Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447250 times)

devbhumi

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परेशानियां

परेशानियां  .... २
आयेगी हल्के फुल्के
ना जाने  किस मोड़ किस ड़गर से 
कर जायेगी हैराँ परेशां
परेशानियां  .... २

ना आज है ना कल है
इस का ना कोई विकल्प है
धुप में भी ये संग है
ठंडी छाँव पर भी इसका असर है 
परेशानियां  .... २

मन के साथ खेलती जाती
दिल पर दबाव बढ़ती जाती
परिणाम उभरता इसका मस्तक पे
बहाव धमनियों का तेज कर जाती
परेशानियां  .... २

ढूंढने की इसे जरूरत नहीं
वो खुद हमे खोज ही लेती
उस कोने से हर नजर बयाँ करती
हर एक की  दास्ताँ इसको दिल से
परेशानियां  .... २

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कैल ब्वाली

कैल ब्वाली हे गैल्या
ऊ जमानु कख लुकि ग्याई
कन कै खैंचि लाण वैथे आज
जो हता बठेक कि निस ग्याई

ना छोड़ ना ह्वै उदास
ना छोड़ तू ये अपड़ी आस
रुमक हुँयुं च आज भारी
दियू बलाले तू अपडा साथ

जिकुड़ी माँ धीर धैर औरृ
अफि दगडी बात कैर
बग्दी गदनि को सुस्याट
बगैजांद सिन्कुली किलै आज

आलू क्वी तेरु अन्वार लेकि
तेर स्वाल को जवाब लेकि
देख इन ना अब स्वास छोड़ी
अपडों से बी ह्वैजांदी छे अबेरी

कैल ब्वाली हे गैल्या

बालकृष्ण डी ध्यानी
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बस रह गयी

बस रह गयी
आँखों में नमि चेहरे पे उदासी
मन माटी के अँकुर में
जब से होने लगी है जाल साजि

बस रह गयी
बातें तेरी और यादें तेरी पुरानी
यादों की किताबों की अलमारी में
जो तू लिख गयी हमारी कहनी

बस रह गयी
पुरानी धूल जिस्म पर उसे है अब उड़ानी
कुछ अनकहे से किस्से तेरे 
वो अपनो को हैं बस सुनाने

बस रह गयी
वो उम्मीदों की अपनी उड़ान
आज भी मेरे सिरहाने
वो टूटी  ऐनक फिर लगी मुझे समझाने

बस रह गयी ..........

बालकृष्ण डी ध्यानी
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माया लगौण  नि औंदू मिथे

माया लगौण  नि औंदू मिथे... २
कन लगाण
कै कितब मां छ्प्युं छाया बथा दे मिथे

निलू आग्स को कै छेड मां छे 
माया लुकि च  कै गेड मां छे 
जांदू छलै अफि से ही मि
इन बाटू सगेरु बथे  दे मिथे

माया लगौण  नि औंदू मिथे... २

आँखियूँ आँखियूँ को खेल च  यु
द्वि मायदार जिकुड़ी को घेर च यु
कैल बथाई मि ,ना मि मां समै
अंग्वाल मां लेकि तू जतै दे सरै

माया लगौण  नि औंदू मिथे... २

क्वी बुल्दो जियु  को जंजाल च यु
क्वी बुल्दो सुपनियु को संसार च यु
सबै कि ऐकी कि घंघतोळ मां छु
अपड़ी मजदूरी कि जोड़ तोड़ मां छु

माया लगौण  नि औंदू मिथे... २

बालकृष्ण डी ध्यानी
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आज वो मेरा

बस आज है आज है वो मेरा
ना होता है कल में मेरा बसेरा
कुछ कहूं ना  कहूं
कह जाता है वो मेरा अन्धेरा वो सवेरा
बस आज है आज है वो मेरा

बंट गयी हूँ मैं
आज हिस्सों में ऐसे
नैनों में दबे हैं 
दबे रह गये वो  सारे सपने मेरे

बात है वो पर वो बात नहीं मेरी
इस आवज में दर्द है पर साज नहीं मेरी
चूल्हे पर पकती उन रोटियों जैसी
खुश हूँ मैं बस उन लूटी गोटियों जैसी

खुश करलो तुम हमे आज दिन है हमारा
खुटी पर बंधी हो जैसी गाय को हो दुलारा
ज्याद प्रेम भी हमको कमजोर बना देता है
पुरे साल ऐ संदेश  कहाँ पर लुप्त हो जाता है

कहाँ पर लुप्त हो जाता है आज वो मेरा    ....२

बालकृष्ण डी ध्यानी
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इन लागी गैल्या

त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि
इन लागी गैल्या
जन मिथे अपडों देब्तों को
ठो  यखी मा मिल ग्याई
जन मिथे अपडों गौं मिल ग्याई
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि .....

बस इत्गा ही छे माया मेरी ...२
जन हैरा भैरँ बणु मा खिलदा बुरांस
त्वै थे देख्दा ऊ खिल खिल हैंसी ग्याई
जन ऐग्याई व्हाळु ऐ उमरी मां वेमां मौल्यार
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि .....

पोटली मां दड़यां ऊ चौंवळो को बुका
देखद ते कछि मां लुकि लालु चुलग्याई
अरसों की सूंघ कण आणि छे त्वैमा गैल्या
मेर नकुड़ी अप्डू सुख दुःख सबि बिसरिग्याई
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि .....

क्दगा बरसी बाद तेर मेर भेंट व्हाई गैल्या
मेरा जाणा का बाद तिन कन गुजारी ऊ छूईं लगा
बैठूँल दुईयाँ अब यखमा निरजक व्हैकि
मिथे तू अपड़ी दुःख सुख कि सरि कथा लगा 
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि .....

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अबै की बारी हे मोहन

अबै की बारी हे मोहन
श्याम थे तू लेकि ऐई
पीड़ा मेरी देखि कि तू बी
मि थे तू ना बिसरि जैई

बांसुरी कि सुर सुर मां
मिथे तू बल  इन गेड़ी जैई
राधिक ना बने ना गोपी मिथे
बल  ऊंटडी से अपड़ी सटे जैई

कनुडि का ना बने कुंडल
ना मुकटो को हीरा पन्ना
बल आस च मेरी इतगी
बनेदे मि जोडा तेर चपलों का

पैरी  की हिटन लगेलु जबै तू
तू जख जैलु मि वखि औंलू
मुखड़ी तेरी मि दिखे ना दिखे
बस तेर खुतड़ियूं मां पौड़ी रोलों

अबै की बारी हे मोहन   ........

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गौं गळयूं

गौं गळयूं कि पीड़ा
कैन नी जाणी
कैमा लगाणी
यूं  की बचाणी

जै  कुड़ी मां
जलम ल्यायी
वा  कुड़ी
खंदवार  ह्वैग्याई 

कास गौं मा सड़क हूंद
क्वी हमसे इन दूर निहूंद
यूँ सड़कियूं न इन जाल बिछेई
विकास न हम थे रीता कैग्याई

पाणी सोत अपडु  ह्वेक भी
अपडु अधिकार कख ख्वैग्याई
ई दुंन्यादारी चलण नि सिका
लाटू छ्या मि लाटू ही रैग्याई 

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वेदना

वेदना
जानता हूं मै की तेरा
अंत ना हुआ है ना होगा कभी
हर पथ हर सांस में
तू चलेगा अब संग संग मेरे
वेदना हे वेदना
मेरी वेदना ..... २

कौन करता है,चाह तेरी
कौन करता है ,बात मेंरी
बस वो ही है राह मेरी
जो अब तक रही है राह तेरी
वेदना हे वेदना
मेरी वेदना ..... २

जानता हूं की मै तेरा
किंचित भी स्नहे नहीं पा सकता 
हर डगर मोड़ में काम से कम
वादा कर मुझसे पहले तू उपस्थित होगा
वेदना हे वेदना
मेरी वेदना ..... २

फिर भी हर्ष है मुझको
की तेरा हर समय कर्ज है मुझ पर
अदा ऐसे करता जाऊंगा
संग तेरे बस आगे बढ़ता जाऊंगा
वेदना हे वेदना
मेरी वेदना ..... २

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कुछ कह रही कलम मेरी

कुछ नरम सांस  है अभी बाकी
कुछ टुकड़े पड़े हैं अभी भी इधर उधर
बस उनकी जाँच रह गई हैं बाकी
बाकी काम कर गई है वो  काली खांसी 
कुछ कह रही कलम मेरी  .......

अब कुछ पन्नो पर ही निकलेगा
अब ऐ  आखरी दम  मेरा
अब भी मुझे नहीं मिल पाई है
मेरी खोयी हुई जमीं
कुछ कह रही कलम मेरी  .......

रह रहकर ही वो टटोल रहा
फिजूल ही वो  नब्ज अब मेरा
गति स्थिल है  और मन  स्थिर है
और सोच पर  अब भी  गंद जमी
कुछ कह रही कलम मेरी  .......

सपना मेर ना रह जाये  अधूरा
रह जाये ना इसका मुझे गिला
कहीं मैं ही कम पड़ गया होगा
सफर राह गया जो मेरा अधूरा
कुछ कह रही कलम मेरी  .......

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