Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447710 times)

devbhumi

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उत्तराखण्ड बनेक बल हमुल क्या पाया

उत्तराखण्ड बनेक बल हमुल क्या पाया
उत्तरांचल को खण्ड खण्ड जब हमुल कैदयाई

अपरा अपरा क्वी नि यख सब अब ह्वैगे बिराणा
घार अपरा छोड़िक सबो का परदेस ठिकाणा

राम सब यख छन पर बल मन मा रावण बस्यूचा
अंखयूं अंखयूं न रोज अब किलै सीता हरण हुनिचा

एक खुटा दून एक दिल्ली मा अब बल धरयूंचा
कैल सोचण पहाड़े की जब अपरू नाणो ही खुटुचा

देखा डामा को गढ्देश मेरो उत्तराखंड बणीग्याई
तब भतेक अपरो देऊ देबता हम से रूसैग्याई

बूढारी अंखयूंन देखिछया सब भल भली के जो सुपनिया
अब की पीढ़ी न ऊ सुपनियों को छितर बितर कैदयाई

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कन कै रैन तेर बिगेर बल

कन कै रैन तेर बिगेर बल ,तू ऐकि मिथे बथे जैई
जियु नि लगदु तेर बिगेर ,तू ऐकि वैथे समझे जैई

बिगरैलि आंख्युं मा तेरी बल यो इन जियु अल्झि ग्याई
देख्दु रैंदु सुपनियु तेरा बल वेका सुपनियु मा तू जरूर ऐई

कन के रालो यखुली यखुली बल तै दगड़ ऐथे तू ले जैई
जब तू ना देखेली येथे समणा बल वैकि दशा कया हुलि

वैकि खुदी मा तू रालि सदनि बल सदनि ऊ रलो तेरो
इन ना दे वैथे तू सजा बल वैथे छोड़ी की वैसे इन दूर ना जा

जब आलो बसंत तेर बिगेर बल यूँ डांडियों कंठियुं मा
हेर दो रला ऊ दोई आँखा बल ऐकि ऊँ कि हेर तू मिटे दैेई

बालकृष्ण डी ध्यानी
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रंग हैरो मेरो पहाड़ा को

रंग हैरो मेरो पहाड़ा को
रंग सैरो मेरो डंडा- काठं को

रंग हैरो मेरो माया को
रंग गैरो मेरो माया को

रंग हैरो मेरो हैरी भूजि को
रंग हैरो मेरो खुदी को

रंग हैरो मेरो चूड़ी को
रंग हैरो न्यारो मेरो सारी को

हैरो रंग मा कन रंगी छन
गंगा बी जब यख बगि छन

रंग हैरो मेरो चकबंदी को
यो हैरो रंग जुड़े जन मन मा

रंग हैरो मेरो उतराखंड को
रंग हैरो फैलो मेरो गढ़ को

बालकृष्ण डी ध्यानी
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यखी छों मि

यखी छों मि
यखी ही रोलों ,अब सदनि को
अब सदनि को
यखी छों मि
यखी ही रोलों ,अब सदनि को

भेंट मेर व्हैजाली
अब यखी ही
देख्याली नजरि ने नजरि मा
माया मेरी मिल यखी ही
यखी छों मि
यखी ही रोलों ,अब सदनि को
अब सदनि को

बिसरि जोलों मिथे मि
अब यखी ही
कन बिसरि जोलों मि तैथे
जख मेर माया पाली छ्या अब यखी ही
यखी छों मि
यखी ही रोलों ,अब सदनि को
अब सदनि को

द्वि घटेक तू ऐजा भेंट को
अब यखी ही
भेंट द्यूंलो मि तैथे अब वखि ही
जख छों मि
यखी छों मि अब यखी ही
यखी ही रोलों ,अब सदनि को
अब सदनि को

बालकृष्ण डी ध्यानी
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यो गयो जमानो प्रीति को

कब आलू हो ....
यो गयो जमानो प्रीति को
कया दिन छ्या वा कया रात वा
बस होंदी छ्या तेरी ही बात वा
कब आलू हो ....

तू और्री मि दूजो ना कुई और्री
गदनी जनि बगदि पियार
होंदी छ्या मुलकात अपरि
कब और्री कख हर्चि गै हुलु सब
कब और कन परती को आलो अब
यो गयो जमानो प्रीति को ....

हैंसदरी तेरी मुखडी
कब अब देख्याली भग्यानी
ऊ ऊकाली उंदारु का बाटा मा
कब तू अब आली जाली भग्यानी
बैठ्युं छों आसा मा की कब आलो
यो गयो जमानो प्रीति को ....

तू ही मेरी बुरांसि की डाली को
ऊ लाल लाल बुरांस साथी
ऊ फ्योंली जनि छ्या अपरू साथ
किंगोडा काफलों को आस पास
फिरदा छ्या हम ऊंका साथ
हिट दा हिट दा गयौ अब कख
यो गयो जमानो प्रीति को ....

बालकृष्ण डी ध्यानी
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जिबन

म्यार सिरणि
बैठी रै
मेरा सुपनियु की
गैठी रै

नि कमै एक ढैली रै
नि कमै मिल एक ढैली रै .....

रस्वड़ चौक छन्नी
सबै फुकी गै यखी रै
पहाड़ चुल्लू मा
कन इन आग बलि रै

नि कमै एक ढैली रै
नि कमै मिल एक ढैली रै .....

मेर चदरी
इन चिरड़ी रै
ल्वट्टा काला चश्मा
तेरा आँखा मा जबै चड़ी रै

नि कमै एक ढैली रै
नि कमै मिल एक ढैली रै .....

अन्ध्यर उज्यल
को खेली रै
किालै की
मेर लैट ना बलि रै

नि कमै एक ढैली रै
नि कमै मिल एक ढैली रै .....

ह्यून्द रुड़ि
की लागि गै तड़ी रै
बस्ग्याल मैना
ने फिर मार मि छड़ी रै

नि कमै एक ढैली रै
नि कमै मिल एक ढैली रै .....

खल्ला खातिड़
और्री मेरो कमुल रै
उठा जागि जै
सुपनियु भतेक चमलु रै

नि कमै एक ढैली रै
नि कमै मिल एक ढैली रै .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
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गैल्या गैल्याणी

गैल्या :त्यारा पिछने पिछने ,गैल्याणी नि आई मि
सच्ची मिल तिथे ,ये आँखि थे नि मारी च
त्यारा पिछने पिछने ......

गैल्याणी :गैल्या नि मिथे आँख मारी च
अद बाटों मा अड़े की मिथे छेड़ी च ......

गैल्याणी:देखि छे मिल तैथे,म्यारा अगने पिछने आंदि जांदी
यूँ परेली को बांटो दगडी ,मि परी अपरि माया झलकनी
झूठ झूठ ना बोल कया तेरो मन को बोल
गैल्या नि मिथे आँख मारी च
अद बाटों मा अड़े की मिथे छेड़ी च ......

गैल्या : मित अपरो बाटो,सिदा सादु जाणु छे
तेरी उजली मुखडी को ,झौल मे परी पौड़ी गे
मेरी आँखि तब ई नि झप झपकीगे
तू ही अब बता मिल कया बुरो कैर
त्यारा पिछने पिछने ,गैल्याणी नि आई मि
सच्ची मिल तिथे ,ये आँखि थे नि मारी च
त्यारा पिछने पिछने ......

गैल्याणी : कदग बेशर्म ,अब ये जमानु ऐग्याई
कैरी की बी गैल्या,बल अब साफ़ मुकरी गै
लाज का बाटा,अब वैका बिरडी गै
मेरो साफ साफ़ बोल छन कि
गैल्या नि मिथे आँख मारी च
अद बाटों मा अड़े की मिथे छेड़ी च ......

गैल्या : मि मा बी अब बी पहाड़े की लोक लाज च
मि त ना बिसरि ,ऊ तेरो रूप को अंगवालो छे
इन लिपटी तू मैं मा ,सूद बुध खो द्याई मिल वै बाटा मा मिल
गैल्याणी : सच्ची
गैल्या :त्यारा पिछने पिछने ,गैल्याणी नि आई मि
सच्ची मिल तिथे ,ये आँखि थे नि मारी च
त्यारा पिछने पिछने ......

गैल्याणी:गैल्या नि मिथे आँख मारी च
अद बाटों मा अड़े की मिथे छेड़ी च ......

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कन कख

कन दौड़ी कख दौड़ी
किलै बौड़ी नि आई

दूर गयां अध बाटा
तिन कख छोड़ी

सुबेर को गै सुपनिया
ब्योखोनि मा बी नि ऐई

भंडया देर व्हाई
चौ-दिसा बी डैर ग्याई

खैरी पीड़ा की कसैरी
वै गदनी बोगी ग्याई

पहाड़ों को ढुंगा
तिल कख चुलै द्याई

कन दौड़ी कख दौड़ी

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सब बखत को फेर चा

जख बिलि नि तख मूसा नचणु
देख कन लग्युं अब ये खेल चा
सबि और्री फैल्युं इन दैल फ़ैल चा
सब बखत को फेर चा .........

खाली हाथ सुदी मुखमा नी जांदु
बल जी अब देखा सबि धानी मा
अब टक्कों कि रेल पेल चा
सब बखत को फेर चा .........

जैल नि धोई अपरो मुख,
ऊ क्या देक्लो औरों को सुख.
बल अपरा मा लग्युं सारो लेण देंण चा
सब बखत को फेर चा .........

टका न पैसा यख अब
बल जी गौं-गौं भैंसा जख तख
कन मची झुठो यो जय जय चा
सब बखत को फेर चा .........

ना लेणु कैथे एक अब
ना देणु कैथे अब द्वी
संभाली धरि ना धरि सिक अब
सब बखत को फेर चा .........

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मनखी ये तेरो मन

जिंदगी एक
कदगा सवाल लेकि आंदि
विंका जवाब खोजदा खोजदा
उमरी सबै गुजरी जांदि

कदगा अयां कदगा गयां
क्वी नि वैकु हिसाब
पूछी ले एक से भी
मिली ना विंको कैथे जवाब

मिथै लगनू इन अब त
व्हैग्याई सबी को खाना खराब
पी पी की ईं तिस नि बुझनी
कन लगि हुलि इन प्यास

ब्योखनी को सिलू घाम
कै बाटो व्हैलू जानू
रति पिछने सुबेर आंदु
ये बता मा छे कदगा दम

झुठो च ये संसार
कैल नि पायी यख पार
ब्यर्थ ही फिरनु रैंदु रे
मनखी ये तेरो मन

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