वो है मेरी सवेर ही सवेर

हो अ...हो अ...हो हो हो अ ...

जितना भूलना चाह हूँ मैं ....

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सोच

बदल गया है तू
अब बदल रहा हूँ मैं
सोच पर तेरी
अब चल रहा हूँ मैं

जो सोच रहा है तू
वो सोच है मेरी
बस फर्क इतना सा
वो कंही और है जोड़ी

जो कच्चे थे अब तक
वो अब पक्के हो गये
सड़कों के वो छोर मेरे
अब कितने सच्चे हो गये

उलटी छतरी आ गयी
चिमनी छोड़ बिजली छा गयी
चूल्हे के लकड़ी छोड़ कर
वो गैस मुझ को भा गयी

भागना नहीं
ना उसे अब मुझे भगाना है
सोच का रिश्ता इन पहाड़ों पर
मरते दम तक साथ निभाना है

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मेरे गॉंव में तू

मेरे गॉंव में तू
आ जाना मेरे पहाड़ में
आ जाना

एक बाट मिलेगी उकाली उंदरी
उस बाट पे हिट के आ जाना
मेरे गॉंव में तू
आ जाना मेरे पहाड़ में
आ जाना

अपने मिलेंगे बिरानो को तू ले के
अपने दगड दगडी उन्हें तू ले आना
मेरे गॉंव में तू
आ जाना मेरे पहाड़ में
आ जाना

घुघुती घुगेगी फ्योंली खिलेगी
मेरो लाल बुरांस थे मिल्नु ऐ जानु
मेरे गॉंव में तू
आ जाना मेरे पहाड़ में
आ जाना

बद्री केदार के दर्शन लेने को
गंगा माँ में डुबकी लग ने को
मेरे गॉंव में तू
आ जाना मेरे पहाड़ में
आ जाना

ब्योह बरती में नाचने आ जाना
कौथिग में पिंगली जलेबी खाने आ जाना
मेरे गॉंव में तू
आ जाना मेरे पहाड़ में
आ जाना

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