Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447449 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज कल
 
 बस चलता है बस चलता है
 बीच रहा पर हर कोई लुटता है
 वो खड़ा का खड़ा रहता है
 यंहा पर अब सब चलता है .................
 
 देख वो आसुँ भीगोता है 
 दर्द चेहरे पर उभरता है
 दुर कोई खड़ा बस हंसता है
 हंसकर आपनी रहा पखड़ता है
 यंहा पर अब सब चलता है .................
 
 अंधेरे को ना बदनाम करो
 अब सब उजाले मै ही होता है
 झुका रहता था जो शीश चरणु
 आज वो सीने को तकता है
 यंहा पर अब सब चलता है .................
 
 उछालै जाते यंहा जामों को अक्सर
 पैमाना हर वक़त प्यासा रहता है
 भुख तडपती रहती है उसे रात भर
 सर्द रात सा खुले मै ठीठोरता रहता है 
 यंहा पर अब सब चलता है .................
 
 आज कल जो होता है
 बस चलता है बस चलता है
 बीच रहा पर हर कोई लुटता है
 वो खड़ा का खड़ा रहता है
 यंहा पर अब सब चलता है .................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
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 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भंडाया दिण
 
 भंडाया दिण बाद
 मी पहाडा आयुं.......२
 मेरा गों बाटा थै
 मै बिसरी गयुं..........२
 भंडाया दिण बाद
 
 बोई ऐ उकाल
 देख मै भीर गीर गयुं
 दोई संसा चड़ी मी
 झट तै ढंया बैसी गयुं
 भंडाया दिण बाद
 
 
 कमरी तुटन लगी
 खुटी मेर दुखण लगी
 दिण घाम तिसलु गलंण लग्युं 
 राता जाडु गठ्यारू हीलंण लग्युं   
 भंडाया दिण बाद
 
 तब लगी मी थै
 मेर पहाड़ थै कण भुली गयुं
 रैण सैण रीती रीवाज
 आज बस उपरी मनखी गयुं 
 भंडाया दिण बाद
 
 भंडाया दिण बाद
 मी पहाडा आयुं.......२
 मेरा गों बाटा थै
 मै बिसरी गयुं..........२
 भंडाया दिण बाद
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड परिणाम
 कोई खफा है
 
 उत्तराखंड परिणाम
 सोचा था वो होआ क्या ?
 मौका हाथ से फिर छुटा लगता है
 अपना जुँतों से ही अब
 अपना सर ही अब फूटा लगता है
 
 उत्तराखंड परिणाम
 सब जुदा जुदा सा है
 दुर खड़ा वो खुदा लगता है
 बहती रहती है निर्मल गंगा
 पर उसका बांध टूटा सा लगता है
 सोचा था वो होआ क्या ?
 
 उत्तराखंड परिणाम
 बाँटें बाँटें हैं अब फैसले हमारे
 साथ हमारा अब रूठा लगता है
 इस पटल पर अब तुम देखो
 कुछ लिखा है पर अधुरा लगता है 
 सोचा था वो होआ क्या ?
 
 उत्तराखंड परिणाम
 राजनीती की खीचड़ी मै देखो
 सब पका पका है पर सब कचा लगता है
 झुठे वादों के बीच रहना है अब
 सच्चाई की आवाज कंही दबी सी लगती है
  सोचा था वो होआ क्या ? 
 
 उत्तराखंड परिणाम
 सोचा था वो होआ क्या ?
 मौका हाथ से फिर छुटा लगता है
 अपना जुँतों से ही अब
 अपना सर ही अब फूटा लगता है
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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आप के प्यार के लिये
 
 हम आप से मिले जब
 आप नाराज से लगे
 ऐ कसूर था किसका 
 क्यों मजबुर हम लगे
 
 दूरीयाँ अब निगाहें बनी
 राहें गम की तनहाईयां बनी
 मंजील मीली अक्सर हमे
 रुक्सत दिल गहराई बनी
 
 पास आना हमारा युं लगा 
 फुलों के संग जुदाई मीली
 काँटों की चुबन चुबती रही
 शबनम अंशुं बन रोती रही 
 
 हम नहीं बने आपके लिये 
 मोहब्बत के इजहार के लिये
 इंतजार करते रहेंगें क़यामत तक
 सनम आप के प्यार के लिये 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मै सोच ने लगा
 
 आज मै सोच ने लगा
 आशचर्या सा होआ मुझे मुझ पर
 और मै कुछ खोज ने लगा
 विशवास नहीं कर पा राहा  मुझ पर
 कोइ की मै सोच ने लगा
 पर मै सोच ने लगा ...........................
 
 आंख बंद कर के मै
 अंतर को टटोलता रहा
 मीला कुछ नहीं मुझे
 पर उसका बोध करता रहा
 एकाएक एक लकीर उभरी
 इन आँखों की पलकों पर
 और मै तो सोता रहा
 जग को लगाने लगा की
 अब मै अब सोचने लगा ............................
 
 आंखें खुली सब पास थै
 पुछाने लगे क्या सोचा आपने
 मै भी अनजाना सा बनकर
 थोड़ा हाथ को उठकर
 उंगलीयुं को हिलाकर
 उसे अपने चेहरे पर टीकाकर
 उन्हे सोचने का अभास दिखाकर
 फिर मै सोचने लगा...............................
 
 पर आज तो मेरी खैर थी
 सबके सब बैठे थै सामने अब तक
 जर भी उठने का नाम नहीं ले रहे थै
 कभी दायें तरफ कभी बायें तरफ
 देखता रहता कोनसा रास्ता साफा है
 पर उन्होने वो भांप लिया
 मैने भी जनाब रास्ता नापा लिया
 ओर फिर से गहन मै चला गया
 ओर मै सोच ने लगा .......................
 
 तब मैने सोच लिया था
 बात  उनसे अब मुझे आज करना पड़ेगा
 बिना सोचे ना उनसे अब पीछा छुटेगा
 आखिरकार खुद से थकाकर
 मैने भी सोचना आरंभ कीया
 अपने मन का मंथन कीया
 ओर शब्दों का शुद्धीकरण कीया
 अचानक सोच उभरी मस्तिष्क मै
 सोच के बिगेर सत्य को पाना मुश्कील था
 सोच ही जीवन है  सोच ही सरलता है
 सोच मंजील तक पुह्च्ने की पहली सीडी है
 इसलिये बंदे अब तो भी सोच
 ओर मैने सोच को सोच लिया
 ओर फिर मै सोच ने लगा !!!
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बाट हेरदा फुल
 
 बिन्सरी दैली मा खिल्दा फुल
 ऐजवा ऐजवा बसंता की धूम 
 गों गों दैली दैली सजण लगी
 गढ़ आज देखा बयुओली बणी
 बिन्सरी दैली मा खिल्दा फुल ............
 
 नन्हा भुल्ह भुल्ही की अब
 गों मा घुमाण लगी टोली
 डाब डाबण लाग्यां ओजी का ढोल
 रंगमत होआ चाला नुँना ओर गोंऊरा
 बिन्सरी दैली मा खिल्दा फुल ............
 
 गीतों की लगी अब बहार
 मीठा पकवानों दगडी सज्याँ थाला
 नन्हा हाथों से अब खैजा
 भुल्हो परदेशी अब घारा ऐजा
 बिन्सरी दैली मा खिल्दा फुल ............
 
 तेरु सारु देखणी बेटी ब्वारी आज
 छोटा बच्चों को लगी आशा
 कब आल बाबा भेजी स्वामी घारा
 बिन्सरी दैली मा बाट हेरदा फुलह 
 बिन्सरी दैली मा खिल्दा फुल ............
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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पत्थर के शहर मै
 
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा
 क्या है ख्याल है तेरा
 लुट गया आज
 देख सवाल तेरा
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 पत्थरों के शहर मै
 पत्थर साँस लेते है
 कोंक्रीट के जंगल की
 हम ऐ बात करते है
 साथ साथ सब रहते है
 पर अकेले नजर आते है
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 गमले मै अब बस देखो
 कागज के फुल खिला करते है
 हरियाली के आभास लिये
 पल्स्टिक अब यंह सजाते है
 ईंट ओर चुना का लैप
 चेहरे पर अब लगता है
 सीमेंट रिश्तों को मजबुती देता है
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 पत्थर अपने को अब घर कहता है
 खुद ही खुद पर वो देखो इतराता है
 इंसानों की नगरी मै पुजा जाता है
 अपने पर ही वो देखो आज इठलाता है
 आस्था के नाम पर दूध भी वो पीता है
 हमसे ज्याद पत्थर ही अब यंहा जीता है ......३
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा
 क्या है ख्याल है तेरा
 लुट गया आज
 देख सवाल तेरा
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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पत्थर के शहर मै
 
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा
 क्या है ख्याल है तेरा
 लुट गया आज
 देख सवाल तेरा
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 पत्थरों के शहर मै
 पत्थर साँस लेते है
 कोंक्रीट के जंगल की
 हम ऐ बात करते है
 साथ साथ सब रहते है
 पर अकेले नजर आते है
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 गमले मै अब बस देखो
 कागज के फुल खिला करते है
 हरियाली के आभास लिये
 पल्स्टिक अब यंह सजाते है
 ईंट ओर चुना का लैप
 चेहरे पर अब लगता है
 सीमेंट रिश्तों को मजबुती देता है
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 पत्थर अपने को अब घर कहता है
 खुद ही खुद पर वो देखो इतराता है
 इंसानों की नगरी मै पुजा जाता है
 अपने पर ही वो देखो आज इठलाता है
 आस्था के नाम पर दूध भी वो पीता है
 हमसे ज्याद पत्थर ही अब यंहा जीता है ......३
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा
 क्या है ख्याल है तेरा
 लुट गया आज
 देख सवाल तेरा
 एक पत्थर मुझे
 पुछे हाल मेरा ..........................
 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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किस दिल से
 
 किस दिल से दुवा मै करूँ
 ऐ दिल तो एक है वो भी टूटा होआ   
 किस दिल से दुवा मै करूँ ..............................२
 
 जिस रह से मै गुजरूँ
 वो रहा है काँटों भरी उस पर गुल कैसे चुनो
 किस हाथों से दुवा मै करूँ ..............................२
 
 एक एक छुड़ा चले ऐ आंसुओं को
 किस रहा पर मै अब मोड़ों
 किस दिल से दुवा मै करूँ ..............................२
 
 बातों मै बात अब उनकी ही निकलती
 मीटी जिनके कारण अपनी ये हस्ती
 किस हाथों से दुवा मै करूँ ..............................२
 
 किस दिल से दुवा मै करूँ
 ऐ दिल तो एक है वो भी टूटा होआ   
 किस दिल से दुवा मै करूँ ..............................२
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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साई धुन लगी
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई
 साईं राम साईं राम मेरे गुरु मेरे भगवान
 तज दो मेरे अहम् भाव
 शीर्ड़ी के अंतर-ध्यान ध्यानी
 कृपा करो वो अंतरयामी
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई ..........................
 
 सबका मालिक एक है
 बाबा मुझे भी बना दो नेका हो .....
 लगी लोभ माया का रोग जी
 बाबा करदो कुछ उपाया जी
 आया भक्त ले के कुछ आस जी
 भर दो झोली मेरे तातजी
 साईं मेरी सुन लो पुकारा जी ...............२
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई ..........................
 
 मै प्यासा हों तुम मेरी प्यास जी
 वो साईं सदगुरू मेरे भगवान जी
 ज्ञान मुझे दे दो कर दो उपकार जी
 चरणु की सेवा का दे दो अधीकर जी 
 सब धर्मो मै भी रखों सदभाव जी
 आपनी दीक्षा दे दो श्री साईंनाथ भगवान जी 
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई ..........................
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई
 साईं राम साईं राम मेरे गुरु मेरे भगवान
 तज दो मेरे अहम् भाव
 शीर्ड़ी के अंतर-ध्यान ध्यानी
 कृपा करो वो अंतरयामी
 
 ॐ साईं राम
 साईं रहम नजर करना बच्चों का पालन करना !!
 
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