थोड़े रंग लाया हूँ मैं पहाड़ से
थोड़े रंग लाया हूँ मैं पहाड़ से
मुझे मलने दो गलों पर तुम्हारे
तुम मुझे आज बड़े प्यार से
थोड़े रंग लाया हूँ मैं पहाड़ से .....
थोड़े फूल हैं थोड़े गुलाल हैं
इस में मिला मेरा पहाड़ी प्यार है
पहाड़ छोड़ा आया हूँ तुम से मिलने
अपनों को आज एक एक कर गिनने
थोड़े रंग लाया हूँ मैं पहाड़ से .....
बिखेर दूंगा सारा उल्ल्हास मैं
अब तुम्हारे इस नीरस संसार में
आनंद को कह दूंगा आज मैं
आ जाओ तुमसे मिलने पहाड़ से
थोड़े रंग लाया हूँ मैं पहाड़ से .....
आती तो होगी याद तुम्हे मेरी
तुम्हारे जीवन के इस सुख दुःख में
अँखियाँ भीग जाती तो होगी तुम्हारी
त्योहारों के इस मौसम बाहर में
थोड़े रंग लाया हूँ मैं पहाड़ से .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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